Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 23 books and stories free download online pdf in Hindi

Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 23

काफी दूर जाने के बाद आखिरकार वो लोग एक बड़े से गोदाम के सामने पहुँचे। वोह आदमी अनिका को खींचे कर अंदर ले जाने लगा और अनिका उस से छूटने की कोशिश करती रही।

उसकी आंखों में आंसू जलने लगे थे और जो भावनाएं वोह अपने अंदर काफी देर से समेटे हुई थी वोह अब फूट पड़ी थी।
"तुम बेवकूफ हो! यह सब करके तुम क्या हासिल करना चाहते हो? और झगड़ा? आधे लोग तोह तुम्हारे यह बेवकूफी भरे हिंसा और अहम की वजह से ही मारे जा चुके हैं। अभी बंद करदो अपना यह पागलपन!"

"चुप, एकदम चुप!" उस आदमी ने अपनी आंखों में बेहद गुस्सा दिखाते हुए कहा। यह कुछ भी बेमतलब नही है। हमारा गौरव ही हमारी जिंदगी है, अगर कोई हमारी यह गौरव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, तोह उन्हे इसकी कीमत अपनी जिंदगी से चुकानी ही होगी।" उस आदमी ने अनिका को खींच कर अपने करीब कर लिया। "और सिंघम्स का गौरव, तुम्हारी मर्यादा तुम्हारी गरिमा में है, जिसे मैं तुमसे छीन कर मज़े करने वाला हूं।"

अनिका का दिल इतनी ज़ोर से धड़कने लगा की उस से सांस लेना भी मुश्किल हो गया। उसे कुछ तोह सोचना था अपनी तेज़ बुद्धि से ताकी वोह उस आदमी को खुद का रेप करने से रोक सके, अभी वोह कुछ हरकत करती उससे पहले ही उस आदमी ने उसके शरीर से कपड़े फाड़ दिए। अनिका की पीठ उस आदमी के चेहरे की तरफ थी।

वोह आदमी उस पर झुक गया, उसकी ब्रेस्ट को पकड़ लिया, और उसके शरीर को अपने से और करीब सटाने लगा, उसे अपना इरेक्शन का एहसास कराने के लिए। अनिका को उबकाई आने लगी पर उसने किसी तरह अपने आप को रोक लिया। उसने अपने कान के पास उसके होंठ महसूस किए। "मैं तुझे दिखाऊंगा की असली मर्द का एहसास कैसा होता है।" अनिका ने उसके अपनी ज़िप खोलने की आवाज़ सुनी, और फिर वोह उससे छूटने की कोशिश करने लगी। पर इससे वोह आदमी और भी ज्यादा एक्साइट होने लगा था।

उस आदमी ने एक तेज़ चाकू लिया और अनिका के कपड़ो को काटने लगा जबकि बाकी के सेनानी भद्दी टिप्पणी करने में लगे हुए थे। उस आदमी के हाथ तेज़ी से अनिका के शरीर पर ऊपर नीचे चल रहे थे जिससे अनिका के शरीर का साइड से हिस्सा दिखने लगा था। अनिका ने अपने शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया जिससे उस आदमी को यह लगने लगा की अनिका ने गिव अप कर दिया है। अनिका ने अपना सिर पीछे किया ताकी उस आदमी को देख सके। वोह आदमी उससे करीब आधा फूट ही लंबा था। अनिका ने अपना सिर हल्का सा और पीछे किया और उसकी गर्दन और भी ज्यादा दिखने लगी। धीरे से वोह आदमी भी रिलैक्स हो गया और अपनी पकड़ उस पर ढीली कर दी। तुरंत ही उसने अनिका का इन्विटेशन एक्सेप्ट कर लिया और अनिका को अपनी गर्दन पर उसके होंठो का स्पर्श होने लगा। अगले ही पल अनिका ने अपना सिर झुकाया और फिर तेज़ी से पीछे की ओर मारा जो की उस आदमी की नाक पर लगी, और तब तक करती रही जब तक की उसे खुद को फिट से तारे न दिखने लगे।

वह आदमी तेज चलाने लगा, पर इससे पहले कि वह अपने आप को रिकवर कर पाता, अनिका पलटी और अपनी एड़ी से उस आदमी के प्राइवेट पार्ट, पर जो बाहर निकला हुआ था, जोरदार मारा। वह आदमी जोर जोर से चिल्लाने लगा और उसके बाकी के आदमियों ने अपनी बंदूक उठाकर अनिका को निशाने पर रख लिया और इंतजार करने लगे ऑर्डर का अनिका को मारने का।

अनिका ने अपनी आंखें बंद कर ली, और अभय के बारे में सोचने लगी। उसका दिल जकड़ने लगा यह सोच कर की वोह अब अभय को दुबारा कभी नही देख या पकड़ पाएगी। उसने अपनी फैमिली के बारे में भी सोचा और भगवान से प्राथना करने लगी की उसके जाने के बाद उसकी फैमिली ठीक रहे। चारो तरफ गोली चलने की आवाजें आने लगी, पर उसके शरीर में कोई दर्द का एहसास नही हुआ। चारो तरफ कई लोगों के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी, और फिर कुछ उसकी बांह पर कटा और वोह दर्द से कराह उठी। पर दर्द इतना भी नही था की वोह दर्द से नीचे ही गिर पड़े।

"अनिका!" अनिका ने सुना की कोई उसे पुकार रहा है। उसने अपनी आंखें खोली, वोह यह सोचने लगी की उसे अभय की आवाज़ का भ्रम हुआ है शोर में। और फिर उसने उसे कुछ दूरी पर खड़े देखा, उसे बहुत ही राहत महसूस होने लगी।

वोह किसी चीज़ के लिए उस पर चिल्ला रहा था, पर चारों तरफ इतना शोर था की उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। अनिका का दिल जोरों से धक धक कर रहा था, और उसके कानों में लगातार गोली चलने की आवाजें आ रही थी। चारों तरफ खून ही खून था, यह भी समझ नही आ रहा था की कौनसा खून किस जाति का है। अभय उसकी तरफ बढ़ने लगा, और अनिका भी आगे बढ़ गई उससे मिलने के लिए।

अभय ने अनिका को जमीन पर धक्का दे दिया और उसे अपनी बॉडी से कवर कर लिया। अनिका अभय का हिलना डुलना महसूस कर रही थी क्योंकि अभय अपना हाथ उठा कर अपने आस पास के लोगों पर फायरिंग करने में अभी भी लगा हुआ था।

काफी देर बाद, फायरिंग रुक गई। चारो तरफ शांति थी, बस एक आदमी के घरघराहट की आवाज़ के सिवाय जो की उस से कुछ कदमों की दूरी पर ज़मीन पर लेटा तड़प रहा था। अभय रोल होते हुए अनिका पर से हट गया और तुरंत ही अनिका को वोह दिख गया जिसने अभी थोड़ी देर पहले उसे कई यातनाएं दी थी, हेमंत सेनानी।

अनिका का दिल फिर जोरों से धड़क उठा। यह अभी तक क्यों जिंदा है?

"क्या इस जानवर ने तुम्हे छुआ था?" अभय ने चुपचाप पूछा। उसकी नज़रे अनिका के फटे हुए कपड़ो पर थी।

अनिका इस वक्त बोलने की स्तिथि में नही थी इसलिए उसने सिर हिला कर हामी भर दी।

"यह लो," अभय ने उसके आगे गन बढ़ा दी।

अनिका स्कुचाने लगी।

हेमंत सेनानी खाँसने लगा और अपने मुंह में भरे खून को थूक दिया। उसका चेहरा पूरा खून से लतपत था क्योंकि नाक टूट चुकी थी।
"मैने तुम्हारी वाइफ के साथ खूब मज़े किए, सिंघम," हेमंत सेनानी ने अभय को ताना मारा। "एक रीयल हॉट जिसे रफ पसंद है। उसका वजाइना तो अभी भी टाइट है, जबकि तुम उसे जरूर नियमित तौर पर फक करते होगे। शायद इसलिए वोह मेरा पूरा अपने अंदर ले ही नही पाई क्योंकि मेरा कॉक बड़ा है।" अनिका झेंप गई। जबकि उसके अंदर कई सारे इमोशंस तूफान मचाए हुए थे। वोह अपने सामने खड़े इंसान के द्वारा अपमानित महसूस कर रही थी जो उसे रेप करने की इंटेंशन रखता था। उसने उसे और अभय को भी ताना मारा था। पर वोह किसी की जिंदगी तोह नही ले सकती थी। उसने अपनी मुठ्ठी कस दी, और इंतजार करने लगी किसी तरह के इंस्टिंक्ट का। एक स्वाभाविक प्रवृत्ति का जो उसे यह कह सके की किसी की जिंदगी लेनी है या नही।

"यह गन लो, अनिका," अभय ने गंभीर और खतरनाक आवाज़ में फिर अपनी बात दोहराई।

"मैं...मैं नही कर सकती," अनिका ने कहा। "मैं किसी की जान नही ले सकती।"

"यह कोई किसी नही है, अनिका," अभय ने तर्कसंगत स्वर कहा। "यह म***** है जिसने तुम्हे छूने की हिम्मत की है और फिर तुम्हारा उपहास उड़ाएगा। मैं तुम्हे एक मौका दे रहा हूं अपना बदला खुद लेने का।" जब अनिका अभी भी बुत बन कर खड़ी रही तोह हेमंत सेनानी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।

"तुम जानते हो यह क्यों इतना हिचकिचा रही है, सिंघम? क्योंकि इसे एक असली मर्द से फक करवाना अच्छा लगा। उसे एक मौका तोह दो, और यह मुझे जाने देगी। सही कहा ना, स्वीटहार्ट? हमने मज़े किए थे है ना? मुझे बहुत अच्छा लगा था जब तुमने मेरे कॉक को अपने मुंह में लिया था। मैं जिंदगी भर तुम्हारे साथ और मज़े करना चाहता हूं।"

"अनिका!" अभय ने अनिका को ज़ोर से पुकारा।

"अभय..." अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा, वोह उसे कहना चाहती थी की नही वो नही कर सकती, पर उसकी आँखों में कुछ था जिसने उसे चुप करा दिया।

अभय उसे शांत मन से ही देख रहा था। "यह आदमी तुम्हारे हवाले है जो चाहती हो वोह इसके साथ कर सकती हो," अभय ने कहा। "पर याद रखना, जो भी तुम चुनोगी, वोह जिंदगी भर के लिए तुम्हारा चयन होगा।" अनिका के आंखों से आंसू बह गए और वोह कांपने लगी, बंदूक को घूरे जा रही थी। वोह समझ रही थी की अभय क्या कर रहा है। उसे पता लग गया है की उसने भागने की कोशिश की थी। वोह उसे एक मौका दे रहा था की इस नई जिंदगी को चुने या फिर अपनी पुरानी जिंदगी में वापिस लौट जाए।

अनिका ने अपनी आँखें बंद की और एक लंबी गहरी सांस ली। फिर अपनी आँखें खोल कर, अभय के हाथ से उसने गन उठा ली और जमीन पर पड़े उस आदमी की ओर निशाना साध दिया।

वोह आदमी कटाक्ष भरी नज़रों से टेढ़ा मुस्कुराने लगा। "आह, क्या यही वोह हिस्सा है जहां मुझे अपनी ज़िंदगी के लिए तुमसे भीख मांगनी होगी?"

थोड़ा झुक कर अनिका ने गन को उस आदमी के सिर पर निशाना साधते हुए टिका दिया। और फिर एक बार और गहरी सांस ले कर उसने ट्रिगर दबा दिया।










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कहानी अभी जारी है
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