Rain and an accident... books and stories free download online pdf in Hindi

बारिश और एक हादसा....

शाम का समय...
सुन दरवाजा बंद कर लें,मैं राशन का सामान और सब्जियांँ लेने जा रही हूँ,प्रियम्वदा ने अपने बेटे कुनाल से कहा....
लेकिन मम्मा ! बाहर बारिश हो रही है,कुनाल बोला।।
लेकिन हल्की बारिश है बेटा! और मुझे बारिश में भीगना पसंद है,प्रियम्वदा बोली।।
आप अपनी ये शरारतें कब छोड़ेगीं? आपको पता है ना कि आप फिजिक्स की प्रोफेसर है,कितना नाम है आपका आपके काँलेज में लोंग कितनी शान से आपका नाम पुकारते हैं प्रोफेसर प्रियम्वदा त्रिपाठी...और एक आप है के आपको अपनी इमेज का कोई ख्याल नहीं रहता,थोड़ा तो मैच्योर हो जाइए मम्मा! आप कब बड़ी होगीं? कुनाल बोला।।
मैच्योर मैं कभी भी नहीं हूँगी,अपने पोते पोतियों के साथ भी ऐसे ही बारिश में भीगूँगी,पता है तेरे पापा जब जिन्दा थे ना तो वो भी मुझे तेरी ही तरह भाषण दिया करते थे,लेकिन जब मैं छत पर जाकर बारिश में भीगती थी तो वो भी मेरा साथ देने छत पर आ जाते थे,ये कहते हुए प्रियम्वदा की आँखें भर आईं।।
अच्छा....! बाबा! खूब भीगिए बारिश में,मैं कुछ नहीं बोलूँगा और मुझे ये भी पता है कि आप कार से ना जाकर स्कूटी में जाएगीं,राशन लाना तो एक बहाना है,कुनाल बोला।।
अरे नहीं! तू इतने दिनों बाद विदेश से लौटा है तो सोचा तुझे कुछ दिन अपने हाथों से कुछ अच्छा बना बनाकर रोज खिलाऊँगीं ,इसलिए जा रही थी और फिर कल सण्डे है मेरी छुट्टी भी है,सोच रही थी कि कल छोले चाट बनाऊँ,तुझे बहुत पसंद है ना ! मेरे हाथ की चाट,प्रियम्वदा बोली।।
ठीक मम्मा! आप जाइएं,बारिश में भीगिए,मैं नहीं रोकूँगा,कुनाल बोला।।
ठीक है तो दरवाजा बंद कर ले,मैं जा रही हूँ,प्रियम्वदा बोली।।
मम्मा ! फोन तो ले लिया है ना! कुनाल ने पूछा।।
बेटा! बारिश हो रही है इसलिए नहीं लिया,पास में ही तो बाजार है,जल्दी आ जाऊँगी,स्कूटी में जा रही हूँ फोन भीग जाने का डर है,ड्राइंगरूम के टेबल पर पड़ा है मेरा फोन,अगर किसी का फोन आएं तो रिसीव कर लेना,प्रियम्वदा बोली।।
ठीक है मम्मा! और इतना कहकर कुनाल ने दरवाजे बंद कर लिए।।
प्रियम्वदा बाहर आई,स्कूटी स्टार्ट की और चल पड़ी बाजार ,हल्की हल्की फुहार पड़ रही थी ,प्रियम्वदा को बड़ा मज़ा आ रहा था,लेकिन धीरे धीरे ही बूँदों का आकार बड़ा होने लगा और बारिश काफी तेज हो गई,प्रियम्वदा ने तब भी अपनी स्कूटी नहीं रोकी और भीगते हुए बाजार पहुँची,उसने कुछ सामान खरीदा,बैग में डाला और फिर सब्जियाँ लेने का प्लान कैंसिल कर दिया,बारिश काफी तेज थी इसलिए घर जाने का मन बना लिया।।
वो घर वापस ही आ रही थी कि उसने रास्ते में बहुत भीड़ इकट्ठी देखी,वो मानवता के नाते स्कूटी से उतरी और पास जाकर देखा तो एक बच्चा खून से लथपथ पड़ा था और लोंग उसे हाँस्पिटल ले जाने की वजाय तमाशा देख रहे थे,उसके पास एक बूढ़ा बैठा था और सबसे मदद की गुहार लगा रहा था।।
प्रियम्वदा ने उस बूढ़े से पूछा....
भाई! क्या बात है? बच्चे का एक्सीडेंट हुआ है क्या?
बूढ़ा बोला....
हाँ! मेमसाब ! मैं तो गुब्बारे बेचने वाला हूँ,कुछ देर पहले एक कार आई और इस बच्चे को टक्कर मारते हुए निकल गई,मैं भागकर बच्चे के पास आया,बच्चा लगभग चौदह-पन्द्रह साल का लग रहा है पीठ पर बैग टाँग कर कहीं जा रहा था,मैने लोगों से मदद माँगी कि बच्चे को जल्दी से अस्पताल ले चलो लेकिन मेरी किसी ने नहीं सुनी,लगता है लोगों के भीतर इन्सानियत मर चुकी है,कोई भी मदद करने को तैयार नहीं है।।
रूको! ठहरो! मैं कुछ करती हूँ,प्रियम्वदा बोली।।
और प्रियम्वदा ने वहाँ मौजूद लोगों से मदद माँगी लेकिन कोई भी तैयार ना हुआ,सब तमाशा देख रहे थे लेकिन जब सबसे मदद माँगी गई तो एक एक करके सभी जाने लगे,ये देखकर प्रियम्वदा ने सोचा फोन करके कुनाल से कार लाने को कहती हूँ लेकिन फिर उसे याद आया कि वो तो फोन लाई ही नहीं।।
तब उसने सड़क पर खड़े लोगों से कहा....
प्लीज! आप कोई मदद मत कीजिए लेकिन अपना फोन दे दीजिए ताकि मैं मदद बुला सकूँ,लेकिन वहाँ कोई भी प्रियम्वदा को ना फोन देने को तैयार था ना उसकी मदद करने को तैयार था,वो आते जाते आँटो वालों को भी रोक रही थी,कार वालों को भी रोक रही थी लेकिन कोई भी रूकने को तैयार ना था और वो गुब्बारे वाला,उस बच्चे का सिर गोंद मे लेकर बैठा था,बच्चे के सिर से लगातार खून रिस रहा था लेकिन किसी ने भी अपनी गाड़ी ना रोकी।।
तब प्रियम्वदा ने एक आदमी के पास जाकर फोन देने की भीख माँगी,तब जाकर उस आदमी ने अपना फोन दिया,प्रियम्वदा के सिर पर उस आदमी ने छाता तान दिया ताकि उसका फोन खराब ना हो,प्रियम्वदा ने फटाफट अपने फोन पर फोन मिलाया,कुनाल ने फोन उठाकर हैलो बोला...
तब प्रियम्वदा ने सारी घटना कुनाल को बता दी और उसे कार लाने को कहा..
मम्मा ! बस आप थोड़ी देर रूको,मैं कार लेकर पहुँच रहा हूँ और प्रियम्वदा ने बात करने के बाद उस आदमी का फोन लौटा दिया।।
कुछ ही देर में कुनाल कार लेकर प्रियम्वदा की बताई हुई जगह पर पहुँच गया,प्रियम्वदा ने फटाफट उस बच्चे को कार में लेटाया और बूढ़े को बच्चे के पास बैठा दिया,अपना दुपट्टा उस बच्चे के सिर पर लपेटा और खुद कुनाल के बगल में आगें वाली सीट पर बैठ गई और फिर सब हाँस्पिटल को रवाना हो गए।।
हाँस्पिटल पहुँचे तो वहाँ रेसेप्सन पर पूछताछ करने के बाद पता चला कि पहले पैसे जमा होगें फिर इलाज शुरू होगा,एक्सीडेंट केस है तो पहले पुलिस आएगी उसके बाद ही कुछ हो सकेगा....
अब प्रियम्वदा के सबर का बाँध टूट चुका था और वो चीखी....
ये कैसा हाँस्पिटल,यहाँ कोई मर रहा है और आपको पुलिस और पैसों की लगी है,जान की कोई कीमत है भी या नहीं आपकी नज़रों में,घायल कब से सड़क पर पड़ा था उसकी कोई मदद करने को तैयार नही था जैसे तैसे उसे अस्पताल लाया गया तो आप इलाज करने को तैयार नहीं है।
प्रियम्वदा की बात सुनकर नर्स बोली.....
ले जाइए अपने पेसेंट को हम बिना पुलिस के इलाज शुरु नहीं कर सकते।।
ये सुनकर प्रियम्वदा का खून खौल गया और वो कुनाल से बोली....
कुनाल! चलो बच्चे को उठाओ और ले चलो,दूसरे हाँस्पिटल ।।
उस बूढ़े और कुनाल ने बच्चे को फिर से कार मे लिटाया और दूसरे हाँस्पिटल ले गए,हाँस्पिटल थोड़ा छोटा था,नजदीक था इसलिए बच्चे को वो लोंग उसे वहीं ले गए...
हाँस्पिटल के भीतर पहुँचे तो कोई भी डाक्टर वहाँ मौजूद नहीं था,नर्स बोली....
डाक्टर साहब! अभी आएं नहीं है,आज मैच देखने के लिए घर चले गए हैं,हाँस्पिटल का टी वी खराब हो गया है इसलिए घर चले गए।।
अपनी ड्यूटी छोड़कर मैच देखने घर चले गए,ड्यूटी से ज्यादा मैच जरूरी है उनके लिए,कोई मौत और जिन्दगी के बीच जंग लड़ रहा है और वो वहाँ मैच देख रहे हैं,फौरन फोन करके उन्हें बुलाओ,कहना जरूरी पेसेंट आया है,प्रियम्वदा अब आपे से बाहर थी और उसकी आवाज़ में अब सख्ती आ गई इसलिए नर्स ने फौरन फोन करके डाँक्टर को बुला लिया।
डाक्टर आए और बोले.....
चैन से मैच भी नहीं देखने देते लोंग।।
ये सुनकर प्रियम्वदा का पारा चढ़ गया और वो चीख पड़ी....
आप मरीज देखेगें या नहीं,मुझे कोई गलत कदम उठाने पर मजबूर मत कीजिए।।
डाक्टर डर गया और बोला....
कहाँ है आपका पेसेंट?
प्रियम्वदा बोली,वो रहा स्ट्रेचर पर।।
डाक्टर पेसेंट के पास पहुँचे और चीख पड़े.....
नहीं! सिद्धार्थ! और फिर फौरन उस बच्चे की उन्होंने अपना स्टेथोस्कोप लगाकर हार्टबीट चेक की लेकिन क्या फायदा बच्चा जिन्दगी की जंग हार चुका था,डाक्टर साहब वहीं फर्श पर रोते हुए बैठ गए और चीख पड़े.....
सिद्धार्थ! मेरे बच्चे! तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकते।।
बाहर बारिश अभी भी तेज हो रही थी अँधेरा भी घिर आया था,प्रियम्वदा ने कुनाल और गुब्बारे वाले से बाहर चलने को कहा.....

समाप्त......
सरोज वर्मा....