Noukrani ki Beti - 38 books and stories free download online pdf in Hindi

नौकरानी की बेटी - 38

अन्वेशा के बर्थडे पार्टी में बहुत ही खूबसूरत सा डोकोरेशन किया गया था बहुत ही शानदार लगा रहा था।

अन्वेशा इधर उधर भाग रही थी। फिर उसकी कालेज की दोस्त आने लगें।

आनंदी भी जाकर सब कुछ एरेनजमेट देख रही थी।
फिर कुछ देर में ही बहुत लोगों की भीड़ हो गई थी।

जहां पर अन्वेशा का बड़ा सा केक रखा था वहां पर आनंदी ने माइक से सभी मेहमानों को आने के लिए कहा।
अन्वेशा भी मुसकाराते हुए आ गई और फिर उसने केक काट दिया और फिर सबसे पहले अपनी मां को खिलाया और नानी को भी खिलाया और आनंदी ने भी अन्वेशा को केक खिलाया।
आनंदी ने वेटर को बुला कर कहा कि सभी को केक सर्व कर दें।

फिर पार्टी में डांस करने लगे।
अन्वेशा अपने दोस्तों के साथ खुब इन्जाय करने लगी।

आनंदी के सभी आफिस के दोस्तों को सास्टर खाने को कहा। फिर सभी वेटर कोल्ड ड्रिंक और शैन्क सर्व करने लगे।




सभी बहुत ही इन्जाय कर रहे थे।

फिर धीरे धीरे सभी डिनर खाने के बाद निकलने लगें।

अन्वेशा के कुछ दोस्त निकल गए और कुछ रूकें थे।
फिर सभी मेहमान चले गए।
आनंदी का पीए ने सारा गिफ्ट उसके गाड़ी में रखवा दिया।

कृष्णा और अन्वेशा गाड़ी में बैठ गए।
आनंदी भी पुरा पेमैंट करने के बाद गाड़ी में बैठ गई।

आनंदी ने कहा मां इस बार रीतू दी और पुरी फैमिली को बहुत मिस किया।

अन्वेशा ने कहा थैंक यू मां बहुत ही शानदार पार्टी रखी थी।
आनंदी ने कहा अच्छा लगा बेटा तो मुझे और क्या चाहिए।

फिर घर पहुंच कर अन्वेशा ने कहा मां मुझे बहुत नींद आ रही हैं कल गिफ्ट देखते हैं।
आनंदी ने कहा हां ठीक है तुम जाओ।

कृष्णा ने कहा देखो आनंदी कैसे दिन बीत गया पता नहीं चल पाया।

आनंदी ने कहा हां मां समय कहा रूकता है वो तो निकल जाता है।

कृष्णा ने कहा मैंने डाईबर को कहा कि डाईंग रूम में सब रखवा दें।
आनंदी ने कहा हां मां चलो अब सोने चले।

फिर दुसरे दिन सुबह सन्डे था तो सब आराम से उठें।
आनंदी ने कहा अन्वेशा जागिग गई।

कृष्णा ने कहा हां आ भी गई।
चलो अब पैकिंग खोलें।
अन्वेशा ने एक एक करके सब गिफ्ट खोल दिया।
बहुत ही अच्छे अच्छे तोहफा मिला था।
फिर रीतू का विडियो कालिंग आ गया।
फिर बहुत देर तक बातें हुई।

रीतू ने कहा आनंदी अब तुम्हारी पोस्टिंग मुम्बई हो रहा है।
आनंदी ने कहा हां दीदी।
रीतू बोली अच्छा चल ठीक है।

अन्वेशा ने कहा मां मुम्बई कब जाना है।
आनंदी ने कहा अभी दो महीने बाकी हैं।
अन्वेशा मां इस बार समर में लंदन चले।
आनंदी ने कहा अन्वेशा मैंने सोचा कि अब तुमको आगे की पढ़ाई के लिए लंदन ही जाओगी।

अन्वेशा ने कहा हां मां जरूर।
मुझे एक डाक्टर बनना है। और उन लोगों का इलाज करना है तो असमर्थ हो।
पर मां आप ने शादी क्यों नहीं किया?

आनंदी ने कहा बेटा अगर शादी कर लेती तो ये सब नहीं कर पातीं जो आज समर्पण एनजीओ के लिए कर पाईं।
कहा से कहा पहुंच गया। पता है कितने बांच है?

अन्वेशा ने कहा हां मां करीब नब्बे।
आनंदी ने कहा हां और इसे सौ से अधिक लेकर जाना है।


कृष्णा ने कहा चलो नाश्ता कर लो।
फिर तीनों ने नाश्ता किया और फिर सब अपने काम पर लग गए।

आनंदी अपनी पुरी कोशिश से आज एक मुकाम हासिल कर पाईं थीं और वो दूसरो की मदद के लिए भी तत्पर रहती थी।



कल आनंदी का एक प्रेस कॉन्फ्रेंस था। उसके लिए आनंदी तैयारी कर रही थी।

बहुत सारे समस्याओं का समाधान करने में आनंदी ने बहुत कुछ किया था।

आनंदी ने एक आर्टिकल भी लिखा था जिसमें उनसे स्त्री धन और शिक्षा पर बहुत कुछ और आगे करने के सुझाव दिया था।


आनंदी सुबह से ही बहुत उत्साहित थी। फिर वो समय से निकल गई और उसने अन्वेशा को बोला कि वहां पर समय से पहुंच जाएं।

फिर आनंदी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंच गई।
आनंदी ने वहां दीप प्रज्ज्वलित किया और फिर आनंदी को माला पहनाई गई।
अन्वेशा और कृष्णा भी पहुंच गई थी और अन्वेशा फोटो भी ले रही थी।

फिर आनंदी का आटिकल सम्बंधित ख़बरें पर आनंदी ने बहुत कुछ बताया।
फिर आनंदी को सम्मानित किया गया उसे एक शिल्ड मिला।




क्रमशः