Bhutiya Mandir - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

भूतिया मंदिर - 4

अब तक आपने पढ़ा कि , चारों पहाड़ो में अंधेरे में
खोने के बाद वहीं के एक पहाड़ी गांव में पहुंचे ,
और अगले सुबह शुभम ने नितिन को एक अलग
रूप में देखा ।

अब आगे ….

शुभम चिल्लाते हुए उस ओर गया जहां सब सोए
हुए थे , वहां नितिन नही था । तो वह सबको जगाने
लगा , चिल्लाहट सुन सब जग गए । तो शुभम
बोला – " नितिन अभी यहां बाहर से ही गायब हो गया ,
मैंने अपने आंखों से देखा ।"
विनय आंख मलते हुए बोला – " क्या बकवास कर रहा
है ? , वहीं बाहर होगा । "
शुभम चिल्लाकर बोला – " आ दिखा कहाँ है , मैंने बोला
न वह अभी यहां से गायब हो गया । "
विशाल बोला – " पर गया कहाँ , ये नितिन की नौटंकी
भी न ।"
तीनों बाहर आकर इधर - उधर उसे ढूढते हुए देखने
लगे । आहत सुन कर काका और बाला भी बाहर
आ गए ।
काका बोले – " क्या हुआ बेटे , इतने परेशान क्यों हो ? "
विशाल – " हमारा नौटंकीबाज नितिन गायब है , और ये
शुभम कह रहा है कि वह गायब हो गया । "
काका बोले – " देखो यहीं कहीं आसपास होगा । "

तभी विनय बोला सब अपना समान उठाओ मुझे
पता है वह कहाँ है जल्दी करो । मैं जहां सोच रहा
हूँ वह वहीं है ।

सब जाने को तैयार हो गए काका को धन्यवाद कह
उसी सुबह वह फिर एक बार पहाड़ के ऊपर जाने
लगे । कुछ दूर चल विशाल बोला – " हम जा कहाँ
रहे है । "
विनय एक उज्वलता भरे स्वर में कहा – " मंदिर , जहां
हम कल गए थे । "
शुभम संकोच स्वर में बोला – " पर हम उस मंदिर में
फिर क्यों जा रहें हैं ? "
विशाल – " क्या नितिन वहां है । "
विनय – " हाँ , यार तुम लोग कुछ समझ रहे हो कि
नही । उस मंदिर से आने के बाद उसने कितने बार
वहां जाने की बात की , वह वहीं है । "
विशाल – " यार पर काका ने कहा कि वह जगह
खतरनाक है , और अंदर जाने से मना है । "
विनय – " कल तो बड़े कह रहे थे अंदर चलो खजाना
मिलेगा और आज फट रही है , खजाना लेंगे ,लो अब ।"

कुछ देर पहाड़ पर इधर उधर चलने के बाद आखिर उन्हें
वह जंगल मिल ही गया , कुछ ही देर में वह मंदिर के सामने
थे मंदिर खुला हुआ था और अंदर से किसी की आवाज
बाहर तक गूंज रही थी मानों कोई बहुत जोर जोर से
मंत्र पढ़ रहा है । तीनों अंदर की तरफ तेजी से दौड़े पर गेट
पर पहुँचते ही एक अदृश्य शक्ति ने उन्हें पीछे धकेल दिया ।
वह तीनों पीछे की तरफ जा गिरे फिर अंदर से एक अदृश्य
सी हवा ने चारों तरफ से उन्हें घेर लिया ।
तभी विनय ने पास ही रखे त्रिशूल को उठा लिया और
हनुमान चालीसा पढ़ने लगा और मंदिर के अंदर बढ़े ।
अंदर जाकर देखा तो नितिन वहां साधना की आसन
में बैठा हुआ है और न जाने कैसे मंत्र पढ़ रहा है ।
विनय बोला – " नितिन उठ वहां से और बाहर चल "
नितिन ने पीछे देखा उसकी आंखे सफेद व चेहरे पर एक
शैतानी मुस्कान थी , फिर बोला – " तुम सब मेरा पीछा
करते आ ही गए , यही मेरा घर है , तुम सब यहां से
भाग जाओ वरना बचोगे नही , मुझे जागृत होना है । "
विनय ने आगे टंगे कंकाल पर वह त्रिशूल फेंका
तभी नितिन को एक झटका लगा और वह फिर सामान्य
हो गया फिर चारों बाहर की तरफ भागे । आकर फिर
तुरंत मंदिर के दरवाजे को बंद किया और नीचे पड़े
पोटले को बांध दिया ।
बाहर उस पहाड़ के रहने वाले कुछ लोग आ चुके
थे और उन्हें देखकर बोले – " यह अशुभ है , मंदिर के
अंदर नही जाना चाहिए था । बाहर लिखा भी है कि
अन्दर जाना मना है ।"

पर कल उस जगह कुछ नही लिखा था , या फिर उस
पर किसी ने ध्यान ही नही दिया ।
अब काका भी आ चुके थे और उन्हें देखकर बोले –"
बेटा तुमने यह दरवाजा क्यों खोला , अंदर कुछ छुआ
तो नही । "
शुभम बोला – " नही काका हमने कुछ नही छुआ , हमें
माफ कर दो , हम यहाँ से जा रहे हैं । "

वहां के गांव वाले उस दरवाजे को बंद करने में लग
गए । और वह चारों दोस्त फिर पहाड़ से होते हुए
होटल आ गए । होटल आके उन्होंने राहत की सांस
ली ।
आते वक्त बाला भी उनके साथ आया था तो
उससे पूछने पर की मंदिर के बारे में लोग इतने
भयभीत क्यों हैं तो उसने बताया – " मुझे ज्यादा
नहीं पता पर कहतें हैं उस मंदिर में जाने के बाद
आदमी पागल हो जाता है और वहाँ आत्मा रहती
है ।"

होटल आने के बाद फिर कुछ देर बाद ही नितिन की
तबियत फिर खराब होने लगी वह खून की उल्टियां
करने लगा और छटपटा रहा था यह देख तीनों बहुत
घबरा गए । फिर वहीं पास के एक लोकल हॉस्पिटल
में ले गए । और उसे ग्लूकोज सलाईन लग गया फिर
वह कुछ शांत हुआ । डॉक्टर ने बताया कि कोई आंत
की गड़बड़ी और पूरे शरीर में एलर्जी हुई है तभी
छटपटा रहा है ।

शाम होते होते वह लगभग कुछ ठीक हो गया । और
नितिन घर जाने के बारे में कहने लगा ।फिर वह सब
घर लौट आये पर ट्रेन में भी वह अजीबों हरकतें कर
रहा था ।

नितिन ने क्या देखा ?
उस दिन जब उसने उस कंकाल को देखा तो उसे एक
काला से साया वहां दिखा जो उसे बुला रहा था । और
नितिन ने उस आत्मा को मंदिर के हर कोने में देखा वहां
उस आत्मा के अलावा कई और साया थी जिसे केवल
नितिन ने ही देखा था उन्हीं में से एक आत्मा ने उस पर
कब्जा किया था । घर आने के बाद भी वह उसके अंदर
था और जिस दिन नितिन ने अपने भाई का गला काटा
वह अमावस्या का दिन था और उस दिन कोई और ही
शैतानी शक्ति जागृति हुई थी जिसने उसके भाई की
हत्या कर दी ।

और वह अब घर से गायब था पर वह गया कहाँ ?
और मंदिर का क्या रहस्य है ?


..क्रमशः …