Dard e ishq - 31 books and stories free download online pdf in Hindi

दर्द ए इश्क - 31

विकी अपने डेड को कुछ कहे बिना ही अपने कमरे की और चला जाता है। जब वह दरवाजे की कुंडी खोलता है! तो देखता है तान्या सामने चेयर पर बैठे बैठे ही सो गई थी। और सुजैन भी गहरी नींद में थी। वह धीमे कदमों से बालकनी की ओर चला जाता है! । वह चेयर पर बैठते हुए... अपनी जेब में से सिगरेट निकलते हुए जलाता है लेकिन फिर भी उसके हाथ कांप रहे थे! जिस वजह से वह सिगाटेट जला नहीं पा रहा था। वह फिर भी जैसे तैसे कर के सिगरेट जला लेता है! बालकनी से जब कमरे की और देखता है! तो तान्या की अपने सिर को हाथ के सहारे सोई हुई थी। वह एक ही नजरो से तान्या की और देखे जा रहा था । मानो जैसे आंखो से उसे लाखो सवाल जो उसके मन में उठ रहे है वह पूछ रहा था। जो आकर्षण उसके प्रति हो रहा है जो उसने रेहान ने मारने की साजिश की और तो और उसका स्तुति से क्या ताल्लुक है!? । मानो वह तान्या को नींद से उठाकर सामने बिठाकर सारे सवाल पूछना चाहता है! लेकिन फिर उसकी हिम्मत भी नहीं हो रही!। क्योंकि ये बात सच निकली की स्तुति जिंदा है! तो फिर यह बात भी उतनी ही सच है कि आज उसने तान्या और रेहान के साथ मिलकर विकी को चौंट पहुंचाना चाहती थी! यह बात विकी को चाहकर भी हजम नहीं हो रही थी। की उसकी स्तुति उसे चौंट पहुंचाने के बारे में सोच सकती है! आखिर ऐसी तो कौन सी गलती कर दी की स्तुति उससे इतनी हद तक नफरत कर बैठी है! । और विकी की जान लेना चाहती है! । और इतनी जांच पड़ताल के बाद भी उसका कोई पता नहीं कर पा रहा है। विकी ये जानते हुए भी की आज उसे मारने का प्लान किया गया है! फिर भी वह अपनी जान को जोखिम में डालना चाहता था की शायद स्तुति को देख पाए! की शायद वह आ जाए विकी के सामने!? । शायद एक बार उसे उन सारे पल की याद आ जाए और वह सब रोकने आ जाए!? । लेकिन वह नहीं आई! इस बात के बावजूद की विकी आज मर भी सकता था । जब विकी को खबर मिली थी की ऐसी कोई साजिश हो रही है पहले तो मानो जैसे उसे यकीन नहीं हुआ और फिर उसने अपने एक भी आदमी को कुछ भी हरकत ना करने के लिए कहां! । मानो जैसे वह जान बूझ कर खुद को चौंट पहुंचाने के लिए तैयार था की शायद चौंट देखकर ही स्तुति वापस एक बार लौट आए! । लेकिन फिर सुलतान! ऐसा कुछ हो उससे पहले ही उसने संभाल लिया!। जब की सुलतान को तो सिर्फ उसके परिवार को बचाने के लिए कहां था!। लेकिन ना जाने क्यों हरबार एक नया मोड़ ले लेती है जिंदगी। विकी सोचते सोचते उसे ध्यान ही नही रहा की वह एक ही नजर से तान्या की ओर देखे जा रहा था और उसकी सिगरेट भी बुझ चुकी थी। वह बुत बने हुए मानो ख्यालों के भवर में डूबा हुआ था। जब तान्या अपनी आंखे खोलती है तब उसे अपनी हालत का भास होता है। लेकिन फिर भी अपनी नजर तान्या से हटा नहीं पाता। मानो जैसे खुद पर कोई कंट्रोल ही नहीं रहा था । दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। तान्या आश्चर्य में की विकी यहां क्या कर रहा है!? । और विक्रम सवालों के साथ की क्यों!? आखिर क्यों!? दोनो के मन में सवाल उठ रहे थे लेकिन ना तो तान्या कुछ बोल पा रही थी और ना ही विक्रम! । जब सूझी विकी को आवाज देती है तब विकी अपनी नजर तान्या से हटाते हुए! सुजेन की ओर देखता है।

सूझी: विकी तुम सोए नहीं अभी तक!? ।
विकी: ( गला साफ करते हुए ) नहीं.... वो कुछ काम था इसलिए तुम सो जाओ मैं थोड़ी देर में आता हूं! ।
सूझी: ( सिर को हां में हिलाते हुए फिर से सो जाती है। )।
विकी: ( सूखे होठ पर जीभ फेरते हुए नर्माश बनाने की कोशिश करते हुए तान्या की और देखता है! । )
तान्या: मैं! मैं..... चलती हूं.....! । ( इतना कहते ही वह रुम से हड़बड़ाते हुए चली जाती है।

विक्रम कुछ बोल नहीं पाता बस जिस दरवाजे से तान्या गई थी। वहीं देखे जा रहा था । थोड़ी देर बाद गहरी सांस लेते हुए टेबल से फोन उठाते हुए.... कॉल करते हुए कहता है।
" हेलो.... हम्म.... वो अभी अभी मेरे घर से निकली है! अगर स्तुति के बारे में और ये दोनो उससे मिले तो फौरन मुझे इनफॉर्म करना! और हां मुझे पल पल की खबर चाहिए!। हम्म ठीक है। "
विकी कॉल काटते हुए बस सोचता है! जल्द ही! जल्द ही मिलेंगे!। चाहे फिर तुम चाहो या ना चाहो!। मुझे काफी बातो के जवाब चाहिए! और सवालों के जवाब किसी भी तरह जानने हैं! । चाहे फिर मुझे खुद को ही क्यों ना दांव पे लगाना पड़े! वह भी करूंगा! अगर तुम यहीं चाहती हो तो मैं खुद को तुम्हारे हवाले सौंपता हूं! लेकिन अगर तुम्हे जान ही चाहिए मेरी तो फिर तुम्हे खुद अपने हाथ से लेनी होगी स्तुति!. । मैं भी देखना चाहता हूं! की तुम कैसे अपने हाथों से मुझे खुद से दूर करना चाहती हो! । इंतजार रहेगा मुझे इस वक्त का जिस वक्त या तो तुम मुझे हमेशा के लिए खो दोगी या फिर पा लोगी! अब और हिम्मत भी नहीं और सब्र भी खत्म हो रहा है! स्तुति। और फिर मुझे तो अभी तक समझ नहीं आ रहा कौन सा गुनाह किया है जो भगवान मुझे इतनी बड़ी सजा दे रहा है। खैर! अब मुझे कोई शिकवा भी नहीं है! क्योंकि शायद मैं इसी के लायक हूं! तभी तो तुम मुझे खुद से दूर करने के लिए ऐसी साजिश कर रही हो!। पर स्तुति ये विक्रम ठाकुर का वादा है! जिस तरह से मैने तुम्हे प्यार किया था! और तुम्हारे फैसले को दिल से माना था तुम्हारा ये फैसला भी मैं खुशी खुशी कुबूल करता हूं!। तुम जो कर सकती हो करो जितनी चौंट पहुंचानी है पहुचाओ! पर हो सके तो लौट आओ! देर हो जाए उससे पहले लौट आओ। क्योंकि अब मैं अपने सब्र के अंतिम पड़ाव पर हूं स्तुति....! इससे पहले मैं खुद को खो दूं लौट आओ! । क्योंकि एक बार जब मैं ये आस छोड़ दूंगा फिर मैं वापस नहीं आ पाऊंगा स्तुति.... एक.... बार....! । इतना कहते ही वह स्तुति के पुराने नंबर पर वॉयस मैसेज भेज देता है। एक आखिरी बार बालकनी के बाहर का नजारा देखता है। गहरी सांस लेते हुए वह बस चाहता था की किसी तरह ये मैसेज स्तुति तक पहुंच जाए! काश उसका नबर चालू हो और वह ये मेसेज सुन ले! । विकी आसमान की ओर आखिरी बार देखते हुए! अपने कमरे में सोने के लिए चला जाता है।