Jaini aur sapno ka Rajkumar - 3 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

जैनी और सपनों का राजकुमार - 3 - अंतिम भाग

Episode-3

फिर एक सैनिक इधर उधर पता करके लौट आया और बोला कि सब जानकारी मिल गई है।

अब हमें वापस जाना चाहिए।

राजमहल पहुंच कर राजा को जानकारी दी की वो जैनी है, और नानी मां के साथ रहती है।

उसी रात जैनी को भी सब पता चला और वो रोने लगी, और फिर सारी बात राजकुमार को बताया।

और फिर जब सो गए तो राजकुमार ने एक दम हु-ब-हू जैनी का प्रतिरुप बना दिया।वो भी लकड़ी से।

कहीं से भी ये प्रतीत नहीं हो पा रहा था कि वो लकड़ी का बना है।

एक सुंदर से लिवाज से सजी संवरी हुई थी ,और फिर धीरे धीरे से उसको बाहर दरवाजे पर लगा दिया।

सुबह होते ही महाराज उदय भान ने खोजते हुए ठीक जैनी के दरवाजे के पास पहुंच गए ,और फिर बोलें की ये ही मेरी रानी कहकर उस लकड़ी के पुतले को छू दिया, और फिर वहां पर सभी लोग इकट्ठा हो गए।

महाराज उदय भान अचंभित हो गए और सैनिक को बुलाने लगे।

तभी कुछ देर बाद जैनी और उसकी नानी मां बाहर निकल आए, और बोले कि महाराज आपने तो इस पुतले को ही छू दिया और अब आपको इसी से शादी करनी होगी।

राजा उदय भान बहुत ही शर्मिन्दा हो गए और फिर बोले कि, हां मैंने जो कहा था वैसा ही करूंगा।पर ये लकड़ी का पुतला किसने बनाया?

जैनी ने कहा ये मेरी मां ने बनाया था।

राजा उदय भान वहां से उस पुतले को लेकर मायुस हो कर लौट गए।

इसी तरह एक साल बीत गए।

अब जैनी का अठारहवां जन्मदिन होने वाला था, वो बहुत ही खुश थी कि अब वो अपने राजकुमार को माला पहनायेगी।

नानी मां ने कहा जैनी जल्दी से तैयार हो जाओ।

जैनी ने कहा हां नानी मां मैं बस तैयार हो गई हुं।

फिर नानी मां ने एक अपने हाथों से माला तैयार किया और जैनी को कहा कि उस गुड्डे के गले में डाल दें।

जैनी ने वो माला ले जाकर उस राजकुमार को पहना दिया।

कुछ देर बाद ही, वो लकड़ी का गुड्डा एक बड़े ही सुन्दर नौजवान के रुप में परिवर्तित हो गया।

जैसे कोई सपनों का राजकुमार हो।

जैनी तो उसे देखे जा रही थी।

उस राजकुमार ने कहा कि जैनी तुमने मुझे एक नया जीवन दिया है। मैं मुक्त हो गया हुं।

फिर उस राजकुमार ने बताया कि किस तरह वो एक लकड़ी का पुतला बन गया।

एक जादुगरनी ने मुझे अपने जाल में फंसाकर मुझे अपना गुलाम बना दिया था।

और वो हमेशा एक औरत का ख़ून पीकर जीना और खुद को सुन्दर और अमर बनाना चाहती थी।

एक बार तुम्हारी मां उसके चंगुल में जाकर फस गई थी और फिर तुम्हारी मां की मुलाकात मुझे से हुई।

हम दोनों में हमेशा बात चीत होती रहती थी और वो हमेशा तुम्हारी फिक्र किया करती थी,कहती थी जैनी बहुत ही मासुम है उसे कुछ पता नहीं है इन सब के बारे में। मुझे डर लगा रहता है क्या तुम मेरे जैनी से शादी करोगे?

मैं उनसे कहता कि अगर मैं यहां से बच निकला जरूर करूंगा।

पर एक दिन उस जादुगरनी ने तुम्हारी मां को मार डाला और मुझे एक लकड़ी का पुतला बना दिया। मैं कुछ नहीं कर सका।

पर तुम्हारी मां को उस जादुगरनी के साथ रह कर बहुत कुछ मालूम हो चुका था, इसलिए उन्होंने तुम्हारे सपने में आकर वो लकड़ी का पुतला बनाने को कहा,और फिर ये भी कहा कि जब तुम अठारहवीं साल की हो जाओगी तो उस पुतले को माला पहनाने से मैं जीवित हो जाऊंगा।

तुमने वहीं किया जो तुम्हारी मां चाहती थी।

और फिर देखो आज मैं तुम्हारे सामने हुं।

जैनी ने ये सब सुन कर बहुत मायुस होकर बोली तो क्या वो जादूगरनी आज भी जिंदा है?

राजकुमार ने कहा हां शायद।

जैनी ने कहा ओह जिसने मेरी मां को इतनी तकलीफ़ दी उसको मैं सजा दुंगी।

नानी मां ने कहा नहीं जैनी मैं तुझे खोंना नहीं चाहती हुं।

जैनी ने कहा हां पर नानी मां क्या आप नहीं चाहती कि मां के गुनहगार को सजा मिले।

राजकुमार ने कहा हां जैनी मैं तुम्हारे साथ हूं हम दोनों मिलकर ये कर पायेंगे।

फिर सभी खाना खा कर सो गए।

जैनी ने सपना देखा और उसकी मां ने बताया कि एक बोतल में उस जादुगरनी के बालों का गुच्छा है अगर वो उस गुच्छे को जला दें।तो वो जादूगरनी मर जायेगी।

फिर सुबह हो गई थी जैनी ने उठते ही राजकुमार को सारी बात बताई और कहा कि अब हमें जल्दी से कुछ करना होगा।

राजकुमार ने कहा हां सबसे पहले पता करना होगा कि वो अब कहां है।

फिर दोनों नानी मां से आशीर्वाद लेकर निकल पड़े और नानी मां ने रास्ते के लिए रोटी और गुड़ भी दे दिया।

कश्मीर के ऊंचे शिखरों से होते हुए दोनों निकल गए। चलते चलते काफी देर हो गई थी अंधेरा होने वाला था।

राजकुमार ने कहा चलो जैनी हम कहीं बैठ कर खाना खा कर सुबह होने का इंतजार करें।

फिर दोनों एक जगह पर बैठ कर खाना खाने लगे।

तभी जैनी को दूर एक लाईट दिखाई दिया और फिर उसने राजकुमार से कहा कि ये देखो यहां जरूर कुछ है।

फिर दोनों आगे बढ़ गए तो देखा कि एक झोपड़ी है।

जैनी ने दरवाजा खटखटाया तो एक बुढ़िया ने दरवाजा खोला और कहा क्या बात है?

जैनी ने कहा हम रास्ता भटक गए हैं।

उस बुढ़िया ने कहा अच्छा अन्दर आ जाओ।

फिर दोनों अन्दर पहुंच गए और फिर देखा बहुत कुछ अटपटा सा लगा।

बुढ़िया एक काले लिबास में थी।

बुढ़िया ने कहा अब तुम लोग सो जाओ।

फिर जैनी और राजकुमार वहीं पास पास सो गए।

जैनी ने एक सपना देखा कि उसकी मां कुछ बोल रही है और कुछ संकेत दे रही थी।

फिर जैनी अचानक उठ बैठी और उसने देखा कि वो बुढ़िया एक खटिया पर लेटी थी और फिर जैनी ने इधर उधर नजर घुमाई तो उसने देखा कि एक बोतल में बालों का गुच्छा है।

जैनी को पलभर भी समझने में देर ना लगी की ये बुढ़िया कोई और नहीं वो जादूगरनी है।जिसने मां को मार डाली थी।

जैनी ने जल्दी आगे बढ़ कर उस बोतल को अपने हाथ में ले लिया और फिर जलती हुई अंगीठी दिखी तो फिर क्या था जल्दी से वो बोतल को उस जलती हुई अंगीठी में डाल दिया।

इतने में राजकुमार भी उठ खड़ा हुआ और फिर जो नजारा देखने को मिला वो बुढ़िया अपने खटिये में ही तड़प उठी और चिल्लाने लगी। कुछ ही देर में सब कुछ खत्म हो गया।बुराई पर अच्छाई की जीत हो गई।

धीरे धीरे सुबह हो गई। चिड़ियों की चहचहाहट आने लगी।

जैनी बहुत ही रोने लगी और फिर राजकुमार बोला कि आज तुम्हारी मां की आत्मा को शांति मिल गई।

फिर जैनी और राजकुमार अपने घर वापस आ गए और नानी मां को सारी बात बताई।

नानी मां बहुत खुश हो कर दोनों को गले से लगा लिया।

 

समाप्त।