Kamwali Baai - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

कामवाली बाई--भाग(१०)

हुस्ना ने जैसे ही रिमोट दबाया तो वैसे ही उस माला में लगा बाँम्ब फट पड़ा,चूँकि वें सभी अभी भी हैलीकॉप्टर के पास ही मौजूद थे,जिसके हाथ में माला थी वो व्यक्ति भी हैलीकॉप्टर के बेहद करीब था,बाँम्ब फटने के साथ हैलीकॉप्टर के परखच्चे उड़ गए,अब हैलीकॉप्टर फटा तो उसके साथ साथ युद्ववीर और सुनीता के भी चिथड़े उड़ गए और साथ में वहाँ खड़े लोग भी लहुलूहान होकर इधर उधर बिखर गए,उस जगह की हालत ऐसी थी कि जैसे कि कोई जलजला आया हो,अब उस जगह भगदड़ मच गई,सब अपनी अपनी जान बचाकर यहाँ वहाँ भागने लगें,बस अफरातफरी का माहौल था,हादसे वाली जगह पर कुछ पुलिसकर्मी भी मौजूद थे,उनका भी कुछ अता पता नहीं चला,उनके भी शरीर छितर चुके थे,दूसरे थानों तक खबर पहुँची और पुलिस हरकत में आई,वहाँ आकर उस जगह का मुआयना करने लगी,
हुस्ना ने मौका देखकर वहाँ से भागने की कोशिश की थी लेकिन सबकी नजर बचाकर उसको बल्लू भइया के आदमियों ने पकड़कर अपनी गिरफ्त में ले लिया,इस भगदड़ के बीच बाँम्ब की खबर सुनकर पुलिस की और भी गाड़ियाँ आ पहुँचीं,एम्बुलेंस और मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लग गया,लोगों के क्षत-विक्षत शरीर पड़े थे,पहचान करना मुश्किल था कि कौन सा अंग किसका है,पुलिस की दो दिनों की मेहनत मसक्कत के बाद ये पता चला कि युद्ववीर और सुनीता भी उस दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं और पुलिस उस बुढ़ी महिला की तलाश में थी जिसने युद्ववीर को माला पहनाई था....
लेकिन हुस्ना को तो बल्लू भइया के आदमियों ने कैद कर रखा था,अब बल्लू भइया का काम पूरा हो चुका था,उसका दुश्मन इस दुनिया से जा चुका था,इसलिए अब उसे हुस्ना की कोई जरूरत नहीं थी,उसने तो बस हुस्ना का इस्तेमाल किया था और हुस्ना को ये लग रहा था कि वो बल्लू भइया का इस्तेमाल कर रही है,किस्मत के खेल भी निराले हैं,कब किसकी बाजी वो ऊपरवाला पलट दे कुछ कहा नहीं जा सकता,यही हाल अब हुस्ना का था,अब अपनी जान बचाने के लिए बल्लू भइया हुस्ना को अपने रास्ते से हटवाना चाहते थे क्योंकि अब उन्हें डर था कि कहीं हुस्ना उनकी सच्चाई पुलिस के सामने ना बक दे ,अगर ऐसा हुआ तो उनका राजनैतिक कैरियर चौपट हो जाएगा,जेल जाना पड़ेगा सो अलग,
इसलिए उन्होंने हुस्ना को पुलिस के हवाले करवा दिया,लेकिन उससे कहा कि पुलिस से कुछ भी बताया तो जेल में ही तुम्हारा खेल खतम करवा दिया जाएगा,हुस्ना को भी इसी वक्त का इन्तज़ार था इसलिए उस समय उसने पुलिस को कुछ नहीं बताया,वो पूरी बात सबके सामने कोर्ट में कहना चाहती थी,ये बात जब मुरारी को पता चली कि युद्ववीर और सुनीता को मारने में पूरा हाथ हुस्ना का है तो वो रो पड़ा उसे सारा मामला समझ में आ गया कि हुस्ना ने पिछले कई महीनों से उससे क्यों दूरियाँ बना लीं थीं,वो उससे मिलने के लिए फौरन जेल भागा,जेल पहुँचा और हुस्ना उसके सामने आई,फिर वो हुस्ना से बोला......
इसलिए मुझसे दूरियाँ बनाईं जा रहीं थीं,ताकि मेरा नाम ना आएं,
क्या फर्क पड़ता है,गौरी के हत्यारों का खात्मा तो हो गया ना!हुस्ना बोली।।
तुम इतनी खुदगर्ज निकलोगी,मैनें कभी नहीं सोचा था,अकेले ही सारा इल्जाम अपने सिर ले बैठी,कुछ सोचा है अपने बारें में कि अब तुम्हारा क्या होगा?मुरारी बोला।।
मैनें तो बस दोस्ती निभाई है,हुस्ना बोली।।
वाह....जी....एक तुम्ही बस को तो वफादारी आती है,मुरारी बोला।।
और क्या....अपने दोस्त को सूली पर कैसे चढ़ने देती,हुस्ना बोली।।
इसलिए खुद को सूली चढ़ाने का इन्तजाम कर बैठी,मुरारी बोला।।
अब मर जाऊँ तो कोई ग़म ना होगा,मेरा बदला जो पूरा हो गया ऊपर से एक सच्चा दोस्त मिल गया और हाँ मेरे जाने के बाद कोई अच्छी सी लड़की ढूढ़कर शादी जरूर कर लेना,फिर मैं तुम्हारी बेटी बनकर तुम्हारे घर जन्म लूँगी,हुस्ना बोली।।
ये सब छोड़ो....बहुत हो चुका तुम्हारा मज़ाक,तुम्हें पता है ना कि अब पुलिस तुम्हारा क्या हाल करेगी?मुरारी बोला,
सब झेल लूँगी,यही दिलासा रहेगा कि मेरा दोस्त तो महफूज है,हुस्ना बोली।।
तुम सच में पागल हो ,मुरारी बोला,
वो तो मैं हूँ,हुस्ना बोली।।
मुझे माँफ कर दो,मैनें तुम्हें गलत समझा और उस दिन इतना भला बुरा कहा,मुरारी बोला।।
कोई बात नहीं,मैं तुमसे ना तब खफ़ा थी और ना अब खफ़ा हूँ,हुस्ना बोली।।
और उस दिन दोनों की आँखों में आँसू थे,कुछ एकदूसरे से बिछड़ने के ग़म के और कुछ युद्ववीर की मौत की खुशी के,तभी महिला पुलिसकर्मी बोली....
मिलने का समय समाप्त हो चुका है ,
और फिर उस दिन भारी मन से मुरारी घर लौटा ,उसने अपनी माँ कावेरी और गीता को सबकुछ बताया,तब कावेरी बोली....
हुस्ना ने तुझे बताएं वगैर इतना बड़ा कदम उठा लिया,अब ना जाने उसे क्या सज़ा मिले?
हाँ!माँ!उसकी जान कभी भी जा सकती है,मुरारी बोला।।
तू चिन्ता मत कर ,सब ठीक हो जाएगा,कावेरी बोली।।
माँ!अब कुछ ठीक नहीं होगा,ये कहकर मुरारी कावेरी से लिपट गया....
और फिर उस रात बल्लू भइया हुस्ना से मिलने जेल पहुँचे और हुस्ना से बोले कि....
वो सारा इल्जाम अपने सिर ले ले।।
लेकिन हुस्ना नहीं मानी और बोली.....
तुझे भी अपने किए की सजा भुगतनी होगी,
इतना सुनकर बल्लू भइया हुस्ना से मिलकर जेल से वापस तो आ गया लेकिन सुबह जेल में महिला पुलिसकर्मी ने देखा कि हुस्ना मर चुकी है और उसके अगल बगल उसकी उल्टियाँ पड़ी हुई हैं,ना जाने रात को हुस्ना ने क्या खाया कि उसे पहले उल्टियाँ हुई और बाद में मर गई,क्या हुआ ,कैसे हुआ?किसी को कुछ समझ नहीं आया.....
लेकिन मुरारी की दोस्त हुस्ना अब इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी थी,मुरारी अब फिर से अकेला पड़ चुका था इसलिए उसकी माँ ने उसके लिए फिर से लड़की तलाश करना शुरू कर दिया...
फिर एक रोज़ ख़बर सुनने में आई कि कावेरी की एक बहुत पुरानी सहेली जमुना उसने अपने पति का ख़ून कर दिया है और वो जेल चली गई है,उसने जेल से कावेरी को ख़बर भिजवाई कि वो उससे मिलना चाहती है....
पहले तो कावेरी को कुछ अजीब लगा लेकिन फिर वो गीता की बात मानकर जमुना से मिलने जेल पहुँची और उससे पूछा कि....
बोल क्या बात है?
मेरी बेटी को तो तू जानती है ना!
हाँ!उसे कैसें भूल सकती हूँ,तू तो दूसरी शादी करके अपने मरद के साथ दूसरे शहर बस गई,ना कभी खुद मिलने आई और ना ही मुझे बुलाया,अब सालों बाद तुझे मेरी याद आई है,जब तू जेल चली गई तब,कावेरी गुस्से से बोली।।
कोस ले जितना कोसना है,गलती मेरी ही है जो विधवा होने के बाद मैनें उस मनहूस लाखन से दूसरी शादी की,वो एक नम्बर का हरामखोर था तभी तो मैनें उस रात उसे मार डाला.....जमुना बोली।।
लेकिन क्यों मार दिया उसे?कावेरी ने पूछा...
तब जमुना बोली....
मुझे क्या मालूम था कि वो ऐसा निकलेगा,मैनें तो सोचा था कि मेरी बिन बाप की बेटी को बाप का साया मिल जाएगा,जब मैनें लखन से शादी की थी तो लाली दस बरस की थी,अब धीरे धीरे लाली बड़ी होने लगी तो उस पर वो लाखन बुरी नज़र लगने लगा,तब मैं अपनी बेटी को लेकर उससे दूर रहने लगी,मैनें एक अलग कमरा तलाश लिया और अपनी बेटी के साथ वहाँ रहने लगी,तीन चार सालों तक मैं उससे दूर रही,
लाखन को ये सब अच्छा नहीं लगा और उसने मुझसे माँफी माँगी तो मैं फिर उसके साथ रहने आ गई, मुझे लगने लगा था कि लाखन सुधर चुका है और उस पर मैनें फिर से भरोसा कर लिया,अब लाली सोलह की हो चुकी थी तो मैनें सोचा अब इसके हाथ पीले करके जिम्मेदारी से आजाद हो जाऊँ,तभी एक रात मुझे काम से लौटने पर देर हो गई और उस वहशी ने पीने के पानी में कुछ मिलाकर लाली को बेहोश कर दिया और अपनी हवस मिटा ली,
मैं जब काम से लौटी तो कमरें के दरवाजों की कुण्डी बाहर से लगी थी मैनें दरवाजा खोलकर देखा तो लाली अपने बिस्तर पर अस्त-ब्यस्त सी बेहोश लेटी थी,मुझे समझते देर ना लगी और जब लाली होश में आई तो उसकी हालत बहुत खराब थी,लाखन ने सोचा था कि वो इतना सब करके बच जाएगा लेकिन मैं ने भी ठान लिया था कि जब भी वो घर लौटेगा तो मैं उसे नहीं छोड़ूगी और फिर लाखन दो महीने बाद घर लौटा,मैनें भी ऐसा नाटक किया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है और रात को उसके खाने में नींद की गोलियाँ मिला दी और जब वो सो गया तो मैनें उसे चाकू से गोद डाला और खुद ही पुलिस स्टेशन जाकर अपना जुर्म कूबूल कर लिया लेकिन किसी से ये नहीं बताया कि लाखन ने मेरी बेटी की इज्जत को जार जार कर दिया है क्योंकि फिर उससे कोई भी शादी नहीं करेगा,
जमुना की बात सुनकर कावेरी बोली....
अब तू मुझसे क्या चाहती है?
यही कि मेरी बेटी अकेली है तू उसे अपने घर में रख लें,जमुना बोली।।
लेकिन ऐसे कैसे रख लूँ,घर में तो पूछना पड़ेगा,कावेरी बोली।।
बहुत एहसान होगा मुझ पर,अगर तू मेरा ये काम कर देगी,जमुना बोली।।
जब दोनों के बीच बात खतम हो गई तो कावेरी घर लौटी और उसने जमुना की सारी कहानी गीता और मुरारी को सुना दी,तब मुरारी बोला....
माँ!हमें लाली को अपने घर में रख लेना चाहिए,
लेकिन जवान लड़के के होते हुए एक जवान लड़की को घर में कैसें रख लूँ?कावेरी बोली।।
तो तुम ऐसा करो भइया की शादी लाली से करवा दो,गीता बोली।।
लेकिन वो लड़की सही नहीं है,कावेरी बोली।।
मतलब क्या है तुम्हारे कहने का?मुरारी बोला।।
बेटा!उसके सोतेले बाप ने उसको कहीं का नहीं छोड़ा,अब वो इस काबिल नहीं रही,कावेरी बोली।।
अब तब तो मैं उससे ही शादी करूँगा,उस मासूम का इसमें क्या दोष?मुरारी बोला।।
तू कहीं पागल तो नहीं हो गया,कावेरी बोली।।
माँ!तुम समझने की कोशिश करो ना!एक मासूम का जीवन सुधर जाएगा,गीता बोली।।
तू भी ऐसा कहती है,कावेरी बोली।।
माँ!मान जाओ ना!मुरारी बोला।।
लेकिन तूने उसे देखा ही नहीं है,कभी बचपन में मिला होगा उससे,कावेरी बोली।।
कोई बात नहीं!मैं तैयार हूँ,मुरारी बोला।।
और फिर मुरारी की पत्नी बनकर लाली उस घर में आ गई,लाली बहुत ही खूबसूरत और समझदार थी,उसने आते ही सबको समझ लिया,लेकिन फिर कावेरी ने मुरारी से अलग घर लेने को कह दिया,उस छोटे से घर में और उस मुहल्ले में उसे बहु का रहना उचित नहीं लगा,अब तो मुरारी गैराज में काम करके इतना कमा लेता था कि अपना परिवार चला सकें और खुशी खुशी वो अपना जीवन लाली के साथ गुजारने लगा....
और इधर गीता एक दिन काम पर पहुँची तो जो उसने देखा उसे सुनकर वो बिल्कुल शून्य हो चुकी थी,क्योंकि उसके सामने ही उसकी हमउम्र सुहाना की अर्थी जा रही थी और उसके घरवाले चाहते थे कि उसका अन्तिम संस्कार जल्द से जल्द हो जाएं क्योंकि उसकी मौत के पीछे का राज वो किसे को नहीं बताना चाहते थें,गीता जब कुछ सन्तुलित हुई तो सुहाना को देखकर फूट फूटकर रो पड़ी ,क्योंकि वो ही तो इकलौती एक उसकी सहेली थी जिससे वो बेहिचक किसी भी विषय पर बात कर सकती थी,

क्रमशः....
सरोज वर्मा....