Secret Admirer - 56 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 56

शायद अपलोडिन करते वक्त कुछ मिस्टेक हो गई थी इसलिए Part 53 अधूरा रह गया। और इस app में आप एडिट भी नही कर सकते। इसलिए Part 53, 54, 55, 56 एकसाथ अपलोड कर रही हूं। अब कुछ नही छूटा। Sorry for inconvenience.


"मैने इतने साल उसकी आंखों की वोह चमक बहुत मिस की। मैं नही जानती की तुम दोनो के बीच यह रिश्ता कहां तक पहुंचा है, लेकिन मैने देखा है की तुम उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर जाति हो। अब मुझे वोह बेबस आदमी नही दिखता जो पहले मेरे पास आया करता था। मैं अब उस आदमी को देख रहीं हूं जो एक बार अपनी जिंदगी पूरी तरह से खो चुका था वोह अब फिर से उठने लगा है, जिंदगी जीना फिर से सीखने लगा है। मेरी तुमसे यही इल्तिजा है की हमेशा उसके साथ रहना। उसे तुम्हारी जरूरत है। और उसकी आंखों में देख कर मुझे यह एहसास होता है की वोह तुमसे बेइंतीहा मोहब्बत करता है। मैं जानती हूं की अगर महिमा भी हमें देख रही होगी, तोह वोह बहुत खुश हो रही होगी कबीर के लिए, की उसे तुम मिल गई। अल्लाह तुम दोनो को हमेशा खुश रखे।" उस बूढ़ी औरत ने अमायरा को दुआएं दी और अमायरा का गला मानो चोक हो गया ही। वोह कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।

उसने सोचा भी नही था की यह डिनर इस तरह से खत्म होगा। रास्ते भर कबीर अमायरा से पूछता रहा की की महिमा की अम्मी ने उस से क्या कहा और वो बात टालती रही। वोह नही जानती थी की क्या बताए उसे। पहले तोह उसे बहुत गुस्सा आ रहा था कबीर पर की उन दोनो के शादी को लेकर जो समझौता हुआ था वोह महिमा की अम्मी को भी पता है, जबकि उन दोनो के अपने घरवालों को नही पता। लेकिन बाद में महिमा की अम्मी की बातें सुन ने के बाद उसे यह एहसास हुआ की कबीर उन्हे कितना अपना मानता है की उन्हे उसने यह समझाया की वोह उनकी बेटी को पीछे छोड़ कर क्यों आगे बढ़ रहा है। जो भी आज रात महिमा की अम्मी ने कहा था उस से वोह सब याद करते हुए अब अमायरा का सिर चकराने लगा था। उन्होंने उस से कहा था की अब कबीर खुश रहने लगा है, उसे उस की ज़रूरत है, और वोह उस से बहुत करता है।

वोह जानती थी की कबीर पहले के मुताबिक अब कुछ शांत था। कल की घटना ने, जब कबीर और वोह महिमा के शोक सभा में आए थे, अमायरा को यह यकीन दिला दिया था की कबीर को उसकी जरूरत है, वोह चाहता है की अमायरा हर कदम पर उसके साथ खड़ी रहे। पर क्या वोह सच में तैयार है, यह यकीन करने के लिए की कबीर उस से सच में बहुत प्यार करता है? की बाद में कबीर को आगे चल कर कोई पछतावा नहीं होगा की उसने सम्मोह को प्यार समझ लिया। और अपनी गलती रियलाइज होते ही वोह उसे छोड़ नही देगा। क्या वोह तब इस बात को बर्दाश्त कर पाएगी? क्या वोह सह पाएगी? यह तोह पक्का था की कबीर हर दिन, हर पल उसके नज़दीक बढ़ रहा है पर क्या वोह खुद तैयार है उसकी तरफ एक कदम बढ़ाने के लिए?
उसके एक भी सवाल का जवाब उसे नही पता था और ना ही वोह जानती थी की इसका हल कैसे ढूंढा जाए। वोह बस इतना जानती थी की वोह अब उस से दूर एक पल के लिए भी नही रह सकती थी। पर वोह यह नही जानती थी जो एहसास उसके अंदर उमड़ रहें हैं उसे क्या नाम दे, जो वोह उसके लिए महसूस करने लगी थी।
तभी उस के कानों में गाड़ी में बज रहे गाने की आवाज़ पड़ी। उसने महसूस किया की गाने के बोल उसकी व्यथा पर बिलकुल फिट बैठते हैं।
तभी उस के कानों में गाड़ी में बज रहे गाने की आवाज़ पड़ी। उसने महसूस किया की गाने के बोल उसकी व्यथा पर बिलकुल फिट बैठते हैं।

प्यार कोई बोल नही....

प्यार आवाज़ नही...

एक खामोशी है....

सुनती है कहा करती है...

सिर्फ एहसास है ये....

रूह से महसूस करो...

प्यार को प्यार रहने दो....

कोई नाम न दो...


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अगली सुबह शनिवार का दिन था। आज तोह अमायरा कबीर के उठने से पहले ही उठ चुकी थी। आज अमायरा बहुत एक्साइटेड थी की आज कबीर के साथ बाहर जाने के लिए जबकि उसे आज के कबीर के प्लान के बारे में कुछ नही पता था पर फिर भी वोह बहुत एक्साइटेड हो रही थी। अजीब बात थी पर यह सत्य थी।
कुछ देर बाद कबीर उठा। उसने देखा अमायरा पहले से ही उठी हुई है और सोफे पर बैठी हुई है। वोह अपना चॉकलेट मिल्क पी रही है और कबीर को देखे जा रही है। कबीर तोह सरप्राइज्ड ही हो गया उसे उस से पहले उठे हुए देख कर। सबसे पहले तोह अमायरा लेज़ी गर्ल है, मतलब की कामचोर नही बल्कि देर से उठने वाली लड़की। अब कबीर हैरान नही होगा तोह क्या होगा। माना की दो दिन पहले भी वोह सुबह जल्दी उठ रही थी लेकिन सिर्फ इसलिए क्योंकि उसे यह एहसास हो जाता था की कबीर भी उठ चुका है। पर अब तो वो खुद सो रहा था। अगला झटका उसे तब लगा जब उसकी नज़र अमायरा के बथरोब पर गई जो इस बात की पुष्टि कर रहा था की अमायरा नहा भी चुकी है। अब तोह सच में हैरत की बात थी।

"गुड मॉर्निंग।" अमायरा ने चहकते हुए विश किया।

"गुड मॉर्निंग!" कबीर ने उठ कर बैठते हुए कहा।
"तुम इतनी सुबह सुबह क्यों नहा ली?"

"हम आज कहां जा रहें हैं? और मैं आज क्या पहनूं?" अमायरा ने कबीर का सवाल अनसुना कर नया सवाल पूछ दिया। कबीर मुस्कुरा पड़ा था अमायरा की जिज्ञासा देख कर।

"ऊंह.....एक्चुअली इस बार मैंने कुछ प्लान नही किया था। पिछले दो तीन दिन से में कुछ परेशान था। मैं इस स्तिथि में नही था की कुछ प्लान कर पाऊं। आई एम सॉरी। पर तुम बताओ, की कहीं तुम कोई स्पेशल जगह जाना चाहती हो? जहां तुम कहोगी हम वहां चलेंगे।"

"ओह....ओके कोई बात नही। हम फिर कभी चले जायेंगे। आप आज आराम कीजिए।" अमायरा ने कहा। उसे थोड़ा दुख तोह हुआ था, थोड़ी निराशा हुई थी। और साथ ही वोह खुद से थोड़ी हैरान भी थी। की वोह इतनी बेसब्र क्यों हुई जा रही है कबीर के साथ डेट पर जाने के लिए? क्यों उसे इंतजार था कबीर के साथ वक्त बिताने के लिए?

"क्या? नही। अगली बार नही। हम आज ही जायेंगे। ओके तुम एक काम करो, एक दिन के लिए अपना समान बांध लो। हम तैयार होते ही निकल जायेंगे।" कबीर ने बैड पर से उठते हुए कहा।

"पर कहां?"

"तुम जानती हो। यह पिछली बार की तरह एडवेंचरस तोह नही होगा लेकिन एक शांत जगह जहां सिर्फ तुम होगी और मैं।" कबीर ने अंगड़ाई लेते हुए कहा और अमायरा उसे समझने की कोशिश करने लगी।

"वैसे एक बात बता दूं। तुम्हारे लिए एक हिंट दे देता हूं। की वहां एक बीच होगा। तोह उस हिसाब से अपने कपड़े और जूते रख लेना जैसा तुम्हे पहन ना पसंद हो। और तुम ब्रेकफास्ट यहां करना चाहोगी या कहीं और?"

"नही। हम आज फैमिली के साथ ही नाश्ता करते हैं। मॉम को और सुमित्रा मॉम को अच्छा लगेगा अगर हम सभी साथ में नाश्ता करे तोह। पर एक बात बताइए हर बार यह सिक्रेसी क्यों?" अमायरा किसी बच्चे की तरह इरिटेट हो रही थी।

"क्योंकि मुझे तुम्हे सर्प्राइज देना पसंद है। नाउ पैक यौर बैग। हमें एक घंटे में निकलना है। और अब हम कल रात को ही वापिस आयेंगे।" कबीर ने वाशरूम की तरफ बढ़ते हुए कहा।
"बाय द वे, यह बहुत बेकार सा गुड मॉर्निंग विश किया था तुमने मुझे, वोह भी उस इंसान को जो अपनी पत्नी के प्यार के लिए मरा जा रहा है। अगर तुम्हे नही आता, तोह कम से कम मुझी से कुछ सीख लो, याद करो कैसे मैं तुम्हे रोज़ सुबह उठता हूं।" कबीर ने फ्लाइंग किस अमायरा की तरफ उड़ाई और वाशरूम में चला गया। इधर अमायरा मुस्कुरा पड़ी। अच्छा हुआ कबीर पहले ही वाशरूम में घुस चुका था और वोह अमायरा की मुस्कुराहट और उसका शर्माना नही देख पाया। वोह शर्मा रही थी यह सोचते हुए की कबीर उस से क्या करने को कह रहा था। लेकिन ज्यादा शर्माने का उसके पास समय नहीं था। वोह तुरंत उठी और एक घुटनो तक की फ्लोरल ड्रेस पहन ली। यह याद करते हुए की जहां वोह जा रहें हैं वहां बीच भी है। उसने अपना और कबीर का सामान भी पैक किया और तुरंत नीचे आ गई सुमित्रा मॉम की ब्रेकफास्ट में हेल्प करने। थोड़ी देर बाद कबीर भी नीचे उतर आया। वोह अमायरा को इस ड्रेस में देख कर खुश हो गया था। जबसे उसने कबीर की दी हुई ज्वैलरी वाली गिफ्ट पहन ने से मना कर दिया था तब से कबीर को बुरा लगता था की अमायरा उसका दिया हुआ गिफ्ट यूज नही करती है। वोह चाहता था की अमायरा उसके दिए हुए गिफ्ट्स यूज करे। और आज जब वोह उसकी लाया हुआ एक ड्रेस पहने हुई है तोह कबीर को बहुत अच्छा लग रहा था। उसे सुकून सा मिला था। पूरी फैमिली डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई हमेशा की तरह एक दूसरे से मज़ाक करने में लगी हुई थी। जैसे ही कबीर ने अपनी मॉम को बताया की वोह और अमायरा एक दिन के लिए कहीं बाहर जा रहें हैं , सब के कान खड़े हो गए थे। वोह सभी कबीर को छेड़ने के लिए उत्सुक हो गए थे क्योंकि आज कल कबीर काफी सीक्रेट ट्रिप्स करने लगा था।

"डेट इस नॉट फेयर भईया। मेरी शादी में एक महीने से भी कम समय बचा है। और आप मुझ पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे हो। आप हमेशा ही अपनी ट्रिप्स में बिज़ी रहते हो।" साहिल ने चिढ़ाते हुए कहा।

"मैं तुम्हारी शादी पर क्यों ध्यान दूं? जब मेरी अपनी शादी हो चुकी है और मुझे उस पर ध्यान देना चाहिए। और साथ ही तुम सब मेरी पत्नी को आज कल बहुत परेशान करने लगे हो, उस से वोह सारा काम करवा कर जो आइडियली वैडिंग प्लैनर को करना चाहिए था, जो बिना कोई काम किए हमसे एक मोटी रकम वसूल रहा है। अमायरा को अब बहुत आराम की जरूरत है।" कबीर ने करकर्ष भरी आवाज़ में दो टूक जवाब दे दिया। और उसकी बात सुन कर अचानक ही अमायरा की नज़रे नीची हो गई मानो जैसे की प्लेट का डिजाइन अचानक उसे काफी पसंद आ गया हो और नज़रे प्लेट से हट ही नहीं रही हो।

"कम ऑन भाई, साहिल इस राइट। आज कल आप कुछ ज्यादा ही बिज़ी रहने लगे हो। वैसे आप दोनो जा कहां रहें हैं?" इशान साहिल के सपोर्ट में बोल पड़ा।

"क्या मैने तुमसे पूछा था की तुम अपने एक महीने के लंबे हनीमून पर कहां कहां गए थे?" कबीर अपने भाइयों के सवालों से तंग आ चुका था। वोह इरिटेट हो रहा था की उसके दोनो भाई बिना वजह अपनी टांग अड़ा रहे हैं उस मैटर में जो पहले से ही कबीर के लिए काफी सेंसिटिव था।

"क्योंकि उस समय मैं अपने हनीमून पर था। आप बता दो हमे की यह आपका हनीमून है। हम फिर बिलकुल तंग नहीं करेंगे।" इशान ने कहा और पूरी फैमिली एक दूसरे से फुसफुसाने लगी।

"तुम्हे यह याद दिला दूं इशान की मैं अभी भी तुम्हारा बड़ा भाई हूं।" कबीर ने उसे घूरते हुए कहा और अमायरा को मन कर रहा था की यहां से कैसे भाग जाऊं बिना किसी की नज़र में आए।

"वोह सही कह रहा है। वोह तुम्हारा बड़ा भाई है। तुम दोनो उसकी टांग खींचना बंद करो।" सुमित्रा जी ने अपने दोनो छोटे बेटों को फटकार लगाई। "और वैसे भी तुम दोनो को क्या प्रॉब्लम है, अगर वोह अपनी वाइफ के साथ बाहर जा रहा है?"

"थैंक यू मॉम। यह दोनो जितना बड़े हो रहें हैं उतना ही शरारती भी होते जा रहें हैं।" कबीर को राहत मिली थी की समय पर उसकी मॉम ने उसकी मदद कर दी।

"हम बस पूछ ही तोह रहे थे की यह दोनो कहां जा रहें हैं। आपको हमें बताने में प्रॉब्लम क्या है, अगर यह आपका हनीमून नही है तोह, और अगर है भी तोह बहुत छोटा है, क्योंकि आप तोह कल ही वापिस आ रहें हैं।" साहिल एक बार फिर कूद पड़ा था। वोह अभी भी बाज़ नही आ रहा था।


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कहानी अभी जारी है...
प्लीज डू लाइक्स एंड कॉमेंट


"हम बस पूछ ही तोह रहे थे की यह दोनो कहां जा रहें हैं। आपको हमें बताने में प्रॉब्लम क्या है, अगर यह आपका हनीमून नही है तोह, और अगर है भी तोह बहुत छोटा है, क्योंकि आप तोह कल ही वापिस आ रहें हैं।" साहिल एक बार फिर कूद पड़ा था। वोह अभी भी बाज़ नही आ रहा था।

"तोह, क्या प्रॉब्लम है अगर यह उसका हनीमून है भी तोह? क्या तुम दोनो जल्द से जल्द चाचा नही बनना चाहते?" सुमित्रा जी ने साहिल की तरफ घूरते हुए कहा और अमायरा एंबारस फील करने लगी। वोह और ज्यादा एंबारस तब महसूस करने लगी जब सबकी नजरों से बच कर कबीर ने चाचा वाली बात पर अमायरा की तरफ देख कर आंख मार दी थी।
"मैं तोह बेसब्र हुई जा रही हूं दादी बनने के लिए और कबीर के बच्चों को देखने के लिए। इशान के पास तोह अभी टाइम है क्योंकि वोह कबीर से छोटा है। अभी कबीर और अमायरा की बारी है हमे बच्चा देने की जिसके साथ हम सारा दिन खेलते रहेंगे।"

सुमित्रा जी बाते की जा रही थी। वोह अपनी खुशी जाहिर कर रही थी की यह दोनो अपनी शादी, अपने रिश्ते को एक चांस दे रहें हैं। और जब एक बार वोह उसके बच्चों को देख लेगी तो वो और बाकी बड़े यानी की इंद्रजीत जी और नमिता जी तीनो मिलकर चार धाम की यात्रा पर चले जायेंगे। यही सोच कर कबीर और अमायरा ने अपने बीच सारी इश्यूज को सॉट आउट कर लिया है और हर मायने में अपनी शादी शुदा जिंदगी अच्छे से निभा रहे हैं। कबीर की नज़रे हटती नही थी अमायरा से, वोह रोज़ उसे अनाथ आश्रम से लेने जाता था। उसे मंदिर लेकर जाया करता था। उसके साथ बाहर घूमने जाता था। उसके साथ वक्त बिताता था। यह सब चीज़े देख कर घर के सभी लोगों को लगने लगा था वो दोनो आगे बढ़ रहें हैं। अपनी शादी को एक चांस दे रहें हैं। फिलहाल अमायरा और कबीर इस मूड में नही थे की घर वालों की गलतफेमी को दूर करे। क्योंकि इससे उन्हें फिर एंबारिसिंग सिचुएशन को फेस करना पड़ता और एक नया विवाद शुरू हो जाता वोह अलग। किसी तरह वह दोनों वहां से निकले और अपनी कार में जा कर बैठे थे। उसके बाद ही अमायरा ने सांस ली थी।

"अब मुझे जानना है की हम कहां जा रहें हैं?" अमायरा ने फिर से पीछे पड़ते हुए पूछा जब उन्होंने काफी सफर तै कर लिया था।

"क्या तुम्हारे पास थोड़ा सा भी सब्र नहीं है?"

"नही। मुझे अभी बताइए।" अमायरा उनसे गुस्सा हो रही थी उसके लिए जो कबीर ने नाश्ते के वक्त उस के साथ किया था लेकिन वोह बता नही सकती थी क्योंकि कबीर फिर उसे इस बात पर चिढ़ाने लगता।

"ठीक है, हम अलीबाग जा रहें हैं। मेरे एक दोस्त का फार्म हाउस है वहां पर। उसने मुझे कितनी बार कहा है की मैं जब चाहूं उसका फार्म हाउस यूज कर सकता हूं। तोह आज मैने उसको सुबह फोन किया था और सारी तैयारियां करवा दी। तुम वहां कभी भी नही गई हो तोह सोचा की तुम्हे मैं वहीं ले चलूं। वोह बीच के पास ही है, तुम्हे पसंद आएगा।"

"पर हम वहां क्या करेंगे? और कौन होगा वहां पर?" अमायरा ने पूछा, वोह कन्फ्यूज्ड हो गई थी वोह दोनो वहां क्यों जा रहें हैं।

"कोई नही। बस एक केयरटेकर है। और किसे बुलाना चाहती हो तुम वहां पर?" कबीर ने मज़ाक करते हुए कहा।

"केयर टेकर। ओके। क्या वोह पूरा दिन वहां रहता है?" अमायरा ने पूछा। अचानक ही वोह घबराने लगी थी अपने आप को कबीर के साथ अकेले दो दिनों तक सोच कर। आज सुबह डाइनिंग टेबल पर जो बाते हुई थी वोह सब उसे याद आने लगी थी।

"नही। वोह सिर्फ खाना बनाएगा, सफाई करेगा और चला जायेगा अपने कॉटेज में जो उसी फार्म हाउस के एरिया में ही है घर के दूसरे हिस्से से थोड़ी दूरी पर है। पर अगर तुम चाहती हो की वोह वहीं रुक तोह हम उसे रोक लेंगे। मुझे लगा था की तुम्हे मेरे साथ वक्त बिताने में ज्यादा इंटरेस्ट होगा ना की केयर टेकर का टाइम टेबल जानने में।" कबीर ने चिढ़ाते हुए कहा।

"हुन्ह्ह्ह.... हां हां ओके।" अमायरा ने हड़बड़ाते हुए कहा। वोह कुछ सोच ही नही पाई।

ज्यादा सोचना बंद करो अमायरा। तुम तो जानती हो कबीर को। तुम उसके साथ एक ही कमरे में कितने महीनो से रह रही हो। तोह आज क्या अलग हो गया?
पर इन्होंने सुबह डाइनिंग टेबल पर मुझे आंख क्यों मारी थी? एस्पीशियली तब जब सुमित्रा आंटी ने कहा था की वोह हमारा बच्चा देखना चाहती हैं। क्या यह भी ऐसा ही सोच रहें हैं? यही वजह है की यह चाहते हैं की हम दोनो अकेले रहें?
छी छी छी मैं यह सब क्या सोच रहीं हूं? वोह तोह जेंटलमैन हैं, बहुत अच्छे हैं। वोह ऐसा कुछ नही करेंगे जो मुझे नही चाहती या फिर नही पसंद।
पर हम ऐसी जगह जा ही क्यों रहें हैं, जहां कोई भी नही है? अगर हूं फॉर्महाउस पर आना था, तोह फैमिली के साथ क्यों नही आए? इससे हम सब की एक छोटी सी पिकनिक भी हो जाती।
ओह मैने सुबह क्यों इन्हे याद दिलाया की हमे कहीं बाहर जाना है? कितनी बेवकूफ हूं मैं।

"क्या ओके। तुम क्या सोच रही हो?" कबीर की आवाज़ से अमायरा का ध्यान भंग हुआ।

"क्या, कुछ नही। मुझे ऐसा लग रहा है की मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है।" उसे कुछ और नही सुझा तोह यही बोल दिया और कबीर ने यह सुनते ही अचानक ही गाड़ी रोक दी।

"तबियत ठीक नहीं लग रही? क्या हुआ है?" कबीर ने पूछा। वोह परेशान हो गया था उसकी खराब तबीयत सुन कर।

"मुझे लग रहा है शायद फीवर है।" अमायरा ने झूठ बोला और कबीर अपना हाथ लगा कर उसका माथा चेक करने लगा।

"मुझे नही लगता। यह तोह नॉर्मल है।" कबीर ने चेक करने के बाद कहा।

"ओह.....शायद नही। मुझे कुछ अजीब लग रहा है। उल्टी जैसी आ रही है। ऐसा अक्सर मेरे साथ होता है जब मैं पैसेंजर सीट पर बैठती हूं।"

"क्या? यह कब शुरू हुआ? हम तोह कितनी सारी जगह पर गाएं हैं , तुमने आज तक कभी कोई कंप्लेंट नही की।"

"हां। यह अभी शुरू हुआ है।"

"ओके। यह शायद सफर की वजह से हुआ है। होता है कभी कभी, पर अब तुम्हे क्या चाहिए? लेमन सोडा? कोई दवाई?" कबीर ने पूछा।


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कहानी अभी जारी है...


"तबियत ठीक नहीं लग रही? क्या हुआ है?" कबीर ने पूछा। वोह परेशान हो गया था उसकी खराब तबीयत सुन कर।

"मुझे लग रहा है शायद फीवर है।" अमायरा ने झूठ बोला और कबीर अपना हाथ लगा कर उसका माथा चेक करने लगा।

"मुझे नही लगता। यह तोह नॉर्मल है।" कबीर ने चेक करने के बाद कहा।

"ओह.....शायद नही। मुझे कुछ अजीब लग रहा है। उल्टी जैसी आ रही है। ऐसा अक्सर मेरे साथ होता है जब मैं पैसेंजर सीट पर बैठती हूं।"

"क्या? यह कब शुरू हुआ? हम तोह कितनी सारी जगह पर गाएं हैं , तुमने आज तक कभी कोई कंप्लेंट नही की।"

"हां। यह अभी शुरू हुआ है।"

"ओके। यह शायद सफर की वजह से हुआ है। होता है कभी कभी, पर अब तुम्हे क्या चाहिए? लेमन सोडा? कोई दवाई?" कबीर ने पूछा।

"नही। मैं ठीक हो जाऊंगी अगर घर पर आराम करूं तोह।"

"घर? घर तोह अब बहुत दूर है। हम आधे घंटे में फार्म हाउस पहुंच जायेंगे। तुम वहां आराम कर सकती हो। मुझे यकीन है तुम्हे वहां अच्छा लगेगा। वोह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है, जहां सी बीच के साथ साथ बहुत ही ग्रीनरी भी है।" कबीर ने मनाने की कोशिश की और अमायरा जानती थी वो अब ना नही कह सकती। उसने अभी भी अपनी लास्ट ट्रिक अजमाने की कोशिश की।

"क्या मैं ड्राइव करूं? मुझे लगता है की मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं ड्राइव करूं तोह।"

"हां हां क्यों नहीं। अगर इससे तुम्हे अच्छा लगेगा, तोह चलाओ।" कबीर ने कहा और वो गाड़ी से उतर गया। दोनो ने तुरंत ही अपनी सीट एक्सचेंज कर ली। कबीर ने उसे आगे जाने का रास्ता बताया और फिर सीट पर रिलैक्स हो गया। अमायरा ने गाड़ी स्टार्ट की और बहुत धीरे धीरे चलाने लगी।

कबीर ने उस से पूछा था की वोह इतना धीरे क्यों गाड़ी चला रही है, तोह उसने यह कह कर जवाब दिया की उसने शादी से पहले गाड़ी आखरी बार चलाई थी और वो भी बहुत पुरानी गाड़ी थी। और यह एक नई एक्सपेंसिव गाड़ी है, इसलिए वोह डर रही है गाड़ी चलाने में। कबीर ने उस से कहा भी की वोह चिंता ना करे और थोड़ा तेज़ चलाए। लेकिन अमायरा फिर भी कछुए की चाल से ही गाड़ी चला रही थी। उसने कुछ गलत टर्न भी लिए थे और आखिर कार वोह दोनो पहुंच ही गए थे लेकिन दो घंटे बाद। पूरे रास्ते कबीर उसे धैर्य से ही रास्ता समझता रहा। अमायरा को अपने ऊपर गर्व महसूस हो रहा था की उसने खतरे को दो घंटे देर किया। पर अब तोह वोह दोनो उस जगह पहुंच चुके थे और अमायरा को समझ नही आ रहा था की वोह क्या करे।
उनको पहुंचते पहुंचते दुपहर हो चुकी थी, इसलिए अब तक अमायरा को भूख लग चुकी थी। हालांकि जितना वोह कबीर के साथ यहां अकेले रहने में घबराई हुई थी, उस से उसे अपनी भूख पर ज्यादा कुछ ध्यान नही जा रहा था लेकिन पेट ने जो भूख से गुड़गुड़ किया उस से वोह और कबीर दोनो समझ चुके थे की अमायरा को भूख लगी है।

"हम बिलकुल सही समय पर पहुंचे हैं। बाबू लाल ने अब तक खाना बना दिया होगा। तोह फिर तुम पहले खाना खा लेना फिर हम थोड़ी देर सो जायेंगे। मैं बहुत थक गया हूं इस सफर से।" कबीर ने पहले अमायरा की तरफ के साइड का गाड़ी का दरवाज़ा खोला और फिर कहा। क्योंकि अभी तक अमायरा ने गाड़ी का दरवाज़ा नही खोला था, वोह डर रही थी बहुत गाड़ी में से बाहर आने से।

सोना। सोना? क्या इन्होंने अभी सोने के लिए कहा? ओह माय गॉड
रिलैक्स अमायरा। इन्होंने तुम्हे सिर्फ खाना खाने और फिर सोने के लिए कहा है।


अमायरा गाड़ी से उतर बाहर आई और अपने आस पास देखने लगी। उसे यह जगह एक्चुअली पसंद आ गई थी। दो स्टोरीज का बहुत सुंदर सा घर था जिसके बाहर बेहद खूबसूरत और बहुत बड़ा गार्डन था। किनारे किनारे एक लाइन से बहुत खूबसूरत फूलों के पौधे लगे हुए थे और उस पूरी जगह की बाउंड्री पर बड़े बड़े पेड़ लगे हुए थे लाइन से। और साथ ही उसे पानी की लहरों की आवाज़ भी सुनाई पड़ रही थी लेकिन समुंद्र दिखाई नही दे रहा था। जो खतरा उसे रास्ते भर महसूस हो रहा था वोह खतरा अब भी महसूस कर रही थी लेकिन उसके बावजूद भी वोह यहां आ कर अपने घर जैसा महसूस कर रही थी। सुकून भरा वातावरण था।

"चलो अंदर चलते हैं। तुम बाद में यह गार्डन निहार लेना।" कबीर ने हल्के से उसकी पीठ पर अपना हाथ रखा उसे अंदर ले जाने के लिए और अमायरा तुरंत घबरा गई।

वोह दोनो घर में घुसे। केयर टेकर ने उनका बहुत प्यार और सम्मान से वेलकम किया और बताया की खाना तैयार है। वोह जब कहेंगे खाना सर्व हो जायेगा। कबीर ने उसे जाने के लिए कह दिया था और कहा था की वोह अब डिनर के टाइम पर ही वापिस आए। कबीर ने उस से यह भी कह दिया था की वोह खाना खुद सर्व कर लेंगे इसलिए रात डिनर से पहले उसकी कोई जरूरत नही है। इन सभी बातों के बीच अमायरा अपनी ही दुनिया में गुम थी। वोह अलग अलग संभावित घटनाओं का अंदाजा लगा रही थी की उसे साथ अब क्या क्या हो सकता है। और सोच सोच कर डरे जा रही थी।
कबीर और अमायरा ने बाबू लाल के जाने के बाद लंच किया और फिर कबीर उसे फर्स्ट फ्लोर पर बने बेडरूम में ले गया और आराम करने के लिए कहा। कुछ ऑफिस से कॉल्स आने लगे थे और जरूरी इश्यू था इसलिए कबीर उस से यह कह गाया की ऑफिस में कुछ कॉल्स करके और इश्यूज सौट आउट करके वोह जल्दी वापिस आ जायेगा। जैसे ही कबीर कमरे से बाहर गया, अमायरा रिलैक्स हो गई और बैड पर कूद पड़ी। जब वोह सो कर उठी तोह दो घंटे बीत चुके थे और उसने महसूस किया की कबीर उसके बगल में ही सो रहा है। कबीर का एक हाथ अमायरा की कमर पर सोफ्टली रखा हुआ था और कबीर सोते हुए अमायरा को बहुत की क्यूट लग रहा था। उसने उन ख्यालों को अपने दिमाग से झटका जो वोह सुबह से सोचे जा रही थी और बैड से उठ खड़ी हुई। वोह उठ कर सीधे बालकनी में गई और उसे वहां से समुंद्र दिखाई पड़ गया। उसने नीचे गार्डन की तरफ देखा तोह बहुत सुंदर दिखाई पड़ रहा था। समुंद्र का नज़ारा और गार्डन का नज़ारा देख कर उसका मन खुश हो गया और मन ही मन कबीर का शुक्रिया करने लगी की वोह उसे यहां ले कर आया।
कबीर थोड़ी देर बाद उठा और उसे नीचे गार्डन में ले गया। गार्डनर वहां पौधों में पानी डाल रहा था और अमायरा ने उस से हजारों सवाल पूछ दिया पेड़ पौंधों के बारे में। कौन कौन सी सब्जियां उस ने यहां उगाई है और कितने तरफ के फूल हैं यहां। उसने छोटे से किचन गार्डन से कुछ सब्जियां तोड़ी और किचन में रख दी केयर टेकर के लिए ताकि वोह इसे रात को डिनर के लिए इस्तेमाल कर ले। वोह दोनो फिर समुंद्र किनारे गए और अमायरा वहां नंगे पैर भागने लगी जैसे वोह बचपन में खेलती थी अपने पापा के साथ।
जब वोह दोनो समुंद्र से वापिस आए तो एक बार फिर अमायरा को भूख लग गई और थैंक गॉड की केयर टेकर ने पहले से ही खाना रेडी कर रखा था। उन्होंने खाना खाया और फिर कबीर के ऑफिस की बातें करने लगे। अमायरा ने उस से पूछा की वोह एस अ फाइनेंस हेड क्या काम करते हैं, वोह जो की उसने आज से पहले कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था। कबीर ने उस से उसके अनाथ आश्रम के बारे में पूछा और उसके बारे में जो उसे रिसेंटली पता चला था की अमायरा के डांस टीचर बनने के बारे में जो अनाथ आश्रम के बच्चों को आज कल डांस सीखा रही थी। उसने उस से साहिल की शादी और वैडिंग प्लैनर की बातें की। कबीर ने उस से यह भी पूछा की उसने एमबीए करने का क्यों डिसाइड किया, भले ही उसे स्कॉलरशिप मिली थी, जबकि वोह कोई भी कॉरपोरेट जॉब करने की प्लानिंग नही कर रही है। इसके बदले उसे होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहिए था क्योंकि उसका इंटरेस्ट उसी में है। अमायरा ने कबीर के इस सवाल को टाल दिया क्योंकि उसे अपना कितना अच्छा मूड खराब नही करना था क्योंकि इस से बात आगे बढ़ती और एक हैवी कन्वर्सेशन होता फिर।
अमायरा ने एक बार फिर कबीर से समुंदर के पास जाने की इच्छा जताई तोह कबीर ने यह कह कर मना कर दिया की यहां रात में समुंदर के पास जाना डेंजरस हो जाता है और अथॉरिटीज ने भी रात में जाने के लिए मना किया हुआ है। अमायरा को थोड़ी निराशा तोह हुई लेकिन उसके पास कोई ऑप्शन भी नही था। फिर वोह दोनो गार्डन में बने एक झूले में बैठ गए और बाते करने लगे। वोह तब वहां से उठ कर गए जब दोनो ही हाफी पर हाफी लिए जा रहे थे।
अगले दिन अमायरा और कबीर खिली खिली सुबह की तरह एक दम फ्रेश उठे। बीते कल की तरह ही अमायरा ने आज भी वैसा ही क्या। वोह समुंदर किनारे थोड़ी देर खेली, गार्डन में घूमी, ताज़ी ताज़ी सब्जियां तोड़ी वापिस घर ले जाने के लिए, और ताज़ी फूलों से उसने शिव पार्वती के लिए माला बनाई ताकी शाम को उनकी पूजा कर उन्हे अर्पित कर सके। और कबीर पूरे समय उसके आस पास ही रहा। अमायरा को छोटी छोटी चीज़े करते देख उसे अच्छा लग रहा था, वोह एंजॉय कर रहा था। जो की अमायरा ने कभी नही सोचा था की कबीर उसके लिए यह सब भी करेगा। अभी वोह जानती थी की कबीर कितना बिज़ी इंसान है और उसका एक एक पल कितना कीमती है पर फिर भी वोह आज उसके साथ पालक मैथी तोड़ रहा था क्योंकि अमायरा ने उस से कहा था की जब वोह घर जायेंगे तो वो सबके लिए पालक के पकोड़े बनाएगी और मैथी उसके डायबिटिक ससुर जी के लिए फायदेमन है। इस वक्त कबीर एक टी शर्ट और जोगर्स पहने बैठा था जिसके पूरे कपड़ों पर इधर उधर मिट्टी लगी हुई थी। इस वक्त वोह बिलकुल अलग लग रहा था जैसा अमायरा उसे रोज़ देखती थी अपने एक्सपेंसिव सूट बूट में ऑफिस जाते वक्त। और वोह इंसान इस वक्त उस से यह पूछ रहा था की कौनसी पत्तियां बड़ी और अच्छी रहेंगी तोड़ने के लिए और अमायरा उसे देख मुस्कुरा पड़ी थी। मन तोह कर रहा था की कबीर की एक पिक्चर क्लिक कर लूं ताकी जिंदगी भर इस याद को संजो के रख सके, लेकिन उसके दिल ने कहीं न कहीं उस से एक बात कही की उसे यादें संजोने के लिए उसे फोन से पिक्चर क्लिक करने के क्या जरूरत है, वोह तोह ऐसे ही इस याद को अपनी आंखो में बसा कर रख सकती है हमेशा के लिए।
दुपहर तक वोह दोनो वहां से निकल गए और अमायरा पूरे रास्ते अपने ऊपर हस्ती रही की वोह क्या क्या सोच रही थी इस ट्रिप को लेकर और कबीर पर डाउट कर रही थी। एक्चुअली में अब तोह वोह इस जाग को मिस कर रही थी।
वोह अब कन्फ्यूज हो चुकी थी की उसकी सभी डेट में से कौनसी डेट सबसे अच्छी रही। और उसे अब यह भी रियलाइज हो चुका था की की ग्रैंड गैस्चर और फन करना ही नही लाइफ में मैटर करता। छोटी छोटी चीज़े भी मैटर करती है लाइफ में। जैसे की यह दो दिन, जो उसने कबीर के साथ बिताए थे। उन दोनो ने यहां पर बहुत बाते की थी, बहुत खाया था, बहुत हसे भी थे पर किया कुछ नही।
पर यह कुछ ना करना कबीर के साथ उसकी जिंदगी के सबसे अच्छे दिन थे, इतने प्रेशियस थे उसके लिए जो पैसों से भी खरीदा नही जा सकता। पूरे रास्ते घर जाते वक्त उसकी दिमाग में एक ही धुन चल रही थी जो वोह चाह कर भी नही भुला पा रही थी। इस बार भी वोह गाड़ी ड्राइव कर रही थी पर पिछली बार से ज्यादा स्पीड से चला रही थी और लबों पर धुन थिरक रही थी।

गज़ब का है दिन..... देखो ज़रा।

यह दीवानपन..... सोचों जरा।

तुम हो अकेले..... हम भी अकेले।

माजा रहा है..... कसम से।....



****
कहानी अभी जारी है...

वोह दोनो देर रात घर पहुंचे। क्योंकि अमायरा बहुत थकी हुई थी इसलिए वोह बैड पर लेट ते ही सो गई। थकना तोह था ही, दो दिन तक जो इधर उधर फुदकती जो रही। उन खुशियों भरे दो दिन बिताने के बाद अब फाइनली उसे थकावट का एहसास होने लगा था इसलिए वोह अब सो चुकी थी। जब अगले दिन वोह उठी तोह उसने देखा की कबीर तैयार हो रहा था। उसने अपना ब्लैक सूट पहना हुआ था। अचानक ही उसे मिट्टी से सने हुए कपड़ों वाला कबीर याद आ गया था और वोह उसे मिस करने लगी थी। वोह इन कपड़ो में उस से दूर जाता हुआ लगने लगा।
कबीर ने उसका उसे देखना देख लिया और फिर वोह उसके करीब जाने लगा। अमायरा अभी भी बैड पर लेटी हुई थी। कबीर बैड के नज़दीक पहुंच कर हल्का सा झुका और अमायरा के माथे पर प्यार से चूम लिया, जैसा वोह हमेशा करता था।

"गुड मॉर्निंग, स्वीटहार्ट। आई नींद अच्छे से?"

"हां। बहुत अच्छे से।" वोह बैठते हुए मुस्कुरा पड़ी। "थैंक्स टू यू।"

"मी। तुम्हारी अच्छी नींद में मेरा का योगदान? अगर सच में मेरा क्रेडिट है, तोह उसका इनाम मुझे अभी तक मिला नही।" कबीर ने लास्ट लाइन इतनी धीरे कही की अमायरा ने सुनी नही।

"एक्चुअली मैने इन दो दिनों में इतना एंजॉय किया की थक कर मुझे बहुत अच्छी नींद आई। इवन मैने हम दोनो को सपने में भी देखा जो मुझे अभी तक याद है और हमने मिलकर खाना भी बनाया।"

"कुकिंग एंड मी? मैने तोह ऐसा कभी नहीं किया, क्योंकि मेरे पास कभी समय ही नही होता था। तुम्हे पक्का यकीन है की वोह मैं ही था तुम्हारे साथ?" कबीर ने पूछा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। अमायरा उसका हाथ पकड़ कर बैड से उठ खड़ी हुई।

"हां। वोह आप ही थे। आप पाइनअप्लेस, पोटेटोज और पनीर को मैरीनेट कर रहे थे बार बी क्यू के लिए। और मैं ताज़े ताजे धनिया और पुदीने के पत्तों को तोड़ कर उसे चॉप कर रही थी हरी चटनी बनाने किए।" अमायरा ने ऐसे कहा जैसे वोह अभी भी खुली आंखों से सपना देख रही है।

"पर मेरा क्या? मैं पाइनएप्पल, पोटेटो, एंड पनीर, द थ्री पी, नही खाता। मैं चिकन क्यों नही मैरीनेट कर रहा था? आफ्टर ऑल सबसे मेहनत वाला काम तोह मैं ही कर रहा था और खाने को मेरे लिए कुछ नही।" कबीर ने पूछा और अमायरा हँस पड़ी।

"वोह इसलिए क्योंकि यह मेरा ड्रीम था। और मुझे बेचारे जानवरों को मारना बिलकुल पसंद नहीं है वोह अपनी भूख मिटाने के लिए।"

"आह!.... यह बहुत अच्छी बात है तुमने अपने यह इतने अच्छे विचार अपने तक ही रखें हुएं हैं, नही तोह बेचारे पोल्ट्री और मीट फार्मर्स तोह भूखे मर जायेंगे।"

"ओके। तोह मैं आपके लिए कुछ और पका दूंगी, लेकिन नॉन वेज के अलावा।" अमायरा ने कहा।

"अपने सपने में?"

"नही। जब हम वहां दुबारा जायेंगे।" अमायरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"ओह। तोह तुम वहां दुबारा जाना चाहती हो। तुम श्योर हो की तुम्हे फिर से फेवरिश या अजीब उल्टी जैसा नही लगेगा?" कबीर ने अपनी मुस्कुराहट छुपाते हुए पूछा और अमायरा के गाल तोह टमाटर से भी लाल हो गए शर्म से यह सोच कर की कबीर को उसकी चालबाज़ी के बारे में पता था लेकिन वोह चुप रहा था।

"आह.....ओके मुझे जाने दीजिए। मुझे तैयार होना है। पर आप इतनी जल्दी क्यों तैयार हो गए? ब्रेकफास्ट तोह अभी तक नही बना होगा।"

"मेरी एक बहुत जरूरी मीटिंग है इसलिए मैं अभी निकल रहा हूं। मैने महेश को बोल दिया था की वोह मेरा ब्रेकफास्ट पैक कर दे, मैं गाड़ी में खा लूंगा। तब तक तुम वापिस सो जाओ और फिर से अपना सपना देखो और पूरा करो। और हां, याद रखना इस बार मेरे लिए जरूर कुछ पका लेना।" कबीर ने मुस्कुरा कर कहा और अपने हाथों को अपनी पॉकेट में डाल लिया। उसे अपने हाथों पर काबू नहीं हो रहा था की कहीं कोई गुस्ताखी ना कर जाएं। अमायरा कबीर की बात सुन कर बच्चों की तरह हँस पड़ी थी।

"क्या आपने कभी ऐसा कोई ड्रीम देखा है?" अमौता अभी भी अपनी सपनो की दुनिया में खोई हुई थी।

"ऊंह!.....नही। मेरे ड्रीम कुछ अलग किस्म के होते हैं, जैसा मैंने तुम्हे पहले भी बताया हुआ है।" कबीर ने हल्के उदासी से कहा और अमायरा उसकी बात सुन कर कन्फ्यूज्ड सी हो गई।
कबीर ने आगे कहा ताकी अमायरा समझ सके की वोह क्या कहना चाहता है।
"द एडल्ट वन, विथ यू। अब तुम थोड़ा बड़ी भी हो गई हो, अब तुम्हे कोई दिक्कत तोह नही है तुम्हारे साथ अपना ड्रीम शेयर करने में?" कबीर ने अपनी बात पूरी की और अमायरा शर्मा गई।
अमायरा ने अपने कदम दरवाज़े की तरफ बढ़ा दिए, उसे समझ नही आ रहा था की वोह कबीर से क्या ही कहे। पर कबीर ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और जाने से रोक दिया।

"कहां जा रही हो? और मेरा आई का हग 🤗 कहां है? हुंह?" कबीर ने फुसफुसाते हुए कहा।

"मैं..... मैं.... एक्चुअली...... मैं।" अमायरा बोल ही नहीं पा रही थी।

"इस वक्त शब्दों की जरूरत नहीं है। बस इसकी है।" कबीर ने उसे कस कर सीने से लग लिया और अमायरा ने भी उसे पकड़ लिया, पर हर बार की तरह से, इस बार कुछ और नजदीकी से। कुछ देर तक कबीर ने उसे सीने से लगाए रखा और फिर उसकी गर्दन पर शिद्दत से चूम लिया। वोह भी उसी जगह जहां पिछली बार किया था, जैसे यह उसका फेवरेट स्पॉट बन गया हो। कुछ देर तक कबीर के होंठ अमायरा की गर्दन पर टिके रहे और अमायरा की तोह सांसे ही अटक गई जैसे वोह सांस लेना ही भूल गई हो। कबीर ने जब यह महसूस किया की अमायरा बिलकुल भी प्रोटेस्ट नही कर रही है तोह उसने दुबारा उसी जगह चूम लिया। फिर उसके होंठ अमायरा की पूरी गर्दन पर फिसलने लगे और कई जगह उसने उसे छोटे छोटे प्यार के मीठे अंश छोड़ दिए। उसके बाद अमायरा को अपनी गर्दन पर एक जगह कबीर के दांतो से काटने का एहसास हुआ और फिर कबीर ने उस जगह फिर चूम लिया और वोह भी इंटेंस भरा, देर तक जैसे उसकी स्किन ही चूस ली हो। जिस जगह कबीर ने काटा था उस जगह कबीर ढेर सारी छोटी छोटी किसिस की और फिर सीधा हो गया। कबीर सीधा हो कर अमायरा को आंखो में देखने लगा, जो की आशंकाओं से भरी हुई थी। कबीर ने बड़े ही प्यार से उसकी दोनो आंखों को चूम लिया और आंखो ही आंखों में जिंदगी भर साथ रहना का वादा कर उसे अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया।

"आई लव यू। सी यू इन द इवनिंग।" कबीर ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा और कमरे से बाहर निकल गया। कबीर को अब अपने ऊपर काबू नहीं हो रहा था क्योंकि अमायरा बिलकुल भी प्रोटेस्ट नही कर रही थी। कबीर को लग रहा था की अगर थोड़ी देर और वोह कमरे में रुका तोह वोह बेकाबू हो जायेगा और अमायरा को हर्ट कर देगा। इस वक्त अमायरा अचंभे में थी और कबीर को समझ नही आ रहा था की उसने जो किया उसके बाद अमायरा ठीक है की नही। इसलिए सेफ डिसिशन लेते हुए वोह अपने ऑफिस के लिए निकल गया था। अमायरा काफी देर तक उसी जगह खड़ी रह गई थी और दरवाज़े की तरफ देखती रही। जैसे सांस लेने की कोशिश कर रही हो।

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कबीर ऑफिस पहुँचा और अब उसका मन किसी भी काम में नही लग रहा था। वोह डर रहा था अमायरा का रिएक्शन सोच कर ही। वोह अपने आप को कोस रहा था की क्यों उसने उसे किस किया? क्यों वोह अपने आप पर काबू नहीं रख पाया? असल में उसने बेशर्मी दिखा दी थी, ऑलमोस्ट बेहूदगी कर दी थी उसके साथ।

ओह कम ऑन। तुम जितना सोच रहे हो उतना भी बेशर्मी नही दिखाई है तुमने। वोह बस एक छोटा सा किस ही तोह था। आखिर वोह तुम्हारी पत्नी है।

पर क्या होगा अगर वोह तुम्हारा छोटा सा किस तुम्हे मुसीबत में डाल दे? इतने दिनो की तुम्हारी जो मेहनत की थी अपनी पत्नी के साथ वोह यह मिट्टी में मिला देगा।

मुझे डराना बंद करो। मैं पहले से ही डरा हुआ हूं।

यह डरने वाली बात भी है। तुम इंतजार नही कर सकते थे? यह कुछ दिनों की ही तोह बात थी बस। पर अब हम श्योर नही है तुम्हारी बेहूदगी के बाद।

क्या होगा अगर वोह एक महीना पूरा होने के बाद भी हां ना करे?

तोह फिर तो यह महीनो और सालों तक खिचेगा, और शायद जिंदगी भर क्योंकि तुमने उसे प्रोमिस किया था की तुम उसे एक महीने बाद बिलकुल भी तंग नहीं करोगे। और फिर सिर्फ उसकी मर्जी ही रह जायेगी की वोह एक दिन तुम्हे चुने या नही। और यह सब सिर्फ तुम्हारे बेसब्री और आज सुबह की अपने ऊपर अपना काबू खोने की वजह से हुआ है। क्या होगा अगर वोह तुमसे गुस्सा हो जाए और बीच में ही यह एक महीने वाले चैलेंज को खतम कर दे?


ओह प्लीज़। स्टॉप इट। ऐसा कुछ भी नही होगा। पर अगर ऐसा हुआ तोह......

कबीर के मन में युद्ध छिड़ा हुआ था जो डिस्ट्रैक्ट हुआ उसके फोन के मैसेज की बीप से। और अब वोह डरा हुआ था की कहीं यह मैसेज अमायरा का तोह नही हो। उसने अपना फोन चैक किया तोह मैसेज अमायरा का था अब उसकी हिम्मत नही थी मैसेज चेक करने की लेकिन साथ ही उत्सुकता भी थी की उसने क्या भेजा हो।

अमायरा - विच वन?

कबीर कंफ्यूज हो गया की अमायरा क्या कह रही है।

कबीर - व्हाट?

अमायरा - वेट पिक्चर अपलोडिंग

अमायरा - चैक नाउ

कबीर ने कुछ पल इंतजार किया और फिर उसे दो पिक्चर रिसीव हुई जिसमे दो टॉप थे जो बैड पर फैला रखे थे।

अमायरा - अब जल्दी बताओ की, इनमे से मैं कौन सा टॉप पहनूं?

कबीर - कहां के लिए?

कबीर कन्फ्यूज्ड हो गया था। ईस्पेशली जब उसके इनर सोल ने उस से बातें की थी अभी थोड़ी देर पहले। यह मैसेज तोह नॉर्मल लग रहा था। अमायरा गुस्सा नही थी इसका मतलब कबीर बेवजह परेशान हो रहा था।

अमायरा - उह्ह्ह! अनाथ आश्रम जाने के लिए। इन दोनो में से मैं कौन सा पहनूं जल्दी बताइए? पिंक वाला या येलो वाला?

कबीर मुस्कुरा गया। वोह सच में उस से गुस्सा नही थी। वोह तोह उस से आज के लिए अपने कपड़े चूस करवाना चाहती थी। सब ठीक था।

कबीर - पिंक वाला।

अमायरा - पक्का?

कबीर - हां।

अमायरा - पर आप को तोह पिंक कलर नही पसंद।

कबीर - पर अब पसंद है।

अमायरा - क्यों?

कबीर - क्योंकि तुम उसमे बेहद खूबसूरत लगती हो।


थोड़ी देर तक भी जब कबीर को अमायरा का कोई जवाब नही आया तोह एक बार फिर कबीर घबराने लगा। वोह फिर डरने लगा की क्या एक बार फिर उसने अपनी लाइन क्रॉस कर दी। वोह उसे कॉल कर ने की सोचने लगा लेकिन उस से पहले ही अमायरा का मैसेज आ गया। उस मैसेज में एक पिक्चर थी अमायरा की येलो वाला टॉप पहने हुए।

अमायरा - मैने डिसाइड किया है की मैं अब कभी भी पिंक नही पहनूंगी।

कबीर - मेरे लिए, तोह तुम हर रूप में खूबसूरत लगती हो। कोई फर्क नही पड़ता तुमने क्या पहना है, क्या नही।

अमायरा - मैं आपसे कभी बात नही करूंगी। और हां आज अनाथ आश्रम जाने से पहले में अपनी मॉम से बात करने वाली हूं, जैसा की आप चाहते हो।

कबीर - गुड गर्ल। घर से निकलने से पहले एक बार मुझे मैसेज कर बता देना।

अमायरा - मैं हमेशा करती हूं। आप मुझे बार बार रोज़ रोज़ क्यों याद दिलाते हैं?

कबीर - क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।

अमायरा - बाय।


कबीर उसकी हरकत पर मुस्कुरा पड़ा था। इन सब बातों से यह साबित हो गया था की वोह उस से गुस्सा नही थी। और इसका मतलब यह भी था की जो कुछ भी सुबह हुआ था वोह अमायरा को अच्छा लगा था।

दिस इस प्रोग्रेस

कबीर अब मन लगा कर अपना काम करने लगा था। इस बार पूरे मन से, खुशी से।


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कहानी अभी जारी है...