Pahli Jhalak - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

पहली झलक:- आर्यन से मुलाकात - 2

[बाकी के पार्ट्स के लिए प्रोफाइल में जाकर पढ़ सकते है]


जीवन ज्योति अनाथालय (काल्पनिक नाम) की जगह। वहां पर कई बच्चे परेशान तथा रोनी सुरत लेकर खड़े हैं। तभी वहाँ पर एक लड़की आती है (उम्र :- यहीं कोई 22 - 23 साल के करीब)।

लड़की :- अरे मिंटी बेटा क्या हुआ। ऐसे रोनी सुरत बना कर सब क्यूं खड़े हो?

मिन्टी :- सिया दी देखिए ना टीचर ने जो प्रोजेक्ट बनाने के लिए दिया है ना वो बन ही नही रहा। कई बार कोशिश कर चुके है।

(ये है हमारी स्टोरी की हीरोइन (नायिका) मिस सिया)

सिया :- ओ...... तो ये प्रॉब्लम है हमारे नटखट सेना का।

सभी बच्चे एक साथ :- जी दीदी! प्लीज आप हमारी हेल्प कर दीजिए ना, हम आपको कभी परेशान भी नहीं करेंगे और आपकी हर बात मानेंगे।

सिया :- नहीं ये नही हो सकता काम तुम सब का है और तुम ही जानो मुझे बीच में मत घसीटो। और ये जो मुझे परेशान और मेरी हर बात मानने वाला डायलॉग है ना किसी और को मारना। क्योंकि तुम सब को मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हुँ।

सभी बच्चे अचानक से उस लड़की के पैर के आगे लेट जाते है और उससे रिक्वेस्ट करने लग जाते है।

सिया :- ओके ओके ! अब न ज्यादा नौटंकी मत करो, करती हु तुम लोगों का काम। ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नही है।

सभी बच्चे :- ये............ थैंक यू थैंक यूं सिया दी.......आप ना आप ना इस दुनिया की बेस्ट दी हो.......। वी लव यू दी…...

सिया हल्की सी स्माइल करके सब बच्चो को गले लगाती है और उनका प्रोजेक्ट बनाने में मदद कराने लग जाती है।

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शाम के समय उसी जगह

दाई मां :- सिया बेटा! कहाँ चली गई ये लड़की एक जगह रुकती नहीं।
(इसी तरह दो तीन बार सिया को आवाज देती है)

वो दूसरी जगह जाने के लिए मुड़ती ही है के अचानक से सिया उनके सामने आकर उनको डरा देती है। जिसकी वजह से दाई मां हल्का सा डर जाती है और उनको देखकर सिया और बच्चे हसने लगते है।

दाई मां :- अरे पागल लड़की तूने तो मुझे डरा ही दिया था। ऐसे भी कोई करता है भला।

सिया :- अजी ऐसा हमारे अलावा और कोई कर सकता है भला।🤭😉(बाकी बच्चो के साथ हाईफाई करते हुए बोलती है)

दाई मां (सिया का कान खींचते हुए) :- शैतान लडकी आजकल तू भी इन बच्चो के साथ बड़ी शैतान हो गई है। तुझे तो आज सजा मिलके ही रहेगी।

सिया ( मुँह बनाते हुए) :- सजा और मुझे!😉😏 ये तो हो ही नहीं सकता।

एटीट्यूट के साथ ये बोलके सिया वहा से निकलती है, लेकिन अगले ही पल बाल्टी और पोछे के साथ साफ सफाई करते हुए नजर आती है।

सारे बच्चे सिया को देखकर हस रहे होते है।😉😉🤭🤭

मिन्टी (सिया को देखकर) :- अरे अभी कोई एटिट्यूट के साथ बोल रही थी न के "सजा और वो भी मुझे"।😉😉😉😀😀😀

ये सुनकर सभी बच्चो के साथ साथ दाई मां भी हसने लगती है...........

सिया (सबको घूरकर देखते हुए) :- तुम सबको तो मैं बताती हूं बाद में। वो कहावत तो तुम लोगों ने सुनी ही होगी के "हर कु...." सिया बीच में ही रुक जाती है (मन में - ये क्या कह रही थी मैं खुद की ही बेज्जती करने पर तुली हुई हैं तू लडकी)

बाकी बच्चे सिया की कहावत आधी ही सुनके हस रहे होते है।

दाई मां :- क्या हुआ क्यूं रुक गई, पूरा कर न कहावत को।😉😉😉

सिया बस दांत दिखा देती है।

दाई मां :-दांत दिखाना बंद कर और ठीक से सफाई कर देख वहाँ कोने में रह गया है।

सिया अपने आप में ही कुछ बड़बड़ाते हुए सफाई करने लग जाती है। दाई मां और बच्चे उसे देखकर हस्ते हुए वहा से निकल जाते है।


रात में सभी बच्चे सिया के हाथ पैर दबा रहे होते है और लास्ट में सभी सो जाते है।

ऐसा इनका रोज का ही काम होता है। सभी खुद में गुम खट्टी मीठी नोकझोक,प्यार और दुलार चलता रहता है। लास्ट में सब रात को एक साथ ही सो जाते थे।

धन्यवाद आप सब का मेरी कहानी को पढ़ने के लिए💞❤️

क्रमश:

नोट:- वैसे इस कहानी के पात्रों का परिचय पहले भाग में ही हो जाना चाहिए था पर भूल गया था।

[पात्र परिचय]

1. आर्यन (मेल लीड)
2. सिया (फीमेल लीड)
3. राजवीर जी (आर्यन के पिता)
4. शैलजा जी (आर्यन की मां)
5. दाई मां (अनाथालय की केयरटेकर)
6. बच्चे :- मिंटी,राहुल,जीतू,छुटकी,रोहन

बाकी के और भी कैरेक्टर्स कहानी के बीच में आते जायेंगे।

Next part me inke doston ke bare me pta chalega tb tk ke liye by take care