Teri Kurbat me - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी कुर्बत में - (भाग-17)

आज शाम को ही ऋषि और उसका पूरा परिवार बेंगलूर से घर के बड़े बेटे , अभिनव की शादी कराकर लौटे थे । घर में बहु के गृहप्रवेश की सारी रस्में संपन्न हो चुकी थी , अब बस कुछ छोटी मोटी रस्में बची थी , जो घर के बड़े से हॉल में संपन्न कराई जा रही थीं । ऋषि इन सबसे थक चुका था , तो वह अपने कमरे में आ गया । पूरे तीन दिन बाद वह अपने रूम को देख रहा था । उस दिन के बाद से ऋषि संचिता की बातों से थोड़ा उखड़ा उखड़ा सा जरूर था , लेकिन न ही उसने संचिता से इस बारे में दोबारा बात की और न ही कुछ कहा । दोनों के बीच फोन में अब सिर्फ कुछ जरूरी बातें बस होती थीं । ऋषि ने संचिता को उसके भाई की शादी में बुलाया था , लेकिन संचिता ने एग्जाम्स की तैयारी के चलते शादी में शामिल होने से मना कर दिया था । ऋषि ने भी कुछ नहीं कहा , क्योंकि वह जनता था , अगर वह भी संचिता की जगह पर होता , तो यही करता । उसने अपनी बुक्स उठाई और पढ़ने के लिए बैठ गया , लेकिन थकान से उसका बदन टूट रहा था। जब उससे अपनी नींद बर्दास्त नहीं हुई , तो सुबह पढ़ने का सोचकर उसने सारी बुक्स बंद की और ब्लेंकिट ओढ़कर सो गया । कुछ देर बाद शालिनी जी ऋषि के कमरे में आईं । असल में वह उसे खाने के लिए बुलाने आई थीं , लेकिन उसे सोया देख वे मुस्कुरा दीं । उन्होंने ऋषि के सिर पर प्यार से हाथ फेरा , उसे अच्छे से ब्लेंकिट उढ़ाई और कमरे की लाइट ऑफ कर वे रूम का दरवाजा लगा नीचे चली गईं ।


ऋषि अब अपनी पढ़ाई में तल्लीनता से जुट गया था । संचिता भी अपनी पढ़ाई में पूरे जी जान से लगी हुई थी । देखते ही देखते ऋषि के इंट्रेंस एग्जाम का दिन भी आ गया । संचिता ने उसे सुबह - सुबह कॉल कर ऑल द बेस्ट कहा था। ऋषि उसकी विश सुनकर काफी खुश था । उसने बहुत तल्लीनता से अपना पेपर दिया। शाम को उसने संचिता से बात की और बताया , कि उसका पेपर काफी अच्छा गया है । बातें कर दोनों फिर से अपने स्टडीज पर लग गए । इसी बीच संचिता का बर्थडे भी निकल गया था । दोनों के बोर्ड एग्जाम काफी अच्छे गए थे । बोर्ड एग्जाम के तुरंत बाद ऋषि के आर्मी का फिजिकल टेस्ट था । उसके हिसाब से उसका फिजिकल टेस्ट अच्छा गया था । अब बस रिजल्ट आने का उसे इंतजार था । कुछ दिनों बाद आर्मी एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट भी आ गया । ऋषि का सिलेक्शन आर्मी में हो चुका था । संचिता भी उसकी सिलेक्शन की बात सुनकर बहुत खुश थी । सिलेक्शन होने के बाद ऋषि अपनी बहन के पास दिल्ली गया हुआ था । उसने अपनी बड़ी बहन को अपने सपने और सिलेक्शन होने की बात बताई , तो वह बहुत खुश हुई । फिर ऋषि ने उसे समझा दिया , कि उसके जाने के बाद कैसे उसे बाकि के घरवालों को संभालना है । क्योंकि आर्मी में किसी भी सिपाही की पोस्टिंग हमेशा एक जगह की नहीं हो सकती , बल्कि हर तीन चार साल में बदलती रहती है । कृति ऋषि की बात से इत्तेफाक रखती थी । उसके भी कुछ दोस्त थे आर्मी में , उनकी पोस्टिंग हमेशा बदलती रहती थी । इस देश में आर्मी एक ऐसी जॉब है , जिसमें आप अपनी पहुंच इस्तमाल नहीं कर सकते , ये जॉब रेसिडेंशियल अधिकारियों के द्वारा ही चलती है , इसमें कोई भी नेता या कोई भी पैसे वाला अपनी धौंस नहीं जमा सकता , इसी लिए ऋषि के परिवार वाले इसमें कुछ नहीं कर सकते थे । कृति ऋषि की बात मान गई । ऋषि खुशी - खुशी अपने घर नोएडा वापस आ गया ।


आज ऋषि को ट्रेनिंग के लिए जाना था और उसकी ट्रेनिंग जम्मू कश्मीर के श्री नगर जिले में होनी थी । ऋषि ने सारी पैकिंग कर ली थी और अनुज की मदद से छुपकर सारा सामान घर के बाहर भिजवा दिया था । सुबह आठ बजे वह नाश्ता कर घर से निकला । घर की दहलीज को लांघते हुए वह बार - बार मुड़ - मुड़ कर घर को देख रहा था । बाकी घर के सारे सदस्य अपने अपने कामों में बिजी थे , लेकिन अनुज और कृति ऋषि के साथ थे । कृति अच्छे से समझ रही थी , कि इस वक्त ऋषि के मन में क्या चल रहा है । उसने भीगी पलकों से उसे गले से लगाया और कहा , कि वह आराम से जाए , वो यहां सब संभाल लेगी । ऋषि उसके पैर छू कर अनुज के साथ रेलवे स्टेशन चला गया । फ्लाइट की उसे सुबह की टिकिट नहीं मिली थी , इस लिए उसे ट्रेन से ही सफर करना था । वह रेलवे स्टेशन पहुंचा , अनुज ने उसका सारा सामान टैक्सी से उतरवाया । दोनों रेलवे स्टेशन के अंदर आ गए और ट्रेन का पता किया , जो आधे घंटे लेट थी । दोनों वेटिंग एरिया में आ गए और वहीं अपना सामान रख बैठ गए । बैठते ही ऋषि की नज़र थोड़ी दूर पर बैठी संचिता पर गई । वह उसे वहां देख हैरान रह गया और खुश भी । वह तुरंत उठकर उसके पास गया , तब तक संचिता ने उसे देख लिया था । वह भी उसकी तरफ दौड़ पड़ी । दोनों वेटिंग रूम के बीचों बीच खड़े हो गए । अनुज भी संचिता को वहां देख हैरान था । वह संचिता को जानता था और ये बात भी कि संचिता ऋषि की दोस्त है । वह उन दोनों को देखने लगा। ऋषि ने उसके पास आते ही कहा ।

ऋषि - तुम यहां??? तुमने बताया नहीं , कि तुम आने वाली हो । जबकि अभी दो घंटे पहले तो हमारी बात हुई थी । इतनी सुबह तुम्हें आने कैसे मिल गया घर से ??

संचिता ( उसे देख मुस्कुराकर बोली ) - सीधे - सीधे कहकर आई हूं , अपने आर्मी मैन दोस्त से मिलने जा रही हूं ।

ऋषि ( आखें चौड़ी कर ) - सच में??

संचिता - हां ।

ऋषि - मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा ।

संचिता उसके रिएक्शन पर हंस दी और खिलखिलाकर बोली ।

संचिता - देवी को बता कर आई हूं , कि संभाल लेना मैं तुम्हें सी ऑफ करने जा रही हूं ।और वह मान गई ।

ऋषि - बड़ी आज्ञा कारी है तुम्हारी बहन ।

संचिता - हां..., वो तो है ।

ऋषि ( अनुज की तरफ देखकर ) - और एक हमारा छोटा भाई है , जो कि मजाल है एक भी बात हमारी सुन ले । सिर्फ बड़े भैया से डरता है , बाकियों को तो हवा में उड़ा देता है ।

संचिता उसकी बात सुनकर हंस दी ।


क्रमशः