Nafrat se bandha pyaar - 42 books and stories free download online pdf in Hindi

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 42

सबिता धीरे धीरे जैसे होश में आने लगी। वोह अपनी रोने की वजह से सूजी हुई आंखों को धीरे धीरे खोलने लगी। वोह ऐसा महसूस कर रही थी की मानो उसमे जान ही नहीं है। जैसे ही उसने अपनी आंखें खोली उसने देखा की वोह तोह देव के ही किसी घर में है। दुबारा से उसकी आंखों में आंसू बह गए। उसके पहले के सूखे हुए आंसू के निशान के ऊपर ही अब यह नए आंसू बहने लगे।
अभी बीते पिछले कुछ घंटे उसके लिए मानो नर्क जैसे थे, और वोह कोई बुरा सपना नही था हकीकत थी।

उसका बच्चा मर चुका था छह साल पहले।

"सबिता," उसने देव की प्यार भरी गहरी और भारी आवाज़ सुनी अपने पीछे से। तभी उन महसूस किया की उसे देव ने करीब से अपनी बाहों में भर रखा है उसे कंफर्ट महसूस कराने के लिए। देव ने पीछे से उसे पकड़ा हुआ था और हाथ सबिता के पेट पर थे। सबिता ने अपने आंसू पोछे और पीछे पलट गई।

देव उसे चुपचाप देख रहा था। उसने एक बार भी नही पूछा की तुम कैसी हो और ठीक तोह हो की नही। अच्छा हुआ उसने ऐसा कोई सवाल नही पूछा, क्योंकि सबिता इस वक्त उस कंडीशन में नही थी। उसको ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उसका सीना चीर कर दिल ही बाहर निकल दिया हो। और वाकई में सबिता बिलकुल भी ठीक नही थी। और यह बात देव अच्छे से जानता था, उसे पूछने की जरूरत नहीं थी।

"तुम्हे कैसे पता चला? सबिता ने पूछा। उसकी आवाज़ करकश भरी लग रही थी।

"प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले मैने तुम्हारे बारे में पता लगवाया था," देव ने आराम से कहा। "मेरे इन्वेस्टिगेटर ने बताया था की तुमने कोई दूसरी एजेंसी हायर की है किसी को ढूंढने के लिए। मैने उन्हे और पता लगाने के लिए बोला था। और जब हम दोनो एक हो गए, एक साथ कॉटेज में मिलने लगे, तब भी मैने अपनी इन्वेस्टिगेशन रुकवाई नही क्योंकि मुझे तुम्हारे बारे में और जानना था।"

"हम्मम!"

देव ने कोई माफी नहीं मांगी की उसके पीछे उसके बारे में खोज करवाने के लिए और ना ही सबिता उससे ऐसा कुछ एक्सपेक्ट कर रही थी। वोह खुद भी यही करती अगर वोह देव की जगह होती।

उसके बाद दोनो ही चुप हो गए।

कुछ देर बाद, देव ने अपना फोन उठाया। "देखता हूं की और कितना वक्त लगेगा रिपोर्ट्स आने में।"

"कोई जरूरत नही है," सबिता ने कहा और फिर एक गहरी सांस भरी। "मुझे पता है मेरा बेटा मर चुका है, देव। क्योंकि मुझे वोह आखरी के दो दिन याद हैं मेरी प्रेगनेंसी के, बच्चा पैदा करने से पहले। मुझे अपने बच्चे के मूवमेंट नही महसूस होते थे। बल्कि डॉक्टर ने भी कह दिया था की उनको बच्चे की हर्ट बीट नही सुनाई दे रही है। पर मुझे थोड़ी सी उम्मीद थी।"

देव उसकी बात चुपचाप सुन रहा था।
"तुम्हे किसने बताया की तुम्हारा बच्चा जिंदा है?" देव ने थोड़ी देर बाद पूछा।

"मेरी बुआ। कुछ और लोग भी जिनपर मैं ट्रस्ट करती थी।" सबिता ने याद किया की संजय ने भी उनमें से एक था। उसे अपनी मूर्खता पर हसी आ गई की कैसे सब ने उसे बेवकूफ बनाया। "मैं अपनी बुआ के लिए एक परफेक्ट प्यादा हूं। वोह मेरी प्रेगनेंसी के दौरान मुझे कमरे में बंद रखती थी ताकि बाहर किसी को मेरी प्रेगनेंसी के बारे में पता न चले। मुझे जब भी मौका मिलता था मैं भागने की कोशिश करती थी लेकिन हर बार नीलांबरी के लोग मुझे वापिस पकड़ ले आते थे। पर फाइनली, उन्हे एक अच्छा तरीका मिल गया था मुझे अपने उंगलियों पे मचाने का। यह कोई मुश्किल बात नही थी उसे बुद्धू बनाना जो पहले से ही बेवकूफ थी, बेअकल की अठारह साल की लड़की जो कुछ भी करने को तैयार थी जब उसके बच्चे की बात आई तोह।"
सबिता को अपने किए पर यानी अपनी मूर्खता पर यकीन ही नहीं हो रहा था।
"छह सालों से, मैने कभी इस पर ध्यान ही नही दिया की वोह बच्चा मेरा है भी की नही। मैं अपने बच्चे के लिए इतनी अंधी हो है थी की मैने कभी उनसे पूछा ही नही जो की लॉजिकली मुझे उनसे पूछना चाहिए था।"

"तुमसे क्या कहा गया था?" देव अभी भी प्यार से पूछ रहा था।

"मुझे बुआ ने यह कहा था की मेरा बच्चा पैदा हो चुका है और उसने उसे कहीं दूर भेज दिया है। उन्होंने मुझसे कहा था की उनकी फैमिली के लिए मेरी बेटी एक शर्मनाक है जैसे मैं हूं अपनी फैमिली के लिए। और अगर मैं उनकी सब बात सुनती हूं, उनकी सभी बात मानती हूं और जैसा वोह कहे वैसा करूं तोह वोह मेरी बेटी को कोई नुकसान किए बिना वापिस दे देंगी।"

सबिता ने अपनी कमर पर से अपनी चेन को निकाल और अपने करीब कर लिया। वोह चेन उसकी मरी हुई मां की निशानी थी। उस चेन में एक छोटा सा हार्ट शेप का पेंडेंट था। सबिता ने उसे खोला तोह उसमें एक छोटे से बच्चे का एक छोटी सी साइज में फोटो था। पर सिर्फ चेहरे का ऊपरी हिस्सा था।

"जब भी मैने उनसे प्रूफ मांगा की मेरा बच्चा सुरक्षित है सही सलामत है की नही उसका प्रूफ दो तोह वोह मुझे इसी तरह का आधा अधूरा फोटो भेज देती थी।" यह सब बताते हुए उसे बहुत तकलीफ होने लगी। "सिर्फ आंखों की या फिर पीछे से ली गई फोटो। वोह कहती थी की वोह मुझे इसलिए पूरी पिक्चर नही दिखाती हैं क्योंकि फिर मैं आसानी से उसे ढूंढ लूंगी।" सबिता ने अपना ज़ोर जोर से सिर हिलाया। "मैं इतनी स्टूपिड कैसे हो सकती हूं बस यूहीं उनकी बात मान ली।"

"यह कोई स्टूपिड वाली बात नही है, सबिता। तुम एक मां हो और बस अपने बच्चे की सेफ्टी के लिए कुछ भी करने को तैयार हो गई।"

"हां। मैं वोह सब कुछ करूंगी जो वोह मुझसे कहेंगी, अपने बच्चे के लिए। जबकि मैं ना चाहूं तब भी।" सबिता ने अपनी आंखें बंद कर ली जैसे वोह बहुत कुछ अभी भी बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी। "सब लोगों को लगता है की मैं एक निडर लड़की हूं। पर यह तोह एक मजाक है। मैं सिर्फ एक पपेट हूं या फिर हमेशा से ही थी - अ ब्लडी पप्पेट।"

देव के चेहरे पर गुस्से वाले भाव आ गए। उसने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों से भर लिया। "तुम गलत हो," देव ने गंभीर रूप से कहा। "तुम्हारी बुआ ने तुम्हारा फायदा जरूर उठाया है शुरवात में। लेकिन वोह तुम थी जिसने अपने लोगों को इतनी अच्छी तरह से संभाल रखा है और इतनी अच्छी तरह से अपनी कंपनी चला रही हो। उनकी जिंदगी को और बेहतर बनाने के लिए तुम ही एक अच्छे लीडर की तरह उन्हे नई और बेहतर सुविधाएं दी हैं। तुम्हे यह सब करने की जरूरत नहीं थी, लेकिन तुमने किया, और अभी तक कर रही हो।"

"पर मैं आंख मूंद कर उनकी बात कैसे मान सकती थी," सबिता ने दुखी मन से कहा।

"क्योंकि तुम इंसान हो, सबिता। मैं भी तुम्हारी जगह होता तोह यही करता। अगर मुझे पता चले की मेरी फैमिली का कोई मैंबर आज भी जिंदा है तोह उसे पाने के लिए मैं भी कुछ भी कर जाऊंगा, जबकि उसे पाने की प्रोबेबिलिटी 0.001% हो तोह भी। और सुरक्षा के लिए मैं प्रूफ की डिमांड भी नही करूंगा। एस्पेशियली तब जब इससे उसे खतरा हो।"

सबिता उसकी बात ध्यान से सुन रही थी। और उसकी कही हुई बात को समझने की कोशिश भी जो की उसके दिल को सुकून दे रहा था। देव अभी भी उसे ऐसे ही पकड़ा हुआ था और दोनो चुपचाप लेटे हुए थे।

कुछ देर बाद देव ने उसके माथे पर प्यार चूम लिया। "तुम्हे अब खाना खा लेना चाहिए," देव ने प्यार से कहा। "तुमने चौबीस घंटे से कुछ नही खाया है।"

"मुझे भूख नही है," सबिता ने जवाब दिया। "मुझे जाना होगा। मुझे अभी बस घर पहुंचना है।"

देव ने सिर हिला दिया। "ठीक है। बीना और उसकी बच्ची सिंघम मैंशन में सुरक्षित रहेंगे। मैं कहूंगा....."

"नही।" सबिता ने आराम से उसे बीच में रोक दिया। मैं उन्हे अपने घर ले जाना चाहती हूं। वोह अपने लोगों के बीच ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे। लंबे वक्त तक उन्होंने बहुत सहा है।"

देव चुप हो गया। "और तुम्हारी बुआ का क्या?" देव ने पूछा।

सबिता ने देव की तरफ देखा। वोह जानती थी देव उसके चेहरे पर ठंडे और एक निर्कश भरे भाव देख सकता है। "मेरी बुआ उनके लिए और किसी और के लिए भी अब कोई खतरा नही है। क्योंकि मैं उन्हे मार दूंगी।"
























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(पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏)