Kya Hua Ek Raat? books and stories free download online pdf in Hindi

क्या हुआ एक रात?

रात के बारह बज रहे थे, सभी गहरी नींद में सो रहे थे; पर समर की आंखों में नींद नहीं थी, क्योंकि आज कुछ करना था उसे, उसकी पत्नी वर्धा उसके साथ ही गहरी नींद में सो रही थी;


पंद्रह साल की बेटी सौम्या अपने रूम में सो रही थी और उनका पांच साल का डॉगी ब्रूनो समर के कमरे में ही सो रहा था लेकिन समर को जागता देखकर वो भी जाग गया था और जानना चाह रहा था समर की परेशानी की वजह,



समर बहुत बेचैन हो रहा था, क्यूंकि इतना बड़ा कदम जो उठाने वाला था, कभी उसने ऐसा सोचा भी नहीं था; की वो ऐसा कुछ करेगा, समर बेड से नीचे उतरा और कमरे में ही चहलकदमी करने लगा, फिर आकर पैर नीचे कर बेड पर बैठ गया और करूं या ना करूं ये सब सोचने लगा,



तभी ब्रूनो, समर के पैरों के पास बैठ गया और समर के पैर पर अपना हाथ रख दिया, जैसे कह रहा हो की" परेशान मत हो और कर दे जो सोच रहा है"



ब्रूनो की मासूम आंखें देखकर समर मुस्कुरा उठा और प्यार से ब्रूनो के सर पर हाथ फेर दिया, थोड़ी देर दोनों यूंही एक दूसरे के साथ बैठे रहे, पर समर फिर से बेचैन हो उठा और



चुपचाप दरवाज़ा खोलकर बाहर गया और दस मिनट बाद लौटा, समर के हाथ में चाकू था जो वो किचन से लाया था, आखिर उसने निर्णय कर ही लिया था; समर अपनी पत्नी वर्धा के पास आया और प्यार से उसे निहारने लगा,



वो वर्धा के पास बैठ गया और सोचने लगा अपनी शादी का समय, जिसमें वर्धा पिंक कलर के दुल्हन के जोड़े में बेहद ही खूबसूरत लग रही थी "शादी को इतने साल हो गए, पर अब काम तमाम करना ही पड़ेगा।"मन ही मन में समर ने खुद से कहा।



तभी अचानक वर्धा की नींद खुल गई और उसने समर को जागा हुआ और उसके हाथ में चाकू देखकर हैरानी से पूछा" क्या हुआ ऐसे क्यों बैठे हो और ये हाथ में चाकू क्यों है?


"सोच रहा हूं काम तमाम कर दूं आज।"मुस्कुराते हुए समर बोला।



"किसका?"थोड़ा डरते हुए वर्धा ने पूछा।



"तुम्हारे डर का।"समर ने कहा।



"कौन सा डर?"वर्धा ने डरते हुए और हैरानी से पूछा।



"मेरे साथ रहने का डर और भी ना जाने क्या क्या।"समर ने एक डरावने अंदाज़ में कहा, जिससे वर्धा डर गई।



"तुम ये सब क्या कह रहे हो, मेरी समझ नहीं आ रहा है।"डरते हुए वर्धा ने कहा।


"शादी से लेकर अब तक कितना टॉर्चर किया है मैंने तुम्हें, कितना झेला है तुमने मुझे; छोटी छोटी बात पर पीट पीट कर बहुत बार अधमरा किया है तुम्हें, अब बस बहुत हो गया; अब और नहीं।"आंखों में आंसू के साथ समर बोला।


हैरानी और डर से वर्धा, समर को देखे जा रही थी, उसकी समर से शादी को लेकर अब तक की ज़िन्दगी या ये कहो बदतर ज़िन्दगी आंखों के सामने फिल्म की तरह चलने लगी,



दिखने लगा उसे शादी की पहली रात जिसमें दो थप्पड़ लगा दिए थे समर ने उसको छोटी सी बात पर और तबसे से लेकर अब तक ना जाने कितने थप्पड़, लात घूंसे, बेल्ट से मारना, गरम चिमटा वर्धा के शरीर पर लगाना और ना जाने क्या क्या हुआ वर्धा के साथ,



पर वर्धा ने सब झेला, क्यूंकि मायके वालों को अपनी इज्जत की बहुत परवाह थी, उनके लिए लड़की का ससुराल से हमेशा के लिए घर आना ऐसा था जैसे कोई मिसाइल चला दी हो किसी ने,



चाहकर भी मायके वालों से कह ना पाई वर्धा, उसे शायद कोई आशा नहीं थी अपने मायके वालों से, बस अपनी ज़िन्दगी काट रही थी,



लेकिन कल वर्धा ने पहली बार समर से ऊंची आवाज़ में बात की, क्यूंकि समर, वर्धा को उनकी बेटी सौम्या के सामने छोटी सी बात पर थप्पड़ लगा रहा था और वर्धा मना कर रही थी, क्यूंकि बेटी हॉस्टल में रहकर पढ़ रही है, दो दिन पहले छुट्टी में घर आ गई थी; वर्धा नहीं चाहती थी, एक हफ्ते तक सौम्या के सामने ऐसा माहौल रहे,



ऐसा नहीं था, की सौम्या को पता नहीं था; की उसके पापा, उसकी मम्मी के साथ कैसा बर्ताव करते हैं, पर हद करने लगे हैं ये नहीं पता था, इसलिए समर को रोकने के लिए वर्धा ने समर से ऊंची आवाज़ में बात की और कह दिया, की वो अब ऑनलाइन पढ़ा रही है और अब वो समर के साथ नहीं रहेगी,



वर्धा ऑनलाइन चुपचाप पढ़ा रही थी, पर कल गुस्से में आकर उसने समर को बोल दिया



समर ये बर्दाश्त नहीं कर सका, समर उस समय तो शांत हो गया, पर उसने एक खतरनाक फैसला ले लिया वर्धा को जान से मारने का, क्यूंकि अगर वर्धा उसके चंगुल से निकल जाती, तो समर के अहम को चोट पहुंचती, उसे लगता की वो आदमी होकर अपनी बीवी को रोक नहीं पाया जाने से,



"कहां खो गई वर्धा डार्लिंग, आई लव यू वर्धा; ऐसी जिल्लत भरी ज़िन्दगी जिकर तुम क्या करोगी और मेरे बिना रहकर भी तुम क्या करोगी, इससे अच्छा तो मौत भली, है ना?"एक डरावनी मुस्कान के साथ समर बोला।



वर्धा बेड से डरकर उतर गई किसी अनहोनी की आशंका से और भागने लगी, लेकिन फुर्ती से भागकर समर ने वर्धा का पैर पकड़कर उसे गिरा दिया और चीखती वर्धा के मुंह पर हाथ रख दिया और उससे कहा


"आई लव यू सो मच वर्धा, आई एम सॉरी फॉर दिस, वर्धा की आंखें डर के वजह से लाल होकर बड़ी बड़ी हो गई और उसे मौत अपने करीब दिखने लगी,



लेकिन जैसे ही समर ने वर्धा को चाकू मारना चाहा, वैसे ही समर के दर्द से चीखने की आवाज़ आई और उसके हाथ से चाकू गिर गया,



क्यूंकि समर के डॉगी ब्रूनो ने समर के पैर में जोर से काट लिया था, जिससे समर काफी घायल हो गया और ब्रूनो अभी भी समर के ऊपर हावी था,




वर्धा को भागने का मौका मिला, जैसी ही वो कमरे से बाहर निकल रही थी, समर और वर्धा की बेटी सौम्या आ गई और रूम में जो हो रहा था वो सब देखकर घबरा गई, वर्धा ने उससे और ब्रूनो से कहा"यहां से निकल, चल जल्दी, कम ब्रूनो कम।"



और तीनों बाहर निकल गए और रूम का डोर बंद कर दिया और साथ ही पुलिस को फोन कर दिया



आखिर में पुलिस आई और समर की चोट का इलाज कराके समर को पुलिस स्टेशन लेे गई,



समर ने वर्धा को मिलने के लिए जेल में बुलाया और कहा"मैं पति और इंसान होकर तुम्हारे साथ अन्याय करता रहा, वो जानवर होकर तुम्हें बचाता रहा, शर्म आती है मुझे खुद को पति कहने में और उससे बढ़कर एक इंसान कहने में।"और कहते कहते फूट फूट का रोने लगा समर।



वर्धा की आंखों में भी आंसू थे, बस वो यही सोच रही थी, की ये समझ काश तुम्हें पहले ही आ जाती, तो आज ये अंजाम नहीं होता, हम चारों साथ होते।



"चलती हूं अब।"वर्धा ने कहा और चली गई।


समर उसे सुनी और आंसू भरी आंखों से आखिर तक जाते हुए देखता रहा।