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Secret Admirer - Part 44

एक घंटे बाद वोह दोनो एक साउथ इंडियन रेस्टोरेंट के बाहर खड़े थे। कबीर जिस तरह के रेस्टोरेंट्स में अक्सर जाना पसंद करता था उसके मुकाबले यह रेस्टोरेंट थोड़ा फैंसी लग रहा था। इस वजह से अमायरा थोड़ा कंफ्यूज हो गई। क्या उन्होंने मुझसे यह नहीं कहा था कि वह मुझसे प्यार करते हैं? और साबित भी करना चाहते हैं? क्या इसी तरीके से वह आज का दिन शुरू करेंगे?

"खाना कैसा है?" अमायरा का ध्यान भटका कबीर की आवाज़ पर।

"हम्मम!.....अच्छा है। बल्कि बहुत टेस्टी है।" हालांकि वोह थोड़ा कन्फ्यूज्ड थी कबीर के रेस्टोरेंट की चॉइस से। पर वैसे उसे सच में खाना अच्छा लग रहा था। और इस वक्त उसकी पसंद की सभी चीजें यहां मौजूद थी, उसकी पसंद की सॉफ्ट सॉफ्ट इडली, घी लादेन पोंगल, प्लेन डोसा, जो ज्यादा क्रिस्पी नही था, ना ही ज्यादा सॉफ्ट, जस्ट परफेक्ट बैलेंस था, जैसा की उसे पसंद था। और नारियल की चटनी जिसपर करी पत्ता और सरसो के दानों का तड़का....अहहा.. उसको पसंद था। सांभर भी बहुत स्वादिश था। उसका तोह मन कर रहा था की शेफ को बुला कर रेसिपी पूछ ले। पर वोह जानती थी की वोह ऐसा नहीं कर सकती कबीर के सामने। उसको इतना मज़ा आने लगा की वोह जल्द ही भूल गई की वोह तोह कुछ और एक्सपेक्ट कर रही थी। क्या एक्सपेक्ट कर रही थी वोह तोह वोह खुद भी नही जानती थी। उसने इतना खा लिया था की उसे लगने लगा था की अब वोह कहीं सो ही न जाए। इस वक्त सच में उसे उसके मुलायम, आराम दायक बैड की याद आने लगी थी। लेकिन उसने आज प्रोमिस किया था की वोह अपना आज का दिन कबीर के साथ बिताएगी तोह वोह अपना प्रोमिस तोड़ नही सकती थी।

"वैसे तोह मुझे खाना बहुत ही पसंद आया, लेकिन मैं सोच रही थी की आपने यह रेस्टोरेंट ही क्यों चुना? आपको तोह नाश्ते में ब्लैक कॉफी, और ऑमलेट जैसी चीजें पसंद है ना?" अमायरा ने दूध वाली फिल्टर कॉफी कबीर को ऑफर करते हुए पूछा। वोह बहुत खुश थी आज दिन की शुरुआत से।

"मुझे अभी भी बहुत पसंद है। पर यह दिन मेरा नही है। तोह हम आज उन जगह पर चलेंगे जो तुम्हे पसंद हैं।" कबीर ने जवाब दिया और अमायरा यह सुन कर हैरान रह गई।

उसने तो बहुत पहले कबीर को बताया था कि उसे साउथ इंडियन नाश्ता बहुत पसंद है वह भी कब बताया था उसे खुद याद नहीं था। पर कबीर को याद था। उसने याद किया, जबसे वोह यहां आई थी, उसने तो कुछ भी आर्डर नहीं किया था। बल्कि वेटर तो खुद ही एक के बाद एक डिश ला कर टेबल पर रख रहा था। उसने पूछना चाहा था इस बारे में, लेकिन खाना देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और वह सब भूल गई थी। अब जब उसका पेट भर गया था तो उसे एहसास हुआ कि कबीर ने पहले ही उसके लिए यह सब आर्डर कर रखा था। इसका मतलब उसे याद था कि उसे खाने में क्या पसंद है? पर मुझे याद नहीं कि मैंने उन्हें यह सब कब बताया। इसका मतलब कि वह मेरे बारे में सब नोटिस करते हैं जिसके बारे में मुझे पता नहीं?

"यह रेस्टोरेंट मेरे फ्रेंड का है। मुझे उम्मीद है कि तुम्हें खाना पसंद आया होगा। तोह अगर तुम शेफ से मिलना चाहो और उन्हें पर्सनली थैंक्स कहना चाहती हो तो तुम कर सकती हो।" एक बार फिर कबीर की आवाज़ पर अमायरा अपने खयालों से बाहर आई।

"मैं मिल सकती हूं?" क्या ये लोग मुझे एलाऊ करेंगे?" अमायरा ने खुशी से पूछा।

"हां। ज्यादा तर रेस्टोरेंट इज्जाजत देते हैं। बल्कि कहीं कहीं तो शेफ खुद बाहर आके कस्टमर्स से फीडबैक लेते हैं। और तो और अगर तुम चाहो तोह जा कर उनका किचन भी देख सकती हो।"

"क्या? सच में? पर मैं उनका इतना बड़ा किचन देख कर क्या करूंगी?"

"तुम्हे कुकिंग करना पसंद है। शायद वोह देखने के बाद तुम्हारा भी मन कर जाए खुदका रेस्टोरेंट खोलने का।"

"नही। मैं..... मैं नही कर सकती। रेस्टोरेंट खोलना बहुत बड़ी बात है। मुझे नही लगता की मैं इसके लिए काबिल हूं।"

"ऐसा नहीं है। तुम हो काबिल। बस तुम्हे थोड़ा अपनी कला को संवारने और बहुत सारे आत्मविश्वास की जरूरत है।" कबीर ने उसे इनकरेज करते हुए कहा।

अमायरा को कबीर का भेजा हुआ कल का मैसेज याद आ गया फिर उसने जल्दी ही सिर झटक दिया।

"क्या हुआ?" कबीर ने पूछा।

"कुछ नही।"

"चलो फिर चलते हैं। मुझे यकीन है तुम भी किचन देखना अच्छा लगेगा।" कबीर ने उसे जाने का रास्ता दिखाया और अमायरा को ऐसा लगने लगा की वोह एक नई ही दुनिया में आ गई है।

उसने कभी भी इतनी बड़ी रसोई नही देखी थी। अचानक उसे ऐसा लगने लगा की वोह लिलिपुट है और एक जाइंट दुनिया में आ गई है। दूसरे इंसानों को वहां देख कर वोह असल दुनिया में वापिस आई। उसने शैफ को धन्यवाद दिया की इतना अच्छा और स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए और वोह शैफ़ तुरंत ही उसे बताने लगा की वोह कितना घबराया हुआ था क्योंकि मिस्टर मैहरा ने उसे पहले ही कड़क इंट्रक्शन्स दे दिए थे की टेस्ट कैसा चाहिए। उसने बताया की उसके टेस्ट के अकॉर्डिंग पहल उसने एक डोसा बनाया लेकिन मिस्टर मैहरा के इंट्रक्शन के अकॉर्डिंग नही था फिर उसने दूसरा बनाया जो की सॉफ्ट और क्रिस्पी दोनो था। उसने दोनो को क्यूट कपल कह कर कॉम्प्लीमेंट भी दिया। अमायरा ब्लश करने लगी, उसे पता चल चुका था की कबीर ने उसकी पसंद का खाना बनवाने के लिए इतनी मेहनत की थी।

उस शेफ़ ने अमायरा को पूरी किचन का एक टूर कराया और अमायरा सब चीज बहुत अच्छे से देख और समझ रहे थी। नई नई तकनीक और खाने बनाने के स्टाइल को देखकर बहुत खुश हो गई थी। अमायरा ने उनसे कई सवाल पूछे कि बड़े स्केल पर किस तरह खाना बनाया जाता है और उन्होंने खुशी खुशी उसके सभी सवालों का जवाब दिया। कबीर ने भी उनसे कई सवाल पूछे ऑपरेशन से रिलेटेड, लॉजिस्टिक्स रिलेटेड, और फाइनैंशल से रिलेटेड। इस बड़े से किचन में अमायरा बिल्कुल भी बोर महसूस नहीं कर रही थी। कबीर घर में कभी-कभार ही किचन में जाता था और आज अमायरा के लिए इस बड़ी सी किचन में आया था और बहुत ही कंफर्टेबल लग रहा था। माहिरा के लिए यह एक अजीब बात थी। शायद कबीर ने गलत नहीं कहा था कि मैं 1 दिन अपना खुद का रेस्टोरेंट खोल लूं। शायद किसी दिन यह जरूर होगा। जो भी मैं सोचती हूं इन्हे सब कुछ कैसे पता चल जाता है, जो कि मुझे भी नहीं पता होता? देर से नाश्ता करने की वजह से और किचन में दूर करने की वजह से उनकी आधी सुबह तो इसी में निकल गई थी और रेस्टोरेंट्स से बाहर निकलते निकलते अब दोपहर हो चुकी थी। अमायरा का इतना पेट भर चुका था कि उसने कह दिया था कि अब वह सीधा डिनर ही करेगी। अमायरा ने उससे आगे का प्लान पूछा लेकिन कबीर ने मना कर दिया कुछ भी बताने से।



















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