Childhood friends books and stories free download online pdf in Hindi

बचपन के दोस्त

दोस्ती एक ऐसा शब्द है जिसके लिए शायद शब्द भी कम पड़ जाय,पर मैं डरता हूँ दोस्ती करने से ऐसा नहीं है कि विश्वास नहीं रहा पर कुछ बचा भी नहीं इस रिश्ते में , जो कि साथ रखा जाए, मन बहुत होता है उसे सब कुछ बताऊं वापस से ,मज़ाक मस्ती करूँ उस से, दिल का हाल भी बताऊं,,,पर अब हो नहीं पाता, उस तरफ कदम नहीं जाते। मायूसी सी आ गयी है इस "दोस्ती" शब्द में

ऐसा भी नहीं है कि बात नहीं करता किसी से, पर मन नहीं लगता किसी में अब भागता हूँ हर किसी से। किसी को भी दोस्त कहने से पहले अब डर लगता है सोचता हूं इसने भी एक ना एक दिन धोखा ही देना है, फायदा ही उठाना है फिर काहे के लिए पास जाऊं इसके। अकेला ही ठीक हूँ!!!
ऐसा नही है कि मेरे कोई दोस्त नहीं कहने को तो पुरी टोली है जहा मस्ती मज़ाक leg pulling,poking सब होता हैं पर फिर भी ना जानें क्यों एक सच्चे दोस्त की कमी महसूस होती हैं,, शायद इसलिए क्योंकि आजतक जिसे सच्चा माना उससे उतना साथ मिला नहीं !!
या यू कहूं जिसको सबसे करीब माना वही सबसे दूर दिखाई दिया!!! खैर

पर...

दिल के कोने में चाह अब भी है कि काश वो ही वापस मेरा सबसे अच्छा दोस्त बने क्योंकि......
तेरे जैसा यार कहा,,,
कहा ऐसा याराना!!!!

पता है तुम्हे मैं सबसे ज्यादा मिस करता हूं तेरी दोस्ती को और आज भी तेरे लिए यही गाना गुन गुनाता हूं

तू जो रूठा तो कौन हसेगा ....
तू जो छूटा तो कौन रहेगा....
तू चुप है तो ये डर लगता है,,,,
अपना मुझको अब कौन कहेगा!!!!!
तेरा यार हूं मैं ......
दोस्ती एक ऐसा शब्द है जिसके लिए शायद शब्द भी कम पड़ जाय,पर मैं डरता हूँ दोस्ती करने से ऐसा नहीं है कि विश्वास नहीं रहा पर कुछ बचा भी नहीं इस रिश्ते में , जो कि साथ रखा जाए, मन बहुत होता है उसे सब कुछ बताऊं वापस से ,मज़ाक मस्ती करूँ उस से, दिल का हाल भी बताऊं,,,पर अब हो नहीं पाता, उस तरफ कदम नहीं जाते। मायूसी सी आ गयी है इस "दोस्ती" शब्द में

ऐसा भी नहीं है कि बात नहीं करता किसी से, पर मन नहीं लगता किसी में अब भागता हूँ हर किसी से। किसी को भी दोस्त कहने से पहले अब डर लगता है सोचता हूं इसने भी एक ना एक दिन धोखा ही देना है, फायदा ही उठाना है फिर काहे के लिए पास जाऊं इसके। अकेला ही ठीक हूँ!!!
ऐसा नही है कि मेरे कोई दोस्त नहीं कहने को तो पुरी टोली है जहा मस्ती मज़ाक leg pulling,poking सब होता हैं पर फिर भी ना जानें क्यों एक सच्चे दोस्त की कमी महसूस होती हैं,, शायद इसलिए क्योंकि आजतक जिसे सच्चा माना उससे उतना साथ मिला नहीं !!
या यू कहूं जिसको सबसे करीब माना वही सबसे दूर दिखाई दिया!!! खैर

पर...

दिल के कोने में चाह अब भी है कि काश वो ही वापस मेरा सबसे अच्छा दोस्त बने क्योंकि......
तेरे जैसा यार कहा,,,
कहा ऐसा याराना!!!!

पता है तुम्हे मैं सबसे ज्यादा मिस करता हूं तेरी दोस्ती को और आज भी तेरे लिए यही गाना गुन गुनाता हूं

तू जो रूठा तो कौन हसेगा ....
तू जो छूटा तो कौन रहेगा....
तू चुप है तो ये डर लगता है,,,,
अपना मुझको अब कौन कहेगा!!!!!
तेरा यार हूं मैं ......