Forgotten sour sweet memories - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 17

पूरे 10 साल बाद 24 अक्टूबर को मैं आगरा पहुंचा था।पहली बार मे अकेला आया और अपनी प्रथम नियुक्ति पर आया था।
न यहां मुझे कोई जानता था ,न ही कोई रिश्तेदारी तब मुझे अचानक निरोति लाल चतुर्वेदी का ख्याल आया।मैने ट्रेन से उतरते ही उनके बारे में पूछा तो मुझे पार्सल में जाने को कहा।वहां उनका नाम लेते ही बाबू ने मुझे बैठाया था।चाय पिलाई और जब नौ बजे निरोति लाल जी आये तो मुझे देखते ही खुश हो गए।
पार्सल आफिस के ऊपर रिटायरिंग रूम था।उसमें मुझे ले गए और वहाँ रहने के लिए कहा।घर से खाना मंगाकर मुझे खिलाया था।
असल मे निरोटिजी एम्प्लाइज यूनियन के आफिस बियरर थे और उनकी आगरा फोर्ट पर तूती बोलती थी।दस बजे एस एस आफिस खुलने पर वह मुझे ले गए।जैन साहब तब चीफ क्लर्क थे।उस समय आगरा फोर्ट कोटा मण्डल में था और यह वेस्टर्न रेलवे में आता था। जैन भी यूनीअन के थे।उस समय आगरा फ़ॉरट पर स्टेेेेेशन मास्टर आर एस वर्मा थे।निरोति लाल ने मेंरी पोस्ट्तीनग छोटी लाइन पार्सल में करा दी।उस समय यहाँ के इंचार्ज जे एस सक्सेना थे।और यहाँ पर मैने करीब सवा साल काम किया था।काम करने के साथ सीखने. को भी मिला।उस समय छोटी लाइन पार्सल में काम बहुत था।अजमेर से अंडे का एक वान रोज आता था।सीजन में टमाटर और हल्द्वानी से लीची आती थी।छोटी लाइन से बड़ी लाइन के लिए माल की अदला बदली के लिए पॉइंट बना हुआ था।सन 1971 में जे एस सक्सेना की कोटा बदली हो गयी।
3दिसम्बर को मुझे 15 दिन के लिए जमुना ब्रिज काम करने के लिए भेज दिया गया।जमुना ब्रिज में बुकिंग आफिस स्टेशन के बाहर है।
मैं जब सामान ले आया था।तब निरोति लाल जी ने मुझे रावली में कमरा दिला दिया था।उस समय उस मकान में कई किरायेदार थे।पर मेरे पड़ोस में दलवीर सिंह जो मेरठ के थे और लोकल ििनतइंटेलिजेंस में थे।रमेश इगलास का रहने वाला था।वह पुलिस में सिपाही था।शाम को हमलोग बैठ कर बाते करते।
अब मैं फिर 3 दिसम्बर पर आता हूँ।मैं आफिस में बैठा काम कर रहा था।तभी आवाजे आयी।मैं बाहर आया उस समय रात ड्यूटी पर मौजूद और भी स्टेसन स्टाफ बाहर आ गया।रोशनी के साथ आवाज आ रही थी।उस दिन रात भर यह दृश्य देखते रहे।और फिर बाद में पता चला कि पाकिस्तान ने हमला कर दिया था।और फिर 4 दिसम्बर को भारत ने पलट वार किया तो पाकिस्तान की कमर तोड़कर रख दी थी।यह लड़ाई लम्बी चली थी।और इस लड़ाई के ही परिणाम स्वरूप पूर्वी बंगाल जो पाकिस्तान का भाग था।पाकिस्तान से अलग होकर बंगला देश बना।और शेख मुजबीर रहमान उस देश के पहले राष्ट्रपति बने।जिनकी बाद में हत्या कर दी गयी।
उस समय भारत की प्रधान मंत्री इंद्रा गांधी थी।अमेरिका उस समय पाकिस्तान का पक्का दोस्त था।उसने भारत को डराने के लिए अपना 7वा समुद्री बेड़ा हिन्द महासागर में भेज दिया था।परंतु इस से इंद्रा गांधी डरी नही।उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने इंद्रा के इस कदम की सराहना की थी।और मैं पन्द्रह दिन तक जमुना ब्रिज स्टेशन पर रहा था।छोटी लाइन पार्सल से मुझे छोटी लाइन बुकिंग में भेजा गया था।उस समय इंचार्ज ओम दत्त मेहता थे।