Nafrat se bandha hua pyaar - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 15

जिस दिन अनिका सबिता से मिलने साइट पर गई थी उसके एक हफ्ते बाद, सबिता अपने प्रजापति मैंशन के लिविंग रूम में खड़ी थी।

"ध्रुव?"

"जी मैडम?"

"अपने सभी आदमियों और नौकरों से कहो की फर्स्ट फ्लोर पर कोई नही आयेगा जब तक मैं न कहूं।"

ध्रुव कुछ पल के लिए चुप हो गया और फिर सिर हिला कर हां का इशारा कर दिया। "मैं अभी सब को कह देता हूं, मैडम।"

जैसे ही ध्रुव चला गया, सबिता ने याद किया वोह दिन जब उसने पहले भी ऐसा ही निर्देश दिया था। अनिका और अभय सिंघम की शादी वाले दिन से एक रात पहले भी उसने ऐसा निर्देश दिया था। उस रात वोह अभय सिंघम को अपनी तरफ रिझाने की कोशिश करने वाली थी और देव सिंघम ने उसे धोखे से ऐसा नहीं करने दिया था। उस रात की यादें उसके दिमाग से कभी नही निकली। उसे देव की चालबाज़ी से भी ज्यादा किसी और वजह से भी उससे नाराज़गी थी। उसने जो उस वक्त महसूस किया था वो उसकी भी समझ से बाहर था। जैसे ही उसे फिर उस रात की बाद याद आई उसका दिल जोरों से धड़कने लगा। और फिर वो वोह सारी पुरानी यादों को याद करने लगी।

***चार महीने पहले***

"क्या मेरा पैकेज आ गया है?" सबिता ने ध्रुव से, प्रजापति मैंशन में सीढ़ियों से चढ़ते हुए अपने कमरे की ओर जाते हुए, पूछा। वोह दोनो उसी वक्त घर पहुंचे थे और घर में शादी की तैयारियों की वजह से शोर शराबा हो रखा था। दशक की सबसे बड़ी और खास शादी की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही थी।

"जी, मैडम। मैने उनसे पूछ कर कन्फर्म कर लिया है। पैकेज बैड पर रख दिया गया है।"

"गुड। और उस मैसेज का क्या हुआ?

"वोह भी हो गया है। मैने वहां एक लिखित संदेश उस रूम में पहुंचवा दिए है जहां अभय सिंघम ठहरे हैं।"

सबिता कुछ गहराई से सोचते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। अपने कमरे का दरवाज़ा खोलने से पहले उसने पीछे पलट कर ध्रुव की तरफ देखा।
"मुझे अब कोई भी सुबह तक डिस्टर्ब न करे। अगर सुबह में नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर नही आई तो भी मुझे न ढूंढे।"

ध्रुव ने उसके निर्देश ध्यान से सुने, उसका चेहरा गंभीर होने लगा था जब वो सबिता की बात सुन रहा था। पर फिर भी उसने सिर हिला दिया।
"जी, मैडम," उसने रोबोटिक टोन में कहा।
"मैं खुद ध्यान रखूंगा की आपको कल तक कोई भी डिस्टर्ब न करे।"

सबिता ने रूखेपन से सिर हिला दिया और अपने कमरे का दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गई। वोह जानती थी ध्रुव कभी भी उसे वोह नही करने देना चाहेगा जो वोह उस रात करने वाली थी। वोह जानती थी ध्रुव को पता है की उस पैकेज में क्या है और जो मैसेज भेजा था उसमे क्या लिखा है तो उससे तो किसीको भी आसानी से पता चल ही जाएगा की सबिता आज की रात क्या करने वाली थी। वोह अभय सिंघम को रिझाने वाली थी। उसे तो यह काम बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था ना की शादी से एक रात पहले। पर किसी कारणों की वजह से वो खुद से यह कदम नहीं उठा पाई थी। उसे कोई मौका ही नही मिला था उस तक पहुंचने का। उसने गहरी सांस ली। वोह सिर्फ सिंघम की सत्ता हासिल करने के लिए ही नही बल्कि अपनी बहन के लिए भी यह कदम उठा रही थी। यह उसकी काफी बेवकूफी थी, लेकिन वह अनिका पटेल के चेहरे के भाव को नहीं भूल सकी थी जब उसे बताया गया था की उसकी जबरन किसी अजनबी से शादी कर दी जाएगी। उस वक्त भी उसकी कजन के चेहरे पर ऐसे ही भाव थे जब उसने उस लालची आदमी को मरते हुए देखा था। वोह लालची इंसान जो जिम्मेदार था उस ट्रक को नष्ट करने के लिए जिसमे प्रजापति के लोगों के लिए हफ्ते भर का खाना और पानी जा रहा था। उसने अपनी गर्वती पत्नी का भी बचने के लिए इस्तेमाल की जैसे लग रहा हो की वोह उनसे छुटकारा पाना चाहता हो ताकी अपनी रखैल के साथ शहर भाग सके। भले ही अनिका उससे बड़ी थी, सदमे और लाचारी ने सबिता को याद दिलाया कि वह अठारह साल की थी, इस क्रूर दुनिया में या तो मरने या जीवित रहने के लिए फेंकने से पहले।

तभी घड़ी ने बारह बजा दिए, इसका मतलब था की अब वक्त हो गया है। जिस कारण से वोह यह काम करने जा रही थी उसे याद करते हुए उसने एक गहरी सास ली और अपने आप को नीचे तक देखा। उसने एक सेक्सी नाइट शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी और उसके ऊपर एक लंबी नाइट रोब से ढका हुआ था। भले ही घुटनो तक की पर्पल रंग की लेस और साटन की ड्रेस दूसरों के लिए सेक्सी न लगे लेकिन वोह अपने आप को इससे ज्यादा नीचे नही गिरा सकती थी क्योंकि इसी में भी उसे बहुत शर्मिंदगी सी महसूस हो रही थी। उसने चाबी उठाई और अपने कमरे से बाहर निकल गई। वोह उस तरफ बढ़ने लगी जिस तरफ दूल्हे का कमरा था। उसने पहले ही अभय के लिए वोह कमरा तैयार करवाया था ताकी उसकी प्राइवेसी डिस्टर्ब नहीं हो। वोह नही चाहती थी किसी को भी कुछ पता चले या कोई कुछ सुने अगर उसका प्लान फेल हो गया तो। धीरे से उसने अभय के रूम का दरवाज़ा खोला और अंदर आके उसे आराम से बंद कर दिया। कमरे में बिलकुल अंधेरा था बस हल्की सी चांद की रोशनी आ रही थी। कुछ पल इधर उधर देखने के बाद उसे अभय सिंघम के जैसे लंबी कध काठी का इंसान दिखाई पड़ा बालकनी के दरवाज़े के पास। उसे उसका चेहरा नही दिख रहा था क्योंकि उस आदमी की पीठ सबिता की तरफ थी। वोह बिलकुल चुपचाप खड़ा था जैसे उसे पता ही न चला हो की कोई उसके कमरे में आया है। सबिता धीरे से उसके नज़दीक आई।
"मैं यहां आई हूं तुम्हे अपने आप को सौंपने। क्योंकि मैं चाहती हूं तुम कल मुझसे शादी करो ना की मेरी कजन से।" सबिता ने कहा।
उसने सोचा की कम से कम एक बार कोशिश तो करनी चाहिए। पर उसे यह भी ध्यान रखना था की अभय सिंघम को बिलकुल भी पता न चले की वोह यहां क्यों आई है।
"मुझे पता है यह तुम्हारे लिए आश्चर्यजनक है," उसने कहना जारी रखा।
"पर मुझे लगता है की हमारा एक अच्छा मैच रहेगा। मेरी दुनिया भी बिलकुल वैसी है जैसी तुम्हारी है और मैं ज्यादा तुम्हारी पत्नी बनने लायक हूं।"
लेकिन उसकी तरफ से कोई जवाब नही आया। सबिता ने सुना था की अभय सिंघम भी उसकी तरह कम बोलता है और बहुत जल्दी निर्णय ले लेता है। लेकिन यह अच्छा है.....जबकि वो कुछ जवाब नही दे रहा था उसके विरुद्ध जो अभी सबिता ने कहा था। वोह अब उसके सामने आ गई।
"मेरे लोग तुम्हे मेरे पति के रूप में देख कर खुश हो जायेंगे और जब तुम मेरी तरफ से उनका नेतृत्व करोगे तो उन्हे बहुत खुशी होगी," उसने कहा।
"और अगर किसी को भी हमारे गढबंधन से दिक्कत होगी उसे हम मिल कर देख लेंगे। हम और आप मिलकर हमारे प्रांतों के अतीत का गौरव वापस ला सकते हैं।"

वोह फिर भी खामोश रहा।
यह कुछ बोल क्यों नही रहा? क्या इसे मेरे अतीत की वजह से मुझ पर शक हो गया है? या फिर इसने अनिका को पहले देख ही लिया है और अब उसकी सुंदरता के आगे यह और कुछ देखना नही चाहता? पर आदमियों की फितरत तो मैं अच्छे से जानती हूं। यहां तक कि सबसे बुद्धिमान लोगों पर भी कभी-कभी वासना हावी हो जाती है और इस आधार पर वह निर्णय ले लेते हैं, सबिता यह सब मन में सोच रही थी क्योंकि वो कुछ बोल ही नहीं रहा था।
सबिता यहां क्या करने आई थी यह ध्यान में रखते हुए वोह उसके करीब बढ़ने लगी। कुछ ही पल में उनसे फासले मिटा दिए था और उससे बिल्कुल सट गई थी।
"मैं तुम्हारी हर ख्वाइश पूरी करूंगी। मैं तुम्हे बेटे और बेटियां पैदा कर के दूंगी जिसके लिए लोग तरसते हैं। बस तुम्हे आज रात मेरा होना होगा और कल मुझसे शादी करनी होगी।"
सबिता उसकी चढ़ती उतरती सांसों को अच्छे से सुन पा रही थी और उसकी सांसे कठोर और भारी होती जा रही थी। उसकी तेज़ सांसों को महसूस कर सबिता को अपनी सफलता का एहसास होने लगा। उसने उसके गले में बाहें डाल दी और उसका चेहरा नीचे करने लगी जब तक की दोनो के होंठ न टकरा जाए। उस आदमी ने कोई विरोध नहीं किया और छूटने की कोशिश बिलकुल नहीं की। इसके बाद काफी देर तक दोनो के बीच इंटेन्स किस चलता रहा। उसने ऐसा महसूस किया की उसने अपने अंदर कुछ खोल दिया है। यह किस इतना इन्टेंस था की अब सबिता को दर्द होने लगा था।
उस आदमी ने सबिता को उसकी जांघ से पकड़ते हुए गोद में उठा लिया और लंबे डग भरते हुए उसे दीवार से टिका दिया। अब सबिता की पीठ दीवार की तरफ टिकी हुई थी और आगे का हिस्सा उस आदमी के सीने से सटा हुआ था। वोह अभी भी उसकी गोद में थी। वोह अब अपनी जीभ उसके मुंह में फिराने लगा।

यह अभय सिंघम तो बड़ा ही कमीना निकला, सबिता ने मन में ही कहा।










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(देरी से पोस्ट करने के लिए क्षमा कीजिए और प्लीज कॉमेंट कीजिए क्या अच्छा लगा क्या नही)