Ek Ruh ki Aatmkatha - 37 books and stories free download online pdf in Hindi

एक रूह की आत्मकथा - 37

दिलावर सिंह समर से मिलने जेल पहुंचे।अब वह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो चुका था।जेल में उसके लिए विशेष व्यवस्था की गई थी।
दिलावर सिंह ने अकेले में उससे देर तक बात की।
वे समर से सवाल करते जाते थे पर वह चुप ही रहा।आखिर में उनका धैर्य जवाब दे गया।
"आखिर क्या चाहते हो तुम?जवाब क्यों नहीं देते?मैं जानता हूँ कि तुम अपना जीवन खत्म कर देना चाहते हो।तुम्हारे जीने की इच्छा खत्म हो गई है।कामिनी के बिना तुम्हें जीवन बेकार लग रहा है पर ये तो सोचो,तुम्हारे इस तरह चुप रहने से असल हत्यारा साफ बच जाएगा।क्या तुम नहीं चाहते कि कामिनी को न्याय मिले?"
"चाहता हूँ"
समर ने पहली बार जुबां खोली।उसकी आवाज ऐसी थी मानो गहरे कुंए से निकल रही हो।
"तो मेरे प्रश्नों का सही -सही उत्तर दो।" दिलावर सिंह की आंखों में चमक आ गई।
"जी पूछिए।" समर ने अब अपेक्षाकृत साफ आवाज में उत्तर दिया।
दिलावर सिंह ने उससे कामिनी के साथ गोआ जाने तक की पूरी कहानी सुनी।उसके आगे के बारे में उन्हें डिटेल्स जानना था।
"पार्टी में कौन -कौन शामिल था?
"ज्यादा लोग नहीं थे।गोआ के ही कुछ मित्र थे।" समर ने बताया।
"डॉo मयंक के बारे में नहीं बताया,जो उसी दिन अमेरिका से आए थे और दूसरे दिन सुबह चले गए थे।"दिलावर सिंह ने शिकायती लहजे में कहा।
"उनका इस केस से क्या लेना- देना है?"
समर ने आश्चर्य से अपनी आंखें फैला दीं।
"यही तो बात है।हो सकता है कि उन्हीं से लेना- देना हो।"
दिलावर सिंह ने अपनी संभावना बताई।
"मुझे विश्वास नहीं।वह मेरा बचपन का दोस्त है।"
समर ने इस संभावना को साफ नकार दिया।
"साँप आस्तीन में ही पलते हैं दोस्त।"दिलावर सिंह ने समर के कंधे पर हाथ रख दिया।
समर दिलावर सिंह का मुँह देखता रहा।क्राइम ब्रांच का सर्वाधिक काबिल ऑफिसर यूँ ही तो किसी पर ब्लेम नहीं कर सकता।जरूर कोई सबूत हाथ लगा होगा।
"जी ,आप पूछिए।मैं जितना जानता हूँ जरूर बताऊँगा..।" समर ने शांति से जवाब दिया।
"आप ये तो जान गए होंगे कि हत्या से पहले कामिनी के साथ बलात्कार हुआ था और हत्या के बाद उसके अंगूठे का निशान भी लिया गया था।" दिलावर सिंह ने समर को कुरेदा।
"जी,सुना था....।"समर के चेहरे पर गहरा दुःख उभर आया।
"मुझे धिक्कार है कि उसे बचा न सका।"समर की आंखों में आंसू आ गए थे।
"उसे तो न बचा सके पर उसके क़ातिल को जरूर बचा रहे हैं।अब तो मुझे सब कुछ विस्तार से बताइए।" दिलावर सिंह ने थोड़े गुस्से से कहा।
अब समर ने डॉo मयंक के अमेरिका से आने,अपने होटल में ठहरने के साथ ड्रग्स वाली बात भी बता दी।
"ओहो,तभी कामिनी की बॉडी में ड्रग्स मिला था।ड्रग्स के कारण ही उसकी तबियत खराब हुई और वह नशे मेंअचेत हो गई।जिसका फायदा उठाकर.....।"
दिलावर सिंह ने अपनी ऑंखें फैलाकर कहा।
"मैं बहुत शर्मिंदा हूं मुझे कामिनी को ड्रग्स देना ही नहीं चाहिए था।"समर ने पछतावे के स्वर में कहा।
"आपने नीम बेहोश कामिनी को डॉo मयंक के साथ होटल भेजा,यह ड्रग्स देने से भी ज्यादा गलत था।हो सकता है उसने ही कामिनी की अचेतावस्था का फायदा उठाया हो....।" दिलावर सिंह ने शिकायती लहजे में समर से कहा।
"नहीं ...नहीं मयंक ऐसा नहीं कर सकता।वह मेरी कम्मो के साथ....।"समर बदहवास दिखा।
"--'मांस की मोटरी और कुत्ता रखवार' वाली कहावत शायद नहीं सुनी आपने।एक ख़ूबसूरत औरत को अचेत देखकर देवताओं का भी ईमान डोल जाता है।"दिलावर सिंह ने अपने अनुभव को स्वर दिया।
"माना कि मयंक ने यह कुकर्म किया पर उसने हत्या क्यों की?" समर ने तर्क किया।
"हो सकता है कि कामिनी को होश आने लगा हो।उसने उसे अपने साथ बुरा करते देख लिया हो।मयंक को डर हो कि ये बात तुम्हें न बता दे इसलिए सबूत ही मिटा दिया।" दिलावर सिंह ने अपने मन की बात समर से शेयर की।
"लेकिन हत्यारे ने कामिनी के अंगूठे का निशान लिया था।शशांक तो बहुत ही अमीर है उसे किसी की सम्पत्ति का लालच नहीं हो सकता।" समर ने पूरे विश्वास से कहा।
"हो सकता है उसने भ्रम फैलाने के लिए अंगूठे का निशान लिया हो।" दिलावर सिंह ने अपनी आंखें छोटी करके समर को देखा।वे उस पर अपनी बात की प्रतिक्रिया देखना चाह रहे थे।
"इसे प्रूफ कैसे करेंगे?" समर ने परेशान स्वर में कहा।
"करेंगे न,पर इसके लिए मयंक को इंडिया बुलाना होगा और यह काम तुम्हीं कर सकते हो,पर इसमें बहुत सावधानी की जरूरत होगी।उसे जरा भी शक नहीं होना चाहिए कि उस पर कामिनी की हत्या का संदेह है।"
दिलावर सिंह ने अपनी योजना बताई।
"मैं तो जेल में हूँ और यह बात तो वह भी जानता होगा।वह यहां कैसे आएगा?"समर ने चिंतित मुखमुद्रा बनाकर कहा।
"डोंट वरी,तुम्हारी जमानत की व्यवस्था हो गई है।तुम अपने घर में ही रहोगे पर पुलिस की निगरानी में।मैं अपने रिस्क पर तुम्हें आजाद करवा रहा है क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम निर्दोष हो।"
दिलावर सिंह ने मुस्कुराते हुए समर से कहा।
लीला ने जब यह सुना कि समर की जमानत मंजूर हो गई है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।अमन भी मुस्कुरा उठा। दोनों ने मिलकर समर के कमरे को ठीक किया।उसे सजाया।समर की पसंद का खाना बनाकर लीला ने मेज पर सजा दिया। उसने सोच लिया कि अब वह समर से अपने सम्बन्ध को मधुर बनाएगी।पुरानी सारी बातों को भूला देगी।समर को हर तनाव से दूर रखेगी। वह जानती थी कि समर निर्दोष है उसने कामिनी की हत्या नहीं की है।वह अवश्य छूट जाएगा।
दिलावर सिंह के साथ ही समर अपने घर लौटा था।उसका पूरा मन था कि वह कामिनी के बंगले पर जाए,पर अभी स्थितियां अनुकूल नहीं थी।उसे अमृता की बहुत चिंता हो रही थी।जाने कैसी होगी उसकी कामिनी की प्यारी बेटी?दिलावर सिंह ने ही उसे बताया था कि वह इस समय अपनी दादी के घर पर है।वह खुद को संभालने की कोशिश कर रही है।
उसने हाईस्कूल पास कर लिया और बोर्डिंग स्कूल छोड़ दिया है।अब वह इसी शहर के किसी कॉलेज में आगे की पढ़ाई करेगी। उसका बेटा भी तो इंटर के बाद यही सोच रहा है।बस उसकी बेटी अंशिका वहीं हॉस्टल में है। वह इंटरमीडिएट के बाद ही घर लौटना चाहती है। जब से वह जेल गया है,सब कुछ लीला ही देख रही है।