Dard e ishq - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

दर्द ए इश्क - 26

सूझी बस बैठे हुए शराब पी ही रही थी की विकी नाश्ता लेकर टेबल पर रखता है। वह सामने चेयर पर बैठते हुए खुद के लिए भी ग्लास भरता हैं। और शराब पीते हुए कहता है।

विकी: क्या किस सोच में फिर से डूब गई !? ।
सूझी: बालकनी से बाहर देखते हुए! बस ऐसे ही... कुछ नहीं! ।
विकी: ( सिर को हां में हिलाते हुए सूझी का शराब का ग्लास भरते हुए ) ठीक है! फिर! सूझी तो तुमने शादी के बारे में सोचा!? ।
सूझी: ( चिढ़ते हुए शराब को पीते हुए ) आई एम सीरियस विकी! अभी में मजाक के मूड में नहीं हूं! ।
विकी: ( शराब की एक सीप पीते हुए ) मैं भी सीरियस हूं सूझी! ।
सूझी: ( विकी की ओर नजर घुमाते हुए ) यार! तुम क्यों अपनी जिद पर अड़े हो! जब की मैं और तुम दोनो ही जानते है की यह जन्म में तो हम दोनो किसी और के होने से रहे! तो फिर इस बंधन का क्या मतलब, सिवाय ढोंग के कुछ नहीं होगा ।
विकी: आई नो! पर सूझी आज नही तो कल हमे सेटल होना ही है! एक बात मैं तुम्हे कितनी बार समझाऊं!? ।
सूझी: पर..!
विकी: ( गहरे भाव से सूझी की ओर देखते हुए ) पर... क्या सूझी!?।
सूझी: आई जस्ट कांट! विकी... मु... झे... मुझे लगता है! एक दिन उसे अपनी गलती का अहसास होगा... और उस दिन वह मेरे पास... भागता... भागता आएगा! बस मैं ना चाहते हुए भी उस दिन का इंतजार कर रही हूं।
विकी: ( जोर जोर से हंसते हुए... सूझी की ओर देख रहा था...! थोड़ी देर बाद शांत होते हुए ... गंभीरता से कहता है। ) सीरियसली.... मैने तो सोचा तुम थोड़ी समझदार हो! पर नहीं तुम भी बाकी लड़कियों की तरह निकली! ।
सूझी: ( गुस्से में विकी की ओर देखते हुए ) क्या मतलब है तुम्हारा!? ।
विकी: मतलब यही की तुम भी बाकी लड़कियों की तरह अकल से पैदल हो!... ।
सूझी: ( गुस्से में विकी की ओर शराब का ग्लास फेकती है... जो उसके कंधो पर लगता है। ) फक यू...।
विकी: ( मुस्कुराते हुए शर्ट को रूमाल से साफ करते हुए ) वाऊ! क्या बात है... तुम्हारा भी कमाल है... अगर कड़वी सच्चाई मुंह पे कहो तो सुनने की हिम्मत नहीं है... पर खुद उसी गलत रास्ते पर चल रही हो यह नहीं दिख रहा... तुम्हे!? हां! मतलब इतना कुछ हो गया... वह इंसान बिना कुछ कहे तुम पर तोहमत पे तोहमत लगाए जा रहा है... लेकिन नहीं तुम्हे तो चु*या बनते ही जाना है!। हाहाहाहा... तुम्हे सच ने लगता है कि वह तुम्हारा सो कॉल्ड आशिक आज भी तुमसे प्यार करता है... आई डोंट थिक सो... क्योंकि ऐसा होता तो यूं उस लड़की के साथ रंगरलियां नहीं मना रहा होता!।
सूझी: ( गुस्से में लाल पीली होते हुए ) तुम... तू... म... ( विकी की ओर उंगली करते हुए ) ।
विकी: यस में! अब तुम्हारा ख्याली पुलाव पक गया हो तो अब सच्चाई की बात करे!?।
सूझी: ( गुस्से में दांत भिसते हुए ग्लास में शराब भरते हुए एक ही बार में सारा ग्लास पी जाती है । ) ।
विकी: ( नर्म लहजे में ) सुजेन!
सूझी: ( गुस्से में विकी की ओर देखती हैं। ) ।
विकी: सुजेन! तुम जानती हो मुझे अच्छी तरह.... से जानती हो सूझी... मैं सपनों देखना पसंद नहीं करता स्पेश्यली वो सपने जो कभी पूरे ना हो! और वैसे भी तुम... कितनी जल्दी सच्चाई को मान लो उतना बेहतर है!।
सूझी: ( बिना कुछ कहे फिर से एक घूंट पीते हुए कहती है। ) कहना आसान है मिस्टर.. विक्रम ठाकुर... पर जब लाख कोशिश के बावजूद भी जब नाकामयाब होकर.. तुम उसीके पीछे भागते हो जो तुम्हे चोंट पर चोंट दिए जा रहा हो.... पर फिर भी दिमाग की नहीं सुन पाते! धेट्स कॉल लव.... ( हंसते हुए ) शायद इसीलिए कहते है की प्यार अंधा होता है।
विकी: सूझी ( नर्म लहजे में ) प्लीज! छोड़ दो! अब! बहुत बरबाद कर लिया खुद को! ( सूझी के हाथ से ग्लास टेबल पर रखते हुए.. दोनों हाथ को अपने हाथ में लेते हुए ) इस जंग को लड़ने का कोई फायदा नहीं सूझी! आखिर में हार ही लिखी है!। तो बेहतर है की पहले ही कदम पीछे ले लो! प्लीज हमारी दोस्ती के खातिर! एक मौका दो इस रिश्ते को!? ( आंखों से सूझी को रिक्वेस्ट करते हुए ) ।
सूझी: ( गहरी सांस लेते हुए कहती है। ) क्यों!? विकी! क्यों तुम इस जबरदस्ती के रिश्ते मैं खुद को जोड़ना चाहते हो!? जब की तुम भी अभी वही अतीत में हो और मैं भी!। स्तुति.... स्तु.... ती को भूल पाओगे क्या!? ।
विकी: ( एक झटके से सूझी के हाथ को छोड़ते हुए! कुछ कह नहीं पाता। )
सूझी: देखा! मैंने कहां था ना कहना आसान है लेकिन! जब बात खुद पर आती है तो हर इंसान कमजोर पड़ जाता है विकी! ना तुम स्तुति को और ना मैं रेहान से पीछा छुड़ा पाऊंगी! इस जन्म में तो मुझे नहीं लगता हम चैन से जीयेगे कभी!। आई हॉप अगले जन्म में ऐसी जिंदगी ना मिले ! ।
विकी: ( गुस्से में दांत भीसते हुए कुछ बोल नहीं पाता। थोड़ी देर.... सोचने के बाद कहता है। ) फाईन! ( खड़े होते हुए... दोनो हाथ जेब में थे। बालकनी की ओर जाते हुए ...। ) मैं.... स्तु.... ती.... को... भुलाने.... के लिए...... तैयार.... हूं.... ( मानो जैसे विकी सांसे ऑक्सीजन लेना ही भूल गई थी। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी.... जैसे कोई उसके प्राण निकाल रहा हो। ) ( खुद को संभालते हुए ) अब.... तुम इस रिश्ते के लिए हां कहोगी.... ( आंखे बंद करते हुए । मानो जैसे एक एक लफ्ज़ उसे चुभ रहा था। )।
सूझी: ( अचानक खड़े हुए, विकी की ओर हक्का बक्का होकर देखती है। ) आर यू.... क्रेजी!? तुम जानते हो तुम क्या बोल रहे हो!? ।
विकी: जवाब सूझी! जवाब!? सवाल के सामने सवाल नहीं किया जाता।
सूझी: ( समझ नहीं आता की क्या करे, वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी की विकी उसे कभी ऐसा सवाल करेगा!? । वह विकी जो स्तुति की एक आवाज पर पूरी दुनिया को जलाकर राख कर दे! आज वह अपनी स्तुति को अपनी लाइफ से हमेशा के लिए निकालने की बात कर रहा है!? । ) ( सूझी अपना सिर पकड़ते हुए फिर से चेयर पर बैठ जाती है! मानो जैसे उसका सिर चककरा रहा था। ) ।
विकी: ( एक गहरी सांस लेते हुए... सूझी की ओर घूमते हुए आंखे खोलकर कहता है। ) तो... मैं तुम्हारी खामोशी का जवाब हां समझ रहा हूं... आई हॉप अब तुम्हे इस रिश्ते से इनकार नहीं होगा! और तुम भी अतीत को भुलाने की कोशिश करोगी! । मैं... मैं... खाने के लिए कहकर आता हूं... ।

इतना कहते ही विकी दरवाजे की ओर आगे बढ़ता है। चलते चलते एक आंसू कब उसकी आंखो से हाथ पर गिर जाता है उसे पता ही नहीं लगता! । वह जल्दी रूम से बाहर जाते हुए खुद को कमजोर पड़ने से रोकने की कोशिश करता है।