Secret Admirer - 65 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 65


"इशिता ने फोन किया था तुम्हारे फोन पर, पूछ रही थी की तुम कितनी देर में वापिस आ रही हो। मैने उसे बता दिया है की अब तुम शायद वापिस नही जाना चाहती हो।" कबीर ने उसे इनफॉर्म किया और अमायरा की सांसे ही अटक गई।

"आपने उस से ऐसा क्यों कहा?"

"वैल, मुझे लगा अब तुम भी मुझे अकेले छोड़ कर नही जाना चाहती होगी, जैसे मैं नही चाहता की तुम मुझे छोड़ कर जाओ।" कबीर ने कहा और फिर से उसे खींच कर बाहों में भर लिया।

"नो वे। जो कुछ भी हुआ वोह इसलिए हुआ क्योंकि आज आपका बर्थडे था। आप भूलिए मत मैने अभी भी आपको हां नही कहा है।" अमायरा ने बेपरवाही से कहा।

"अह्ह्ह्! मुझे पता है। पर मेरे पास अभी भी तेरह दिन बचे हैं तुम्हे कनविंस करने के लिए। यह कनविंस करने के लिए की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। और वैसे भी, क्या ही हासिल कर लिया मैने इन सतराह दिनों में, सिवाय इसके की मेरी पत्नी ने खुद से आ कर मुझे मेरे होठों को चूम लिया।" कबीर ने गर्व से कहा और अमायरा उसकी बाहों से छूटने की कोशिश करने लगी।

"ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करिए मिस्टर खड़ूस। ऐसा दुबारा नही होगा, जब तक की हम कोई नतीजे पर नहीं पहुंचते हैं। यह बात याद रखिएगा।"

"अच्छा! अगर तुम चाहती हो की ऐसा दुबारा ना हो, तोह तुम मुझे खड़ूस और मिस्टर मैहरा नही बुलाओगी। तुम्हारे लिए मैं सिर्फ कबीर हूं।" कबीर ने इतराते हुए कहा।

"आपके कहने का क्या मतलब है?" अमायरा ने कन्फ्यूज्ड होते हुए पूछा।

"यही की, की अब मैं जान गया हूं की तुम्हे चुप कैसे कराना है अगर तुमने मुझे कबीर के अलावा किसी और नाम से बुलाया। मैं नही देखूंगा को हम कहां है, कौन आस पास है, इस दुनिया की बिना चिंता किए तुम्हे किस कर लूंगा। मुझे नही लगता की तुम इस के लिए तैयार हो। अभी तोह बिलकुल नही।" कबीर ने जवाब दिया और अमायरा डर गई।

"आप ऐसा नहीं कर सकते...."

"मुझे अजमाना है?"

"आप मुझे धमकी दे रहें हैं?"

"एक सुझाव है। शायद ही धमकी हो, क्योंकि हम दोनो ही जानते हैं की तुम्हे मुझे किस करना कितना पसंद है, और मुझे तुम्हे करना कितना पसंद है।" कबीर ने जवाब दिया और अमायरा का चहरा टमाटर सा लाल हो गया।

"ओके, अब जाओ उससे पहले की मैं अपना इरादा बदल दूं, वोह दोनो तुम्हारा इंतजार कर रही होंगी।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।

"आप ने दी को बताया....."

"मैने उसे बताया की तुम्हे बस अभी आ रही हो।" कबीर एलन जवाब दिया और अमायरा मुस्कुराने लगी।

"मैं जल्दी वापिस आ जाऊंगी।" अमायरा ने कमरे के दरवाजे के पास पहुंचते हुए कहा। वोह अब भी कबीर को ही देख रही थी। कबीर अभी भी उसी जगह खड़ा था, और आंखों की आंखों में उसे ना जाने के लिए कह रहा था। अमायरा ने दरवाज़ा खोला और कबीर ने उसे पुकारा।

"अमायरा...." कबीर ने पुकारा और अमायरा ने पीछे मुड़ कर देखा।

"हम्मम!"

"आई लव यू।"

"....... उह्ह्.....गुड नाईट।" अमायरा मुस्कुराई और भाग गई।

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लगभग तीन घंटे बाद अमायरा वापिस अपने कमरे में आई। उसने देखा की कबीर उसका इंतजार करते हुए सोफे पर बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा है।

"आप सोए क्यों नही अभी तक?" अमायरा कबीर को जगा हुआ देख कर सरप्राइज्ड हो गई थी।

"मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा था।" कबीर ने लैपटॉप बंद करते हुए कहा।

"पर काफी देर हो गई है।"

"हां, पता है, पर क्या कर सकते थे। ऐसा लगता है की तुमने कोई जादू कर रखा है, तुम्हारे बिना मैं सो ही नही पाता, और जब तुम मेरी बाहों में होती हो तो तुरंत नींद आ जाती है।" कबीर ने सोफे से खड़े होते हुए और अमायरा के करीब आते हुए कहा।

"क्या हम अब सो जाएं?" कबीर ने पूछा और अमायरा ने सिर हिला दिया।

"आप पूछेंगे नही मुझसे की मैं इतनी देर से क्यों आई? आप गुस्सा नही है?" अमायरा ने बैड की तरफ बढ़ते हुए पूछा।

"गुस्सा? मैं क्यों होंगा गुस्सा? यह तोह अच्छी बात है की तुम इशिता के साथ एक अच्छा समय बिता रही हो। यह तुम्हारे लिए जरूरी है की तुम्हे अपने अंदर की कड़वाहट निकालना चाहिए, और सुहाना भी तो कुछ दिनो मे इस फैमिली का हिस्सा बनने वाली है। मुझे तोह खुशी है की तुम तीनो को एक दूसरे के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है।" कबीर ने अमायरा को बाहों में भरते हुए कहा।

"हम मूवी देखने लगे थे, और पता ही नही चला की इतनी देर हो गई।" अमायरा बताने लगी बिना कबीर के पूछे।

"ओके, तोह?" कबीर ने हाफी लेते हुए पूछा।

"तोह, उस मूवी में एक लड़का एक लड़की को पटाने की कोशिश कर रहा था। और उसने बहुत तरीको से कोशिश की। एक हज़ार गुलाबों का गुलदस्ता उसके घर रोज़ भिजवाता था। उसे लेकर बहुत सारी सुंदर जगह पर ले जाता था, उसके लिए महंगी ज्वैलरी खरीदता था, और उसके लिए गुंडों से लड़ाई भी किया।"

"तोह, तुम भी चाहती हो की मैं भी तुम्हारे लिए यह सब करूं?" कबीर अपना मुंह अमायरा की गर्दन में छुपाते हुए पूछा।

"नही।"

"तोह फिर?"

"आपने कभी नही सोचा मेरे लिए इस तरह से कुछ बड़ा करने का?" अपनी और उसकी नींद को नजरंदाज करते हुए अमायरा ने पूछा।

"सोचा था। फिर सोचा ऐसा कुछ नही करूंगा।"

"हम्मम! मैं भी ऐसा ही सोचती हूं।"

"रियली? तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की मैने ऐसा कुछ नही किया?" कबीर की आवाज़ से ही लग रहा था की उसे कितनी नींद आ रही है।

"क्योंकि आप नही चाहते थे मुझे अपने पैसे से इंप्रेस करना।" अमायरा ने जवाब दिया और कबीर ने अपनी आंखे खोल दी, वोह अपना चेहरा ऊपर कर उसे देखने लगा।

"तुम सच में ऐसा सोचती हो?"

"हम्मम!"

"मुझे यही उम्मीद थी की बहुत सारे पैसे खर्च किए बिना, महंगे महंगे गिफ्ट्स दिए बिना भी, तुम इंप्रेस हो जाओगी।" कबीर ने कहा और अमायरा ने अपनी एक आईब्रो उच्चका दी।

"अच्छा सीरियसली? किसने दिए थे मुझे वोह भर भर कर कपड़े?"

"उह्ह्ह.....वो इतने ज्यादा महंगे नही थे, जितना की तुम्हारे उस हीरो ने मूवी में खर्च किए थे।"

"पैसा तो बोल ही देता है।" अमायरा ने चिढ़ाया और कबीर मुस्कुराने लगा। "वैसे, थैंक यू की आपने वैसा कुछ नही किया। क्योंकि इस से मुझे आपके अंदर के सच्चे इंसान के बारे में जानने को मिला।" अमायरा ने कहा और कबीर निशब्द हो गया।

"सो जाओ अमायरा।" कबीर ने कहा और उसका माथा चूम लिया। उसने फिर से एक कंफर्टेबल पोजीशन ली और उसे और करीब कर लिया। दोनो के मुस्कुराते चेहरे पर अब नींद छाने लगी थी।

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घर के सभी छोटे कल रात देर से सोए थे, कोई मैच देख रहा था तोह किसी का नाइट पार्टी था इसलिए उनका अगली सुबह देर से उठना लाज़मी था। अमायरा अगली सुबह देर से उठी। वोह जब उठी तोह कबीर की बाहों में थी और जैसे ही उसने टाइम देखा वोह चौंक गई। वोह अचानक ही उठ कर बैठ गई और उसकी हड़बड़ी की वजह से कबीर की भी नींद खुल गई।

"क्या हुआ? क्या हुआ है तुम्हे अमायरा?" कबीर ने उनींदी में कहा और उसे वापस अपनी बाहों में लेटा लिया।

"बहुत देर हो चुकी है। नौ बजने ही वाले हैं।"

"तोह क्या हुआ? आज सन्डे है।" कबीर ने जवाब दिया, उसने अभी तक अपनी आंखें नही खोली थी।

"यह क्या कह रहें हैं आप। सब क्या सोचेंगे अगर हम देर से पहुंचे।"

"कोई कुछ नही सोचेगा। सभी देर से सोए थे। तुम लड़कियां भी तोह मूवी देख रही थी। साहिल और ईशान भी देर रात तक मैच देख रहे थे। अभी तक कोई भी नही उठा होगा। यह तुम ही हो जो हंगामा कर रही हो।" कबीर ने अब अपनी आंखे खोल दी, वोह सुबह सुबह यह बेकार की बहस नही करना चाहता था लेकिन अब वोह सो नही पा रहा था।

"मैं हंगामा कर रही हूं?" अमायरा ने घूर कर देखा।

"वैसे, गुड मॉर्निंग टू यू माय डीयर वाईफी।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।

"हुंह?" अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई थी।

"जिस तरह से तुम मुझसे लड़ाई कर रही हो, वोह भी बिना वजह के, यह तोह सब बीवी के लक्षण ही हैं। ध्यान रखो, नही तो तुम भी मेरी तरह प्यार में पड़ जाओगी, तुम्हे भी मुझसे प्यार हो जायेगा, जैसे मुझे हो गया है तुमसे।" कबीर ने आंख मारते हुए कहा, वोह अभी भी बैड छोड़ना नही चाहता था।

"उह्ह्......जाने दीजिए मुझे, तैयार होना है। मैं नही चाहती की सब को मुझे फिर से चिढ़ाने का मौका मिल जाए। वोह अभी आप की मेहरबानी की वजह से उन्हें आज कल बहुत मिल रहा है।"

"पर मेरी मॉर्निंग किस का क्या हुआ?" कबीर ने अमायरा का हाथ पकड़ लिया, वोह उसे जाने नही देना चाहता था।

"मैने आपको पहले ही कह दिया था की यह अब दुबारा नही होगा।"

"क्या? तुम किस की बात कर रही हो? मैं तुम से सिंपल सा अपना मॉर्निंग किस मांग रहा हूं। क्या तुम वोह......यू नॉटी गर्ल।" कबीर ने उसे चिढ़ाते हुए कहा और अमायरा ने महसूस किया की कबीर ने उसे अपनी ही बात में फसा दिया है।

"देखिए...... मैं..... मुझे.....जाना है। छोड़ दीजिए ना।" अमायरा ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।

"मैने तुम्हे बताया ना की उसके बदले मुझे क्या चाहिए।" कबीर ने कहा और अमायरा ने गहरी सांस ली। फिर अमायरा कबीर के ऊपर थोड़ा झुकी और उसके माथे पर चूम लिया जैसे कबीर करता था रोज़ उसके माथे पर। कबीर मुस्कुरा पड़ा। अमायरा ने भी वापिस हल्की से स्माइल दी और बाथरूम में भाग गई।

थोड़ी देर बाद ही अमायरा को बाथरूम के बाहर से गाने की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी। अमायरा मुस्कुरा पड़ी। यह छोटी छोटी हरकतें ही तो रिश्तों को और गहरा बनाती हैं। कबीर की कोशिश दिखती थी उसे।

हौले हौले से हवा लगती है...
हौले हौले से दवा लगती है...
हौले हौले से दुआ लगती है ना...

हाय हौले हौले चंदा बढ़ता है...
हौले हौले घूंघट उठता है...
हौले हौले से नशा चढ़ता है ना...

तू सबर तो कर मेरे यार...
ज़रा साँस तो ले दिलदार...
चल फिकरूनू गोली मार यार...
है दिन जींदड़ी ते चार...

हौले हौले हो जायेगा प्यार छलिया हौले हौले हो जायेगा प्यार..
हौले हौले हो जायेगा प्यार छलिया हौले हौले हो जायेगा प्यार..


अमायरा गाने के बोल सुन कर, बाथरूम के अंदर ही, अपने आप में ही मुस्कुरा पड़ी। क्या इस तरह से ही वो उसके दिल में जगह नहीं बना रहा है? उसके दिल में जगह बनाना तोह बहुत ही छोटी बात है जो वोह कर रहा है उसके लिए। कबीर तोह कारण बन रहा है अमायरा के वजूद होने का। कबीर के पास अभी भी बारह दिन बचे हैं अमायरा को कनविंस करने के लिए पर क्या अब वाकई जरूरत है? क्या एक महीना जरूरी है यह बताने के लिए वोह उसके बारे में क्या सोचती है, क्या महसूस करती है, वोह उसके लिए क्या है? क्या वोह पहले से नही जानती की वोह उसके लिए सूरज की तरह है जिसके इर्द गिर्द उसकी दुनिया घूमती है? उसे तोह एक दिन की भी जरूरत नही है यह बताने के लिए कबीर उसके लिए कितना इंपोर्टेंट है, की वोह ही सिर्फ इकलौता इंसान है जो उसके लिए मैटर करता है, वोही है सबसे जरूरी, दूसरों सभी से ज्यादा कीमती। वोह जानती है की उसने जो कबीर को समय दिया है वोह खुद को यकीन दिलाने के लिए नही बल्कि उसे कबीर को मौका देने के लिए की अगर उसे पीछे हटना है तोह अब भी वक्त है, वोह पीछे हट सकता है क्योंकि उसके प्यार से ज्यादा जरूरी अमायरा के लिए कबीर की दोस्ती, उसका साथ जरूरी है। अगर बाद में कबीर को यह रियलाइज हुआ की वोह तोह प्यार ही नही करता, बस अट्रैक्शन था तोह वोह कबीर का प्यार तोह खो ही देगी साथ साथ उसकी दोस्ती भी खो देगी जो की वोह किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहती थी। इसलिए तोह वोह उसे मौका दे रही है एक महीने में यह रियलाइज करने के लिए की पीछे हटना है तोह है जाए। पर क्या अमायरा सच में चाहती है की कबीर पीछे हट जाए? क्या वोह हमेशा से ऐसा ही जीवन साथी नही चाहती थी? जो उसे दिल से प्यार करे, जो उसे दूसरों से ऊपर या पहले रखे, जो उसे यह यकीन दिलाए की वोह भी जिंदगी में अच्छी चीजों की हकदार है। सब तो वो मानती थी, पर ऐसा क्या था जो उसे रोक रहा था, कबीर का प्यार एक्सेप्ट करने के लिए?

इश्क-ए दी गलियां तंग हैं...
शर्मो शर्मि में बंद हैं...
ख़ुद से ख़ुद की कैसी ये जंग है...

पल पल ये दिल घबराए...
पल पल ये दिल शर्माए...
कुछ कहता है और कुछ कर जाए...

कैसी ये पहेली मों दिल मर जाना...
इश्क में जलती बड़ा जुर्माना...

तू सबर तो कर यार मेरे यार...
जरा साँस तो ले दिलदार...
चल फ़िक्र ने गोली मार...
है दिन जींदड़ी ते चार...

हौले हौले हो जायेगा प्यार छलिया हौले हौले हो जायेगा प्यार..
हौले हौले हो जायेगा प्यार छलिया हौले हौले हो जायेगा प्यार..


"सचमुच में, इश्क में जलती बड़ा जुर्माना। कौन कहता है की मैं जल्दबाजी कर रहा हूं? क्या मैं नही हूं वोह जो सबसे ज्यादा धैर्य बनाए हुए हूं?" कबीर ने खुद से कहा।










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कहानी अभी जारी है...