Jaini aur sapno ka Rajkumar - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

जैनी और सपनों का राजकुमार - 1

Episode-1

जैनी एक बहुत ही खूबसूरत सी लड़की थी उसकी नीली नीली आंखें बहुत सुहानी लगती थी।

जैनी एक पन्द्रह साल की लड़की थी और वो कश्मीरी बर्फीले पहाड़ों पर रहती थी अपनी नानी मां के साथ।

चंचल मन था उसका रोज सुबह जंगलों में जाकर लकड़ियां काट कर घर ले आती और फिर उससे उसकी नानी तरह तरह का सामान बनाती और शहर जाकर बेंच आती थी।

जैनी के नन्हे हाथों में शायद भगवान का दिया हुआ कोई जादू था उसने नानी मां से लड़की के खिलौने, बर्तन, और बहुत सारे सुन्दर सुन्दर सजाने वाली चीजों को बनाती थी।

जैनी ओ जैनी कहा हो आओ तो नाश्ता कर लो।

जैनी तो जैसे पेड़ पौधों में भी जान डाल देती थी।

जानवरों से बात करना, चिड़ियों के साथ चहचहाना उसे बहुत अच्छा लगता था।

उसको सभी लोग कहते थे कि जैनी में भगवान है। और तो और अगर किसी का कोई पालतू जानवर कहीं चला गया हो या फिर कहीं खो गया हो तो सिर्फ जैनी थी जो उसे वापस ला सकती थी।

एक बार जैनी ने एक लकड़ी का गुड़ा बनाया और फिर उसे अपने पास ही रख लिया।

ये देख उसकी नानी मां ने कहा कि जैनी तुम ने इस बार गुड़ा बनाया और शहर बेचने नही ले गई क्यों?

जैनी ने बहुत ही उत्सुक हो कर कहा अरे नानी मां कल रात मैंने एक सपना देखा था जिसमें मेरी मां ने बताया कि मुझे एक लड़की का गुड़ा बनाना होगा और फिर वो एक दिन जब मैं बड़ी हो जाऊंगी तो वो राजकुमार बन जायेगा और फिर मेरी शादी उसी से होगी।

ये सुनकर नानी मां आश्चर्य हो गई और फिर बोली अरे जैनी ऐसा कैसे हो सकता है एक बेजूवान लकड़ी का गुड़ा भला कैसे बोल सकता है।

जैनी ने कहा हां नानी तुम देखना जरूर ऐसा होगा और तब हमें इतना मेहनत नहीं करना होगा।

नानी मां ने कहा चल सपनों की दुनिया से निकल कर आ जाओ।।

रोटी खा लो।

जैनी ने एक रोटी चुपके से अपने गुड्डे को खिला दिया।

फिर खुद भी खा कर सो गई।

और फिर वो गुड्डा धीरे से उठ कर जैनी के पास जाकर एक सुनहरा रुमाल उसके हाथ में रख दिया।

फिर जब शाम को जैनी उठी और उसने देखा कि उसके हाथ में एक सुनहरा रुमाल बंधा हुआ था।

जैनी एक दम आश्चर्य होकर इधर-उधर देखने लगी।

फिर उसने चाय बना कर नानी को दिया।

और एक प्याली चाय उस गुड्डे को भी दे दी।

नानी मां ने चाय पी कर कहा चल जैनी पैसे लेकर आते हैं साहुकारों से।

जैनी ने कहा हां आती हुं।

फिर दोनों निकल गए घर से।

और घर पर वो लकड़ी का गुड्डे ने जितनी भी लकड़ियां थी उससे बहुत ही खूबसूरत सा एक घर,नाव, कई सारे लकड़ियों के खिलौने बर्तन बनाकर रख दिया।

साहुकारों से पैसा वसूल कर कुछ रासन लेकर घर लौट आए और दरवाजे से अन्दर जाते ही देखा कि सारे लकड़ियों से बनी वस्तुओं को देख कर दंग रह गए।

जैनी ने कहा अरे नानी मां देखो कितना सुन्दर सारा सामान बना है।

नानी मां ने कहा हां देख रही हूं पर ये सब किसने बनाया?

जैनी ने कहा मुझे पता है ये सब उस गुड्डे ने बनाया है।

फिर नानी मां ने जल्दी से चुल्हा जला कर रोटी बनाने लगी और साथ ही आटे का हलवा बना कर खाना परोसा और खाने बैठी।

फिर जैनी ने एक रोटी हलवा लेकर उस गुड्डे को दे दिया ‌।

फिर बड़े मन से खाना खा कर सो गई।

देर रात को वो लकड़ी का गुडडा उठकर जैनी के पास गया और एक बहुत ही खूबसूरत सा सलवार सूट रख कर गया।

दूसरे दिन सुबह जब जैनी उठी तो उसने देखा कि एक सलवार सूट रखा है।

जैनी खुश हो कर वहीं सूट पहन लिया।

और फिर जंगल में लकड़ियां काटने चली गई।

बहुत सारी लकड़ियां जल्दी ही मिल गई।

जैनी सोचने लगी कि क्या लकड़ियां  गुड्डे ने काट दिया।

फिर घर वापस आ गई और बोली कि नानी मां ये देखो लकड़ियां आज जल्द मिल गई।

नानी मां ने कहा हां बेटा ठीक है।

चलो आज दाल चावल बनाई हुं तुझे तो बहुत पसंद हैं ना।

जैनी ने कहा हां चलो खाना खाने बैठे।

फिर जैनी ने अपने थाली में से एक कटोरी में चावल दाल ले लिया और लेकर उस गुड्डे को देने चली गई।

इधर दोनों बहुत अच्छे से खाना खाने लगीं।

फिर जैनी और नानी मां ने मिलकर सारा लकड़ियों का बना सामान लेकर शहर चले गए।

और बहुत ही जल्दी सब सामान अच्छे दाम में बिक गया।

जैनी ने मन में सोचा अच्छा होता कि रोज ये सब सामान उस राजकुमार के हाथों बन जाता।

फिर थक कर चूर हो चुके थे और दोनों घर लौट आए।

और जब अन्दर पहुंच गए तो देखा कि इस बार और भी अधिक खुबसूरत सा सिंहासन,मेज, कुर्सी,सब बन कर तैयार था।

जैनी और उसकी नानी मां देख कर दंग रह गई।

जैनी ने कहा अरे जैसा मैंने सोचा वो ही हो गया।

नानी मां ने कहा ये कैसे हो गया।।

जैनी ने कहा नानी मां सब कुछ चमत्कार हैं।

चलो अब थोड़ा आराम करते हैं।

फिर इसी तरह समय बीतने लगा।

 

एक महीने,दो महीने, पांच महीने, फिर एक साल बीत गए।

आज जैनी का जन्मदिन था वो बहुत खुश थी क्योंकि उसे अपने पसन्द का सब कुछ मिल रहा था।

नानी मां ने कहा जैनी क्यों न हम अब लकड़ियों का बड़ा काम ले।

जैनी ने कहा हां नानी मां क्यों नहीं।

नानी मां ने कहा जैनी अब तू सोलह साल की हो गई तेरी शादी भी करनी है।

जैनी ने कहा हां नानी मां पर मुझे तो उसी गुड्डे से शादी करनी होगी।

नानी मां ने कहा भला ये कैसा तेरा ज़िद है?

जैनी ने कहा ये ज़िद नहीं है नानी मां, मेरी मां का दिया हुआ आशीर्वाद है।

फिर एक दिन एक साहुकार जैनी को रास्ते में मिला और बोला कि तुम्हें मेरे घर जाकर एक पलंग बनाना है।

जैनी ने कहा नहीं मैं कहीं नहीं जाती हुं।

साहुकार बोला मैं तुम्हें सोने की अशर्फियां दुंगा।

जैनी बिना बोले घर लौट आई।

और सारी बात नानी मां को बताया।

नानी मां भी डर सी गई।

और फिर बोली कि जैनी अब से तुम साहुकारों से मिलने नहीं जाओगी।

जैनी ने मन में सोचा कि अब क्या होगा एक तरफ इतनी सारी अशर्फियां और दुसरी तरफ मेरा राजकुमार।

जैनी ये सब सोच कर सो गई।

और फिर सपने में उसे उसकी मां ने बताया कि देखो जब तुम अठारहवीं साल की हो जाओगी तो उस राजकुमार के गले में हार पहना देना और फिर उसमें जान आ जाएगी।

और फिर जब जैनी ने आंख खोली तो खुद को एक तहखाने में पाया।

क्रमशः