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दानव द रिस्की लव - 5

आदित्य : कौन अदि... कौन है ये....?

अदिति : भैय्या...ये बताती हूं पहले इसे होश में लाओ ...!

आदित्य : हां...(आदित्य उसपर पानी की छिंटे मारता..)..अदि इसे होश आ रहा हैं... तू बता कौन है ये....?

अदिति : भैय्या... ये पुराने किले वाला लड़का है जिसे मैने उस cage से free किया था....!

आदित्य : (चौंककर)... अदि दूर उससे ...!

अदिति : क्यूं भैय्या... क्या हुआ....?

आदित्य : अदि ..कांची ने क्या बोला था ये पिशाच है....!

अदिति : क्या भैय्या... आप भी न क्या बेकार की बातें कर रहे है... आपको ये पिशाच कैसे लग रहा हैं...!

"‌ आखिर गांववालो ने बना रहे मुझे पिशाच .."

अदिति : संभलकर...!

" रहने दो ...मै उठ जाऊंगा... (अदिति के हाथ का तावीज दिख जाता है...).... ओह ! आपको भी बांध दिया इस धागे से..."

आदित्य : क्यूं इससे क्या हुआ...?
" ये धागा बेकार है... आप नहीं जानते .."

आदित्य : क्यूं बेकार ये बताओगे.....!

" आप दिन नहीं समझोगे... "

आदित्य : हम क्यूं नहीं समझेंगे ..तुम बताओगे तभी तो ...वैसे क्या तुम पिंजरे में बंद थे....!

" हां मैं उस पिंजरे में बंद था.. (रोने लगता है)... "

अदिति : क्या हुआ तुम रो क्यूं रहे हो ...!

" आप मुझे नहीं छु सकती.. "

अदिति : क्यूं नहीं छु सकती...?

आदित्य : अदि हमें देर हो रही हैं अगर ये नहीं बताना चाहता तो कोई बात नहीं हम तुम्हें गांव छोड़ आते हैं...बोलो ..;

" मुझे कैसे छोड़कर आओगे... सब मिलकर मुझे फिर उस पिंजरे में कैद करवा देंगे... इससे अच्छा तो आप मुझे मार दो मैं अब उस पिंजरे में नहीं रह सकता... "

अदिति : तुम्हारे साथ कुछ बुरा हुआ हैं क्या...?

" हां ..आह ..!.."

आदित्य : संभलकर ...!

" आप मुझे नहीं छु सकते... इस धागे की वजह से... "

आदित्य : इसके कारण...!

" हां .."

अदिति : बताओ तो सही क्या हुआ हैं तुम्हारे साथ...!

" सुनना चाहते हो तो मैं बताता हूं.....पर मेरी कहानी सुनने से आप दोनों को जाने के लिए देर हो जाएगी... "

अदिति : भैय्या ...क्या हम इसे घर ले चले ...!

आदित्य भावहीन होकर देखता है...

अदिति : क्या हुआ ...?..बोलो भाई ...!

" मैं जानता हूं आप क्या सोच रहे हैं मैं एक पिशाच हूं ...मेरी बदकिस्मती है.. मेरे बाबा ने बेकार बताया ...उसकी सजा मुझे मिल रही हैं....इसलिए मुझ-पर कोई विश्वास नहीं कर पा रहा है.. "(गामाक्ष लड़खड़ाते हुए चलने लगता है)...

अदिति : भैय्या please...!

आदित्य : रुको ...तुम बताओ अपनी कहानी पहले...!

" ठीक है .."

अदिति : अंदर बैठकर बता दो ...!

आदित्य : हां...! (तीनो car में बैठते हैं)....

" मैं कोई पिशाच नहीं हूं ...मेरा नाम तक्ष है....

मैं मेरे बाबा मां हम तीनो पैहरगढ़ में ही रहते थे... बहुत खुश रहते थे हम तीनो.. मेरे बाबा गांव के वैद्य थे ..सबका बिना कुछ मोलभाव के इलाज करते थे... बाबा और आदिराज काका दोनों अच्छे दोस्त थे..

तभी अदिति बोलती है :...आदिराज... तुम्हारे पापा के दोस्त थे...!

तक्ष : हां..क्यूं क्या आप उन्हें जानते हो.. (अंजान भाव से पुछता है)...!

आदित्य : हां जानते हैं वो हमारे पापा है....!

तक्ष : तो क्या आप दोनों आदिराज काका के बच्चे हो ...!

अदिति : हां...आगे बताओ....!

तक्ष : हां ...बाबा जो मजबूर होते थे उनका इलाज मुफ्त में करते थे.... पर जबसे ये अमोघनाथ गांव में आया हमारे दिन खराब होने गये ...बाबा प्राक्रतिक इलाज करते थे.. और इस अमोघनाथ ने आकर जादू क्रियाएं के सहारे गांव वालों की सारी समस्या को दूर करने लगा.. लोगों को अब बाबा कि दवाइयां अच्छी नहीं लगती थी... पर कारण ये नहीं था.. अमोघनाथ तंत्र विद्या के जरिए लोगों को अपना गुलाम बनाने लगा...बाबा को जब इस बात का पता चला तब बाबा ने सारे सबूत को लेकर गांव वालों को सारी बातें बता दी ..सारे सबूत देखकर गांव वालों ने अमोघनाथ को गांव से निकालने की ठानी पर उस अमोघनाथ ने अपने तंत्र विद्या के जरिए बाबा को एक अधपिशाच का रुप बना दिया... गांव वाले बाबा का रुप देखकर डर गये ...तब अमोघनाथ ने लोगों को भड़का दिया " देखो गांव वालों इसने कहा था , मैं तुम्हें तुम्हें गुलाम बना रहा हूं ..तुम सब खुद देख लो ये अधपिशाच हैं जो लोग मर रहे हैं ..उनकी मौत का कारण बिमारी नहीं हैं , असल में ये उन सबको मारकर खा जाता है.... " बाबा ने सबको समझाया पर किसी ने बाबा की बातों पर विश्वास नहीं किया... और उन्हें मार दिया.. (रोने का नाटक करता है)... पर ये काफी नहीं था , उसे पता था मैं बाबा की मौत का बदला लूंगा इसलिए उसने मुझे भी नर पिशाच बताकर उस पिंजरे में बंद करवा दिया....

आदित्य : पर सब से हमने सुना कि तुम लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर उनकी बली दे देते हो....!

तक्ष : बलि नहीं ऐसा नहीं हैं मैं बताता हूं... जब सब लोगों ने अमोघनाथ की बातों पर विश्वास नहीं किया था कि मैं नरपिशाच हूं क्योंकि किसी का कोई नुकसान नहीं हुआ था इसलिए उसने लड़कियों को मारकर अपनी तांत्रिक क्रियाओं में झोक दिया.. इसका सारा शक मुझ-पर ही आया इसलिए उसने मुझे उस पिंजरे में कैद कर दिया... और सबको अपने इस तावीज से बांध दिया ताकि कोई मुझे आजाद न कर सके ...आदिराज काका ने मुझे उस पिंजरे से मुक्त किया था... पर (चुप हो जाता है....)...

आदित्य : पर क्या.....?

तक्ष : पर उस अमोघनाथ ने आपके बाबा आदिराज काका को ...मरवा दिया...!

अदिति : ये क्या कह रहे हो... (गुस्से में)... पापा को उस अमोघनाथ गांव मरवा दिया....!

आदित्य : तुम सच कह रहे हो ....मां ने तो कुछ नहीं बताया....!

तक्ष : मेरी बात सच है ..आपको विश्वास नहीं होता....!

अदिति : पर मां उसका साथ क्यूं दे रही हैं....?

तक्ष : वो मजबूर है... उस अमोघनाथ की तंत्र विद्या के कारण ....!

आदित्य : मैं उस अमोघनाथ को जिंदा नहीं छोडूंगा अगर ऐसा है तो...!

अदिति तावीज निकालकर फैंक देती है...

आदित्य : अदि ...

अदिति : भैय्या मैं इन सब में believe नहीं करती....

आदित्य : ठीक है अदि....!
अदिति : फिर... हम ऐसे ही बैठे रहेंगे...!

तक्ष : मैं उस अमोघनाथ को खत्म करने के लिए ही ...साधन जुटा लूंगा अगर उसके ...

आदित्य : अगर क्या तक्ष...?

तक्ष : वो मुझे इस गांव में मार देगा नहीं तो उस पर में बंद कर देगा....!

अदिति : तो तुम उसे मार दोगे ....!

तक्ष : हां ...पर मैं इस गांव में रहकर ये सब नहीं कर सकता...!

अदिति : तो तुम हमारे साथ हमारे घर चलो ..क्यूं भैय्या..?

आदित्य : ठीक है तक्ष तुम हमारे साथ चलो ...वैसे भी सम भी बदला लेना चाहते है......मैं आदित्य ये मेरी बहन अदिति..अब हम तुम्हारे साथ है ....!

तक्ष : आपका धन्यवाद....!




………to be continued …………

आदित्य : चलो फिर.....!

तक्ष एक तीखी सी हंसी हंसती है.. वो पीछे बैठा था इसलिए दोनों में से किसी ने भी उसे नहीं देखा....