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दानव द रिस्की लव - 8

….Now on ………




अदिति : भाई अच्छा हुआ आप जल्दी आ गये.....!

आदित्य : ये कैसे हुआ ...?...

अदिति : भैय्या तक्ष बहुत डर गया था....!

आदित्य : किस चीज से और तेरे हाथ में चोट कैसे....?

अदिति : भैय्या वो तो तक्ष के हाथ से कांच का टुकड़ा निकाल रही थी.. तब लग गई.... भैय्या ये उस अमोघनाथ से डर रहा है....!

आदित्य : (तक्ष के पास जाता है....).... तक्ष यहां कोई नहीं है ...!

तक्ष : आप मेरे पास मत आना ....!

अदिति : क्यूं तक्ष ...?

तक्ष : ये तावीज ...ये ही है जो मुझे डरा रहा है..!

अदिति : भैय्या आपने ये तावीज अभी तक पहन रखा है.. आपको पता है न ये हमारे पापा के कातिल ने बांधा है...!

आदित्य : अदि मां ने क्यूं बंधवाया फिर...!

अदिति : भैय्या आपको पता है न मां अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर रही हैं....!

आदित्य : पर अदि...

अदिति : भैय्या आप इसकी जान से खेल रहे हैं.... क्या ये सही है....!

आदित्य : ठीक है अदि.. उतार देता हूं इसे.. (आदित्य तावीज को उतारकर खिड़की से बाहर फेंक देता है....).. अब ठीक है....!

अदिति : हां भैय्या...!

आदित्य : चल नीचे.. मैंने doctor. को call कर दिया था , वो आ गये है....;

अदिति : हां भैय्या... तक्ष चलो नीचे ...!

तक्ष : हां....!

आदित्य : बबिता room साफ कर दो....!

बबिता : जी...!

Doctor अदिति और तक्ष कि पट्टी करके चले जाते है...

आदित्य : देखो तक्ष तुम्हें यहां डरने कि जरुरत नहीं है , तुम यहां बिल्कुल safe हो ...!

अदिति : हां तक्ष भैय्या बिल्कुल ठीक कह रहे हैं....!

आदित्य : चलो अब खाना खा लो..... अदि अपना ध्यान रखा करो.....!

अदिति : हां भैय्या...!

In dinning table.....

आदित्य : तक्ष खाना खाओ.....क्या सोच रहे हो...?

तक्ष : कुछ नहीं आप दोनों कि वजह से मुझे नई जिंदगी मिली है , मैं आपका हमेशा एहसानमंद रहूंगा ...अदिति मुझे माफ कर देना मेरी वजह से आपको चोट लग गई.....!

अदिति : कोई बात नही....तुम खाओगे खाओ ...ताई खाना अच्छा है आज ....!

आदित्य : हां , तेरा favourite जो है....!

अदिति हंस जाती हैं....

After dinner.......

सब सोने के लिए चले जाते है.... पर अदिति को नींद कहां... अदिति परेशान सी balcony में घुम रही थी..

अदिति : विवेक फोन उठा लो.. (Callकरती है)...विवेक इतना rude क्यूं हो रहे हो...please pick up the phone......( तभी तक्ष आता है)...!

तक्ष : आप यहां क्यूं खड़ी है....!

अदिति : ओह ! तुम हो मुझे लगा ताई है..... मुझे नींद नहीं आ रही थी सोचा थोड़ी देर घुम लूं ...तुम क्यूं नहीं सोए ...!

तक्ष : मुझे भी नींद नहीं आ रही थी.. ...!

अदिति : अच्छा... तक्ष एक बात पुछु‌.....!

तक्ष : बेझिझक.....!

अदिति : तुम्हारी मां कहां गई.....?

तक्ष : मैंने आपको बताया था....!

अदिति : नही...!

तक्ष : दरअसल जब बाबा को मार दिया था , तब मां भी उनके गम में रह न सकी और उनका भी देहान्त हो गया... (रोने लगता है)...!
अदिति : i'm sorry तक्ष मैं तुम्हें रुलाना नही चाहती थी....!

तक्ष : आप क्यूं माफि मांग रही हैं , आपने थोड़ी कुछ किया है ..रूलाया तो उस अमोघनाथ ने है उससे ही बदला लूंगा...!

अदिति : हां बिल्कुल बदला लेना... पहले ठीक हो जाओ....!

तक्ष : हां आज तो मैं ठीक ही हूं... (मन में.).. तुम्हारे खुन ने आज की प्यास तो बुझा दी , आगे पता नही क्या करना पड़ेगा अमावस तक ...!

अदिति : कहा‌ं खो गये तक्ष ....!

तक्ष : कही नही... (तभी उबांक और उसकी बातें होती है और अदिति विवेक को call करती है....

उबांक : दानव राज आप असली रुप में आने वाले हैं , इसे यहां से भेज दो...!

तक्ष : इतना समय नही है ..मुझे इसे बेहोश करने पड़ेगा...अदिति (अदिति ध्यान नही देती...)...

अदिति : (विवेक phone उठा लेता है.)...विवेक... प्लीज call cut मत करना....!

विवेक : बोलो क्या बात है...?

अदिति : विवेक इतना rude क्यूं होते हो ...sorry बोला न

विवेक : तुम ये बताओ तीन चार दिन बाद तो हम मिले उसमें भी तुमने जाने कि जल्दी कर दी ....क्यूं....?

अदिति : विवेक बताती हूं.... (तभी सब तरफ धुआं धुआं हो जाती हैं....)... ये क्या है (खांसती है)...

विवेक : क्या हुआ..अदिति..?

अदिति : पता....नही.. (Phone हाथ से छुट जाता है.... खुद भी बेहोश हो जाती हैं....)...

इधर अदिति के अचानक phone cutकरने से विवेक घबरा जाता है....

उबांक : दानव राज ये तो बेहोश हो गई इसे ले चले किले में...!

तक्ष : चुप कर अभी समय नही है... सही समय आने पर मैं इसे ले जाऊंगा... अभी इसे इसके कमरे में छोड़ कर आना है..!

उबांक : अगर ये उठ गई तो.... आपको देखकर डर जाएगी...!

तक्ष : तू चिंता मत कर ये कल सुबह से पहले नही उठेगी...!

उबांक : फिर ठीक है....!

तक्ष : वैसे आदिराज की बेटी है तो बहुत खुबसूरत...!

उबांक : दानव राज इसे भी सब कि तरह ही खत्म करना फिर..!

तक्ष : नही उबांक इसके लिए तो और कुछ है ..बस तुम देखते जाओ...!

तक्ष अदिति को उसके कमरे में छोड़‌ आता है....

दोनों वहां से चले जाते है....

उबांक : वैसे आपको मानना पड़ेगा दानव राज ...आज बहुत अच्छा खेल किया आपने....!

तक्ष : हां उबांक ..अगर ये सब नाटक नही करता तो मुझे ऊर्जा कैसे मिलती ...और साथ ही मुझे अदिति का साथ चाहिए... अगर वो वश में आ गई तब मुझे कोई नहीं रोक सकता.. बस नील अमावस का ही इंतजार है..फिर मैं सब कुछ पा लूंगा... (हंसने लगता....).... आदिराज जो तूने मेरे साथ किया उसका भुगतान तेरी बेटी देगी.....चलो उबांक..!

……….Next morning ……….

आदित्य : बबिता अदि उठी नही होगी अभी …..!

बबिता : नही मालिक …….!

आदित्य : सब उठ जाएंगे पर ये लड़की नही उठेगी.....(in aditi room)....अदि.... उठो...देखो सुबह हो गई कितनी देर तक सोएगी.... उठ अदि.... (अदिति कि तरफ से कोई हलचल नही होती..आदित्य परेशान सा हो जाता है....)... अदि ..क्या हुआ...?... अदि.. हां हूं क्यूं नहीं बोल रही हैं...(सिरहाने पर बैठकर सिर सहलाता है)... अदि ...!

आदित्य की आवाज सुनकर तक्ष भी अंदर आता है...

तक्ष : क्या हुआ...?... आप इतने घबराए हुए क्यूं लग रहे हैं....?

आदित्य : तक्ष ...पता नही अदि उठ ही नहीं रही हैं... पहले तो एक आवाज मैं बस पांच मिनट सोने दो कहती थी , अब कोई reply ही नहीं कर रही हैं....!




………to be continued ………