Silent Love - 11 in Hindi Love Stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | खामोश प्यार - भाग 11

खामोश प्यार - भाग 11

मानव ने कौशल को देखा और फिर एक बार कायरा की ओर देखा। कायरा अब भी नजर और गर्दन नीचे किए हुए बैठी थी। उसकी धड़कनें बढ़ी हुई थी। मानव ने कायरा से बात करने के लिए बोलने की कोशिश की परंतु उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकली। उसने एक बार फिर कोशिश की परंतु इस बार भी वो असफल रहा और फिर कायरा से बिना कुछ बोले ही वहां से कैटिंन से बाहर आ गया। कायरा अब भी चुपचाप बैठी हुई थी। मानव जैसे ही कैटिंन से बाहर आया श्लोक दौड़कर उसके पास आ गया।

श्लोक ने पूछा- अरे तू पागल है क्या ? तुने उससे बात क्यों नहीं की ?

मानव ने कहा- मैं हिम्मत ही नहीं कर पाया श्लोक। मैंने कोशिश की पर मेरी आवाज ही नहीं निकल रही थी।

श्लोक ने फिर कहा- अरे यार तू भी ना। इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा तुझे। जा और उससे बात कर। हिम्मत कर और बोले दे जाकर उससे अपने दिल की बात।

मानव ने कहा- मैं नहीं बोल पाउंगा श्लोक।

श्लोक ने फिर से कहा- मानव... मानव... देख प्यार करता है तो इजहार तो करना ही होगा ना। इसलिए जा और उससे बात कर।

इन दोनों की बातों के बीच स्नेहा भी कायरा के पास पहुंच गई थी।

स्नेहा कायरा के सामने जाकर बैठ गई थी और उसे घूरकर देख रही थी। कायरा ने स्नेहा को देखा और कहा- अरे तू मुझे क्यों घूर रही है वो आया था मेरे पास। मैं तो अपनी जगह से उठी भी नहीं।

स्नेहा ने कहा- उसने कुछ नहीं कहा तो तू नहीं कह सकती थी ?

कायरा ने कहा- यार मुझे क्या पता था कि वो कुछ बोलेगा ही नहीं।

स्नेहा ने कहा- वो तुझे जाते हुए तो दिख रहा था ना, तब उसे रोककर बात नहीं कर सकती थी ?

कायरा ने कहा- यार तू भी कमाल करती है वो लड़का होकर नहीं बोल पाया और मैं लड़की होकर कैसे बोलती ?

स्नेहा ने कहा- ओह लड़की होकर उसे पसंद कर सकती है, दिल ही दिल में प्यार कर सकती है, रात भर जागकर उसके मैसेज का इंतजार कर सकती है, पर अपने दिल की बात नहीं बोल सकती है।

स्नेहा की बात सुनने के बाद कायरा ने कोई जवाब नहीं दिया। दूसरी ओर श्लोक बार-बार मानव को कायरा से बात करने के लिए कह रहा था। मानव ने एक बार पलटकर कायरा की ओर देखा और फिर श्लोक की ओर देखा और कहा- मुझसे नहीं होगा श्लोक।

इतना कहने के मानव फिर से अपनी क्लास की ओर चला गया। हालांकि वो क्लास में सिर्फ अपना बैग उठाने के लिए गया था। उसने बैग उठाया, बाहर आया, अपनी साइकिल उठाई और फिर अपने घर की ओर चल दिया।

कायरा भी फिर अपनी सीट से उठी और वो भी अपने घर की ओर निकल गई। स्नेहा उठकर श्लोक के पास आ गई। दोनों एक दूसरे को देखा और दोनों ही निराश नजर आ रहे थे।

श्लोक ने स्नेहा से कहा- अब क्या करें स्नेहा ?

स्नेहा ने श्लोक की बात का जवाब देते हुए कहा- हम क्या कर सकते हैं श्लोक? हम जितना कर सकते थे उतना कर चुके हैं। अब इन दोनों के दिलों में क्या चल रहा है यह तो यही लोग बता सकते हैं।

श्लोक ने कहा- स्नेहा मुझे एक बात समझ नहीं आ रही है कि इन दोनों के बीच है क्या ? दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं, पर बोलते नहीं है। ये ऐसा क्यों कर रहे हैं ?

स्नेहा ने कहा- पता नहीं क्या सोचते हैं दोनो। पहले तो ये था कि दोनों को पता ही नहीं था कि दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं, पर अब तो पता था ना कि वे दोनों ही एक-दूसरे को पसंद करते हैं, फिर तो बात करना चाहिए थी।

श्लोक ने कहा- मैं एक बार और मानव से बात करूंगा।

स्नेहा ने कहा- मैं तो कायरा से कोई बात नहीं करने वाली। वो जाने और उसका काम जाने।

इसके बाद श्लोक और स्नेहा भी वहां से चले जाते हैं।

कुछ ही देर में मानव अपने घर पहुंच जाता है। वो सीधे अपने कमरे में चला जाता है और दरवाजा बंद कर लेता है। उसके कमरे की दीवार में बनी अलमारी को उसने खोला और उसके दरवाजे पर लगी फोटो को देखने लगा। यह वहीं फोटो थी, जो उसने झरने के पास कायरा की ली थी। वो काफी देर तक उस फोटो को देखता रहा और फिर उसका एक हाथ फोटो में कायरा के चेहरे पर चला गया था।

दूसरी ओर कायरा भी अपने घर पहुंचकर अपने कमरे में चली गई थी और अपने बेड पर लेटी हुई थी और मानव के बारे में ही सोच रही थी। तभी उसे ऐसा अहसास हुआ कि किसी ने उसके गालों को छुआ है। वो चौंकी पर वहां तो कोई नहीं था। उसे वो अहसास बहुत अच्छा लगा था। वो कमरे में बेड पर लेटी अपने गाल को खुद छुकर उसे अंजानी सी छुअन के अहसास को महसूस कर रही थी। इस अहसास को महसूस करने के दौरान उसने अपनी आंखें बंद कर ली थी और एक बार फिर प्रतियोगिता में मानव की कही बातें उसके कानों में गूंजने लगी थी।

दूसरी और मानव अपने कमरे में लगातार कायरा के फोटो को देखे जा रहा था। वो काफी देर तक कायरा के फोटो को ही देखता रहा।वो कायरा के फोटो को देखते हुए अपने मन में ही कह रहा था कि काश मैं तुमसे अपने दिल की बात कह पाता। मैं चाहता हूं कि पूरी दुनिया के सामने तुमसे अपने दिल की बात कहूं। तुम्हें इतना प्यार करूं कि तुम उस प्यार में हमेशा के लिए खो जाओ। पर क्या करूं, देखों तुम्हारी बाहें तो खुली है, मैं चाहता हूं कि इनमें समा जाउं, पर शायद ये बाहें मेरे लिए नहीं खुली है। तुमने ही तो कहा था कि तुम किसी अंजान से प्यार नहीं करोगी। तुम्हें तो ऐसे प्यार पर भी यकीन नहीं हैं। तुम्हें पता है श्लोक कहता है कि तुम मुझे पसंद करती हो, उसे तुम्हारी दोस्त स्नेहा ने बताया है। पर मैं उनकी बात पर यकीन कैसे कर लूं जबकि तुमने तो खुद ही कहा है कि तुम्हें इस तरह के प्रेम पर यकीन ही नहीं है। तुम्हें तो रिश्तों के प्रेम पर यकीन है। फिर... फिर मैं कैसे उस प्रेम में जगह बना सकता हूं।

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