Tere Ishq me - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इश्क में - 5

शाम का वक्त

शाम का वक्त था। तारो के साथ चंद्रमा भी अभी अभी आसमान मे दिखे थे। हलकी सी ठंडी शीत लहेरे आ रही थी ।
आजकी शाम बाकी की शाम से बहुत ही अलग ओर सुंदर थी। पूरे रिसोर्ट को फायर स्ट्रिंग लाइट से सजा दिया था।
ˈफ़ाउन्‌टन्‌ भी कलरिंग लाइटो से सजा हुआ था ओर जब उसमे से पानी के फव्वारे ओर कलरिंग लाइट मीलते तो वो नजारा इन्द्रधनुष जेसा दीख रहा था ।

मीठी ओर धीमी शहनाई की धून बज रही थी। शादी का मंडप पूरा फूलो से सजा हुआ था


पंडित जी देवो का आह्वान कर रहे थे।
ओर दूल्हे राजा सज धज के दुल्हन का इन्तज़ार।

श्री - काया ओर निसी जीया को तैयार होते हुए देख रहे थे। जीया ने चेरी रेड कलर का लेहेंगा पहेना था। गले मे कुंदन का जडाऊ लंबा हार ओर नाक मे नथ , ओर मांग टीके से उसकी खूबसूरती ओर ज्यादा निखर कर आ रही थी।
श्री ने मेकअप आर्टिस्ट को कहा मैम का टचप मे कर दुंगी अब आप जा सकते हो। तीनो सहेलीयो ने मिलकर जीया को तैयार कीया ।
पंडित जी के बुलाते ही जीया को मंडप मे लेजाया गया।
पंडित जी ने मंत्रोच्चार शुरू कीये धीरे धीरे सारी विधिया शुरु हुई ।
मंगल फेरो का वक्त आया दोनो एक दूसरे का हाथ को पकड कर फेरे ले रहे थे।
सब दोस्त खडे हो गए अनूज के दोस्त जीया को ओर जीया के दोस्त अनूज को फूल मार रहे थे ।
पंडित जी मंत्र बोल रहे थे पास मे स्पीकर पर गाना बज रहा था
अँखियाँ मिला के चन्ना पावें ना जुदाई वे
अँखियाँ मिला के चन्ना पावें ना जुदाई वे
देवें न तारे मेंनु सारी खुदाई वे
आखियाँ मिला के...................

तारे है बाराती चाँदनी है ये बारात
सातों तो फेरे होंगे अब हाथो में लेकर हाथ
सातों फेरे होंगे अब हाथों में लेके हाथ
जीवन साथी हम दिया और बाती
जीवन साथी हम दिया ओर बाती ।
सब शादी की रस्मे देख रहे थे पर श्री की नजरे दर्श को ।
उस ने देखा तो सब थे वहा दर्श नही था,

उसकी आँखे बेचैन होकर दर्श को ही ढूंढ ने लगी थी। वो चौंरी से नीचे उतरी ओर इधर उधर देख ने लगी ।

पीछे से किसी ने श्री की पीठ थपथपाते हुए कहा कीसे ढूंढ रही हो, देखा तो वो दर्श था।
श्री झुंझला ते हुए ; कहा थे तुम कबसे ढूंढ रही हु।

दर्श स्माईल करते हुए , क्यु आप हमे खोज रही थी ये हम जान सकते है?
श्री दर्श को ढूंढ मे इतनी खो गई की जब दर्श ने पूछा तो उसको ये खयाल ही नही रहा की ये बात उसे नही बतानी थी।
वो कुछ उत्तर दिये बीना ही जा रही थी की ;
दर्श ने उसका हाथ पकड ते हुए पूछा श्री तुम ने मेरे सवाल का जवाब नही दीया।
बोलो क्यु हमे यु बेचैन होकर ढूंढ रही थी?

श्री- पीछे देखे बीना ही कहा ' पता नही ।
ओर वो चलने लगती है ।
दर्श ने श्री से कहा भले ही तुम अभी जा रही हो पर याद रखना मे इस सवाल का जवाब सुने बीना तुम को कही जाने नही दूंगा।

श्री की दिल की धड़कने तेज हो जाती है वो दौड़कर निसी के पास चली गई ।
निसी ने श्री की ओर देख ते हुए तेरी सांस क्यु इतनी फूली हुइ है ,हुआ क्या?
श्री अरे वोशरुम गई थी दौड़कर आई इस लिए।
निसी ने कहा ओके चल पानी पी ले, वो श्री को पानी की बोतल पकडाती है।
पर उस की नजर सामने से आ रहै दर्श पर गई । वो मुस्कुरा रहा था ।
उसने ने सोचा श्री भी उस तरफ से ही आई थी तो कुछ हुआ हे इन दोनो मे ?
श्री क्या दर्श भी आया था तेरे साथ वोशरुम मे?

श्री ने निसी की ओर घूरते ते हुए कहा ; छी छी नशा कीया है क्या ?
ओर वो जीया और अनूज की ओर धीरे धीरे फूल फैंक ने लगी।
जब श्री की नजर दर्श पर गई तो वो उसे ही देखे जा रहा था।
दर्श ने आँखो से इशारा करते हुए श्री को कहा बताओ।
श्री ने अपना सर ना मे हिलाया।
निसी कब से इन दोनो के आँखो के ईशारे देख रही थी ।
वो श्री के करीब जाकर बोली तुम्हे यु देख कर वो गाना याद आ रहा हे;

आँखों की गुस्ताखियाँ माफ हो
इक टुक तुम्हें देखती है
जो बात कहना चाहे
ज़ुबां तुमसे ये वो कहती है.........

इतना गाके निसी हसने लगती है, ओर श्री शर्म से पानी पानी ।
अनूज और जीया के फेरे ख्तम होते है, मंगलसूत्र, सिंदूर रस्म पूरी होती है वो लोग बडो का आशिर्वाद लेके अपने सारे दोस्तो को मीलते हे।
सब दोस्तो ने मिलकर दोनो को शादी का तोहफ़ा दिया राज महल पैलेस होटल मे हनीमून स्विट बुक करवा या था।
वो दोनो ने अपने सारे दोस्तो को गृप हग कीया ओर थैंक्स कहे के पैलेस के लिए निकल गए।

पूरे दिन की थकावट की वजह से सब अपने अपने कमरे मे आ गए।
श्री ने कपडे चेंज किये ओर बेड पर लेट गई पर उसे नींद नही आ रही थी।
वो सोच रही थी की कल जीया उसके साथ थी पर आज वो अकेली।
वो उठी शोल ओढी ओर अपने कमरे से निकल कर झील की ओर बढ गई। उस ने देखा की पहेले से ही कोई बैठा हुआ है तो श्री ने अपने कदम पीछे ले लिए।
तभी उसी ओर से आवाज आई श्री नींद नही आ रही क्या?
श्री चौंक गई क्यो की ये आवाज दर्श की थी। वो उसके पास जाके थोड़ी दूरी बनाके खडी रही ओर
कहा तुम को केसे पता की मै हुं।
दर्श ने कहा तुम्हारी आहट से।
श्री कुछ नही बोल पाई बस वो झील की तरफ देख ती रही।
दर्श ने कहा शादी क्यो नही की तुम ने?
श्री ने कहा वक्त ही नही मीला। पर तुम ने क्यु नही की शादी ।
दर्श तुम्हारे जैसा कोई मीला ही नही ।
श्री ने कहा ओ अच्छा वो शीना तो थी उसका क्या हुआ?
दर्श श्री की ओर देख ते हुए : जीस दिन तुम ने प्रपोज कीया बस उस दिन से ही मेरा दिल तुम्हारे लीये धड़कना शुर हो गया था।
वहा से जाने के बाद जब मे शीना के पास गया तो मुजे कुछ अजीब सा लगा था । वो बाते करती थी पर दिल को सुकून नही देती थी। मे शीना मे तुम को ढूंढ ने लगा था। उस्से बात करता था पर आवाज तुम्हारी ही मेरे कानो मे गुंज ती थी ।
मेने गुस्से मे तुम को थोडा कुछ सुनाया था पर बाद मे तकलीफ मुजे ही हुई थी। मेरी नजर हर बार तुम को ढूंढ रही थी पर तुम नही दीखी ।

श्री कुछ भी बोल ना पाइ वो सिर्फ दर्श को देख ती रही उसने देखा की दर्श की आँखो मे नमी थी। ओर उसकी भी।
दर्श ने फिर अपनी बात पूरी करते हुए कहा : तुम चली गई मेने ढूंढ ने की कोशिश की पर तुम नही मिली तुम्हारे दोस्त भी नही मिले ।
तुम लोगो ने कहा एडमिशन लीया कोनसी कोलेज थी कोनसा शहर कुछ नही पता था।
बडी मुस्किल से निसी का पता मीला था पर उसने भी मुजे नही बताया की तुम कहा थी। उस ने कहा तुम मुझे भूल गई हो ओर तुम्हारी शादी हो गई है। पर मुझे एक बार तुम से मील ना था।
जब अनूज ने जीया की फोटो दिखाई तब एक उम्मीद जगी थी के यहा तुम आओगी , इस लिए मे यहा आया हु। ओर यहा आके ये भी पता चला की तुम सिंगल हो।
वो श्री के करीब गया उसके चहेरे को अपने दोनो हाथो मे लेके उसके माथे पर कीस कीया ओर कहा I
I LOVE YOU श्री 💘खूद से भी ज्यादा।
ओर
वहा से जाने लगा फिर उसने रुक ते हुए कहा कल मे तुम्हारे जवाब का इंतजार करूंगा उम्मीद करता हुं तुम जो भी फैसला लोगी वो सोच समझ के लोगी।
इस बार प्रोमिस करता हु हर्ट नही करूंगा। ।।।
क्रमश..............................

.शायद कभी न कह सकूँ मैं तुमको
कहे बीना समझ लो तुम शयाद
शायद मेरे खयाल में तुम एक दिन
मिलो मुझे कही पे गूम शायद
जो तुम ना हो रहेंगे हम नहीं
जो तुम ना हो-.
रहेंगे हम नहीं
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा
तुमसे कम नहींजो तुम ना हो- ..
तोह हम भी हम नहीं
जो तुम ना हो-ऊ..
तोह हम भी हम नहीं
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा
तुमसे कम नहीं
आखों को ख़ाब देना खुद ही सवाल करके
खुद हीं जवाब देना तेरी तरफ से
बिन काम काम करना जाना कही हो चाहें
हर बार ही गुज़रना तेरी तरफ़ से
ये कोशिशें तो होंगी कम नहीं
ये कोशिशें तो होंगी कम नहीं
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादातुमसे कम नहीं
जो तुम ना हो-..
रहेंगे हम भी हम नहीं
जो तुम ना हो-..
तो हम भी हम नहींना चाहिए कुछ तुमसे
ज्यादातुमसे कम नहीं........