Ek bund Ishq - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

एक बूंद इश्क - 3

३.इंटरव्यू



एक दिन और एक घंटे के बाद सुबह के दश बजें ट्रेन मुंबई स्टेशन पर रुकी। अपर्णा शिवा को घूरते हुए अपना बैग लेकर ट्रेन से नीचे उतरी। वह पहली बार मुंबई आई थी। लेकिन जब से मम्मी-पापा से अलग हुई थी। उसने अकेले ही सारी परेशानियों‌ से निपटना सीख लिया था। स्टेशन से बाहर निकलते ही उसने टेक्सी की और होटल आ गई। ग्यारह बजे उसे इंटरव्यू के लिए जाना था। स्टेशन से आते वक्त तो ट्राफिक नहीं मिला। लेकिन मुंबई का कोई ठीकाना नहीं होता था। कब ट्राफिक में फंस जाएं और ग्यारह बजे के बदले बारह बजे पहोंचे। क्यूंकि मुंबई की ट्राफिक से निकलकर अपनी तय की हुई जगह पर पहुंचना बहुत मुश्किल है।
अपर्णा ने होटल आकर अपने रुम की चाबी ली और रुम में आकर, फ्रेश होकर नीचे आई और बाहर आकर टेक्सी करके तुरंत इंटरव्यू के लिए निकल गई। अपर्णा के मम्मी-पापा उसके साथ नहीं रहते थे। लेकिन वह अपर्णा के लिए बहुत पैसे छोड़ गए थे। फिर भी अपर्णा जिंदगी में खुद कुछ कर दिखाना चाहती थी। इसलिए वह आज़ यहां नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आई थी।
कुछ वक्त बाद टेक्सी मुंबई की सब से बड़ी और नामी कंपनी आर.आर.एंटरप्राइज के सामने रुकी। अपर्णा ने पैसे चुकाए और अंदर चली आई। उसने अंदर आकर देखा तो बहुत सारे लड़के-लड़कियां इंटरव्यू के लिए आएं हुए थे। अपर्णा रिसेप्शनिस्ट से मिलकर एक खाली कुर्सी पर बैठ गई। उसके बाद भी दो-तीन लड़कियां आई।
"अपर्णा भारद्वाज आप अंदर जाईए।" अपर्णा की टर्न आते ही रिसेप्शनिस्ट ने कहा।
अपर्णा केबिन की तरफ़ आगे बढ़ गई। जहां इंटरव्यू हो रहे थे। उसने थोड़ा सा दरवाजा खोलकर पूछा, "मैं अंदर आ सकती हूं?"
"यस कम इन।" अंदर बैठे लड़के ने कहा। अपर्णा को वो आवाज़ जानी पहचानी लगी। वह रिवोल्विंग चेयर को दूसरी तरफ घूमाकर बैठा था। अपर्णा ने अंदर आकर दरवाज़ा बंद किया। उतने में रिवोल्विंग चेयर पर बैठे लड़के ने चेयर को अपर्णा की तरफ़ घूमाया। अपर्णा ने चेयर पर बैठे लड़के को देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।
"शिवा! तुम यहां?" अपर्णा ने हैरानी से पूछा। जी हां, ये वहीं शिवा था जो अपर्णा को पहले अस्सी घाट, बाद में ट्रेन और अब यहां आर.आर.एंटरप्राइज कंपनी के केबिन में मिल रहा था।
"ये तो मुझे तुमसे पूछना चाहिए।" शिवा ने खड़े होकर कहा। उसने इस वक्त ब्लेक फॉर्मल पेंट पर पिंक फॉर्मल शर्ट पहन रखा था।
"मैं यहां इंटरव्यू के लिए आई हूं।" अपर्णा ने कहा और टेबल पर पड़ी नेम प्लेट देखी तो उस पर लिखा था, "रुद्र अग्निहोत्री सीईओ. आर.आर.एंटरप्राइज" अपर्णा ने पढ़ा तो शिवा की और देखकर पूछने लगी, "रुद्र सर कहा है?"
"क्यूं? तुम्हें उनका क्या काम है?" शिवा ने पूछा।
"ये केबिन उनका है और मेरा इंटरव्यू भी वही लेंगे ना।" अपर्णा ने टेबल पर पड़ी नेम प्लेट शिवा की तरफ़ घुमाकर कहा। शिवा नेम प्लेट देखकर मुस्कुराने लगा।
"आओ मैं तुम्हें रुद्र सर से मिलवाता हूं।" शिवा ने कहा और दरवाजे की तरफ इशारा किया। अपर्णा दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गई। वह सीधा रिसेप्शनिस्ट के पास आ गई।
"रुद्र सर कहा है?" अपर्णा ने पूछा।
"अंदर ही तो है। आपका इंटरव्यू अभी तक हुआ नहीं क्या?" रिसेप्शनिस्ट ने हैरानी से पूछा।
"वो अंदर नहीं है। मेरा इंटरव्यू देना बहुत जरूरी है। प्लीज़ आप रुद्र सर को बुलवा दिजिए।" अपर्णा ने चेहरे पर परेशानी के भाव के साथ कहा।
"यहीं तो है रुद्र सर।" रिसेप्शनिस्ट ने सामने की तरफ हाथ करके कहा। अपर्णा ने पीछे मुड़कर देखा तो शिवा पिंक शर्ट पर ब्लेक ब्लेजर पहनकर उसी की तरफ़ आ रहा था।
"लेकिन ये तो शि.." अपर्णा कुछ कह पाती इससे पहले शिवा ने कहा, "आप केबिन से बाहर क्यूं आ गई? अभी आपका इंटरव्यू बाकी है। अंदर चलिए।"
अपर्णा की कुछ समझ नहीं आ रहा था। शिवा वापस केबिन में चला गया तो अपर्णा को भी उसके पीछे आना पड़ा। शिवा अंदर आकर अपनी चेयर पर बैठ गया और अपर्णा को बैठने का इशारा किया। अपर्णा तंग चेहरे के साथ कुर्सी पर बैठ गई।
"तुम्हारा नाम तो शिवा है। फिर रुद्र अग्निहोत्री?" अपर्णा ने हैरानी से कहा।
"शिवा मैं अपनें दोस्तों के लिए हूं। यहां ऑफीस और घर में मैं रुद्र हूं। फिर नाम से क्या फर्क पड़ता है?" रुद्र ने कहा।
"तो ये कंपनी भी तुम्हारी है?" अपर्णा अभी भी कुछ समझ नहीं पा रही थी।
"जी नहीं, ये कंपनी मेरे पापा रणजीत अग्निहोत्री की है। मैं इस कंपनी का सीईओ हूं। यहां के मुख्य निर्देशक मेरे पापा है। हम सब उन्हीं के अंडर काम करते है।" रुद्र ने कहा।
"बेटा अपर्णा! तेरी नौकरी ख़तरे में लगती है। आज़ ये तुमने इसके साथ जो बदतमीजी की है। उसके गिन गिन कर बदले लेगा।" रुद्र इस कंपनी का सीईओ है और वो ही अपर्णा का इंटरव्यू लेनेवाला है। ये पता चलते ही अपर्णा बड़बड़ाने लगी।
"इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है। मैं अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ अलग ही रखता हूं। तो तुमने मेरे और मेरे दोस्तों के साथ जो किया। उसका गुस्सा मैं यहां नहीं निकालूंगा। लेकिन अगर तुम्हें नौकरी मिल गई। तो फिर दिक्कत हो सकती है।" रुद्र ने जैसे अपर्णा की शक्ल देखकर ही उसके मन में चल रही दुविधा समझ ली हो उस तरह मुस्कुराते हुए कहा।
"क्या मतलब?" अपर्णा ने हैरानी से पूछा।
"नौकरी मिलने के बाद तुम मुंबई में ही रहोगी। फिर तो ऑफिस के बाहर भी हमारी मुलाकात हो ही जाएगी और ऑफिस के बाहर मेरी पर्सनल लाइफ शुरू हो जाती है। जिसके चलते मैं तुमसे अपना बदला ले सकता हूं।" रुद्र ने आंखें छोटी करके कहा।
"मैं भी कुछ कम नहीं हूं। बनारस के लड़कों को पीट सकती हूं। तो मुंबई के लड़कों से भी डरती नहीं हूं।" अपर्णा ने बिना किसी डर के कहा।
"बनारस तुम्हारा शहर है। वैसे मुंबई मेरा शहर है। बनारस में जो हुआ सो हुआ। अब तुम मुंबई में जो होगा वो देखना।" रुद्र ने फिर मुस्कुराते हुए कहा।
"पहले इंटरव्यू तो ले लिजिए। बाद की बाद में सोचेंगे।" अपर्णा ने अपने साथ लाई अपनी क्वालिफिकेशन की फाईल आगे बढ़ाकर कहा। रुद्र ने फाइल देखी और अपर्णा का इंटरव्यू लिया। अपर्णा बिना डरे या हिचकिचाएं सारे सवालों के जवाब दे रही थी।
"मानना पड़ेगा मिस अपर्णा भारद्वाज! आप इंटेलिजेंट तो बहुत है।" रुद्र ने अपर्णा की तारीफ करते हुए कहा।
"थैंक्यू।" अपर्णा ने बिना किसी भाव के कहा।
"तो ये इंटरव्यू यही पर खत्म होता है। आज़ शाम तक आपको हमारी कंपनी की तरफ से कॉल आ जाएगा कि आपका सिलेक्शन हुआ है या नहीं।" रुद्र ने अपर्णा को उसकी फाइल वापस देते हुए कहा। अपर्णा उठकर बाहर आ गई और कंपनी के गेट से बाहर आकर वहीं से टेक्सी करके होटल चली गई।

(क्रमशः)

_सुजल पटेल