Dard e ishq - 33 books and stories free download online pdf in Hindi

दर्द ए इश्क - 33

सुलतान काम निपटा के विकी के घर पहुंचा ही था! की देखता है विकी दरवाजे पर उसका इंतजार कर रहा था! और टहल रहा था। वह सिर को हिलाते हुए! विकी के नजदीक जाता है और कहता है! ।

सुलतान: विक्रम ठाकुर अब तो मुझे तुम्हारी नियत पर शक हो रहा है! कही गलत इरादे तो नहीं तुम्हारे!? ।
विकी: ( सुलतान की ओर देखते हुए ) ये क्या बके जा रहे हो!? और मुझे तो लगा तुम्हारा आने का प्लान कैंसल हो गया।
सुलतान: अरे! भाई तुमने बुलाया हो और सुलतान मल्लिक ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता! ।
विकी: खैर! चलो अब ! ।
( वह दोनों घर के अंदर जाते हुए! ) ।
सुलतान: तो यूं ऐसे टहल क्यों रहे थे!? ।
विकी: कुछ नहीं यार! बस दिमाग को शांति ही नहीं मिल रही थी इसलिए! ।
सुलतान: ओह! ठीक है फ़िर जैसे ही में फ्रेश हो जाऊ! तुम्हे बुलाता हूं फिर सारे मसलों के जवाब मिल जाएंगे तुम्हे! ।
विकी: ठीक है फिर! अगर कुछ काम हो तो कॉल मी! ।
सुलतान: ( ह्म्म इतना कहते ही वह अपने रुम में चला जाता है। विकी भी अपने कमरे की ओर जा ही रहा था की तभी उसका फॉन बजता है! देखता है तो सूझी का कॉल था! ।

सूझी: विकी! ।
विकी: हां बोलो! और तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो!? ।
सूझी: विकी तुम्हारे डेड! ।
विकी: ( घबराते हुए ) क्या हुआ डेड को!? ।
सूझी: उन्हें कुछ नहीं हुआ लेकिन! ।
विकी: लेकिन क्या!? सुजेन तुम मुझे डरा रही हो! ।
सूझी: तुम जल्दी से टीवी ऑन करो! और न्यूज चैनल लगाओ! । ।
विकी: ( हॉल की ओर जाते हुए न्यूज चैनल लगाते हुए ! । विकी देखता है तो उसके डेड अपने पार्टी के लोगों के साथ बैठे हुए थे! । ) सूझी यार अगर ये मजाक है! तो आई स्वेर! ।

( तभी धर्मानंद कहता है: " आप सभी का शुक्रिया जिन्होंने मुझे अपना मत दिया और जितवाया इस खुशी के मौके पे में एक और खुशखबरी आपके साथ बाटना चाहता हूं! मेरा बेटा विक्रम और सुजैन मेहरा की शादी अगले महीने की ५ तारीख यानी की पांच दिन बाद है! यह हम दोनों परिवार ने मिल कर प्लान किया था आप लोगो को सरप्राईज देने के लिए! तो आप सभी आमंत्रित है! हमारे इस खुशी के मौके पे! । " धर्मानंद इतना कहते ही प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठकर चला जाता है। )

विकी बस बुत की तरह खड़े खड़े देखे जा रहा था! मानो जो शब्द अभी उसने सुने उसे यकीन नहीं आ रहा था की सच है! । वह अपनी जगह पर मानो जैसे जम गया था! । तभी सूझी की आवाज आती है ।

सूझी: विकी! तुम लाइन पर हो! आर यू अलराइट! ।
विकी: ( सदमे से बाहर आते हुए ) हां! हां! मैं ठीक हूं बस ये न्यूज़ थोड़ी शॉकिंग थी बस और कुछ नहीं! हां! ।
सूझी: मतलब क्या है तुम्हारा!? उन्होंने हमारी शादी की बात की है वो भी पांच दिन बाद और तुम बस ऐसे रिलेक्स होकर आंसर दे रहे हो!? ।
विकी: तो और क्या करू अब में मर जाऊ!? और वैसे भी हमें आज नहीं तो कल शादी तो करनी ही है! तो फिर क्या फर्क पड़ता है! पांच दिन बाद करे या पांच साल बाद! ।
सूझी: ( गुस्से में ) यू *किंग बास्टरड तुम पागल हो गए हो! फाइन भाड़ में जाओ तुम मैं खुद रास्ता ढूंढ लूंगी! ।
( इतना कहते ही वह कॉल काट देती है। ) ।

विकी फॉन को कान से हटाते हुए सोफे पर बैठ जाता है! मानो जैसे उसकी बॉडी में एनर्जी ही नहीं थी! खड़े रहने के लिए! । वह ऐसे ही सोच में डूबा था की उसे पता ही नहीं चला की कब सुलतान आ कर उसके बगल में बैठा!।

सुलतान: क्या बात है! ठाकुर ऐसा कौनसा जटका लगा की तुम ऐसे नौ धार बैठ गए!? ।
विकी: अरे! यार पूछो ही मत मेरे डेड एक दिन मुझे हार्ट अटैक से ही मार डालेंगे! ।
सुलतान: अच्छा! मतलब कुछ बड़ी बात है जिस वजह से विक्रम ठाकुर की बुनियाद हिल गई है! ।
विकी: ( सुलतान की ओर देखते हुए ) मैं थोड़ी देर के लिए डगमगा सकता हूं! पर आज तक किसी में इतनी हिम्मत नहीं की विक्रम ठाकुर की बुनियाद को हिला सके! कभी भी नहीं! ।
सुलतान: ( मुस्कुराहट के साथ ) वेरी वेल! चलो फिर तुम्हारी बुनियाद हिलाते है! ।
विकी: सुलतान यार! तुम भी परेशान ना करो! एक तो वैसे मेरे लगे पड़े है! ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) तुम इसी लिए मुझे अज़ीज़ हो! कम से कम कोई तो हैं जिसकी मुसीबत देख कर मैं कह सकू अरे ये तो मुझ से भी बदतर जिंदगी जी रहा है! ।
विकी: ( गुस्से में सुलतान की और देखते हुए ) ।
सुलतान: अच्छा ठीक ठीक है! । मजाक तो होता रहेगा लेकिन मैने इसलिए तुम्हे कॉल किया था क्योंकि जिन लोगों ने हमला करवाया उनका नाम पता मुझे मिल गया है! ।
विकी: रियली कौन है वो लोग!? ( गुस्से में!) प्लीज उन लोगों का काम तमाम मैं ही करूंगा! तुम उन्हें कुछ भी मत करना! ऐसी बुरी मौत देना चाहता हूं की बाकी सभी लोगों की रूह कपकपा उठे! मेरे परिवार की ओर नजर उठाकर देखने से पहले भी ।
सुलतान: ठीक है ठीक है! लेकिन ये विलेन वाले एक्सप्रेशन तो देना बंद करो! और तुम अभी उन लोगो से मिलना चाहोगे या फिर बाद में! ।
विकी: ( थोड़ी देर सोचने के बाद ) अभी नहीं! क्योंकि डेड ने मेरी शादी का अनाउंसमेंट किया है! और अभी उनकी शपथ भी बाकी है! तो अभी उन लोगो को जैसे जी रहे है जीने दो! बाद में देखता हूं! ।
सुलतान: ठीक है! और हां एक और बात है! ।
विकी: बोलो!? ।
सुलतान: तुम्हारी गर्लफ्रेंड.... स्तुति का पता चल गया है! मैने अभी डिटेल्स नही मगाई लेकिन मेरे आदमी के पास सारी डिटेल्स आ चुकी है ।
विकी: ( आंखे बड़ी करते हुए! आश्चर्य में सुलतान की ओर देखे जा रहा था! मानो एक पल के लिए उसका दिल थम सा गया था। वह बोलना चाहता था कि क्या कहां है! कैसी है!? लेकिन उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। ) ।
सुलतान: जानता हूं जानता हूं! तुमने मुझे मना किया था लेकिन तुम्हारे आदमी नहीं कर पाते क्योंकि इन्फॉर्मेशन छुपाने वाले भी काफी नामचीन लोग है!।
विकी: ( हाथो से चेहरे को ढक कर सोफे के सहारे बैठता है! । ) के ..... कै..... सी..... है..... वो...... ( रोने से रोकते हुए ) ।
सुलतान: जहां तक मुझे खबर मिली है! वह काफी अच्छी तरह से लाइफ गुजार रही है! ।
विकी: अभी! कहां पर.... है... क्या..… मैं.... उसे मिल सकता हूं!? । ( आंखे ऊपर की ओर करते हुए... कंट्रोल विकी कंट्रोल.... )
सुलतान: शाम तक सारी डिटेल्स के साथ फाइल आ जाएगी तुम खुद देख लेना! ।
विकी: हम्म! ।
सुलतान: तुम ठीक हो!? ।
विकी: ( चेहरा दूसरी ओर करते हुए ) मुझे क्या होगा!? ।
सुलतान: विकी! ।
विकी: ( आंखों से आंसू रॉक नहीं पाता ! ) नहीं बस वो मुझे नींद आ रही है! बस ।
सुलतान: अब तुम मुझ से भी झूठ बोलने लगे हो!? ।
विकी: ( रोते हुए ) झूठ.... झूठ... की बात नहीं है! बस मैं नहीं चाहता कि तुम मुझे इस हालत में देखो! मुझे कमजोर नहीं पड़ना लेकिन जब भी उसकी बात होती है! मानो हर बार मेरा दिल मुझे धोखा दे देता है! कितने साल..... से मैं तड़पा हूं! कैसे जिया हूं! एक पल घुटन हो रही थी! आज जब पता चला कि वह जिंदा है और मिल भी गई है तो मुझे ही समझ नहीं आ रहा मैं रॉ क्यों रहा हूं! मुझे तो खुश होना चाहिए! लेकिन ऐसा लग रहा है! जैसे मेरे दिल में दर्द उभर रहा है।
सुलतान: ( खड़े होते हुए विकी के सिर पर हाथ फेरते हुए ) अगर तुम अकेले रहना चाहते हो तो मैं जबरदस्ती नहीं। करूंगा! लेकिन संभालो खुद को! और अगर बात करनी हो तो मैं कमरे में हूं! आ जाना।

इतना कहते ही सुलतान अपने कमरे में चला जाता है। विकी वहीं सोफे पर बैठे रोए जा रहा था। मानो जैसे इतने सालो का दर्द आंखो से आंसू के रूप में बहे जा रहा था । वह खुद को रोकना चाहता था लेकिन रोक ही नहीं पा रहा था। मानो इतने सालो से वह जो जीने का नाटक कर रहा था उस नाटक को स्तुति की एक खबर ने चकनाचूर कर दिया था। विकी को जो दर्द महसूस हो रहा है वह खुद दर्द ने बयान नहीं कर पा रहा था! उसके सीने में एक ऐसी चुभन सी हो रही थी जैसे मानो किसीने खंजर मार के जो घाव दिए हो वह वापस से ताजा हो गए हो । वह एक शब्द बोले बिना बस रोए जा रहा था । जैसे मातम में किसी अपने को खोने बाद रोते है । आज छुपाए हुए हर एक भाव उभर के बाहर आ रहे थे । आज विकी ४ साल पहले जो घटना हुई तब एक आंसू भी उसके आंख से किसीने नहीं देखा था वह आंसू आज फूट फूट के बह रहे थे ।