Dard a ishq - 35 books and stories free download online pdf in Hindi

दर्द ए इश्क - 35

विकी नहा-धोकर तैयार हो रहा था! । वह अपने बाल सवार रहा था! की तभी उसके मोबाइल की रिंग बजती है!..... देखता है तो सुलतान का कॉल था। वह बिना उठाए स्प्रे छिड़क कर तैयार हो रहा था। उसने सोचा की जब वह नीचे जाएगा तभी पूछ लेगा की क्या काम था। वह आखिरी बार खुद को शीशे में देखता है और फिर पर्स चाबी और मोबाइल को लेते हुए कमरे से निकल जाता है। वह मोबाइल को ऑन करके देखता है तो ७:३० बज चुके थे! । ९ बजे तक उसके मॉम डैड पार्टी से आ जाएंगे! । उनके आते ही वह सूझी के साथ शादी कैंसल करने के लिए भी बात करनी है!.... । क्योंकि स्तुति को इस बात का पता चलेगा तो वह तो टूट जाएगी और उसे लगेगा मैं उसे धोखा दे रहा हूं! ..... नहीं.... नहीं..… आज किसी भी तरह शादी की बात को लेकर बात करनी ही होगी। विकी जब सीढ़ियों से उतरता है तो हॉल में कोई नहीं था!। तो वह सुलतान के कमरे का दरवाजा खटखटाता हैं! । " सुलतान...! " लेकिन विकी को कोई जवाब नहीं मिलता तो वह दरवाजा खोल देता है कमरे में देखता है तो सुलतान नहीं था वह दरवाजा बंद करते हुए बाहर की और आगे बढ़ता है की शायद गार्डन में होगा! । लेकिन जब वह गार्डन में देखता है तो सुलतान वहा पर भी नहीं था। विकी अपना फोन निकालते हुए! सुलतान को कॉल करता है!... । लेकिन वह कॉल नहीं उठा रहा था । विकी अपनी कार की ओर आगे बढ़ता है! । और सोचता है की शायद वह किसी जरूरी काम से गया हो... । वह गाड़ी लेकर निकल पड़ता है। गाड़ी में जिस जगह जाना था वहां का पता डालते हुए! वह जैसे जैसे दिशा बताई जा रही थी वह वैसे गाड़ी चला रहा था । करीब पौने घंटे बाद जब वह उस जगह पहुंचा जिस जगह का एड्रेस उसने! डाला था तो वह थोड़ी दूर कार पार्क करता है! । वह कार से उतरते हुए आसपास देखता है तो खाने पीने की होटल और कैफे थे और कुछ बेकरी थी। जिसमे से एक बेकरी का नाम था एम एंड एस बेकरी ..... बेकरी के बार फूल के बुके थे! और गिफ्ट की कई सारी आइटम थी। वह जब कुछ कदम आगे बढ़ाता है तो! उसका ध्यान एक लड़की पर पड़ता है जो अंदर काम कर रही थी! । कांच के दरवाजों में से विकी उसे नजर ना आए ऐसे देख रहा था । वह लड़की कस्टमर को बिल देते हुए उनको एक बॉक्स भी दे रही थी। उसके चेहरे पर से मुस्कुराहट जा ने का नाम नहीं ले रही थी। बिलकुल स्तुति की तरह.... लेकिन यह चेहरा स्तुति का नहीं था बल्कि स्मृति का था। जो की विकी को यही बात खल रही थी....! । क्योंकि स्मृति या फिर यूं कहे स्मृति को देखने के बाद भी उसके दिल ने कोई पहल नहीं की.... ना धडकने बढ़ी और ना ही कोई भाव उमटा..... । तो उसे यहीं समझ नहीं आ रहा था की.... क्यों!? क्या उसका दिल बदल गया है! । या फिर उसे सिर्फ स्तुति के जिस्म या चेहरे से प्रेम था । वह सोच ही रहा था! की तभी आवाज आती है! ।

तान्या: तुम यहां क्या कर रहे हो!? ।
विकी: ( देखता है तो तान्या उसके पीछे खड़ी थी! । जैसे ही उसकी और नजर पड़ी उसने.... ब्लेक टीशर्ट और जींस पहनी थी। बिल्कुल सिंपल सा पहनावा था । लेकिन फिर भी एक पल के लिए मानो जैसे विकी दिल ने कुछ हरकत की हो वैसा महसूस उसे हुआ था । यह महसूस कर के विकी फिर से एक बार बेकरी की ओर देखता है जहां स्मृति खड़ी थी! लेकिन उसके दिल में कोई हरकत नहीं हुई!..... । मानो जैसे उसके सब कुछ घूम रहा हो...... उसका शरीर जैसे ठंडा पड़ रहा हो वैसा महसूस हो रहा था । वह तान्या को जवाब दिए बिना! ही जैसे तैसे अपनी कार की ओर आगे बढ़ रहा था। तभी कोई उसका हाथ पीछे से पकड़ता हैं। जिस वजह से मानो जैसे उसे एक करंट सा लगा हो वैसे ही तान्या का हाथ पटकते हुए खुद से दूर कर देता है। तभी तान्या कहती है ।

तान्या: तुम ठीक हो!? तुम्हे....... प....! ।
विकी: ( तान्या की बात काटते हुए ) आई.... आई एम फाइन....।

इतना कहते ही तान्या की ओर बिना देखे ही कार का दरवाजा खोलकर बैठते हुए.... ड्राइव करके चला जाता है । और तान्या उसे देख रही थी। विकी यह रेयर मिरर में से देख रहा था..... मानो जैसे उसकी नजरे उसे बांधे रखी थी। और काफी कुछ बाते बयान कर रही थी.... जो की विकी समझ नहीं पा रहा था । जब वह थोड़ी दूर जाते हुए वह कार को साइड में पार्क करते हुए..... कार से बाहर आ जाता है! क्योंकि अंदर उसका दम घूंट रहा था.... । वह ऑक्सीजन के लिए गहरी सांस लेने की कोशिश कर रहा था । वह कार का दरवाजा खोलते हुए.... टिस्सू बॉक्स ढूंढ रहा था..... । दो चार टीस्सू निकालते हुए वह अपने माथे पर पसीना पोंछने लगता है..... । शाम का मौसम था तो गर्मी नहीं थी लेकिन फिर भी मानो धूप में खड़ा हो वैसे पसीना आ रहा था। वह अपने दिल पर हाथ रख कर उसे थपथपाते हुए शांत करने की कोशिश कर रहा था । वह जैसे तैसे करके खुद को सामान्य हालत में ला ही रहा था कि तभी उसका फोन बजता है । जिस वजह से वह .... पॉकेट में से फोन निकालते हुए.... कॉल उठाता है ।

विकी: है.... हैलो..... !? ।
सुलतान: कहां हो मैं कब से तुम्हे कॉल कर रहा हूं! तुम उठा ही नही रहे!? ।
विकी: वो.... मैं.... बाहर आया.... था...! ।
सुलतान: तुम ऐसे थम थम के क्यों बोल रहे हो!? तुम ठीक हो!? ।
विकी: कुछ.... नहीं... वो.... .।
सुलतान: एक काम करो! तुम जहां हो वहीं रुको मैं वही आता हूं! कही मत जाना! ठीक है! ? ।
विकी: ओके! ।


इतना कहते ही.... विकी कार के सहारे जमीन पर.... बैठ जाता है... क्योंकि उसके पैरों में खड़े रहने की ताकत नहीं थी....! । विकी बैठे बैठे पता ही नहीं चला की वह कब बेहोश हो गया! । जब उसकी आंखे खुली तो... वह खुद को बेड पर पाता है। वह आसपास देखता है तो वह किसी और का रूम था.... वह जल्दी से कंबल हटाते हुए.... उठने ही वाला था की तभी रूम का दरवाजा खुलता है। वह देखता है तो सुलतान खड़ा था.... और साथ में मैड भी थी ।

विकी: मैं यहां कैसे!? ।
सुलतान: खाना रखके जाओ!? । ( मेड खाना टेबल पर रखकर चली जाती है। ) ।
विकी: सुलतान....!? ।
सुलतान: ( बेड के पास लैंप के टेबल के सहारे खड़े होते हुए ) नर्वस ब्रेक डाउन...! ।
विकी: नर्वस ब्रेक डाउन!? ।
सुलतान: डॉक्टर ने तो यही कहां कोई बहुत बड़ा जटका लगा जो की तुम सह नहीं पाए! ।
विकी: ओहह .... ( बेड पर तकिया के सहारे बैठते हुए )।
सुलतान: ओहह....!? ओहहह...! चु*या इंसान तुम्हारी जान भी जा सकती थी...! ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा जो इस कदर ...! ।
विकी: वो.... मैं स्तुति को देखने गया था...! ।
सुलतान: ( सोचने के बाद ) अगर वह इतनी ही इंपोर्टेंट है तो मैं उससे तुम्हारी शादी करवा देता हूं! उसके सामने यह सच्चाई होगी की मैने तुम दोनो की शादी जबरजदस्ती करवाई है! प्रॉब्लम सॉल्व तुम भी खुश वो भी! ।
विकी: सीरियसली सुलतान!? ।
सुलतान: मैं सच में कह रहा हूं! एक बार तुम हां करो!? उसे तुम्हारी जिंदगी में लाने के लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मैं करुंगा! ।
विकी: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) प्यार ऐसे नहीं होता और जबरदस्ती तो बिलकुल भी नहीं! खैर छोड़ो तुम्हे अभी नहीं समझ में आएगी ये बात! अब क्या मुझे ऐसे ही मरीजों की तरह रहना है!? ।
सुलतान: नहीं! ये सूप पी लो उसके बाद दवाई खानी है एक दो घंटे और रेस्ट उसके बाद ऑल ओके! पर मैंने जो कहां उस बारे में सोचना और तैयार हो तो सिर्फ एक ईशारा और लड़की तुम्हारे सामने हाजिर होगी ।

विकी सिर को ना में हिलाते हुए.... सूप पीने लगता है! और जो आज हुआ उस बारे में सोचता है। सारी बाते उसे उलझा रही थी और लाखो सवाल भी दिमाग में उठ रहे थे! जिसके जवाब उसे खुद भी नहीं पता और क्यों वह खुद पर काबू नहीं कर पाया ये सारे सवाल उसे परेशान किए जा रहे थे ।

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