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बिलखता प्यार

हर प्यार की अपनी अपनी एक कोई न कोई एक कहानी होती है। तो आइए आपको एक प्यार और उसकी प्यार की संघर्ष से रुबरु कराते हैं। जो प्यार तो सफल हो गया लेकिन उसके बीच कितना पापड़ बेलना पड़ा । प्यार शुरू होने व सफल होने के बीच तकरीबन 16 साल वक्त का अन्तर हो गया।

यह कहानी है बलिया जिले के एक छोटे से गांव उसरैला की। जहां दो प्यार का बड़ी मशक्कत से मिलन हुआ। सन् 2003 के अगस्त महीने में एक विशाल नीम के छाँव में कुएं के पास तकरीबन 5 से 12 साल के लड़के और लड़कियां की 8 - 10 संख्या की टोली रहती थी। रोज सुबह वहीं बच्चें खेलते और शाम को अपने घर चले जाते। उस टोली में एक लड़का (अनुज) और एक लड़की (अनिता) भी खेलते थे। रोज की तरह खेलते खेलते अनुज को अनिता से काफी लगाव हो गया। उसको प्यार का मतलब तो पता नहीं था। मगर इतना जरूर था, कि वह उसके बिना खुश नहीं रहता था। जब वो खेलने आती तो अनुज खूब खुशी पूर्वक उसके साथ खेलता था। जब वह नहीं आती तो उसका राह देखता था। अनिता भी उससे काफी घुलमिल गई थी। अचानक कुछ ऐसा हुआ कि अनिता दो तीन दिन से खेलने नहीं आ रही थी। अनुज उसके बिना अकेलापन महसूस रहा था। एक दिन अपने दोस्तों से पूछ भी लिया कि वह कई दिन से दिखाई नहीं दे रही है। तो किसी ने बताया कि वह अपने मम्मी पापा के साथ दिल्ली चली गई। इतना सुनकर अनुज उदास हो गया और उसका मन रोने रोने से हो गया। तब से कुछ दिनतक उदास ही रहा। फिर उसे धीरे धीरे भूल गया। ऐसे ही चार साल बीत गए।

सन 2007 के मई के महीने में सुबह सुबह अनुज अपने खेत की ओर घूमते हुए जा रहा था कि अचानक उसकी नजर उसके खेत के सामने वाले घर के छत पर पड़ी। वह आश्चर्यचकित हुआ। उसने देखा कि एक 9 - 10 साल की एक सुन्दर सी लड़की छत पर खड़ी है । अनुज उसे 2-3 मिनट तक देखता रहा । फिर उसे याद आया कि यह तो वहीं लड़की है जो मेरे साथ खेलती थी। अनुज के दिल में फिर से उसके लिए प्यार जग गया। वह बहुत खुश हुआ और खुश रहने लगा। फिर उससे बात करना व दोस्ती करने का फैसला किया। अनुज 2-4 दिन से मौका ढूंढ रहा था कि एक दिन अनिता उसके घर के पास एक बड़े से हाते में एक बरगद के पेड़ के नीचे कई सारे लड़के व ल़डकियों के साथ खेल रहीं थीं। अनुज वहां जाकर बैठ गया। उसने भी उनके साथ खेलना चाहा। सब तो राजी हो गए लेकिन अनिता ने मना कर दिया। अनुज निराश होकर अपने घर लौट गया। लेकिन उसके दिल में अनिता का प्यार धीरे धीरे घर करने लगा। और इस कदर घर कर गया कि अनुज उसका दिवाना हो गया। उसको हर समय अपने साथ महसूस करने लगा। वह स्कुल जाती तो अनुज भी साइकिल से उसके पीछे पीछे स्कुल तक जाता था। अनिता को ये सब बुरा लगता था। अनुज ने कई बार उसके साथ बात करना व खेलना चाहता था लेकिन अनिता मना कर देती थी। अनुज निराश तो होता था लेकिन हार नहीं मानता था। यहां तक कि रात को सोते समय भी गाने सुनता और गानों में खुदको और अनिता को कल्पना करता और खुश रहता था। ऐसे कई दिन बीत गए। अनिता के बड़े भाई कोचिंग पढ़ाते थे। तब अनुज ने उसके घर कोचिंग पढ़ने का निर्णय लिया। खैर कोचिंग तो एक बहाना था। अनुज ने सन 2009 में उसके घर कोचिंग जॉइन की और लगातार 2 साल तक उसके घर कोचिंग पढ़ा और अनिता को लुभाने की कोशिश की फिर कोई फायदा नहीं हुआ। इधर अनुज के घर वालों को यह बात मालूम हो गया। क्योंकि वह घर पर मनसे पढ़ता नहीं था। और उसके घर का चक्कर लगाता रहता था। कोई न कोई बहाने से उसके घर चला ही जाता था। अनिता ड्रॉइंग भी काफी अच्छी बनाती थी, तो कभी ड्रॉइंग बनवाने के बहाने तो कभी उसके भाई से प्रश्न पूछने के बहाने। इतना सब करने के बाद भी जब कोई फायदा नहीं हुआ तो उसने लव लेटर लिखने का निर्णय किया।

सन 2011 के सितंबर के महीने में अपने स्कुल में अपने दोस्तों से एक लव लेटर लिखवाया और उसे एक छोटी बच्ची से भिजवाया। अनिता ने तो उस समय रख लिया उस बच्ची ने बताया। लेकिन इसके बाद क्या होने वाला था अनुज को अंदाजा भी नहीं था। अनिता ने वो लेटर अपने भाई को दे दी थी। ठीक उसके अगले शाम अनुज पास के दुकान से घर लौट रहा था तभी रास्ते में अनिता के बड़े भाई रास्ते में खड़े थे। अनुज थोड़ा भीतर से डरा लेकिन हिम्मत बांधकर आगे बढ़ने लगा। तब पीछे से आवाज आई। अनुज रुका और पीछे मुड़कर देखा तो अनिता के भाई अनुज को बुला रहे थे। उसके भाई ने लव लेटर के बारे मे पूछा। अनुज थोड़ा डरा फिर हिम्मत बांधकर उनको बहकाने की कोशिश की। लेकिन उसके भाई ने डांटा, समझाये फिर चेतावनी दी। कि दोबारा ऐसी गलती न हो। अनुज के मनमें बहुत दुख हुआ । वह घर जाकर बिस्तर पर सोकर खूब रोया। वह रात मे खाना भी नहीं खाया। फिर यह बात स्कुल में अपने दोस्तों को बताया। लेकिन उसके दोस्त थोड़ा मजा लिए फिर उसको सांत्वना दी।
इतना सब होने के बाद भी अनुज का दिल नहीं माना। फिर भी उसके पीछे पड़ा रहा। वह स्कुल जिस गाड़ी से जाती थी उस गाड़ी का इंतजार करता था। अचानक अनुज को किसी लड़के ने बताया कि अनिता गाँव के ही एक लड़के (रोहित) से उसका अफेयर चल रहा है। अनुज को विश्वास नहीं हुआ कि रोहित तो बहुत काला रंग का है उससे कैसे अफेयर है उसका। अनुज इस बात की तहकीकात करने लगा। फिर उसने रोहित से दोस्ती की उसके साथ उठना बैठना घूमना फिरना सब होने लगा। इसी बीच स्पष्ट हो गया कि रोहित और अनिता के बीच अफेयर है, क्योंकि वे दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कराते और बात करते रहते थे। रोहित से कभी कभी अनुज पूछ भी लिया करता था। उसी के विषय में चर्चा भी होती थी। अनुज ने रोहित से अनिता के प्यार के लिए उससे मनवाने गुहार भी लगाया लेकिन अनिता ने साफ साफ मना कर दिया कि वह अनुज से कभी बात नहीं करेगी। यह सुनकर अनुज को बहुत बुरा लगता था।
अनिता के चक्कर में अनुज अपने स्कुल के परीक्षा में फेल हो गया। स्कुल और घर में अनुज को बहुत डांट पड़ी अनुज को बहुत शर्मिन्दगी महसूस हुई। तब से अनुज निराश होकर अनिता को हमेशा के लिए भूलने का निर्णय लिया। फिर उसे धीरे धीरे मन व दिल से हमेशा के लिए उतार फेंक दिया। और अपने पढ़ाई पर फोकस करने लगा क्योंकि उसके माता-पिता गरीब थे और सारा जिम्मेदारी अनुज को निभानी थी।
कभी-कभी अनुज का मन नहीं मानता और वह अपने खेत में जाकर उसके घर के तरफ देखता तो अनिता अंदर से दरवाजा बंद कर देती थी। अनुज मुस्कराते हुए घर चला जाता था। कभी-कभी अनुज को जलाने के लिए अनिता अनुज को दिखाकर रोहित से बातें करती थी। इस तरह अनुज व अनुज का प्यार बिलखता रहा।
साल 2019 में कुदरत का ऐसा करिश्मा हुआ कि जहां अनिता अनुज से नफरत करती थी। अनुज ने कुछ ऐसा काम किया कि अनिता को अपने किए पर पछतावा हुआ। बात ये है कि अनिता 2019 में B.sc कर रही थी और उसका प्रैक्टिकल कॉपी लिखना था तब गांव में कोई लिखने को राजी नहीं हुए। तब अनिता की माँ ने अनुज से रिक्वेस्ट की तब अनुज ने ही लिखा तो अनिता को शर्म से झुकना पड़ा। फिर उसको अनुज से प्यार हुआ । अब अनिता अनुज के पीछे कम से कम 2 साल तक पड़ी रही। अनुज तो कसम खा रखा था कि वह अनिता से कभी प्यार नहीं करेगा और वह अनिता से पीछा छुड़ा रहा था कि अनिता को रहा नहीं गया और वह अनुज के प्यार में इस कदर पागल हो गई थी कि उसके बिना उसका जीना मुहाल हो चुका था। वह अनुज के सामने रोने लगी अनिता को रोते देख अनुज को बहुत दया आई और अनुज ने अनिता को अपना लिया। दोनों में प्यार हो गया। दोनों को प्यार मिला पर बिलखता प्यार मिला



- विशाल कुमार धुसिया