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शापित खिलौना



कहानी शुरू होती है कोलकाता से जहाँ एक परिवार हँसी खुशी से रह रहा था।
उनकी जिंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे परिवार को तेहेस् नेहेस कर दिया। बात सन् 1945 की है, एक परिवार जिसमे राजेश, उसकी पत्नी कविता, और दो बच्चे, रोहन और पिंकी रहते थे।
बहुत ही खुशहाल परिवार था। बात रविवार शाम की है, राजेश और उसकी बेटी पिंकी बाजार गए, कुछ घर का सामान खरीद थोड़ी सब्जी वगेरा खरीदी और घर को आने लगे।

आते समय रास्ते में एक खिलौने की दुकान थी, पिंकी की नजर दुकान पर गयी, उसने राजेश से कहा, पापा मुझे खिलौना चाहिए। राजेश ने कहा नही बेटा बाद में ले लेंगे। पर पिंकी जिद करने लगी, नही पापा मुझे तो अभी खिलौना चाहिए।
तो राजेश ने बोला ठीक है चलो तुम्हारे लिए खिलौना लेते हैं। वो दोनो दुकान के अंदर गए, दुकान में बहुत से अच्छे अच्छे खिलौने थे, राजेश ने पिंकी से बोला बेटा पसंद कर लो कोनसा खिलौना चाहिए तुम्हे।
पिंकी को समझ नही आ रहा था की कोनसा खिलौना लूँ, क्योंकि सभी खिलौने बोहोत प्यारे थे।
पिंकी की नजर एक ऐसे खिलौने पर गयी जो की सब खिलौनों से अलग रखा हुआ था, ऐसा लग रहा था किसी कारण से उसे अलग रखा हो।

पिंकी ने कहा पापा मुझे ये वाला खिलौना चाहिए। दुकानदार ने कहा भाई सहाब ये खिलौना बेचने के लिए नही है, पर पिंकी जिद करने लगी नही मुझे तो यही खिलौना चाहिए।
पिंकी के बोहोत जिद करने से दुकान दार ने वो खिलौना पिंकी को दे दिया। पिंकी बोहोत खुश हो गयी, और वो दोनो घर आ गए। घर आते ही पिंकी खिलौने से खेलने लगी, रोहन ने कहा मुझे भी खेलना है।
दोनो खेलने लगे, थोड़ी देर बाद कविता ने कहा चलो सब खाना खा लो, तो पिंकी ने कहा माँ मैं बाद में खाऊँगी अभी मुझे खेलना है। तभी कविता ने कहा नही बेटा पहले खाना खा लो उसके बाद खेलना।
फिर सबने खाना खाया और पिंकी खिलौने से खेलने लगी।

रात के दस बज रहे थे, कविता ने कहा चलो बच्चो सो जाओ सुबह स्कूल भी जाना है। सभी सोने लगे , पिंकी ने खिलौना अपने पास में रखा और सो गई । सभी सो गए, लगभग रात के बारह बजे होंगे, खिलौना उठकर चलने लग।
सब गेहरी नींद मे सो रहे थे। खिलौना उठकर घर में इधर उधर घूमने लगा। परिवार को नही पता था की खिलौना शापित है। अचानक से कुछ आवाज आई तो कविता की नींद खुल गयी, वो उठी और इधर उधर नजर घुमाई तो कुछ नही था,

उसने राजेश को कहा राजेश उठो कुछ आवाजें आ रही हैं,राजेश ने कहा अरे चूहें होंगे, सो जाओ, फिर कविता सो गयी। थोड़ी देर बाद फिरसे आवाज आई, कविता की नींद खुल गयी, इस बार कविता उठी,
और देखने लगी की आवाज कहाँ से आ रही है।
वो दूसरे कमरे में जाकर देखने लगी वहाँ उसने जो देखा वो देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी। उसने देखा की पिंकी का खिलौना चाकू लेकर रोहन की तरफ बढ़ रहा है, वो कुछ कर पाती उससे पहले खिलौने ने रोहन को चाकू मार दिया।
ये देख कविता की चीख निकल पड़ी, उधर राजेश की नींद खुली और वो भागता हुआ कविता की तरफ आया उसने जब ये देखा तो रोहन की तरफ भागा और खिलौने को एक तरफ फेक दिया।


रोहन के पेट में चाकू लगा हुआ था बोहोत खून निकल रहा था। कविता ने मदद के लिए आवाज लगाई, आवाज सुनकर आस पास रहने वाले लोग जाग गए और मदद के लिए आये।
राजेश रोहन को लेकर हॉस्पिटल के लिए निकला कुछ ही दूर में हॉस्पिटल था, वहाँ पहुँचने पर उसने डॉक्टर को रोहन को देखने के लिए कहा, पर बहुत देर हो चुकी थी, डॉक्टर ने कहा अब हम कुछ नही कर सकते, बहुत देर हो चुकी है।
राजेश ने ये सुना तो उसको सदमा लग गया, पुलिस ने जब छान बिन की तो कुछ पता नही चला, घर वालों ने जब पुलिस को ये सब बताया तो पुलिस ने परिवार गहरे सदमे में है कहा और कुछ पता ना हो पाने पर थोड़े दिन बाद केश बंद कर दिया गया।

राजेश के परिवार ने उस खिलौने को एक डब्बे में बंद करके दूर कहीं दफना दिया। कुछ दिन बीत गए, अचानक एक रात दरवाजे पर कोई आवाज आई जब कविता ने दरवाजा खोला तो देखा दरवाजे पर रोहन खड़ा है और उसके हाथ में वही खिलौना था।