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The Accidental Marriage - 1

पाखी बेटा कहा हो इतने देर से हम आपको आवाज दिए जा रहे हैं । आप हैं की कोई जवाब ही नहीं दे रही हो । सुन भी रही हो हमारी बात कहां हो बेटा,,,, बाबा हम सुन रहे हैं। हम बस आ रहे हैं, "पाखी ने कहा। थोड़ी देर में पाखी बाहर आती हैं एक हाथ में बैग दूसरे हाथ में चश्मा लिए । पाखी के बाबा ( मोहन दास ) जी कहते हैं,,,,"बेटा तुम्हे कैसे पता की हम तुम्हे इसके लिए ही बुला रहे थे ?
"बाबा हम आपकी बेटी हैं । हम नही जानेंगे तो और कोन जानेगा" , पाखी ने कहा। "अच्छा हम चलते है, हमे देर हो रही हैं आपके लिए नाश्ता हमने टेबल पर लगा दिया हैं।बाबा हमे आज ऑफिस से थोरी देर हो जायेगी आने में आप परेशान मत होना ।हम आजायेंगे"। पाखी की बातें सुन कर मोहन दास ने कहा, "अरे बेटा वो मिश्रा जी आए थे । उन्होंने एक बहुत अच्छे घर में तुम्हारे रिश्ते की बात की है तुम्हारी तस्वीर मांग रहे थे। लड़के वालों को दिखाने के लिए। तुम हां कहो तो हम देदे तुम्हारी तस्वीर" । "बाबा आपसे हमने कितनी बार कहा हैं नहीं करनी हमे अभी शादी कोई जरूरत नही हैं किसी को कोई तस्वीर देने की", पाखी गुस्से से मुंह फूलाते हुए कहती हैं।
मोहन दास (पाखी के बाबा) कहते हैं, " बेटा अगर तुमने किसी को पसंद किया होता तो हमें ये सब नहीं करना पड़ता "।अपने बाबा की बाते सुन कर पाखी कुछ सोचते हुए कहती हैं, "हाँ हमने किसी को देख रखा हैं"। ये कहते हुए पाखी मन ही मन खुश होते हुए कहती है, " चलो अच्छा है अब बाबा हमारे लिए रिश्ते देखना छोर देंगे"। मोहन दास खुश होते हुए कहता है, " तो बेटा जल्दी ही मिलवा देना हमे उस लड़के से हम भी तो देखे हमारा होने वाला दामाद देखने में केसा हैं "?
पाखी अपने बाबा की बातो का बीना कुछ जवाब दिए अपने ऑफिस चली जाती है। पाखी ऑफिस में अपना काम कर रही होती है। तभी उसे एक फोन आता है ।
फोन रिसीव करते ही दुसरी तरफ से बोल रहे शक्श की बाते सुन कर पाखी के आंखों से आंसु बहने लगते हैं। वो भागते हुए ऑफिस से निकल जाती है। फ्लैशबैक :
मोहन दास अपने पड़ोसी रघु के साथ बैठ कर बाते कर रहे थे वो दोनो बहुत अच्छे मित्र भी थे । रघु पाखी को अपनी बेटी की तरह मानता था । दोनों बाते ही कर रहे थें की अचानक से बादल गरजने लगे और बारिश शुरू हो गई । "अरे ये बारिश कैसे होने लगी ऐसे मौसम में पाखी ने तो कपड़े रखे थे सुखने के लिए छत पर सारे गीले हो जाएंगे । तुम यही बैठो रघु हम कपड़े लेकर आते है छत से कहते हुए", मोहन दास छत पर चले जाते है।कपड़ो को उठाते वक्त वो खुद भी गीले हो गए थे । वो कपड़ो को लेकर सीढ़ियों से उतर ही रहे थे की उनका पैर सीढ़ियों पर फिसल गया। और वो गिर गए उनकी आवाज सुनकर रघु दौड़ता हुआ सीढ़ियों की पास आया तो मोहन दास बेहोश पड़े हुए थे । उनके सर से काफी खून बह जा रहा था। वो खुदको संभालते हुए मोहन को उठाते है वो पाखी को कॉल करते हैं। जैसे ही पाखी ये सुनती है । उसके हाथ कांपने लगते हैं। और वो फोन रख देती हैं और भागते हुए वो घर के लिए निकल जाती है। फ्लैशबैक एण्ड.............,
पाखी का घर डॉक्टर मोहन दास का ईलाज कर रहे थें । पाखी उनका एक हाथ पकड़कर रोए जा रही थी आंसु जैसे रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। डॉक्टर पाखी को अपने साथ बाहर आने के लिए कहते है । डॉक्टर पाखी को उसके बाबा की कंडीशन के बारे में बताते हुए कहते है, " खून काफी बह चुका है, इन्हे किसी भी तरह की टेंशन न होने दे जितना हो सके इन्हें खुश रखने की कोशिश करे। ये जो कहे आप लोग वहीं करे 24 घंटे इनके लिए बहुत भारी है। अगर थोड़ी सी भी टेंशन ली इन्होंने तो इनकी जान भी जा सकती है। पाखी ये सब सुनते ही रोने लगती है । डॉक्टर उसे एक पर्ची देते है जिस पर दवाईयां लिखी थी पाखी उसे लेकर अंदर आ जाती है और अपने बाबा के पास बैठ जाती हैं।धीरे - धीरे मोहन दास अपनी आंखे खोलते है । उनके चेहरे को देख कर ही लग रहा था वो कितनी तकलीफ में है , वो धीरे से अपना हाथ उठाते है, पाखी तेजी से उनका हाथ अपने दोनो हाथो से पकड़ लेती है। पाखी के बाबा धीरे से कहते है , "बेटा मुझे तुमसे कुछ कहना है","हां बाबा कहिए ", पाखी रोती हुई आवाज में कहती है। जिसे देख कर मोहन दास की आंखों में भी आंसू आ जाते है , और वो कहते है , बेटा हम उस लड़के से मिलना चाहते है , तुम उसे बुलाओ यह सुन कर पाखी के होश उड़ जाते है ।और पाखी मन ही मन कहती है, " कैसे बताये बाबा को हम ने उनसे झूठ कहा था" ,
मोहन दास कहते है , "बेटा हम जानते है हम ज्यादा समय तक नहीं रहेंगे हम बस तुम्हारी शादी होते हुए देखना चाहते है , ये हमारी आखरी इच्छा है" । ये सुनते ही पाखी को झटका सा लगता है , वो रोते हुए कहती है , "बाबा आप कहीं नहीं जा रहे हमे छोड़कर और फुट फुट कर रोने लगती है"। रघु जो पास खड़ा सब देख और सुन रहा था। उसके आंखों में भी आंसु थे , वो पाखी को संभालते हुए कहता है, "बेटा अभी मोहन की हालत बहुत खराब है अगर तुम उसके सामने ऐसे रोओगी तो उसकी हालत और खराब हो जायेगी । जाओ जाकर मोहन की दवाई ले आओ । पाखी जो अपने बाबा की ऐसी हालत देख कर होश खो बैठी थी दवाई का पैकेट हाथ में लिए सड़क पर बेसुध सी चल रही थी ।उसे बाहर का शोर कुछ सुनाई नहीं दे रहा था अपने ख्यालों में ही गुम पाखी बस चले जा रही थी। तभी उसे कोई हॉर्न सुनाई दिया पाखी इधर उधर देखती है , उसे कुछ समझ नही आता । तभी उसकी नजर सामने से आ रही एक कार पर जाती है , कार बहुत तेजी से आ रही थी ।इससे पहले पाखी को कुछ समझ आता एक तेज आवाज के साथ गाड़ी रुकती है , पर तब तक पाखी उस कार को अपनी तरफ आता हुआ देख कर बेहोश होकर वही गिर जाती है आस पास चल रहे लोग ये देख कर वही रुक जाते है और घेरा बना लेते है ।तभी कार का दरवाजा खुलता है और उसमे से एक लड़का बाहर आता है जिसकी पर्सनेलिटी देख कर वहा सभी लोग उसे देखते ही रह जाते है , वो जल्दी से पाखी के पास जाता है , उसे बेहोश देख कर अपनी कार से पानी की बोटल निकाल कर उसके ऊपर पानी के कुछ छींटे मरता है। जिससे पाखी को थोड़ा - थोड़ा होश आने लगता है , "मैडम आप सड़क पर चल रही थी किसी महल में नहीं जो अपने ख्यालों में ही गुम थी , आप" उस लड़के ने कहा। उस लड़के की बाते सुनकर पाखी उस आवाज की तरफ देखती है एक लड़का जो उसे ही अपनी दोनों आंखों से घुरे ही जा रहा था । पाखी उठते हुए कहती है, "आई एम सॉरी गलती हमारी थी हमारा ध्यान कहीं और था तभी पाखी बोलते हुए गिरने लगती है ,उसे गिरता देख वो लड़का जल्दी से उसे अपनी बाहों थाम लेता है वो उसे देखते हुए कहता है, "तुम शॉक में हो अभी भी सही से खड़ी भी नहीं हो पा रही हो अपना पता बताओ मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हुं"।
पाखी कहती है , "नही हम खुद चले जाएंगे" । वो जैसे ही आगे कदम बढ़ाती है जाने के लिए उसके कदम एक बार फिर लड़खड़ाने लगते है। यह देख कर वो लड़का उसे कार का दरवाजा खोलते हुए उसकी तरफ देखता है। पाखी समझ जाती है और कार में जाकर बैठ जाती है। थोड़ी ही देर में वो दोनों पाखी के घर पहुंच जाते है।