Raat - Ek Rahashya - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

रात - एक रहस्य - 1



रात...


'डर, अजीब सा डर मेरे दिलो-दिमाग को दिमक की तरह अंदर से खा रहा है। 'रात' के इस काले अंधेरे में फैले खौफनाक सन्नाटे के बीच उस डर का असर कुछ ज्यादा ही हो रहा है. पर इस डर की एक वजह है। मैं इस बेड पर लेटा हुआ हूं। मेरे दोस्त ने दी हुई कंबल कस्स के पकड़ रखी है। और कंबल के भीतर से ही मेरी आंखें उसको तलाश रही है, पर 'वो' अभी आया नहीं। क्योंकि अभी उसका वक्त नहीं हुआ। पर वो आयेगा। उसका खौफ मेरे दिलो-दिमाग पर गहराता जा रहा है। पता नहीं इस रात की सुबह कब होगी। सुबह होते ही मैं यहां से भाग जाऊंगा। पर अब मुझे सुबह का इंतजार करना होगा ।
मैं बेड पर लेटा जरूर हूं पर मेरी नजरें सामने वाले उस लकड़ी के दरवाजे पर टिकी हुई है। वैसे ये कमरा काफी घुटन भरा है। रंग उड़ी दीवारें, टुटी छतपर बारीश के पानी के सुखे धब्बे, हर कोने में मकडीयों के पुराने जाले जिनमें कुछ किट पतंगे फंस कर अपनी जान गंवा चुके हैं। पर एक भी खिड़की कहीं नजर नहीं आ रही। शायद मेरे पिछे होगी। मै पिछे मुड़ा ही नहीं। पिछले 2 घंटे से मैं बिना पलकें झपकाए सामने वाले दरवाजे को देख रहा हूं। मेरे कमरे के अंदर इतना सन्नाटा है कि दीवार पर टंगी उस घड़ी के कांटे की टिक टिक टिक करने वाली आवाज मैं बिल्कुल साफ सुन सकता हूं। अभी रात के 2:30 बज चुके हैं मतलब उसके आने का वक्त हो चुका है। मुझे अपनी सांसे रोक कर बिना हिले ऐसे ही जिंदा लाश की तरह पड़े रहना होगा। क्योंकि अगर मेरी थोड़ी सी भी हलचल उसे महसूस होती है तो वह मेरे चिथड़े चिथड़े कर के एक खौफनाक मौत मुझे दे देगा। मेरे जिस्म के इतने टुकड़े करेगा कि उन्हें समेटने में भी दिन निकल जाएगा। वह बहुत ही खतरनाक है बहुत ही भद्दा, घिनौना, गंदा, बदबूदार है। वैसे खून पीने वाला पिशाच खूबसूरत या खुशबूदार तो होगा नहीं। मैं सांसे भी इस तरह से ले रहा हूं कि उनकी भी आवाज उसे ना सुनाई दे। मुझे अपने आप पर काबू रखना होगा क्योंकि अगर मैं हद से ज्यादा डर गया तो मेरे दिल की तेज धड़कनें उसे सुनाई देगी। या उसे भी महसूस होगी और अगर एक बार उसे इस कमरे में मेरी मौजूदगी का एहसास हो गया तो मुझे नहीं छोड़ेगा फिर सब कुछ खत्म । जोर-जोर से धड़कने वाले दिल को सिना फाडकर बाहर निकाल देगा। यह मेरी जिंदगी का आखरी पंगा है अगर मैं यहां बच गया तो कसम से दोबारा किसी से भी शर्त नहीं लगाऊंगा ना ऐसे किसी चीज से पंगा लूंगा सिर्फ यहां से जिंदा निकल जाऊं। मेरी आंखें ही दरवाजे पर टिकी है पर सब कुछ याद आ रहा है मैं यहां कैसे पहुंचा सब कुछ।

कुछ दिन पहले

" प्लीज यार , गाड़ी थोड़ी तेज भगाओ। इसकी हालत बिगड़ती जा रही है। "

पीछे की सीट पर अपनी बीवी के साथ बैठा मेरा दोस्त बिनती कर रहा था । उसकी बीवी की हालत कुछ अजीब सी लग रही थी। खुले बालों से चेहरा पूरी तरह से ढका हुआ था। वो जोर जोर से सांसे ले रही थी पर उसकी सांसों की आवाज किसी जंगली जानवर के गुर्राहट जैसे लग रही थे। उसकी बीवी की यह हालत देख कर मैं भी हैरान हो गया।
" भाई मेरी बात मान, इसे किसी अच्छे से डॉक्टर को दिखा। कहां ये तंत्र मंत्र, भूत वूत, बाबाओं के चक्कर में पड़ रहा है। सब अंधविश्वास है मेडिकल साइंस इतनी तरक्की कर चुका है और तू पढ़ा लिखा हो कर भी ऐसी गवार बातों में उलझा हुआ है।"
मेरी बातें सुनकर उसे थोड़ा गुस्सा आ गया

" तुझे क्या लगता है , मैंने किसी डॉक्टर को नहीं दिखाया ? तु मुझे पिछले आठ दस महीनों से जानता है। पर मैं इसका इलाज पिछले दस सालों से कर रहा हूं। शहर के अच्छे से अच्छे डॉक्टर को दिखाया, बड़े से बड़े साइकैटरिस्ट और स्पेशलिस्ट ने इसका इलाज किया। पर इसकी हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। मैं अपनी बीवी से बहुत प्यार करता हूं और उसे बचाने के लिए मुझे किसी के भी हाथ पर जोड़ने पड़े भीख मांगने पड़े मैं करूंगा।"

उसकी बात सुनकर मैं बिना कुछ बोले गाडी चलाने लगा। सामने लगी कांच से मैंने पीछे बैठी मेरे दोस्त की बीवी को देखा। वो सचमुच पागल लग रही थी। कुछ ही देर में हम उस जगह पहुंचे जहां उसका तंत्र मंत्र के जरिए इलाज होने वाला था। एक छोटा सा मंदिर था जहां लोगों की आवाजाही शुरू थी। मेरा दोस्त अपनी बीवी को सहारा देते हुए उस मंदिर के अंदर चलने लगा। मैं मंदिर के एक कोने में खड़ा चुपचाप सब कुछ देख रहा था। एक बूढ़ा आदमी जिसने काले वस्त्र पहने थे वह आगे आया। उसने मेरे दोस्त की तरफ देखकर कुछ कहां। मेरे दोस्त ने अपनी पत्नी को मंदिर के बीच एक गोल सर्कल में बिठा दिया।
वह भी चुपचाप बैठी थी। उसका चेहरा अभी भी नजर नहीं आ रहा था। नीचे गर्दन झुकाए वह सिर्फ किसी हांफते हुए इंसान की तरह बैठी थी। उसने कुछ देर मेरे दोस्त की बीवी की तरफ देखा। उसकी आंखों में देखते हुए अपने हाथ में रखा सफेद बभुत का तिलक उसके माथे पर लगा कर थोड़ी बभुत उसके मुंह में जबरदस्ती डाल दी। जिससे वो एकदम से अजीब सी हरकत करने लगी । अपनी गर्दन को झटका देकर जोर जोर से घुमाने लगी। मैं दूर खड़ सबकुछ देख रहा था। वो बेइंतहा दर्द से चिल्लाने लगी, जोर जोर से अपने हाथ पैर पटकते हुए एक दम से बेहोश होकर जमीन पर पड़ी रही।

यह सारी चीजें मुझे बकवास लग रही थी इसलिए मैं वहां से बाहर निकल गया। मंदिर के आंगन में खड़े पीपल के वृक्ष के नीचे बैठा मैं अपने मोबाइल में गेम खेलने लगा। घंटा दो घंटा बीत गए और मेरा दोस्त अपनी बीवी को दोनों हाथों में उठा ले कर ले आया। शायद वो अभी भी बेहोश थी । पर पता नहीं वह पूरी तरह से ठीक लग रही थी, या उसका पागलपन हद से ज्यादा बढ़ने वाला था।
मैंने गाड़ी का दरवाजा खोला और मेरे दोस्त ने अपनी बीवी को गाड़ी के अंदर बिठा दिया।
तभी पीछे से वे काले वस्त्र पहने बुजुर्ग इंसान मेरे दोस्त की तरफ देखते हुए बोले
"तुम्हारी पत्नी उस बुरी आत्मा के चंगुल से कुछ वक्त के लिए मुक्त हो चुकी है । फिर भी तुम्हें आने वाले चंद्र ग्रहण तक उसका ध्यान रखना होगा। क्योंकि अगर कोई बुरी आत्मा एक बार किसी शरीर को जकड़ लेती है तो वह दोबारा उस शरीर को अपना घर बनाने की पूरी कोशिश करती है। इसलिए आइंदा तुम्हें अपनी बीवी का खास ध्यान रखना होगा। खासकर अमावस्या और पूनम के दिन और रात में बाल खुले छोड़कर उसे कहीं भी ले जाओगे, या खुशबूदार इत्र जिस्म पर लगा कर वो कहीं बाहर जाएगी, नदी, तालाब, पुल, स्मशान ऐसी किसी जगह जाएंगी तो वहां कोई भी बुरी आत्मा उसे आसानी से अपना शिकार बनाएगी। इसलिए आज के बाद तुम्हें अपनी बीवी का खास ध्यान रखना होगा।"

उसकी बातें सुनकर मुझे हंसी आ रही थी। उसकी तरफ बिना देखे मैं गाड़ी में बैठते हुए बोला।
" सब बकवास है। दुनिया कहां पहुंच गई है और ये अभी भी भूत-प्रेत के चक्कर में उलझे हुए हैं।"

" बेटा अगर तुम नास्तिक हो तो तुम इन सब बातों का मजाक उडा सकते हो। पर अगर तुम किसी भी ईश्वर अल्लाह, इसामसी यानी अच्छी शक्ति पर यकीन करते हो तो तुम यह भी जान लेना होगा कि बुरी शक्ति भी मौजूद है। अगर दिन के उजाले की मौजूदगी को मानते हो तो रात के अंधेरे पर भी विश्वास रखना होगा। "


क्रमशः