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आत्महत्या

"बाबा बाबा रात दिन सोते जागते बाबा की रट लगाए रहती हो ।”रमेश नाराज होते हुए बोला,"यह सब ढोंगी होते है।देख नही रही कितने बाबा जेल में है।"
"मेरे बाबा ऐसे नही है"
और रमेश चुप रह जाता।
रमेश और गीता एक ही गांव के थे और कॉलेज में साथ पढ़ते थे।दोनो में दोस्ती थी इसलिए काफी समय भी साथ ही गुज़ारता और इस साथ मे पता ही नही चला कब रमेश गीता को चाहने लगा।प्यार करने लगा।और एक दिन उसने अपने प्यार का इजहार कर दिया।
"रमेश मुझे भी तुमसे प्यार हो गया है।'
"तो क्या मुझ से शादी करोगी।मेरी जीवन संगनी बनोगी तुम"
"शादी और तुमसे?"
"ऐसे क्यो चोंक रही हो?"
"हमारे गांव के बारे मे तुम्हे सब मालूम है।भले ही देश मे लोकतंत्र हो लेकिन गांव में सवर्णो का दबदबा है।अछूत,दलितों की सुनने वाला कोई नही।क्योंकि पुलिस औऱ प्रशासन में भी स्वर्ण ही बैठे है," गीता बोली,"तुम स्वर्ण और मैं दलित।"
"तो क्या हुआ मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"
"तुम्हारे घरवाले ही नही मानेंगे।हो सकता है तुम्हारा कुछ न बिगड़े लेकिन मुझे और मेरे घर वालों को ज़रूर मार डालेंगे।"
"तो यहाँ से भाग चलते है।"
"मैं तुम्हारे साथ भागी तो मेरे घर वालों पर स्वर्ण दबंगो का कहर टूट पड़ेगा।"
"मतलब तुम मुझ से प्यार नही करती।"
'करती हूँ।"
"फिर शादी।"
"भागकर ही होगी लेकिन ऐसे नही।"
फिर कैसे?"
"पहले तुम नौकरी के बहाने गांव से चले जाओ।फिर कुछ दिन बाद मैं पहुंच जाऊंगी।ऐसे किसी को शक नही होगा।"
गीता का सुझाव रमेश को पसंद आया था।रमेश नौकरी के बहाने दिल्ली चला गया।कुछ दिनों बाद गीता भी चली गयी।दिल्ली में उनके गांव के कई लोग थे।इसलिए वे दोनों साउथ में चले गये।दोनो ने शादी कर ली।रमेश को एक कम्पनी में नौकरी मिल गयी।
रमेश आस्तिक था।हनुमान उसके इष्ट देव थे।लेकिन अन्य देवी देवताओं को भी वह पूजता था।जबकि गीता नास्तिक थी।उसे भगवान के नाम से ही चिढ़ थी।वह उसे दलित परिवार में जन्म देने के लिए भगवान को दोषी मानती थी।
रमेश गीता से बेहद प्यार करता था।उसने गीता पर कभी दबाव नही डाला कि वह पूजा पाठ करे।गीता कोई व्रत नही करती थी लेकिन पति से बेहद प्यार करती। थी।इसलिए नास्तिक होने के बावजूद करवा चौथ का व्रत जरूर करती थी।
गीता की दोस्ती दीपा से हो गयी।दीपा आस्तिक होने के साथ एक बाबा की भक्त भी थी।इस बाबा का पूरे देश मे नाम था।लाखो की संख्या में बाबा के भक्त थे।राजनेताओ और बड़ी हस्तियों से बाबा के अच्छे सम्बन्ध थे।एक दिन दीपा, गीता से बोली,"मेरे साथ आश्रम चल।"दीपा ने बाबा का बहुत बखान किया। अच्छी बातें बताई लेकिन गीता बोली,"न मेरी भगवान में आस्था है, न किसी बाबा में।"
"कोई बात नही।एक बार मेरे साथ वैसे ही चल।"
दीपा के काफी जोर देने पर गीता उसके साथ जाने को तैयार हो गयी।"
और बाबा से पहली मुलाकात में ही वह उनकी भक्त हो गयी।उनके विचार और प्रवचनों ने उसे मोह लिया।भगवान को न मानने वाली गीता ने घर मे बाबा कज फोटो लगा ली।उनकी भक्ति और पूजा करने लगी।बाबा में भक्ति देखकर रमेश एक दिन उससे बोला,"बाबा सब ढोंगी होते है।"
"मेरे बाबा ऐसे नही है।"रात दिन गीता बाबा का गुणगान करने लगी।'
और एक दिन एक शिष्या ने बाबा पर बलात्कार का आरोप लगा दिया।यह समाचार पढ़कर गीता बोली,"बाबा ऐसे नही है।यह उनके दुश्मनों की चाल है।"
और कई शिसया सामने आई और बाबा को बलात्कार और हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास हो गया।'
गीता को गहरी ठेस लगी।और इसी बात पर पति पत्नी में विवाद बढ़ा। इसका परिणाम आत्महत्या के रूप में निकला।
व्यथित गीता थी लेकिन आत्महत्या रमेश ने कर ली