Chudel - Invitation of Jungle - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 10

कहानी का भाग 10

जंगल में एक बंजारन इस वक्त 4 गुंडों के सामने फंस चुकी थी और यह चारों गुंडे थे सिकंदर और उसके 3 साथी।

बंजारन लड़की अब एकदम से अपने बराबर में खड़े बिल्ला को धक्का देती है और तेजी से एक तरफ भाग पड़ी थी।

सिकंदर उसके पीछे लपकते हुवे,,," पकड़ो उसे भागने ना पाए,,"

अब यह चारों उस बंजारन लड़की के पीछे लग गए थे ,जो बहुत तेज गति से भागती हुई आगे बढ़ गई थी।

बिल्ला ,,"कहां तक बचकर भागेगी,, तू इस जंगल से बाहर नहीं जा सकती है, और तेरी भलाई इसी में है कि तू रुक जा ,वरना वह चुड़ैल तुझे मार डालेगी "',

लड़की ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए," नहीं मैं तुम लोगों के हाथ नहीं आऊंगी",,

सिकंदर ,"अरे रुक जा जान, देख हम तुझे अपने यहां रानी बनाकर रखेंगे, तो रुक तो सही,""

लड़की ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए भाग रही थी.

और अब यह आवाज जंगल से निकलने की कोशिश कर रहे विष्णु और शंकर को भी सुनाई देने लगी थी।

शंकर एकदम से विष्णु का हाथ पकड़ लेता है," यह तो किसी लड़की के चिल्लाने की आवाज है ऐसा लग रहा है वह खतरे में है",

विष्णु" मुझे तो ऐसा लग रहा है कि यह आवाज हमारी ही तरफ आ रही है ',,

विष्णु ने अपनी बात खत्म ही की थी, तभी उसे एक लड़की नजर आ गई थी और उसके पीछे -पीछे कुछ दूरी पर चार गुंडे भी नजर आ गए थे।

विष्णु ,,""शंकर वे चारों गुंडे जो हमें पकड़ कर लाए थे अब उस लड़की के पीछे हैं,,"",

अब वह लड़की बेहद तेजी से आगे आई थी और उसकी नजर भी इन दोनों लड़कों पर पड़ी थी और वह ठिठक कर रुक गई थी।

पीछे से भाग कर आ रहे गुंडे भी अब रुक गए थे और इन दोनों लड़कों को देखने लगे थे।

विष्णु ,,""आप घबराइए मत, हम आपको कुछ नहीं होने देंगे हम भी इस जंगल से बाहर निकल रहे हैं"",,

वह लड़की अब जाने क्या सोचकर इन दोनों के पास आ गई थी ,,और उसने अपनी बड़ी हुई सांसो को थामा था फिर इनके पीछे खड़ी हो गई थी।

सिकंदर हंसते हुए ,,"आ गया तुम दोनों को होश, लगता है तुम्हारे मरने का वक्त आ गया है,,'

शंकर,," मरने का वक्त हमारा नहीं तुम्हारा आया है अच्छा तो यही है कि यहां से भाग जाओ वरना इस लड़की की इज्जत बचाने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं"",

विष्णु धीरे से,," डायलॉग बोलने की जरूरत नहीं है"", और फिर उस लड़की का हाथ पकड़कर ,,"भागो यहां से हमें यहां से निकलना है',,,

इन सब की ऊंची और तेज चिल्लाने की आवाजें इंस्पेक्टर सावंत के कानों में भी गई थी ,और जाने क्या सोचकर उसने इस बार आकाश की तरफ गोली चला दी थी।

सिकंदर जो अपने साथियों के साथ आगे बढ़ा था, उस खूबसूरत लड़की को पकड़ने ,अब रुक गया था

"" रहने दो हमारे पास कोई हथियार नहीं है और कोई है जो गोली चला रहा है ,,चलो जल्दी से अब तो चुड़ैल ही इन्हें अपना भोजन बनाएगी"",,

अब यह चारों अपनी आंखों से दूर जाते शंकर विष्णु और इस बंजारन लड़की को देख रहे थे और फिर पलट कर अपने गुप्त ठिकाने की तरफ बेहद तेजी से भाग पड़े थे, इनकी रफ्तार बेहद तेज हो गई थी।

शंकर और विष्णु उस लड़की के साथ भागते हुए अब उसी झाड़ी के कुछ दूरी पर आ पहुंचे थे जहां इंस्पेक्टर सावंत अपने हवलदार के साथ छुपा हुआ था।

विष्णु ,,,""मैंने गोली चलने की आवाज सुनी थी और वह यहीं आसपास से चली है लगता है यहां कोई हमारा मददगार है"',,

इस्पेक्टर सावंत ,अब झाड़ियों से निकलकर बाहर आ गया था और यह तीनों अब इस्पेक्टर को देखकर एकदम से थोड़ा घबरा गए थे फिर इनके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी।

हवलदार बाबूराम अब इन तीनों के पास जल्दी से आते हुए ,,,""घबराओ मत और यहीं कहीं छुप जाओ चुड़ैल की नजर में तुम तीनों को नहीं आना है"",,,

विष्णु ,,"जी क्या कह रहे हैं आप, हम इस जंगल से बाहर निकल सकते हैं क्या आपको पता है हमें किस तरफ को जाना है"",,

इंस्पेक्टर सावंत ,,"हम इस जंगल से सुबह से पहले बाहर नहीं निकल सकते हैं, आ गई बात समझ में ,अब जल्दी से छुप जाओ ",,और फिर दोबारा हवलदार के साथ एक झाड़ी के अंदर प्रवेश कर गया था,,,

शंकर,,"" पर इंस्पेक्टर साहब आप यहां किस तरह आ गए क्या चुड़ैल को पकड़ने आए हैं'',,

इंस्पेक्टर सावंत ,""नहीं हम चार अपराधियों के पीछे आए थे जो एक छोटी बस को हाईजैक करके यहां ले आए थे"",,

विष्णु,"" अरे हम उन चारों की वजह से तो यहां है और अब वे इस लड़की के पीछे भी पड़े थे वह तो हम समय पर पहुंच गए इस लड़की के पास ,,,वरना वे इसे उठा कर अपने साथ ले जाने वाले थे",,,

हवलदार बाबूराम,,"" पर यह लड़की हां क्या कर रही है"",

शंकर ,,"'लगता है अमीर बनने के चक्कर में यहां आई है'',,

इंस्पेक्टर सावंत झाड़ियों के अंदर बैठे हुए ही कुछ सोचने लगा था और फिर,,,'' यह क्या कह रहे हो, वे गुंडे इस लड़की को उठाकर जंगल में ही कहीं जाना चाहते थे इसका मतलब उनके रहने का अड्डा इसी जंगल में है"",,

हवलदार बाबूराम,," आपने बिल्कुल ठीक सोचा सर, ऐसा ही लग रहा है पर वह इस जंगल में जिंदा कैसे हैं चुड़ैल इन चारों को मार क्यों नहीं रही है'",,

शंकर," कही यह चुड़ैल इन चारों कि पालतू तो नहीं है'',,

बंजारन लड़की शंकर की बात सुनकर,,"" अगर वह चुड़ैल उन चारों गुंडों की फालतू होती,, तो वे अभी भी हमारे पीछे आते ,,परंतु वह वहां से भाग गए छुपने के लिए"',,,,

विष्णु ,,"हां तुम्हें बिल्कुल ठीक कहा ,इसका मतलब कोई ऐसी जगह है जहां छुपकर चुड़ैल से बचा जा सकता है फिर तो हमें भी वह जगह ढूंढनी चाहिए'",,,

इंस्पेक्टर सावंत,," जगह ढूंढने के चक्कर में हम चुड़ैल का शिकार बन जाएंगे ,,पता नहीं वह हमें पकड़कर कैसे सवाल पूछ लें,,, जिनका जवाब हमारे पास ना हो ,,

""अच्छा तो यही है कि यही झाड़ी के भीतर अपने आप को छुपा लो, जाओ अब देर मत करो उधर सामने वाली साड़ी में छुप जाओ काफी घनी झाड़ी है"",,

विष्णु और शंकर अब उस बंजारन लड़की को लेकर सामने धनी झाड़ी में छुप गए थे।

बंजारन लड़की के होठो पर और हल्की सी मुस्कान आ गई,,,""' तुम दोनों तो मेरे साथ कुछ गलत नहीं करोगे ना"',,,

क्रमशः

कौन सी जगह जा कर छुपे हैं चारों अपराधी ,,जानने के लिए बने रहे कहानी के साथ,,,


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