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दानी की कहानी - 24

दानी की कहानी

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शायद --नहीं शायद नहीं , अवश्य ही यह हर हर समय होता है ,होता रहा है ,होता रहेगा |

कुछ सत्य शाश्वत होते हैं जैसे सूरज का ,चाँद का निकलना,जैसे स्नेह का पनपना ,माँ की चिंता ---

दानी इन्हीं बातों को लेकर कुछ न कुछ सुनाती ,सिखाती रहीं |

अब कौन कितना सीख पाया ,यह तो कुछ पता नहीं लेकिन यह स्वाभाविक है कि जीवन में कई स्थितियाँ ऐसी होती हैं

जिनमें कठिनाई के बावजूद भी हमें संभलकर आगे चलना होता है |

बच्चे दानी से कई बार कहते ---

"दानी ! आप हमें कितना सिखाती,समझाती हैं कि भगवान हमें सब कुछ देते हैं --हमें तो यही समझ में नहीं आता ,ये भगवान कौन हैं ?"

दानी मुस्कुरा देतीं | ये बच्चे अब न तो इतने छोटे थे ,न ही इतने बड़े कि इनको कुछ स्पष्ट समझाया जा सकता |

सही बात तो यह थी कि दानी खुद भी कई बार पशोपेश में पड़ जातीं कि वे इन सब बातों का क्या उत्तर दें |

फिर भी वे समझती थीं कि बच्चे जो भी प्रश्न करें ,उन्हें उनके उत्तर मिलने बहुत ज़रूरी हैं |

"दानी ! ये जो आपने मंदिर में रखे हैं ,ये भगवान कैसे हुए जब ये हमें हैल्प ही नहीं कर सकते --"

असमंजस में पड़ी दानी अपने अनुसार उन्हें समझने का प्र्यत्न भी करतीं |

"बेटा ! मैंने कितनी बार बताया ,भगवान कोई एक जगह पर ही हैं नहीं ,वे तो हरेक कण में बसे हुए हैं---और तुम्हें बुद्धि देकर तुम्हारी हैल्प ही तो कर रहे हैं |"

"तो --ये मंदिर में जो बैठा रखे हैं ,इनसे क्या फ़ायदा--?"

"पापा -मम्मी का क्या फ़ायदा ?" दानी पूछतीं |

"वो तो हमारा ध्यान रखते हैं ,हमें खाना-पीना देते हैं ,हमें उन्होंने हमें जन्म दिया है --"

"तो ईश्वर ने भी तो हमें जन्म दिया है --"

"तो क्या हमें राम जी ने या कृष्ण जी ने जन्म दिया है ?"

"हमें प्र्कृति ने जन्म दिया है तो वही भगवान है -- "किन्नू बोला |

"फिर ये राम जी ,कृष्ण जी की तस्वीरों की पूजा क्यों करते हैं ?"

"वो हमारे पूर्वज हैं न ! वो हमसे पहले जन्म ले चुके हैं ,उन्होंने अच्छे काम किए हैं तो हमें उनका अनुकरण करना चाहिए न ?"

"अनुकरण ---?"

"मतलब --फ़ौलो ---ठीक है न दानी --" आदर्श ग्यारह वर्ष का हो गया था | बहुत सी बातों को समझने व समझाने का प्रयत्न करता |

"हाँ ,बेटा --फ़ौलो --जैसे तुम्हारे मम्मी -पापा ने अपने बड़ों से सीखा ,उन्हें फ़ौलो किया ,वैसे ही हमने भी अपने बड़ों का अनुसरण किया --"

"हाँ, यह तो ठीक है --आपने अपने मम्मी पापा से ,हमने अपने मम्मी-पापा से --लेकिन इसमें राम जी कृष्ण जी कहाँ से आ गए ?" टानू जी अभी कुछ छोटे थे |

अभी उन्हें समझने में कुछ देर लगती थी |

"बेटा ! राम,कृष्ण भी हमारे पूर्वज ही हुए न ! उनकी परंपराओं से हमने सीखा ,सीखते हैं ,सीखना चाहिए --"

"क्यों सीखना चाहिए --हम अपने मम्मी -पाप से ही सीखें न बस ---"

"बेटा ! जो हमसे पहले जन्म ले चुके हैं ,वे हमसे अधिक अनुभवी हुए न ?उनके किए हुए कामों पर हमें ध्यान देना चाहिए ।तभी तो हम सीख पाएँगे --"

"तो --इनकी पूजा क्यों करते हैं ?"टानू फिर से अड़ गया |

"सुबह उठकर तुम हम सब बड़ों को प्रणाम करते हो न ?"

"हम आरती तो नहीं करते ,प्रणाम,गुड मॉर्निंग करते हैं |"

"हाँ ,बेटा ! ये हम उन्हें गुड मॉर्निंग ही करते हैं और हमें उस सबके लिए धन्यवाद भी देते हैं ,जैसे तुम किसी के कुछ करने या देने पर थैंक्स कहते हो --"

टानू फिर भी पशोपेश में था कि पूजा करना आख़िर क्यों ज़रूरी है ? उनके सामने खड़े होकर भी तो हम कह सकते हैं थैंक्स ---!!

डॉ . प्रणव भारती