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चुड़ैलों का खूनी खेल

ये कहानी झारखंड के एक छोटे से गाँव में रहने वाली एक महिला की है जिसका नाम रेवती है।

एक दिन की बात है, बुधवार का दिन था, बाजार वाला दिन , तो कुछ महिलाओं ने साथ में बाजार जाने का फैसला किया।

सभी तैयार होकर बाजार के लिए निकले, वाहन की सुविधा ना होने के कारण पैदल ही बाजार जाना पड़ता था।

बाजार का रास्ता जंगल से होता हुआ जाता था।
सभी महिलाएं बाजार पहुँची और खरीदी करने लगी,
सबने सामान की खरीदी करी फिर घर आने का समय होने लगा,

रेवती के साथ गयी महिलाओं ने अपने रिस्तेदारो के वहाँ रुकने का फैसला कर लिया,
अब रेवती अकेली रह गयी, रेवती का घर आना भी जरूरी था, क्योंकि घर पर बच्चे इंतज़ार कर रहे थे की माँ आयेगी और खाना बनायेगी,

तो रेवती अकेली घर के लिये निकल पड़ी।
घर पहुँचते पहुँचते अंधेरा होने लगा , चारो तरफ सन्नाटा फैला हुआ था , रेवती तेजी से चलने लगी,

कुछ दूर चलने के बाद अचानक घुंघरूवो की आवाज आने लगी, अंधेरा होने के कारण कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था, रेवती ने आवाजो को अंसुना करते हुए तेजी से चलने लगी,

धीरे धीरे आवाज तेज होने लगी और ऐसा लग रहा था जैसे कोई रेवती के साथ चल रहा हो, थोड़ी देर आगे चलने के बाद रेवती ने पीछे मुड़कर देखा तो तीन - चार महिलाएं पीछे पीछे चल रहीं थी।

उन्होंने रेवती को आवाज दी और कहा रुको बहन थोड़ा ठहरो, तो रेवती रुक गयी और उनसे बाते करने लगी।
रेवती ने सोचा साथ में बातें करते करते घर पहुँच जायेंगे, पर उसे कहाँ पता था की जिनके साथ वो बातें कर रही है, वो इंसान नही चुड़ैलें हैं।

थोड़ी दूर चलने के बाद उन महिलाओं में से एक ने कहा, थोड़ा बैठ जाते हैं, फिर चलेंगे।
रेवती भी थक गयी थी इसलिये उनके साथ बैठ गयी।

रेवती और वो महिलाएं बैठकर बातें करने लगीं।
बातों बातों में एक महिला ने रेवती से पूछा, आप किस गाँव से हो? तो रेवती ने कहा मैं बेलान्गी गाँव से हूँ।
फिर रेवती ने कहा चलो चलतें हैं।
तभी उनमे से एक महिला ने कहा रुको बहन
चलतें हैं इतनी भी क्या जल्दी है!

तो रेवती ने कहा बहन जी घर पर बच्चे भूखे हैं,
घर पहुँचकर मुझे खाना भी बनाना है,
वैसे ही बहुत देर हो चुकी है।

तभी एक महिला ने रेवती से कहा,
मेरा घर पास में ही है चलो पानी वगेरा पी लेना फिर घर चली जाना, रेवती ने कहा ठीक है और वो सब चलने लगे, थोड़ी दूर चलने के बाद एक झोपड़ी जैसा घर दिखाई दिया। वहाँ पहुँचने पर एक महिला ने कहा चलो बहन अंदर चलो,

रेवती और सभी महिलाएं घर के अंदर चली गयीं,
घर के अंदर ज्यादा कुछ नही था, एक पानी का मटका और बैठने के आसन थे,
रेवती ने पूछा आप अकेली रहती हैं! और कोई दिखाई नही दे रहा।

तो उस महिला ने कहा, ऐसा नही है, मेरे पति और बच्चे रिश्तेदारों के वहाँ गए हुए हैं, इसलिए घर पर कोई नही हैं,
फिर उस महिला ने रेवती को पीने के लिए पानी दिया, रेवती ने पानी पिया , पानी पीते ही रेवती को कुछ अजीब सा लगने लगा, रेवती ने कहा मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है।

फिर रेवती को नींद आने लगी और वो बेहोश हो गयी। जब रेवती की नींद खुली तो वो चौंक गयी, उसके सामने चार चुड़ैलें खड़ी थी,
और उसने देखा तो वहाँ कोई घर नही था, वो एक भुट्टे के खेत में थी,
वो घबराहट के कारण कुछ बोल नही पा रही थी।

वो मदद के लिये आवाज लगाना चाहती थी पर ऐसा लग रहा था जैसे गले में आवाज दबकर रह गयी हो।
अब रेवती को समझ नही आ रहा था की वो क्या करे, तभी एक चुड़ैल उसके पास रस्सी लेकर आई और उसे बांध दिया।

फिर दूसरी चुड़ैल एक छड़ी लेकर रेवती के पास आई और वो रेवती को छड़ी से मारने लगी,
रेवती चीखती चिल्लाती रही पर दूर दूर तक कोई नही था।
फिर उन चुड़ैलों ने कीड़े मकोड़े और गोबर का लड्डू बनाया और रेवती को खिलाने लगीं,

खून पिलाने लगी और उसके चारो तरफ नाचने लगी।
रेवती चीख चीख कर रो रही थी , एक तो घनी रात उपर से दूर दूर तक कोई घर कोई इंसान नही,
रेवती को लग रहा था आज वो नही बचेगी,
आज ये चुड़ैलें उसकी जान ले लेंगी।

इधर दूसरी तरफ रेवती के घर वालो ने उसको
सब तरफ ढूँढना शुरू कर दिया, और गाँव वालो तक खबर गयी तो वो भी मदद के लिए आए और सभी रेवती को ढूँढने लगे।

रेवती की खोज करते करते रात से सुबह हो गयी
पर वो नही मिली।
सुबह के समय जब एक लड़का गाय बकरी चराने खेत की तरफ गया तो उसने देखा कोई महिला खेत में बेहोश पड़ी है,

उसने दुसरो को आवाज लगाई बोला अरे सुनो यहाँ कोई महिला बेहोश पड़ी है, आस पास खेतों में काम कर रहे लोग वहाँ आ पहुँचे, उनमे से एक ने कहा अरे ये तो रेवती है, रात भर से इसके घर वाले इसको ढूंढ रहे हैं।

रेवती के पति को किसी ने बताया की आपकी पत्नी खेत में बेहोश मिली, रेवती का पति भागता भागता वहाँ गया और रेवती को घर लेकर आया, रेवती बहुत जख्मी हालत में मिली थी।

रेवती को जब होश आया तब उसने बताया की उसके साथ क्या क्या हुआ। ये सब सुनकर सब बहुत घबरा गए, और सबने फैसला किया की कोई भी बाजार जाता है तो शाम से पहले घर आ जाए।

उस दिन के बाद उस रास्ते से शाम के बाद आना जाना बंद हो गया यदि कोई आता भी तो अकेला नही आता।