Secret Admirer - 34 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 34

*"सो डियर वाइफ लगता है कल रात तुम ठीक से सोई नहीं। और जल्दी भी उठ गई।"*

*"ग्रेट। कम से कम तुम्हे फर्क तोह पड़ रहा है।"*

इसी ख्याल से कबीर मुस्कुरा पड़ा और फिर उठ कर जल्दी से नहाने चला गया। वोह जल्दी से तैयार हो कर ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग टेबल पर जाना चाहता था, इसी उम्मीद से की वोह अपनी वाइफ को देख सके। उससे इंतजार नही हो रहा था आज अमायरा का शर्माता हुआ चेहरा देखने के लिए।

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जब वोह तैयार हो कर डाइनिंग एरिया में पहुंचा, तोह उसने देखा उसकी पूरी फैमिली वहां बैठी कल रात हुई इंगेजमेंट पार्टी की चर्चा कर रहे थे, सिवाय उसकी पत्नी के। उसने देखा उसकी पत्नी तो किचन में बिज़ी है और इसी बात ने कबीर को थोड़ा गुस्सा दिला दिया।

*"इसे हमेशा दूसरों की जरूरतों का इतना ख्याल क्यों रहता है? सबका....सिवाय मेरे।"*

कबीर वहां से होते हुए सीधा किचन में चला गया और उसके आने का अंदाजा पा कर अमायरा की तोह सांसे ही अटक गई। वोह जान गई थी की कबीर उसके आस पास ही है और वोह अभी भी समझ नही पा रही थी की कबीर से कैसे निपटे उसके धोखे के लिए।

"तुम नाश्ता क्यों नही कर रही?"

"मैं बिज़ी हूं," अमायरा अपने आप को और बिज़ी दिखाने की कोशिश कर रही थी।

"वोह तोह मुझे दिख रहा है, पर मैने तुम्हे पहले भी कहा है की मुझे बिल्कुल भी पसंद नही जब तुम दूसरों के लिए अपना ब्रेकफास्ट स्किप कर देती हो। घर में बहुत से सर्वेंट हैं। वोह भी वोह कर सकते हैं जी इस वक्त तुम कर रही हो। आओ चलो, नाश्ता कर लो।"

"मैं बाद में कर लूंगी," अमायरा ने कबीर से नज़रे चुराते हुए कहा।

"नही। तुम अभी करोगी, सब के साथ," कबीर ने सख्त भाव से कहा।

"मैने कहा ना बाद में।"

"ओके। ठीक है मैं भी तब ही खाऊंगा जब तुम खाओगी।"

"क्या? नही। प्लीज आप जाओ और सबके साथ खाओ। अगर आप ऐसा करेंगे तोह सब क्या सोचेंगे?" अमायरा ने चिंतित स्वर में कहा।

"वोह सोचेंगे की मैं एक अच्छा हस्बैंड हूं।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।

"मिस्टर मैहरा, आप......."

"कबीर।" कबीर ने रूखेपन से अमायरा को बोलते हुए बीच में रोक दिया।

"क्या?" अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई थी। और उसके अचानक अटेंशन देते से वोह घबरा गई थी।

"मेरा नाम कबीर है।" कबीर उसे इंटेंशियली देख रहा था।

"मुझे पता है आपका नाम। मुझे बताने की जरूरत नहीं है।"

"अगर पता है तोह बोला करो। मैं अब और तुम्हारे मुंह से मिस्टर मैहरा नही सुनना चाहता।"

"और मैं ऐसा क्यों करूं?" अमायरा ने अकड़ से पूछा।

"क्योंकि.....तुम....मेरी....पत्नी हो।" कबीर ने कहते हुए किचन काउंटर पर अपने दोनो हाथ टिका दिए। और उसके दोनो हाथों के बीच खड़ी अमायरा की तोह सांसे ही अटक गई।

"और यह आपको अचानक याद आ गया? पिछले कुछ महीनो से यह बात याद नही थी। आज अचानक मेरे ऊपर यह नाम बोलने की बंदिश क्यों?" अमायरा बड़ी मुश्किल से नॉर्मली सांस ले रही थी। वोह यह दिखाने की कोशिश कर रही थी की उसे कबीर की नज़दीकी से फर्क नही पड़ता। वोह सिकुड़ी हुई सी खड़ी थी इस कोशिश में की उसके बदन का कोई भी अंग कबीर को ना छू जाए।

"कम ऑन अमायरा। अगर तुम मुझसे इसलिए नाराज़ हो की मैने हमारे रिश्ते को पहले वैल्यू नही दी, तोह आई एम सॉरी। पर मैं अब दिल से हमारे रिश्ते को चांस देना चाहता हूं।"

"नही। आप बस मुझ पर तरस खा रहें हैं। और ऐसा करके आपने मुझसे मेरा दोस्त भी छीन लिया। पहले मैं खुश थी, और अब मैं फिर से अकेली पड़ गई।" अमायरा ने अपनी नम आंखों से फुसफुसाते हुए कहा। और कबीर को बुरा लग रहा था इस बात से की वोह उसके दुख की वजह बन गया है।

"मैं जानता हूं की तुम्हे मुझ पर विश्वास नहीं है अमायरा, लेकिन जल्द ही मैं तुम्हे यकीन दिला दूंगा की तुम्हारा दोस्त अभी भी है, और हमेशा रहेगा। पर इसका मतलब यह नहीं की मेरा प्यार तुमसे कम हो जाएगा।" कबीर ने अमायरा के बालों को सहलाते हुए कहा।

"प्लीज आप मुझे दूसरों के सामने शर्मिंदा मत कीजिए। आप बाहर जाइए और मुझे अकेला छोड़ दीजिए।"

"मैं तुम्हे शर्मिंदा कैसे कर रहा हूं?" कबीर ने पूछा।

"क्या होगा अगर कोई यहां आ जाए और हमें ऐसे देख ले?" अमायरा के पूछने पर कबीर उसे देख कर उसके चिंता को सुन कर मुस्कुराने लगा।

"ओके। मैने नोटिस किया की तुम्हारी असली वजह यह है की सब हमे एक साथ देख लेंगे। मुझे कोई दिक्कत नही है की अगर हम यह कंटिन्यू करे अकेले अपने रूम में।" कबीर ने शरारत से कहा और अमायरा गुस्सा होने लगी।

"छोड़िए मुझे। मुझे एक गंदे इंसान से बात ही नही करनी।" अमायरा ने धीरे से कहा और कबीर ने अपने कदम पीछे ले लिए। लेकिन उसके गाल पर प्यार से चूमने के बाद। कबीर के चूमने से अमायरा की आंखें हैरानी से फैल गई।

"मैं जा रहा हूं, क्योंकि तुम्हे प्राइवेसी चाहिए। मैं हमारे कमरे में हूं जब भी तुम्हे नाश्ता करने का मन करे मुझे बता देना।" कबीर ने दरवाज़े की तरफ बढ़ते हुए कहा।

"रुकिए। मैं बाहर आ रहीं हूं। आप सब के साथ बैठिए। हम साथ में ब्रेकफास्ट करेंगे।" अमायरा ने जवाब दिया।

कबीर मुस्कुराते हुए बाहर चला गया और अपनी चेयर पर बैठ गया। इशान और साहिल उसे छेड़ने लगे क्योंकि वोह काफी वक्त बिता कर आया था किचन में। लेकिन कबीर ने उनकी बातों पर जान बूझ कर जवाब नहीं दिया और दो प्लेट में नाश्ता लगाने लगा। जब अमायरा बाहर आई और अपनी चेयर पर बैठी तो कबीर ने उसके लिए नाश्ते की प्लेट लगा कर उसके सामने रख दी। अमायरा के लिए यह सब नया था तो उसे शर्म सी आने लगी सबके सामने, पर वोह चुप रही। वोह जानती थी सब की नज़रे उन दोनो के ऊपर ही है, एस्पेशियली यह किचन वाले कांड के बाद।

*"ओह! आपको इसके लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, मिस्टर मैहरा।"*

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आज का पूरा दिन अपने बाकी के काम करते वक्त और अनाथ आश्रम में समय बिताते वक्त, अमायरा के दिमाग उसे आगे क्या करना है यही सब चल रहा था। उसे बहुत अजीब लग रहा था कबीर के अचानक उसे इतना अटेंशन देने से। वोह उससे बहुत दूर भाग जाना चाहती थी। यह पहली बार था जब उसने किसी के सामने अपना दिल खोल कर रख दिया था, उसे अपने सीक्रेट्स, अपना पास्ट, अपन दुख, अपनी खुशी, अपनी पसंद ना पसंद सब बताया था। और अब वोह डर रही थी की कहीं वोह उसे उससे छीन न ले, बस इसलिए क्योंकि वोह उसे खुश देखना चाहता है। वोह किसी भी कीमत पर दया की भीख नही लेना चाहती थी। वोह अपनी जिंदगी से कॉम्प्रोमाइज कर चुकी थी और कबीर को जिंदगी भर के लिए अपना दोस्त बना चुकी थी। और अब जब कबीर यह कह रहा है की वोह उससे प्यार करता है, उसने यकीन करने से इंकार कर दिया था क्योंकि उसे डर था की कहीं उससे उसका सब कुछ न छीन जाए। पूरा दिन वोह बस यही सोचती रही की कैसे कबीर को समझाए की उसे उसके प्यार की जरूरत नहीं है, वोह यह सब हरकते छोड़ दे जिससे उसके सामने ऑकवार्ड सिचुएशन खड़ी हो जाती हैं और ऐसा करने पर जवाब तब भी ना ही होगा।

कबीर पीछे नहीं हटने वाला, यह बात अमायरा जानती थी। वोह उसके लिए ऐसा कुछ करने वाला है, इस बात की उम्मीद अमायरा को कभी नही थी। आज जब से कबीर ऑफिस के लिए निकला था उसके बाद से उसने दो बार अमायरा को कॉल किया था इधर उधर की बात करने के लिए। उसने बात की थी की उसे क्या पहनना पसंद है और साहिल की शादी में वोह दोनो मैचिंग आउटफिट ही पहनेंगे। और वोह कितनी सुंदर लग रही थी कल रात इसलिए उसे अब से ज्यादा से ज्यादा साड़ी ही पहना चाहिए। अमायरा ने उसके दूसरे कॉल पर बात करने के बाद तीसरा कॉल जब आया तोह उठाया ही नही क्योंकि दूसरे कॉल पर वोह उसे बताने लगा था की कल रात उसके साथ डांस करके उनसे बहुत एंजॉय किया था। पर उसके आधे घंटे बाद उसे हर आधे घंटे पर मैसेज आने लगे। पर आठवें मैसेज के बाद उसने मैसेज पढ़ना ही बंद कर दिया था।

रात का डिनर करने के बाद जब वोह अपने कमरे में गई तोह देखा कोई नही था। उसने सोचा की जल्दी से चेंज करके वोह सोफे पर सो जायेगी, कबीर के आने से पहले। वोह वाशरूम गई और अपना पुराना पिंक नाइट सूट पहन के बाहर आई। उसने देखा कबीर पहले से ही बैड पर लिटा हुआ था। अमायरा ने जल्दी से अपनी नाइट क्रीम लगाई और बिना वक्त गवाए सोफे की तरफ बढ़ गई। तभी उसने कबीर की आवाज़ सुनी।

"हिम्मत भी मत करना।" कबीर की आवाज़ अपने पीछे से अचानक सुन कर अमायरा चौंक गई।

"क्या? आप क्या बोल रहे हैं?" अमायरा ने पूछा। वोह डरी हुई थी रंगे हाथों पकड़े जाने से।

"तुम अच्छी तरह से जानती हो की मैं क्या बोल रहा हूं। अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तोह मुझे कोई दिक्कत नही है रोज़ तुम्हे सोफे से बाहों में उठा कर बैड पर सुलाने में। लेकिन अगर नही करती हो तोह हिम्मत भी मत करना बैड के अलावा कहीं और सोने में।" कबीर ने शांति और उदास लहज़े में जवाब दिया।









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