Bhutiya Mandir - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

भूतिया मंदिर - 6

नितिन ने उन दोनों के सामने ही शुभम का सर एक
वार में धड़ से उतार दिया , और ऐसे हँस रहा था मानो
कोई दानव हो , दानवता उसके चेहरे पर साफ दिख
रहा था ।
विनय और विशाल भागकर मंदिर के गेट के पास
आ गए थे पर पीछे के नजारे को देखकर विनय तुरन्त
रोने लगा और चिल्लाते हुए गाली देकर बोला – " साले
मैं तुझे नही छोडूंगा ।"
विनय फिर गुस्से से अंदर की ओर जाने वाला था पर
विशाल ने किसी तरह उसे खींचते हुए बाहर ले गया
दोनों रो रहे थे और विशाल चिल्ला रहा था " मैं तुझे
नही छोडूंगा ।"
शैतान ने उनके दोस्त को उनके सामने ही मार डाला था
और सबसे खराब बात यह थी कि यह काम उनके
दोस्त नितिन ने ही किया था पर वह अब उनका पहले
वाला नितिन नही था वह था एक भयानक शैतान के
वश में ।
मंदिर का दरवाजा अपने आप बंद हो गया और तभी एक
काली सी बड़ी छाया बाहर आयी उसके पीछे कई और
काली छाया , विनय और विशाल को इस चाँदनी रात में
साफ साफ दिख रहा था कि एक एक कर काली साया
चारों तरफ फैल रही थी और मंदिर के अंदर से कई तरह
की आवाजें आ रही थी ।
दोनों चुपचाप पास की झाड़ियों से यह सब भीगे आंखों
से देख रहे थे और बहुत भयभीत थे , अगर यह शुभम
को मार सकती है तो उन्हें भी ।
जब कुछ हलचल शांत हुई तब दोनों धीरे धीरे से बाला
के गांव की तरफ बढ़े ।
कुछ दूर चलने के बाद उन्हें लगा कोई काला साया उनके
चारों तरफ चक्कर लगा रहा है पर उनके पास नही
आ रही । विनय ने तुरंत बैग में रखे भगवान की फोटो
निकाल ली और बोलने लगा – " जो भी यहां है वह
भाग जाए वरना माटी में मिल जाएगा ।"
पर फिर भी वह काला छाया की आहट आती रहती
और एक सड़ी हुई सी बदबू फैल गई ।
पर कुछ ही देर बाद वह बदबू भी चली गई और वह
साया भी कहीं नजर न आई
विशाल बोला – " विनय इस फोटो को मंदिर में निकलता
तो शायद शुभम बच जाता ।"
विनय उदास होते हुए बोला – " भाई उसके पास भी
भगवान का फोटो और उसने एक आदमी के पास से
दिया हुआ पंचमुखी रुद्राक्ष का माला भी पहना हुआ
था पर तब भी वह न बच सका ।"
बाला के गांव में दोनों पहुँच गये , वहां जाकर सुना एक
बूढ़ा वहां आया है जो इस हत्या के बारे में सबको बता
रहा है और बार बार वह मंदिर के बारे में ही बता रहा था ।
विनय और विशाल ने उन्हें मंदिर और उनके दोस्त के
ऊपर चढ़े उस शैतान के बारे में बता दिया ।
और उन्होंने बताया कि सारे कटे हुए सर वहां ही थे ।
फिर बूढ़ा बोला – " चालीस साल पहले की घटना
फिर घटने लगी , यही सुनकर मैं यहाँ आया हूँ ।"
विनय बोला क्या हुआ था तो वह बूढ़ा घटी कहानी
सुनाने लगा …..

तब आसपास यहाँ कई घर थे और हम सब ऊपर
उसी बड़ीकाली मंदिर में ही पूजा करने जाते , उस
मंदिर को बनाया था बंगाल से आये एक आदमी ने
जो यहां उत्तराखंड घूमने आया था उसका नाम सुदर्शन
चट्टोपाध्याय था , तो एक रात उसी
पहाड़ पर उसने रहते हुए सपने में काली मां के दर्शन
पाए जिसमें मां ने एक मंदिर के निर्माण की बात की
थी वह खासा धनी था तो उसने अपने पैसे से ही
यह मंदिर बनवाया , वह धनी होने के साथ साथ
धर्म कर्म में भी ज्ञाता था तो सारी संपत्ति इसी मंदिर
को बनाने में लगा दिया और इसी मंदिर में खुद ही पूजा
करने लगा । फिर कुछ ही दिन बाद उसकी पत्नी
व बच्चे भी यहीं गांव में रहने लगे और सुदर्शन
इस मंदिर का पुजारी बन गया । इस बने नए मंदिर
में ही हम सब पूजा करने जाते , पर अभी तक इस
मंदिर में केवल एक पत्थर को ही पूजा जाता था
फिर इस मंदिर में बंगाल से मंगाई गई एक काली मां
की मूर्ति की स्थापना हुई । सुदर्शन के अनुसार
मां को बलि चढ़ानी पड़ेगी तो हर अमावस्या माँ को
एक बकरे की बलि चढ़ाई जाने लगी । हमसब भी
बलि से खुश थे कि शायद बलि से मां प्रसन्न होती
होंगी , बंगाल में बलि देने की एक रीति थी ।
पर एक रात सुदर्शन की पत्नी बहुत बीमार पड़ी
बहुत दवाई हुई पर ठीक न हुई , सुदर्शन वहीं मंदिर
में ही सोता था तो शायद अगले दिन उसे न जाने क्या
हुआ रात को अपने छोटे लड़के को ही मंदिर में
बलि दे दी , कहता ऐसा उससे मां ने ही कहा था
इससे इसकी पत्नी ठीक हो जाएगी , पर उसकी
पत्नी बाद में चल बसी । उसने सब को बताया
कि उसका बेटा कहीं गुम हो गया । कुछ ही दिन
बाद सुदर्शन ने काली मां की मूर्ति को तोड़ डाला
और उसके स्थान पर शैतान की पूजा करने लगा
और गांव का जो भी उस मंदिर में पूजा करने जाता
अगले दिन वह बीमार पड़ जाता , कहि कोई घर
में मर जाता । तो अब उस मंदिर में जाना छोड़ दिया
सब ने केवल वहां सुदर्शन ही रहता और अंदर न जाने
क्या पूजा करता रहता ।
पर असल बात यह थी कि मां काली को बलि तभी
अक्सर चढ़ाई जाती है जब वो जागृत मां काली हो
जैसे तारापीठ , कालीघाट और अगर ऐसा नही होता
तो आसपास के शैतानी आत्मा उस भोग को ग्रहण
करने लगती है। वही हुआ भी उस मंदिर में अब सुदर्शन
पर शैतान ने कब्जा कर लिया था और वह उनकी पूजा
करता फिर एक दिन शैतान को अपनी ही बलि चढ़ा दी
और फिर यह घटनाएं शुरू हुई कि गांव के कई लड़के
गायब होने लगे और केवल उनका धड़ ही मिलता सर नही ।
सबको पता चला कि यह सब इस मंदिर की वजह से
हो रहा है तो केदारनाथ से एक महाज्ञानी बाबा को बुलाया
गया उन्होंने बताया कि क्योंकि माँ के आधार पर इस मंदिर
का निर्माण किया गया है तो माँ की कोई जागृत वस्तु के साथ
मूर्ति के प्रवेश से सब बंद हो जाएंगे । कइयों ने कई जागृति
वस्तुएं उस मंदिर में रखने की कोशिश की पर उन सबकी
मौत हुई और इस गांव पर महामारी का अकाल पड़ा ,
कहतें हैं मां गुस्सा थीं इस गांव से आये दिन कई बीमारियों
की वजह से लोग मरने लगे । फिर हम सबने यह गांव छोड़
दिया । और उस बाबा ने उस मंदिर को एक शक्तिशाली
त्रिशूल और एक तंत्र से बांध दिया , पर उन्होंने बताया कि
गर्वगृह में अगर कोई पहुँचा और शैतान ने उसे देखा तो
एक बार फिर वह जाग जाएगा और अपना भोग
लेने लगेगा , उसका जरिया ही सुदर्शन की आत्मा है
जो बलि देता है ।

विनय बोल पड़ा – " तो हम कैसे अपने दोस्त को
बचाएं ।"
बूढ़ा बोला – " जागृत मां को प्रवेश करके पर ऐसा
कोई कर नही पाया , जागृत मां कभी भी आम आदमी
के हाथ से प्रवेश नही लेती , इससे उसे हानि ही होती
है ।"
विनय बोला – " मैं लाऊँगा किसी तरह , और इस
संकट को काटूंगा , बस माँ मेरा साथ दे , बस आप
लोग सब घर में पूजा कीजिये खासकर रात को
जिससे कोई भी आत्मा न आये ।"

यह कह दोनों कलकत्ता चल पड़े क्योंकि माँ काली
की जागृति अवस्था वहीं आसानी से मिल सकती
है , विनय ने निर्णय लिया कि जान भी देनी पड़े पर
नितिन को बचाऊंगा । ……..


…क्रमशः …