Teri Kurbat me - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी कुर्बत में - (भाग-16)

संचिता की बात सुनकर ऋषि धीमी आवाज़ में नज़रें झुकाए हुए बोला ।

ऋषि - इसके लिए मैंने एक फैसला ले रखा है ।

संचिता ( हैरानी से उसे देखकर ) - कैसा फैसला???

ऋषि ( अपने होठों को आपस में दबा कर , आसमान की तरफ देखता है और फिर कहता है ) - मैं कभी शादी नहीं करूंगा और न ही कभी किसी लड़की से मोहब्बत करूंगा ।

संचिता उसकी बात सुनकर आश्चर्य से उसे देखती है और अचानक से खड़े होकर आखें बड़ी - बड़ी कर कहती है ।

संचिता - क्या?????

ऋषि फिर से होठों को आपस में दबा कर , आंखें बंद कर हां में गर्दन हिलाता है । संचिता उसे गुस्से से देखती है और उसकी कॉलर पकड़ कर उसे खड़े करते हुए कहती है ।

संचिता - तुम पागल हो गए हो क्या ऋषि ???? अपना सेंस ऑफ ह्यूमर इस्तमाल करना बंद कर दिया है क्या तुमने??? कुछ भी बोले जा रहे हो तुम तो..!!!

ऋषि ( उसका हाथ अपनी कॉलर से छुड़ाकर कहता है ) - मैं फैसला कर चुका हूं संचिता , अब मैं इसे बदलना नहीं चाहता । मैं नहीं चाहता...., कि कोई और संचिता इस दुनिया में अनाथ हो , कोई और लड़की तुम्हारी मां की तरह अपना प्यार खो दे , अपना मानसिक संतुलन खो दे और अंततः उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़े ।

संचिता ( उसे गुस्से से उंगली दिखाकर ) - तुम.....।

आगे वह कुछ कह नहीं पाई , और आसुओं ने आखों में जगह ले ली । उसके अतीत ने ऋषि को भी कहीं का नहीं छोड़ा , ये उसके दिमाग में चल रहा था , क्योंकि उसकी ही बातें सुनकर ऋषि ने ऐसा फैसला लिया था । वह बहुत देर तक रोती रही और ऋषि ने उसे चुप नहीं करवाया , बल्कि रोने दिया , क्योंकि क्या पता उसके जाने के बाद...., कब संचिता किसी के सामने अपनी बातें कह पाये या फिर इस तरह रो पाए , या उससे उसके ही लिए लड़ पाए । कुछ देर बाद संचिता ने खुद को संभाला और ऋषि की तरफ पलट कर कहा ।

संचिता - ये तुमने ठीक नहीं किया ऋषि । लेकिन मैं तुम्हें अब जाने से नहीं रोकूंगी ।

ऋषि उसकी बात सुनकर खुश हो गया और उसे खुशी से गले लगा लिया । लेकिन संचिता ने उसे खुद से अलग किया और कहा ।

संचिता - पर पहले तुम मुझसे दो वादे करो ।

ऋषि - अब ये क्या है संचिता और कैसे वादे???

संचिता ( अपनी हथेली आगे कर बोली ) - पहले तुम बताओ , करोगे वादा , कि नहीं????

ऋषि ( उसका हाथ थाम मुस्कुराकर बोला ) - तुम्हारे और आर्मी के लिए मैं सब करने को तैयार हूं , फिर चाहे वह मेरी जान देना ही क्यों न हो ।

संचिता ( उसे घूरकर ) - ऋषि....!!!!

ऋषि ( अपना एक कान पकड़कर बोला ) - सॉरी...., सॉरी डोरीमोन ।

ऋषि ने डोरीमोन शब्द संचिता को हंसाने के लिए कहा था , लेकिन संचिता मुस्कुराई तक नहीं , इनफेक्ट उसे गुस्से से अब भी घूर ही रही थी । ये देख ऋषि नॉर्मल हो गया और बोला ।

ऋषि - अच्छा ठीक है । बताओ कैसे वादे चाहती हो तुम???

संचिता - पहले तो तुमने ये जो शादी न करने का फैसला किया है , उसे बदल दो ।

ऋषि ( बिना किसी भाव के ) - और दूसरा ???

संचिता ( उसकी आखों में देखकर ) - दूसरा वादा ये , कि मुझे मेरा दोस्त हर हाल में हमेशा सही सलामत चाहिए। मैं अपने दोस्त की शहादत की खबर कभी भी नहीं सुनना चाहती ।

ऋषि ने उसकी हथेली से अपना हाथ हटा लिया और अब उसके चेहरे पर सख्त भाव तैरने लगे । उसने गुस्से से दबी आवाज़ में कहा ।

ऋषि - ये पॉसिबल नहीं है संचिता ।

संचिता - फिर तुमने ये क्यों कहा , कि तुम मेरे लिए कुछ भी कर सकते हो???

ऋषि ( चिल्लाकर ) - क्या तुम्हें पता नहीं है संचिता , कि इस देश का सिपाही , देश की सरहद पर अपनी जान अपनी हथेली में लेकर घूमता है । सरहद पर एक सिपाही के साथ कब क्या हो जाए , ये तो खुद सिपाही भी नहीं जानता । फिर तुम मुझसे ऐसा वादा कैसे ले सकती हो???

संचिता - इन्हीं कारणों से मुझे तुमसे ये दोनों वादे चाहिए । क्योंकि मुझे पता है , तुम मुझसे किए कोई भी वादे तोड़ोगे नहीं ।

ऋषि - मैं दोनों में से कोई भी वादे तुमसे नहीं कर सकता , माफ करो इसके लिए मुझे ।

संचिता ( थोड़ी तेज़ आवाज़ में ) - तुम्हें ये वादे करने होंगे ऋषि ।

ऋषि - ये पॉसिबल नहीं है संचिता , समझ क्यों नहीं रही हो तुम????

संचिता - नहीं समझना , मुझे बस वादे चाहिए ।

ऋषि ने संचिता को समझाने की बहुत कोशिश की , लेकिन संचिता अपनी बात पर अडिग रही । जबकि वो जानती थी , वो बेफिजूल की जिद कर रही हैं, लेकिन अपने मन को तसल्ली देने के लिए वह अपनी बात से मुकर नहीं रही थी । थककर ऋषि ने उससे दोनों वादे कर दिए , और मन ही मन उसने संचिता को सॉरी कहा , इस वजह से ...., क्योंकि वह जानता था , ये वादे झूठे साबित होंगे । और कुछ वक्त बाद संचिता भी इस बात को समझ जायेगी । संचिता उससे वादा लेकर खुश हो गई । उसने कहा ।

संचिता - अब सब अच्छा ही होगा । तुमने मेरी बात मान ली , ये मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है । अच्छा तुम्हारे भैया की शादी कब है , उनकी इंगेजमेंट को तो काफी वक्त हो गया है न ।

ऋषि ( उखड़े मन से ) - अगले हफ्ते , सोलह तारीख को ।

संचिता ( उछलकर ) - तुम्हारा मतलब पांच दिन बाद ???

ऋषि - हां ।

संचिता - चलो अच्छा है , तुम्हारे एग्जाम के टाइम नहीं हो रही , वरना तुम शादी अटेंड नहीं कर पाते ।

ऋषि - हमारे घर में फैमिली फंक्शन को बाकी चीजों से ज्यादा महत्व दिया जाता है ।

संचिता - हम्मम । वैसे तुम्हारा आर्मी का इंट्रेंस एग्जाम कब है???

ऋषि - इसी महीने , अट्ठाइस को ।

संचिता - इतनी जल्दी??? पर तुम तैयारी कैसे करोगे , क्योंकि फेब्रुअरी में तो हमारे बोर्ड एग्जाम हैं ।

ऋषि - मेरी सारी तैयारी हो चुकी है , एंट्रेंस एग्जाम की भी और बोर्ड एग्जाम की भी । बस लास्ट रिवीजन करना है अब एक बार ।

संचिता - चलो अच्छा है ।

ऋषि - अब हमें घर चलना चाहिए , सुबह से शाम हो चुकी है ।

संचिता - हां .., चलो ।

दोनों अपने - अपने घर आ गए । लेकिन ऋषि अब संचिता की वादे लेने वाली बात से परेशान हो गया था ।

क्रमशः