Pahli Jhalak - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

पहली झलक:- आर्यन से मुलाकात - 6 - आपकी नजरों ने समझा

राजवीर जी सभी लड़को को घूर के देख रहे होते है , और वहीं आर्यन अपने पापा को देख रहा होता है।
राजवीर जी (सभी से):- अब आप सब मुझे बताने का कष्ट करेंगे की आखिर हुआ क्या था वहा पर? जिस हिसाब से आप सब मिले थे वो तो कुछ सही बात बता नही रहा था?
राजवीर जी के ये बोलने के बाद शिवम और शुभम उस पल सोचने लग जाते है जब राजवीर जी उन सबके पास आए थे रेस्टोरेंट में......
कुछ घंटों पहले रेस्टोरेंट में
राजवीर जी जब आते है तब तक वो गुंडे और उसके साथी मार खा कर के भाग लिए होते है और सभी दोस्त वही पर बैठ कर सुस्ता रहे होते है। चोटें इन्हे भी लगी थी।
राजवीर जी को आता देख ऋषि और अनुज उनकी तरफ भाग कर जाते है और शॉर्ट में वहा की स्थिति के बारे में बताते है।
राजवीर जी सभी को घुरते हुए मैनेजर के केबिन की तरफ चल पड़ते हैं। वहाँ पर वो मैनेजर से कुछ बात करते है और सभी लड़को को घूरते हुए घर चलने को बोलते है।
वर्तमान में (आर्यन का घर)
राजवीर जी दोनों को कहीं घूम हुआ देखकर बोलते है।
राजवीर जी:- मैने कुछ पूछा है तुम सब से?
राजवीर जी के कहने पर दोनो हड़बड़ा जाते है और यह वहा देखने लग जाते है।
राजवीर जी इस बार पूछते है कि:- चलो ये बताओ की ये सब शुरू किसने किया था। मतलब के ये मारधाड़.....
राजवीर जी के बोलने के बाद शुभम और शिवम आर्यन को देखने लग जाते है और ऋषि और अनुज शुभम और शिवम को घूरने लगते है। आर्यन बस शांति से बैठा हुआ होता है। ( जैसे की उसे पता हो के आगे क्या होने वाला है)
तभी अंदर से शैलजा जी आते हुए राजवीर जी से कहती है:- क्या जी आते ही ये क्या सीआईडी बनके इन प्यारे प्यारे मासूम से बच्चो को लेकर पूछताछ करने बैठ गए। ये नही के इनकी चोट को भी देख लो बेचारे बच्चो के चेहरे का नक्शा ही बिगाड़ दिया है। च च च...............
शिवम और शुभम जो की राजवीर जी से डर कर चुप चाप बैठे हुए होते है वो शैलजा जी की बात सुनकर खुश हो जाते है और वो शैलजा जी को कुछ बोलने वाले ही होते है तभी शैलजा जी ये बोलकर उन पर बम फोड़ देती है,
शैलजा जी :- एक तो बेचारों की शक्ल ही ऐसी है की कोई लडकी इनको भाव न दे ऊपर से इनपर चोटे, अब तो कोई एवरेज लडकी भी इनको भाव न देगी।
इनकी बात सुनकर सभी लड़के आवक से शैलजा जी को देखने लग जाते है और राजवीर जी खी खी........ करके हसने लग जाते है ।
राजवीर जी भी मौका देख के कहने लगते है कि:- बिलकुल सही कहा आपने शैलजा जी और तो और मार खा कर के भी आए है, मेरा तो पूरा नाम डूबा कर रख दिए सबने। अब मैं अपने दोस्तों से क्या कहूंगा के मेरे बच्चे मार खा के आए है वो भी एक ही नहीं सभी के सभी।(पांचों दोस्तो के मम्मी पापा सभी को अपने बच्चो की तरह ही ट्रीट करते थे)
शैलजा जी जी उनकी बात सुनकर बोलती है :- आप तो रहने दो कुछ कहो भी मत । क्या कहुंगा अपने दोस्तों से अरे उन दोस्तो से भी क्या कहोगे जो लड़ाई के डर से भाग जाते है घर में। और आप भी तो उनकी ही कैटेगरी में आते हैं।
राजवीर जी अपना सा मुंह ले के रह जाते है और सभी बच्चे हसने लगते है।
राजवीर जी जस्ट लाइक


शैलजा जी सभी की चोटों मे दवाई लगाने लगती है, फिर किचन की तरफ चली जाती है।

राजवीर जी फिर इनसे पूछने लगते है कि हुआ क्या था। ऋषि उन्हे सब सिलसिले वार से बताने लगता है और जैसी ही उन लड़कियों का जिक्र करता है, वैसे ही शैलजा जी जो की किचन में काम कर रही होती है वो चिल्लाती है:- क्या लड़की.........


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उसी समय , जगह :- अनाथ आश्रम में


सभी बच्चे आपस में आर्यन की बात कर रहे होते है और लड़कियां (सिया को छोड़कर) अपने अपने क्रश(जो की इस तरह है:- ऋषि - सुमन, अनुज - अंजनी, शुभम - पायल और शिवम - सुरभि है।)

सिया सोफे पर बैठी कभी बच्चो को देखती तो कभी अपने दोस्तों को। उसके भी जेहन में आर्यन की गुस्से से लाल आंखें बस चुकी हुई होती है जो की बार बार उसकी आंखों के सामने आ जाती थी।

वही दाई मां किचन में काम कर रही होती है।

बच्चों के ग्रुप में

छुटकी:- अरे उन हैंडसम हीरो ने क्या स्ट.....(जीतू बोलता है स्टंट) हा वही जो जीतू भैया ने बोला क्या मारा ना.....

मिंटी:- हां कितने हैंडसम भी थे न और कितने स्ट्रांग भी।

राहुल:- तुम लड़कियां न कभी बदल ही नही सकती। कोई हैंडसम लड़का देखा नही के शुरू हो गए उसकी तारीफ करने।

राहुल ये बोल कर जीतू और रोहन से हाई फाई करता है और तीनो हसने लगते है। राहुल के ये बोलने की देरी थी और ऊपर से मजाक भी उड़ा दिया जिसकी वजह से सभी लड़कियां तीनो लड़को को गुस्से से घूरने लग जाती है। सबको ऐसे गुरते हुए देखकर तीनों लड़को की बोलती बंद हो जाती है और डर से तीनो वहा से कट लेते है।

सभी फिर से अपने अपने सोच में डूब जाते है। जिसमें बच्चियां आर्यन के बारे में बात कर रही होती है और बाकी अपने अपने हीरो के बारे में सोच रही होती है।

सिया उनको वहीं छोड़ अपने कमरे की तरफ चली जाती है। वो फ्रेश होकर अपने कमरे की बालकनी में आ जाती है और वहा से बाहर की तरफ देख कर पूरे दिन के बारे में सोचने लगती है। अचानक से उसे आर्यन की लाल आंखों की याद आती है ।
सिया सर को झटककर एक बार उसे इग्नोर कर देती है फिर भी बार बार उसे वो लाल आंखों की याद आ ही जाती है।

सिया झल्लाकर खुद से ही बोलती है........

सिया:- ये मुझे उस लाल आंखों वाले इंसान की आंखें क्यू दिख रही है बार बार। एक तो पूरा दिन ही बर्बाद कर दिया उसने।

ऐसे ही वो खुद से बात कर रही होती है की उसे पीछे से आवाज सुनाई देती है।

आवाज:- ये अकेले मे खुद से क्या बड़बड़ा रही है तू.....................


क्रमश:

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