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कामवाली बाई--भाग(२)

गीता मिसेज शर्मा के घर पहुँची ही थी कि उनकी सास शकुन्तला देवी जो आज ही प्रयाग से उनके घर आईं थीं,वें बोलीं....
ए लड़की तू कितनी देर से आईं हैं,घर का पोछा झाडू़ नहीं हुआ अब तक,मुझे आज पूजा के लिए कितनी देर हो गई...
वो अम्मा जी!कहीं उलझ गई थी इसलिए देर हो गई,गीता बोली।।
मैँ तेरे सब बहाने जानती हूँ,अब खड़ी खड़ी मेरा मुँह क्या ताक रही है चुपचाप काम पर लग जा,शकुन्तला देवी बोलीं....
जी!अम्मा जी!और इतना कहकर गीता ने अपने दुपट्टे को कमर के चारों ओर लपेटा और झाड़ू उठाकर काम पर लग गईं,जब अकेले में उसे मिसेज शर्मा मिली तो गीता ने उनसे पूछा....
इस बार बुढ़िया कितने दिनों के लिए आई है?
बस,दो चार दिन रहकर अपनी बेटी के यहाँ चली जाएगीं,लेकिन तब तक तू शान्त रहना,कोई जवाब मत देना,मिसेज शर्मा बोलीं....
वो तो आण्टी जी आप इतनी अच्छी हैं इसलिए चुप लगा जाती हूँ नहीं तो मैं ऐसे लोगों से बिल्कुल नहीं दबती,गीता बोली।।
हाँ...हाँ....जानती हूँ....जानती हूँ....अब मुँह बंद कर लें,कहीं माँ जी ने कुछ सुन लिया तो तेरे साथ साथ मेरी भी शामत आ जाएगी,मिसेज शर्मा बोलीं....
ठीक है आण्टी,गीता बोली।।
और सुन तेरे लिए मैनें चार आलू के पराँठे,दही और अचार रख दिया है,झाड़ू पोछा करके खा लेना,मिसेज शर्मा बोलींं...
जी!मुझे भूख भी लग रही है,गीता बोली।।
इसलिए तो पहले से ही नाश्ता परोसकर रख दिया है,मिसेज शर्मा बोलीं....
आप जाइए मैं काम से फुरसत होकर खा लूँगी,गीता बोली।।
और फिर गीता ने घर का सारा काम निपटाया और खाने बैठी ,उसने जैसे ही एक पराँठा खतम ही किया था कि इतने में शकुन्तला देवी वहाँ आ धमकीं और बोलीं....
क्यों री! तुझे तनख्वाह नहीं मिलती क्या काम की जो भकोसने को भी यहीं चाहिए?
तनख्वाह तो मिलती है,गीता बोली।।
तनख्वाह भी लेगी और खाएगी भी यहीं,शकुन्तला देवीं बोलीं....
तो क्या हुआ माँ जी?गरीब बच्ची है थोड़ा सा खा लेगी तो हमारे यहाँ घट नहीं जाएगा,पीछे से मिसेज शर्मा आकर बोलीं....
तू बड़ी दानवीर बनती है,मेरा बेटा वहाँ आँफिस में दिनभर जी तोड़ मेहनत करता है और तू यहाँ उसकी मेहनत की कमाई लुटा रही है,शकुन्तला देवी ने अपनी बहु से कहा....
ना माँ जी!गरीब आदमी को खिलाएगें तो आशीष मिलेगी,मिसेज शर्मा बोलीं।।
रहने दे तू अपने ये नाटक,आज खिला दिया लेकिन कल से कुछ भी इसे खाने को दिया तो मुझसे बुरा कोई ना होगा,काम काज कुछ करती नहीं है और खाने को भी चाहिए,शकुन्तला देवीं बोलींं...
इतना सुनकर गीता की आँखों में आँसू आ गए और वो खाना वैसे ही छोड़कर उठ गई,हाथ धुले,आपना दुपट्टा ठीक किया और चप्पल पहनकर घर से बाहर चली गई....
ये सब मिसेज शर्मा को अच्छा नहीं लगा और वें मन मसोस कर रह गईं,गीता ने बाहर आकर अपने आँसू पोछे और दूसरे घर काम को चल पड़ी,दूसरे घर वो काम को पहुँची ही थी और उसने दरवाज़े पर जैसे ही चप्पल उतारीं तो घर से चीखने चिल्लाने की आवाज़े आ रहीं थीं,गीता ने डरते हुए डोरबेल बजाई तो घर की मालकिन ने दरवाजा खोला....
गीता के भीतर पहुँचते ही सब तितर बितर होने लगें,नहीं तो पहले सब एक ही जगह बैठे थें,गीता भीतर पहुँची और झाड़ू उठाकर सभी कमरों में बारी बारी से झाड़ू लगाने लगी,झाड़ू लगाते लगाते वो सुहाना के कमरें की ओर पहुँची,सुहाना मालकिन की सबसे छोटी बेटी है वो गीता की हमउम्र भी है,गीता ने देखा कि सुहाना सुबक रही थीं,उसने सुहाना से पूछा....
क्या हुआ छोटी दीदी?किसी ने कुछ कहा क्या?
देखना गीता एक दिन मैं मर जाऊँगी,सुहाना बोली।।
लेकिन क्यों ?ऐसी बातें आप मुँह से क्यों निकालतीं हैं?गीता बोली।।
मैं उसके बिना नहीं रह सकती और ये सब मुझे उससे मिलने नहीं देते,सुहाना बोली।।
कौन वो सैलून वाला हमीद?गीता ने पूछा।।
हाँ!मैं उसे कितना चाहती हूँ और वो भी मेरे ऊपर जान छिड़कता है लेकिन मेरे घरवालों को मेरा उससे मिलना जुलना पसंद नहीं,सुहाना बोली।।
तो अब आप क्या करेगीं?गीता ने पूछा।।
मैं उससे जरूर मिलूँगी,देखती हूँ कि ये सब मुझे कैसें रोकते हैं?सुहाना बोली।।
लेकिन दीदी!ये तो गलत होगा,आखिर ये आपके घरवाले हैं,गीता बोली।।
मुझे अब किसी की परवाह नहीं,सुहाना बोली।।
लेकिन ये तो अपने हैं वो तो पराया है,गीता बोली।।
लगता है कि तू किसी को चाहती नहीं है तभी ऐसी बातें कर रही है,सुहाना बोली।।
मेरी जिन्दगी में ऐसी फालतू बातों के लिए कोई जगह नहीं है,गीता बोली।।
जब किसी से प्यार हो जाएगा ना तब तू ऐसा नहीं कहेगी,सुहाना बोली।।
वो तो वक्त ही बताएगा,गीता इतना कहकर दोबारा अपने काम में लग गई,उसने उस घर का सारा काम निपटाया और चल पड़ी दूसरे घर में...
मिसेज चोपड़ा के घर जाने का उसका मन नहीं था क्योंकि मिसेज चोपड़ा का भाई आजकल विदेश से यहाँ आया हुआ था और वो गीता पर ही नज़रें टिकाएं रहता था,जवान लड़का हो तो भी बरदाश्त कर लिया जाए लेकिन वो तो पचास के ऊपर ही होगा,साथ में उसकी पत्नी भी आई है,जो कि अपने पति को देखती रहती है कि उसके पति की निगाहें किस ओर उठ रहीं हैं,जैसे तैसे तो मिसेज चोपड़ा के बेटे से पीछा छूटा था,अब उसकी नौकरी लग लग गई तो वो दूसरे शहर में रहने लगा है लेकिन मिसेज चोपड़ा के भाई से गीता कैसे पीछा छुड़ाएं वो यही सोचती रहती है.....
सारे घरों के काम निपटाकर वो घर पहुँची तो उसने देखा कि उसका जीजा रामकीर्तन आया हुआ है,गीता को देखते ही उसके मुँह से लार टपकने लगती है,वो कई बार गीता को इशारों इशारों में अपने बिस्तर पर आने का न्यौता दे चुका है लेकिन गीता है कि टस से मस नहीं होती.....
रामकीर्तन के सुर्ती से रंगें लाल दाँत देखकर ही गीता को घिन आने लगती है,लेकिन जीजा है इसलिए उसे बरदाश्त करती है,एकबार तो रामकीर्तन ने ऐसी हरकत की थी कि गीता डर से कई रोज़ सो ना सकी थी,तब उसकी जीजी का नया नया ब्याह हुआ था और गीता तब नासमझ थी.....
उसकी जीजी ने शादी के बाद पहली बार उसे बड़े प्यार से अपने घर बुलाया था,उसने कहा एक दिन मेरे साथ रूककर घर चली जाना,गीता मान गई,दोनों बहनें एक ही बिस्तर पर लेट गई और गीता की जीजी लक्ष्मी ने अपने मरद का बिस्तर अलग लगा दिया,देर रात रामकीर्तन घर लौटा और खाना खाकर अपने बिस्तर पर लेट गया....
आधी रात के बाद गीता को अँधेरे में अपने बदन पर कुछ रेगता हुआ सा महसूस हुआ,उसे ऐसा लगा कि जैसे उसके बदन के उभारों को कोई टटोल रहा था,वो फौरन उठ बैठी और बोली....
कौन है?
लक्ष्मी भी उसकी आवाज़ सुनकर जाग उठी और लाइट जलाकर बोली....
क्या हुआ गीता?
अब वहाँ का दृश्य देखकर सब कुछ साफ हो चुका था,क्योंकि रामकीर्तन गीता के पास बैठा था....
ये देखकर लक्ष्मी बहुत गुस्सा हुई और रामकीर्तन से बोली....
तुझे शर्म नहीं आती,अपनी बीवी के के होते हुए एक बच्ची पर हाथ डालता है....
हाँ...नहीं आती शर्म!जो करना है कर ले,तेरी जैसी बदसूरत औरत जो मिली है इसलिए तो मुझे और कहीं भटकना पड़ता है और उस रात इतना कहकर रामकीर्तन घर से बाहर चला गया,लक्ष्मी की कमाई का पैसा छीनकर वो चकले पर जाता है और रातों को वहीं पड़ा रहता,जब उसके हाथ में पैसा नहीं होता तब उसे लक्ष्मी की जरूरत होती है केवल अपनी हवस मिटाने के लिए....
लक्ष्मी तो चाहती है कि कब रामकीर्तन की अर्थी उठे और उसे उससे छुटकारा मिलें,कैसा उबाऊँ सा रिश्ता है दोनों का तब भी समाज के नाम पर उस रिश्ते को निभाएं जा रहे हैं दोनों.....
इसलिए गीता को अपने जीजा से नफरत है,लेकिन अब उसे अपनी बहन लक्ष्मी भी अच्छी नहीं लगती,क्योंकि लक्ष्मी को उसने एक दिन कुछ ऐसा करते हुए देख लिया था तबसे उसके मन में लक्ष्मी के लिए भी घृणा हो गई है..

क्रमशः...
सरोज वर्मा.....