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गंगा तेरा पानी अमृत निर्झर बहता जाय

गंगा तेरा पानी अमृत निर्झर बहता जाय --

नदी के किनारे रहने वालों का नदी के बिभन्न रूपों से अक्सर पाला पड़ता रहता है चाहे बरसात के महीने में नदी जब उफान पर विनाशकारी होती है या गर्मी में साधारण छिछली एव सभी के लिए शीतलता का स्रोत।

जलीय जीव भी कभी कभार भटकते हुए नदी के किनारे रहने वालों के लिए कौतूहल का विषय बनते रहते है ऐसा बैज्ञानिक मत है कि जलीय जीवों का विशेषकर उभयचर जीवो का जैसे कछुआ, मगरमच्छ ,घड़ियाल, सांप की आयु यदि किसी दुघर्टना की मानव मुलाकात में ना मारे जाए तो हज़ारों वर्ष तक जीवित रहते है ।

नदी के किनारे बसे गांव के लांगो के जीविकोपार्जन का स्रोत भी नदी होती है जिसमे मछली पकड़ने से लेकर रेत बालू उत्खनन तक सम्मिलित हैं जो अब बड़े व्यवसाय का स्वरूप लेता जा रहा है ।

कहावत मशहूर है नदी किनारे बसने वाले गांव का बच्चा जन्म से ही स्वभाव व्यवहार से अच्छा तैराक होने के साथ साथ जलीय जोखिमो से निबटने में दक्ष होता है यह बात पूरे विश्वास के साथ इसलिए कह सकता हूँ कि मेरा भी घर छोटी गंडक के किनारे स्थित है ।

लेकिन जिस अतीत की घटना को इस कहानी में उद्धृत करने जा रहा हूँ वह गंगा के किनारे बसे गांव की घटना से संबंधित है।

राघव का पुरवा बिहार सीमावर्ती उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जनपद गंगा के किनारे बसा एक गांव है जिसमे सवर्णों की ही आबादी है कुछ दूरी पर अन्य जातियों का गांव महाबीर टोला है जहां सभी पिछड़ी, दलित एव अन्य जातियां है।

राघव का पुरवा आर्धिक एव शिक्षा की दृष्टिकोण से बहुत सबृद्ध गांव है महाबीर टोला का लगभग प्रत्येक परिवार राघव का पुरवा वालो पर किसी न किसी रूप में निर्भर है राघव का पुरवा गांव के अधिकतर परिवार शहरों में बसते है जिसके कारण उनकी खेती बारी महाबीर टोला के अधिकतर परिवार अधिया बटाई पर जोतते है जिसके कारण
राघव का पुरवा गांव ही इलाके में मशहूर है।

राघव का पुरवा में एक परिवार अताउल्लाह का भी रहता है जो पठान मुसलमान है और उनके परिवार के लगभग सभी नौजवान कतर ,दोहा, साऊदी ,यमन जॉर्डन आदि में वर्षो से रहते है कभी कभी ईद बकरीद में पूरा परिवार एकत्र होता या शादी व्याह के मौके पर।

गांव में अताउल्लाह एव उनके दो पौत्र जो अभी जूनियर स्कूल की शिक्षा में थे साथ रहते उनकी बेगम रुबिया ही थी बाकी बहुये या तो शहर के मकान रहती या आती जाती रहती कभी कभार उनकी सम्प्पन्नता रसूख से महाबीर टोला के लोग टकराने के लिए बहाने खोजते रहते लेकिन राघव के पुरवा वालों के सूझ बूझ से सदैव ही मामला बेअसर हो जाता ।

अताउल्लाह के दो पौत्र आशिफ एव बिस्मिल्लाह जूनियर हाई स्कूल में क्रमशः कक्षा सात एव आठ के छात्र थे दोनों पढ़ने में औसत थे लेकिन गज़ब के तैराक दोनों छुट्टियों अक्सर गांव की नदी में छोटे छोटे बच्चों को तैराकी सिखाते राघव का पुरवा एव महाबीर टोले में गजब का समन्वय था राघव का पुरवा में अक्सर घरों के लोग शहरों में निवास करते वही महाबीर टोला का हर घर आबाद था ।

जनवरी का महीना राघव का पुरवा के अताउल्लाह के दोनों पौत्र आसिफ और विस्मिल्लाह स्कूल में छब्बीस जनवरी के कार्यक्रम को लेकर उत्साहित थे दोनों एक गीत प्रस्तुत करने का अभ्यास कर रहे थे।

गीत था #गंगा तेरा पानी अमृत निर्झर बहता जाय # पहले या सम्भव है अब भी यही परम्परा कि गांवो में स्थित प्राइमरी एव मिडिल स्कूलों में पंद्रह अगस्त स्वतंत्रता दिवस एव छब्बीस जनवरी गणतंत्र दिवस से दो तीन दिन पूर्व आस पास के गांवों में प्रभात फेरी निकाले जाते थे गांव के दरवाजे दरवाजे देश भक्ति के जज्बे भावनाओं का स्कूली बच्चे प्रदर्शन करते गांव वाले अपनी शक्ति आस्था के अनुसार बच्चों को स्वतंत्रता दिवस एव गणतन्त्र दिवस पर मिठाई आदि के लिए सहयोग देते ।

आसिफ अताउल्लाह भी नियमित हर पंद्रह अगस्त एव छब्बीस जनवरी के प्रभात फेरी का अनिवार्य हिस्सा बनते आने वाली छब्बीस जनवरी में दो दिन शेष थे नियमित प्रभात फेरी के बाद स्कूल शुरू होता अबकी बार हर वर्ष से दस गुना अधिक गांव वालों ने सहयोग किया विद्यालय ने भी पिछले वर्षों से अलग अंदाज में गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करने एव बच्चों को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया था।

आसिफ और विस्मिल्लाह अपने गीत गायन कार्यक्रम कि तैयारी कर ही रहे थे गीत वही #गंगा तेरा पानी अमृत निर्झर बहता जाय# छब्बीस जनवरी के दिन सभी बच्चे बिभन्न रंगों के रंग बिरंगी पोशाकों में प्रातः सात बजे स्कूल पर उपस्थित हो गए वैसे भी बच्चों में पंद्रह अगस्त एव छब्बीस जनवरी को लेकर कुछ अलग जिज्ञासा और उत्साह होता है जो स्वस्थ विकासोन्मुख एव मजबूत राष्ट्र के भविष्य के लिए अनिवार्य भी है ।

आसिफ और विस्मिल्लाह भी स्कूल पहुंचे प्रधानाध्यापक पण्डित दीना नाथ के नेतृत्व में सबसे पहले स्वंय के नेतृत्व में आस पास के गांव में प्रभात फेरी निकलवाया वन्दे मातारमं ,भारत माता की जय के नारों एव जन गण मंगल दायक जय हो राष्ट्र गान के साथ प्रभात फेरी पूरी हुई।

उसके बाद स्कूल पर सभी बच्चे अनुशासित होकर कतार बद्ध खड़े हुए और प्रधानाध्यापक पण्डित दीना नाथ जी ने रष्ट्रीय ध्वज फहराया राष्ट्र गान हुआ एव प्रधानाध्यापक जी का गणतन्त्र के महत्व एव बच्चों की भूमिका पर उद्बोधन हुआ क्रमश सभी गुरुजनों ने अपने अपने उद्बोधन गणतंत्र दिवस के महत्व एव भावी पीढ़ी कि भूमिका पर दिए जिसका मूल सार यही था कि राष्ट्र सर्वोच्च है राष्ट्र है तो हम है राष्ट्र नही तो हम भी नही और जीवन की सार्थकता राष्ट्र कि संप्रभुता के साथ ही सत्य हैं, यही धर्म है, यही कर्म है, यही जीवन मौलीक मूल्य है राष्ट्र है तो धर्म है समाज है राष्ट्र है तो कर्म बोध है कर्म का मार्ग है अतः राष्ट्र ही ईश्वरीय अवधारणा के धर्म मर्म कर्म कि भूमि भाग्य विधाता है ।

प्रधानाध्यापक एव गुरुजनों के उद्बोधन के बाद बच्चों ने अपनी अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्रम प्रस्तुत किये किसी ने गीत गाया किसी ने कहानी सुनाई किसी ने नृत्य कविता आदि प्रस्तुत किया अंत मे मिष्ठान वितरण के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ ।

लगभग एक बजे दिन में सभी बच्चे अपने अपने घरों को लौट गए आसिफ और विस्मिल्लाह भी लौट कर घर खाना खाया और कुछ देर के लिए सो गए।

दिन के चार बजे आसिफ और विस्मिल्लाह साथ साथ निकले और नदी के किनारे बच्चों के साथ कबड्डी खेलने लगे महाबीर टोला के कुछ बच्चे धीरेंद्र,
सोहन,सुमंत ,अवतार अपनी अपनी भैसों को लेकर आये थे जो नदी के किनारे चर रही थी और ये चारों आसिफ ,विस्मिल्लाह की टीम के साथ कबड्डी खेल रहे थे खेल खेल में शाम को छ बज गए और धीरेंद्र,सोहन ,सुमंत को ध्यान ही नही रहा कि उनकी भैंसे कब नदी में ठंठा होने गयी और पार निकल कर उस पार किनारे पर चर रही थी ।

अब चारो बहुत घबड़ाये और आसिफ ,विस्मिल्लाह को नदी के किनारे रोक कर खुद नदी में भैसों को उस पार से इस पार लाने जाने के लिए कहा शाम हो चुकी थी धीरे धीरे अंधेरे का साया फैल रहा था और नदी के उस किनारे पर कोई नाव भी नही थी वहां से बहुत दूर के घाट पर नाव थी ।

अंधेरे में नदी या बहते जल प्रवाह में जाना सर्वदा हानिकारक ही होता है बाल मन का भय की घर जाकर यदि बताये की कबड्डी खेलने के चक्कर मे भैंसे नदी को पार कर गयी और यदि रात भर छोड़ दिया जाय या कुछ ही देर और लापरवाही हो जाय तो भैसों को कोई भी बहकाके कही अन्यत्र ले जा सकता है ।

धीरेन्द,सोहन,सुमंत और अवतार घबड़ा कर रोने लगे आसिफ एव विस्मिल्लाह ने उन्हें ढाढस बधाया और देखा कि एक डेंगी नाव कुछ दूरी पर किनारे डुबोई हुई है ।

नदी के किनारे गांव वाले अक्सर चोरी के भय से नावों को किनारे रस्सी में बांध किनारे डुबो देते है जिससे कि चोरी की सम्भावन ना रहे और जरूरत पर उसे पुनः प्रयोग करते है ।

आसिफ और विस्मिल्लाह दोनों ही ड़ेंगी नाव को खाली किया और उसकी लम्बी रस्सी को नदी किनारे सेमल के पेड़ से एक सिरा बांध दिया और दूसरे सिरे को चारों में धीरेंद्र को पकड़ाते हुये बोले इस पकड़े रहना सुमंत डेंगी को खे रहा था और धीरेन्द रस्सी पकड़े हुए था धीरेंद्र सुमंत सोहन और अवतार उस पार पहुंचे ।

भैंसों को हांक कर नदी में प्रवेश कराया भैंसे नदी में प्रवेश कर इस पार आने के लिए तैरने लगी कितना भी भयंकर गहरा जल प्रवाह हो भैंसे तैर जाती है उन्हें भय सिर्फ भयंकर जलीय जीवों का ही होता है ।

महाबीर टोला मस्जिद के मौलविय जमालुद्दीन नदी किनारे शाम फराकित होने के लिए आये और उन्होंने आसिफ और विस्मिल्लाह को अकेले नदी के किनारे देखा तो बड़े आश्चर्य से बोले तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो ?

आसिफ एव बिस्मिल्लाह ने तबसिल से पूरी बात बताई और बताया कि आपही के गांव के धीरेन्द ,सोहन ,सुमंत अवतार की भेसे कबड्डी खेल के चक्कर मे उस पार चली गयी थी जिन्हें लेने चारो मेहुल मल्लाह की ड़ेंगी लेकर उस पार गए है ।

मौलबी जमालुद्दीन और आसिफ विस्मिल्लाह की बात चीत चल ही रही थी तब तक सभी सातों भैंसे इस पार आ चूंकि थी आसिफ ने उन्हें महाबीर के टोला का राह दिखा दिया भैंसे महाबीर के टोला की तरफ चल पड़ी ।

पालतू पशुओं की विशेषता यह है कि वह दिन में कही भी बहक जाए शाम होते ही अपने घर का रास्ता पकड़ घर पहुंच जाते है।

शाम बहुत हो चुकी थी नदी के उस पार की बात तो दूर इसी पार कुछ नही दिख रहा था तभी बड़े जोरो से आवाज आयी बचाओ बचाओ नही तो हम दुब जाएंगे मौलवी जमालुद्दीन ने पूछा यह आवाज किसकी हो सकती है आसिफ एव विस्मिल्लाह बोले धीरेन्द सुमंत सोहन और अवतार की है लगता है टेंगी मरा गयी (मतलब टेंगी नाव का नदी में उलटना डूब जाना) हम लोगो को बचाने जाना है तभी मौलवी जमालुद्दीन बोले बेवकूफ हो क्या?

डूब जाने दो काफ़िर की औलादों को कोई तुमने थोड़े मारा है अपने किस्मत को झेलेंगे कमबख्त तुम खुदा के नेक बंदे क्यो बेमतलब चील पों मचा रहे हो अगर तुम लोग चुप हो गए तो खुदा तुम लांगो को जन्नतनसी करेगा आसिफ और विस्मिल्लाह बोले चुप रहिये मोलवी साहब आपको खुदा की कोई परवाह नही है आप उसी गांव के मस्जिद के मौलवी है जिस गांव के ये चारों नौजवान है और गांव के हर घर से मस्जिद के लिए जकात आता है कुछ तो शर्म करिए और हम लोगो के पास वक्त बहुत कम है ।

उधर से धीरेन्द ,सुमंत,सोहन ,एव अवतार कि लगातार यही आवाज़ आ रही थी बचाओ बचाओ मौलवी जमालुद्दीन बोले नही बरफुदारों मैं तो तुम्हारी जान जोखिम में ना पड़े इसलिए बोल रहा था मोलवी साहब बोलते रहे लेकिन बिस्मिल्लाह एव आसिफ अल्लाह हो अकबर बोलते हुए नदी में कूद गए ।

अंधेरा बहुत था सिर्फ चिल्लाने की आवाज के सहारे दोनों धीरेंद्र सोहन सुमंत अवतार के पास तैरते गाते# गंगा तेरा पानी अमृत निर्झर बहता जाय # पहुंच गए जब कोई व्यक्ति गहरे जल में डूब रहा होता है तो बचाने वाले के डूबने की परवाह नही करता है वह सिर्फ खुद बचने की चिंता करता है।

धीरेंद्र सोहन सुमंत और अवतार चार और आसिफ ,विस्मिल्लाह दो ही लेकिन दोनों ने हिम्मत नही हारी और बहुत जद्दोजहद के बाद घण्टो मसक्कत के बाद चारो को किनारे भेज सकने में सफल हुए।

इतने देर में महावीर टोला एव राघव का पुरवा गांव के लोग लुकार, पेट्रोमेक्स ,टॉर्च लेकर नदी किनारे एकत्र हो चुके थे धीरेन्द,सोहन ,सुमंत अवतार किनारे आ चुके थे किंतु आसिफ एव विस्मिल्लाह का कही पता नही था।

दादा अताउल्लाह एव दादी रुबिया भी नदी के किनारे आ चुके थे आसिफ़ और विस्मिल्लाह का कही पता नही था रुबिया कलेजा पीट पीट कर रोने लगी हाय रब्बा मैं इनके वालीदो को क्या मुंह दिखाऊंगी ?क्या कहूंगी?

तुमको पालने वाली मॉ तुम्हारी औलादों को हिफाज़त नही कर पाई बीच बीच मे मौलवी जमालुद्दीन जले पर नमक छिड़कने से बाज़ नही आता वह बोला हमने तो दोनों को नदी में कूदने से मना किया था माने ही नही दोनों ।

अताउल्लाह विल्कुल बेखौफ खड़े मौलवी से बोले मौलवी साहब खुदा सबसे बड़ा है वह सबसे बड़ा मुंसिफ है #होते वहाँ वकील नही ,चलती है वहाँ दलील नही है खुदा बहुत मुंसिफ मिज़ाज़ सीखा है उसने माफ नही#

गर उसका फैसला है कि आसिफ विस्मिल्लाह भारत के गणतंत्र दिवस के पावन दिन पानी मे डूब कर मर जाए तो इसमें कोई इंसान हिन्दू, मुस्लिम ,सिख ,ईसाई क्या कर सकता है ?

गर वही चाहता है कि भारत के आज के गणतंत्र दिवस के बाद वर्ष दर वर्ष अताउल्लाह का कुनबा गणतंत्र दिवस को मातम मनाए तो अल्लाह का हुक्म सर आंखों पर मौलवी जमालुद्दीन को जैसे सांप सूंघ गया हो ।

तभी नदी के किनारे आसिफ और विस्मिल्लाह एक साथ किनारे एक दूसरे का हाथ पकड़े गहरे जल से सतह पर# गंगा तेरा पानी अमृत निर्झर बहता जाय #गाते आये दोनों गांव के लांगो में खुशी की लहर दौड़ गयी रुबिया ने कहा खुदा तू रहीम है ,करीम है ,रहमत तेरे नूर का हिस्सा किस्सा है तूने एक माँ को शर्मिंदा होने से बचाया और दो माँ को उनकी कोख उझडने से बचाया तेरा लाख लाख सुक्रिया ।

अताउल्लाह ने आसिफ अताउल्लाह से पूछा कि तुम दोनों एक साथ कैसे दोनों ने बताया कि धीरेन्द्र,सुमंत ,सोहन,अवतार कि डेंगी भंवर में फंस कर मरा गई जब हम लोग बचाने गए तब चारो को बचाने के बाद हम दोनों का भंवर में फंसना लाजिमी था भंवर में फसने के बाद हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर भंवर के सतह यानी नदी के तलहटी में चले गए और वहा भंवर के बहुत छोटे एवं तेज दायरे से निकल कर अंदर ही अंदर किनारे पर पहुंचे है वास्तव में तैराकी का यह गूढ़ रहस्य कोई विशेषज्ञ तैराक ही जानता समझता होगा।

सारे गांव में आसिफ और विस्मिल्लाह की हिम्मत बहादुरी के किस्से आम हो गए साथ ही साथ जनपद तक बात गयी जिलाधिकारी महोदय ने आसिफ और विस्मिल्लाह को अगले गणतंत्र दिवस पर बहादुरी के लिए सम्मानित करने की संस्तुति की जिसे केंद्र कि सरकार ने सहर्ष स्वीकार कर लिया सर्वत्र आसिफ और विस्मिल्लाह कि बहादुरी एव बाल मन मे राष्ट्रीय भावना की चर्चा होती रहती है।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर