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दीवानगी - भाग 2

आगे..........



अराध्या अपना मन मार कर तैयार होने लगती है। वो हमेशा से सादगी पसंद लड़की रहीं हैं। आज के जमाने में जहां सब कुछ बदल गया है खाने-पीने से लेकर कपड़ों के पहनावे तक.....सब कुछ ।

वहीं अराध्या है जो आज भी इन सब आंडम्बरो से दूर हैं।
वो अपनी सादगी में ही खुश रहतीं हैं।


वहीं एक रोहन है जो एक अमीर बाप की बिगड़ैल औलाद .......जिसे बस हर वक्त नशा ही पसंद है चाहे वो पैसे का हो ,,,,,,जिस्म का हो ,,,,,या फिर दारू।


ये सब उसके शौक़ है जिसे वो जब चाहे तब पूरा करता है और उसके लिए खुद के अलावा कुछ जरूरी नहीं ।ना किसी के जस्बात ,,,,,,ना किसी कै अहसास।


अराध्या तैयार हो कर बाहर आतीं हैं उसने एक लंबी अनारकली कुर्ती पहनी होती है। और बालों को बांध कर सिर्फ काजल लगा कर आती है और होल में ही बैठ कर रोहन का इंतजार कर रही होती हैं।


अराध्या सादगी भरी खुबसूरती ,,,,,,लंबे बाल ,,,,,काली गहरी आंखें ,,,, बड़ बडी पलकें, रंग ना ज्यादा गोरा ना ज्यादा गेहूंआ, पांच फुट पांच इंच की हाईट ,,,,,,,,,,,,,उसकी गर्दन पर दाई तरफ एक तिल ,,,,,,,,,कुल मिलाकर बहुत ही खुबसूरत लड़की । जो दिखावों से दूर रहतीं।


कुछ ही देर बाद .......घर के बाहर एक कार रूकने की आवाज आती है ।
रोहन बाहर से होरन देता है तो अराध्या उठकर बाहर जाती है ।रोहन उसे बाहर आता देख कर गुस्से में भर जाता है।

रोहन गाड़ी से उतर कर उसके पास जाकर- गुस्से से कहता है- मैंने तुमसे क्या कहा था ?

अराध्या सहम कर- वो,,,,,,वो ,,,, रोहन,,,मैं

रोहन- मैं जानता था कि तुम अपना ये बहन जी वाला अवतार ही रखोगी । तुम्हें एक बार में बात क्यों नहीं समझ आती।
और फिर गुस्से में उसकी बाजू पकड़ कर अंदर लाता है और जोर से बोलता है- तुम्हें कितना भी कह लो ,,,,,, तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। इतनी डंब क्यों हो तुम????

उसकी आवाज सुनकर अराध्या के मां- पापा बाहर आते हैं और रोहन को गुस्से में बोलते देखकर उसके पास जाकर पूछ्ते है- क्या हुआ रोहन बेटा?????

अराध्या के पापा वीरेंद्र सिंह एक नजर अराध्या को देखकर - क्या बात है रोहन,,,,,,आप इतना गुस्से में क्यूं है????

रोहन गुस्से में- ये आप अपनी बेटी से पूछिए।

वीरेंद्र सिंह अपनी भवें सिकोड़ कर अराध्या को देखते हुए कहते हैं- अरू,,,,,,,,,, क्या बात है???? क्या फिर से तुमने कोई गलती की।

अराध्या का अपने पापा की बात को सुनकर आंसू निकल आते हैं ।वो अपनी गर्दन ना मे हिलाती है।

वीरेंद्र सिंह- तो रोहन इतने गुस्से में क्यूं है???? बिना बात तो नहीं होगा ना वो ।

अराध्या कुछ नहीं बोलती। उसकी मां बस उसे देखती रहती है ।
रोहन- अंकल,,,,, मैं बताता हूं। मैंने इससे कहा था कि पार्टी में जाना है तो कोई ढंग के पार्टी वाले कपड़े पहन लें।
लेकिन ये ,,,,,, हमेशा की तरह बस ,,,,बहन जी बन कर आ गई।
अंकल कम से कम मेरी रेपोटेशन का तो ख्याल रखें। पार्टी में क्या मैं इसे ऐसे लेकर जाऊं????

वीरेंद्र सिंह- अरू,,,,,,,,,,ये कू तरीका है ??? जब उसने कहा था तो तुम ने उसकी बात क्यों नहीं मानी????
बोलो.......?

अराध्या- पापा ,,,,,, मेरे पास ऐसे ही कपड़े है आपको तो पता है ना मैं यही पहनती हूं।


रोहन- मुझे पता था तुम ऐसा ही करोगी इसलिए मैं खुद ही तुम्हारे लिए ड्रेस लेकर आया हूं।
अंकल अब आप प्लीज़ इसे कहिए कि ये बिना ना - नुकूर किए तैयार हो जाए।

वीरेंद्र सिंह- हां,, हां बेटा ,,,,ये भी कोई कहने की बात है । सुनैना ...... जाओ जल्दी से क्यूं को तैयार कर के लाओ।
आओ बेटा ,,,,तब तक हम बैठकर बातू करते हैं।




जारी है............