Chudel - Invitation of Jungle - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 5

कहानी का भाग 5

शंकर जो एक भयानक सपने की वजह से काफी डर गया था और अपनी बातों से और विष्णु को भी डराने की कोशिश कर रहा था।

विष्णु जो सोने की कोशिश कर रहा था और फिर से उठ कर बैठ गया था ,""चल अब तैयार ही हो जाते हैं आज थोड़ा दूर तलक इंटरव्यू देने जाना है टाइम पर निकल चलेंगे""

शंकर ,,"ठीक",,

और अब इन दोनों ने बिस्तर छोड़ दिया था।

7:00 बजे तक दोनों नाश्ता करके तैयार हो चुके थे और अब कमरे में ताला लगाकर और अपनी फाइल उठाकर घर से बाहर की तरफ बढ़ गए थे।

गोपाल राम जिनका घर किराए वाले घर के ठीक सामने था वह भी अपने गेट पर खड़े थे और इन दोनों को सुबह जल्दी घर से निकल कर जाता देख कर ,,,

""लगता है आज नौकरी मिल ही जाएगी तुम दोनों को",

शंकर ,,"जी हां सुबह-सुबह आपकी शक्ल देख ली है आज तो पक्का मिल जाएगी"",,

गोपाल राम उसकी यह बात सुनकर उसे गहरी नजरों से देखता है, ""मतलब मेरा चेहरा मनहूस है"",,

विष्णु ,,"अरे नहीं नहीं अंकल जी, बल्कि हम तो खुश हैं कि सुबह-सुबह आपके दर्शन हो गए"",, और फिर जल्दी से उनके पैरों को छूता है ,""आशीर्वाद दे दीजिए कि आज काम बन जाए"",,

शंकर भी पैर छूते हुए,," अंकल जी अच्छा सा आशीर्वाद दे देना कभी उस में भी कंजूसी कर जाओ"",,

गोपाल राम ,,"जाओ मेरा आशीर्वाद है नौकरी मिल जाएगी और पहली ही तनख्वाह में मुझे मेरा किराया दे देना"",,

अभी यह दोनों वहां से चलते, तभी वहां जाने कहां से एक बाबा इनके सामने आ पहुंचा था और इन तीनों को गेट पर खड़ा देखकर, चेहरे पर बड़े खुशी के भाव ले आया था.

बाबा जो लंबे कद काठी का था उसकी दाढ़ी उसके गले को छुपा चुकी थी, कानों में कुंडल हाथ में कमंडल और दूसरे कंधे पर एक भगवा थैला लटका हुआ था।

धोती कुर्ता में वह बेहद चमत्कारी पुरुष लग रहा था, उसकी आंखों से एक चमक झलक रही थी जिसने इन तीनों को थोड़ा सा विस्मित कर दिया था।

विष्णु और शंकर ने उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया था, और फिर आगे बढ़ने को हुए थे, क्योंकि यह जानते थे इनकी जेब में फालतू का पैसा नहीं है उस बाबा को देने के लिए और यह दोनों सिर झुका कर वहां से निकल जाना चाहते थे।

गोपाल राम जो सुबह-सुबह अपने दरवाजे पर आए इस बाबा को देखकर भगाना भी नहीं चाहता था, और कुछ देना भी नहीं चाहता था, उसने भी अब जल्दी से बाबा के कुछ मांगने से पहले ही अपनी बात से उन दोनों को इसकी तरफ धकेल दिया था।

गोपाल राम ,,""अरे अच्छे काम पर जा रहे हो जाने से पहले बाबा जी को दक्षिणा तो दे जाओ तुम्हारा काम एकदम से बन जाएगा,""

बाबा अब यह बात सुनकर,," हां बच्चा लाओ कुछ दक्षिणा देकर जाओ, जिस काम पर जा रहे हो वह अवश्य सफल होगा"",

शंकर जो यह बात सुनते ही अब थोड़ा सा परेशान हो गया था ,,अब उसके मुंह से एक दम से निकल गया था ""हम तो चुड़ैल के सवालों के जवाब देने जा रहे हैं क्या वाकई में सफल हो जाएंगे"",,

अब यह बात सुनते ही गोपालराम और वह बाबा दोनों एकदम सन्नाटे में आ गए थे और शंकर को बड़ी बड़ी आंखों से देखने लगे थे,।

बाबा अब एकदम से ,,""जा बच्चा अगर तू इसी काम से जा रहा है तो फिर तेरा यह काम सफल होगा"",,

विष्णु भी अब कुछ समझ नहीं पाया था और फिर एकदम से ,,""नहीं बाबा जी हम तो नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रहे हैं आप तो बस आशीर्वाद दीजिए कि हम दोनों को नौकरी मिल जाए,, यह तो ऐसे ही मजाक कर रहा है चुड़ैल की बात करके,"""

बाबा अब यह बात सुनते ही आंखों में क्रोध ले आए थे, ""क्या कहा तुम मेरी परीक्षा ले रहे थे तो फिर जाओ मैंने जो कहा है उसे आजमा लो,, ला अब निकल दक्षिणा,"", और उसने अपनी झोली आगे फैला दी थी।

शंकर अब बेहद ढीले हाथों से अपने पीछे की जेब से अपना पर्स निकालता है और उसमें से 10 का नोट बड़ी मुश्किल से निकालकर उस बाबा की झोली में डाल देता है,।

गोपालराम तिरछी नजरों से शंकर के बटुए के अंदर झांकते हैं पर उसमें ज्यादा पैसे ना देख कर फिर खुद ही मुस्कुरा उठते हैं।

""अच्छा बाबा जी दक्षिणा मिल गई आपको अब चलिए आगे "",और हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं.

बाबा अब खुश होकर आगे की तरफ बढ़ गए थे.

गोपाल राम मन ही मन में ,""चलो सुबह-सुबह जेब से पैसे नहीं निकले,, बच गया, अच्छा तुम दोनों अब क्यों खड़े हो जाओ निकलो इंटरव्यू देने ,,देर हो जाएगी ,,मेरा आशीर्वाद है आज नौकरी मिल ही जाएगी,"""

शंकर ,,"हां लग तो ऐसा ही रहा है"",

विष्णु और शंकर अब बस स्टॉप पर आकर खड़े हो गए थे पिछले 6 महीने से यह यही से बस पकड़ कर जगह-जगह इंटरव्यू देने जाते रहते थे।

अभी यह दोनों बस का इंतजार कर रहे थे तभी बस स्टॉप के पास एक स्कूटी सवार लड़की ने अपनी स्कूटी धीमी की थी और होरन दिया था ,उसका होरन देने का तरीका ऐसा था कि वहां खड़े सभी लोगों का ध्यान उस पर चला गया था।

शंकर ,,""अरे यह तो वही लड़की है ना, जो यहां बस का इंतजार किया करती थी देखो इसे नौकरी भी मिल गई और स्कूटी भी खरीद ली ,,इसके भी दिन बदल गए पर साले हमारे दिन अभी तक नहीं बदले""",

विष्णु अब उस लड़की की तरफ देखता है जो उसे मुस्कुरा कर देख कर तेजी से आगे निकल गई थी,"' लगता है यह हमें ही दिखाने के लिए होरन दे रही थी"",,

शंकर ,,""हां यार लगता है हमारा मजाक उड़ा रही थी,,",

विष्णु अब एक गहरी सांस लेकर ,"चल भाई बस आ गई हमारी"",, और दूर से आती बस की तरफ इशारा करता है।

अब यह दोनों बस में बैठकर अपनी मंजिल की तरफ निकल गये थे,।

बस में बैठने के साथ ही अब इन दोनों के कानों में चुड़ैल की ही बातें पड़ने लगी थी ,सभी लोग उसी चुड़ैल की बातें कर रहे थे ,और बोल रहे थे जंगल से बाहर चार लोगों की धड़ से सिर अलग लाश मिली है, और यह उस चुड़ैल का पहली रात का हत्याकांड था,

क्रमशः

कौन था वह बाबा, क्या उसकी बात को सच मानकर यह दोनों दोस्त अपनी किस्मत आजमाने चल देंगे, कौन है चुड़ैल जानने के लिए बने रहे इस रोमांटिक हॉरर के साथ