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सपने - (भाग-36)

सपने......(भाग-36)

अगली सुबह बहुत भागदौड़ वाली थी.......।
होटल में सब इंतजाम होने के बाद भी काफी काम निकल ही आता है......शादी से पहले कुछ रस्में जो सोफिया के परिवार के साथ होने वाली थीं, वो भी तो श्रीकांत की फैमिली ने ही करवानी थी.......तो हर काम भी डबल था......आदित्य और नवीन बाहर के सब काम कर रहे थे और राजशेखर को श्रीकांत के साथ पूरा टाइम रहने के लिए मना ही लिया था.......राजशेखर जब से बैंग्लुरू से आया था उसके कुछ दिनों के बाद से ही उसके अप्पा के फ्रैंड की बेटी रश्मिकीर्ति से मिल रहा था.....काफी सुंदर और सुलझी हुई लड़की लगी उसे......दोनो कभी कभार लंच पर मिल लिया करते थे.....तो राजशेखर की दोस्ती उससे हो ही गयी थी.....उसने श्रीकांत से पूछा था कि क्या वो रश्मि को शादी पर बुला सकता है तो श्रीकांत ने उसे खुद ही इंवाइट किया था......इससे पहले राजशेखर ने किसी को भी नहीं बताया था कि बात फार्मल से कैजुअल तक पहुँच गयी है और अब वो लोग करियर के साथ साथ पसंदीदा रंग, फिल्म और हीरो हिरोइनो को भी डिस्कस करने लगे हैं.....। बातें फोन पर, मैसेज से सुबह शाम रात जब भी वक्त मिले होने लगी हैं......पर सब लोग इतना बिजी हैं कुछ टाइम से कि राजशेखर में आए बदलाव को कोई नोटिस ही नहीं कर रहा था.......। सभी रीति रिवाजों में आस्था ने बढ चढ कर हिस्सा लिया.....आस्था जिसके पास अपनी शॉपिंग करने का टाइम ही नहीं था वो हर फंक्शन पर अलग ड्रैस, मैचिंग ज्यूलरी और फुटवियर्स पहन रही थी जो कम से कम आदित्य के लिए हैरानी की बात थी........।
आदित्य उसे लांग स्कर्ट और क्रॉप टॉप में देख कर बस देखता ही रह गया....तभी उसके दिमाग में आई ये बात कि इसने शॉपिंग कब की......घर पर भी तो रोज खाली हाथ आती रही थी......उसने नवीन से पूछा "यार आस्था के साथ तू शॉपिंग पर गया था क्या"? "नहीं भाई मैं तो नहीं गया"! नवीन की बात सुन कर आदित्य बोला, "फिर ये सब कैसे और कब किया आस्था ने? वो तो बहुत बिजी थी और हमारे साथ भी नहीं गयी"! आदित्य की बात सुन कर नवीन मन ही मन हँस रहा था.....पर वो हँस तो सकता नहीं था तो बोला, "यार हमें क्या लेना देना इस बात से, देखो कितनी अच्छी तो लग रही है, अब क्या फर्क पड़ता है कि कब और कैसे लायी, शायद नचिकेत के सथ फ्री टाइम में शॉपिंग पर चली गयी हो? वो भी तो कितना अच्छा इंसान है और आस्था का दोस्त भी तो है"!नवीन के मुँह से नचिकेत का नाम सुन कर आदित्य के चेहरे का रंग बदल गया, ये नवीन ने देखा था और इस पल उसके बदलते रंग और दर्द को महसूस कर नवीन को खुद पर ही गुस्सा आया कि क्यों उसने नचिकेत का नाम लिया? आदित्य ने तुरंत अपने आप को संभाल लिया और बोला, "हाँ यार ठीक कह रहा है.....शॉपिंग कब की इससे किया फर्क पड़ता है, सचमुच आस्था सुंदर तो लग रही है".........! सोफिया को तैयार होने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ा......सब कुछ होटल में ही अरैंज हो गया था......सोफिया, आस्था,श्रीकांत की आई और भी जो औरते थी सब को तैयार करने के लिए स्टॉफ वहीं आ गया.......सोफिया आँरेंज कलर के लँहगें में बहुत सुंदर लग रही थी....वहीं उसी रंग से मिलता जुलती रंग की कढाई वाली क्रीम रंग की शेरवानी में श्रीकांत भी बहुत हैंडसम लग रहा था.....आदित्य, नवीन और राजशेखर तीनों ने एक ही कलर यानि काले रंग का कढाई वाला कुरता और चूढीदार पहना हुआ था.......वहीं आस्था ने काले रंग की शिफॉन पर बारीक गोल्डन जरी के काम वाला बार्डर वाली साड़ी पहनी थी......बालों का जूड़ा बनाया हुऐ था जिसमें गोल्डन फूल लगे हुए थे। कानो में मैचिंग झुमके पहन कर वो सबसे अलग दिख रही थी.......सोफिया भी उसे देखती ही रह गयी। तभी वहाँ रश्मि की एंट्री हिआ जिसने सिल्क की कुरती और डेनिम का जींस पहनी हुई थी। कर्ली काले घने बालऔर हँसने पर गालों में पडने वाले डिंपल के तो सब कायल हो गए। राजशेखर ने सबसे उसे मिलवाया। शांति से शादी की सभी रस्में हो गयीं........सब बहुत खुश थे। आस्था और रश्मि थोडी ही देर में घुलमिल गयी। अगली सुबह सब बारातियों को सही सलामत भेज कर ही सबने चैन की साँस ली। सिर्फ रह गए तो श्रीकांत और सोफिया की फैमिली और दोस्त......। कुछ रस्में जो डोली के बाद घर पर की जाती हैं वो करने के लिए इंतजार करना था....थोड़ी देर सबने आराम किया। सोफिया, उसकी फैमिली और कजिनंस घर चले गए....तैयार होने के लिए। चर्च में भी तो शादी करनी थी....। सविता ताई को रात को ही सुबह साफ सफाई करने को कह दिया था........सब तैयार हो कर चर्च गए और वहाँ विधिवत दोबारा शादी हुई.....।
सोफिया सफेद गाऊन में बिल्कुल परी लग रही थी और आस्था ने वाइट और पिंक गाईन पहना था और सभी आदमी ब्लैक कोट पैंट में थे.....श्रीकांत की आयी ने बहुत ही सोबर रंग की साड़ी पहनी थी। यहाँ सोफिया की तरफ से कुछ मेहमान भी थे.....सोफिया की मांग में सिंदूर और हाथो में मेहंदी थी......चूढियाँ उतारी नहीं जानी थी तो उन्हें वाइट दस्तानों नें ढक ली थी.......इस तरह दोनो तरीकों से शादी करके और उसके बाद एक छोटा से होटल में लंच अरैंज किया गया था.....। जहाँ श्रीकांत की तरफ किसी भी फंक्शन में नॉनवेज नहीं था वहीं सोफिया के परिवार की तरफ का लंच उनके अपने टेस्ट के हिसाब से था। श्रीकांत बेशक बाहर नॉनवेज खा लेता है पर अपने परिवार के सामने तो वो भी नहीं खाता था.......। श्रीकांत की फैमिली के लिए अलग से लंच अरैंज किया गया। आस्था, आदित्य,नवीन और राजशेखर ने भी वेज ही खाया.......! श्रीकांत के पैरेंटस सोफिया को फ्लैट पर ले आए.....आदित्य ने डोली के लिए गाड़ी पहले से ही तैयार खड़ी थी....एक गाड़ी में श्रीकांत अपनी फैमिली के साथ और दूसरी गाड़ी में आदित्य वगैरह.....फ्लैट पहुँचे। सविता ताई ने दुल्हन के गृहप्रवेश की तैयारी पहले ही कर रखी थी, जिसे देख श्रीकांत की आई बहुत खुश हो गयीं। गृह प्रवेश हो गया तो आस्था बोली, " अब श्रीकांत मेरा गिफ्ट दो? मैं ब्राइडमेट हूँ तो हमारे यहाँ तो अँगूठी मिलती है तुम क्या दे रहे हो"? आस्था की बात सुन कर श्रीकांत बोला, "मैं दिल्ली से दोस्त हूँ तेरा और तूने एक रिंग के लिए पार्टी बदल ली, मैं बहुत हर्ट हो गया हूँ आस्था तेरी बात सुन कर"! श्रीकांत ने इतना सीरियसली कहा कि आस्था बोली," सॉरी यार मजाक कर रही थी"! "मैं भी मजाक ही कर रहा था"! आस्था का सॉरी सुन कर श्रीकांत ने हँसते हुए कहा......."श्री मजाक अपनी जगह है, पर आस्था की बात बिल्कुल सही है, चलो अब निकालो अपनी जेब से जो मैंने तुम्हें दिया था"! श्रीकांत अपनी आई के कहने से पहले ही अपनी पॉकेट में हाथ डाले बैठा था, " क्या आई थोड़ा मजाक तो करने देती", कह कर उसने आस्था के हाथ पर एक छोटा सी डिबिया रख दी....आस्था ने उसे खोला तो उसमें सोने की प्यारी से चेन थी.....उसने आई और श्रीकांत को थैंक्यू बोला। श्रीकांत के हाथ में एक लिफाफा भी था जो उसने अपनी आई के हाथ में दे दिया। श्रीकांत के आई बाबा ने वो लिफाफा सविता को दे दिया। रात की ट्रैन से वो लोग वापिस जा रहे थे साथ में सोफिया और श्रीकांत का जाना भी जरूरी था। कुलदेवी के मंदिर में माथा टेक कर आना था.......। 2-3 दिन में वापिस आ कर वो लोग मुंबई से फ्लाइट ले कर हनीमून के लिए मलेशिया और सिंगापुर जाने वाले थे......। सब दोस्त उसे ये ट्रिप गिफ्ट के तौर पर देना चाहते थे.....पर श्रीकांत ने मना कर दिया। उसने किसी से कोई गिफ्ट नहीं लिया.....।
क्रमश: