The Accidental Marriage - Part 13 books and stories free download online pdf in Hindi

The Accidental Marriage - Part 13


तीनो ही लड़कियां वहा खड़ी एक दुसरे को अपना नाम बता कर हंसने लगती है,,,,,,,
माही : मुझे आप दोनों से मे मिल कर बहुत अच्छा लगा । तभी पाखी कहती है.... हमे भी आपसे मिल कर अच्छा लगा। दोनों की बातो को सुनने के बाद काव्या कहती है..... वैसे बताओगी आप दोनों के बिच इस ड्रेस को लेकर क्या बाते हो रही थी।
काव्या की बातें सुन कर माही कहती है...... वो ये ड्रेस हम दोनों को ही पसंद आई और इस ड्रेस को लेने के लिए हम दोनों ने ही एक साथ अपना हाथ इस ड्रेस पर रखा। माही आगे कहती है.... मैं इनसे यही कह रही थी ये ड्रेस आप लेले आप पर ज्यादा अच्छी लगेगी। काव्या माही की बातें सुन कर उस ड्रेस को अपने हाथ में लेते हुए कहती है..... बात तो सही कही तुमने माही ये ड्रेस तो पाखी पर सच में बहुत अच्छी लगेगी। तभी पाखी कहती है.... नही ये हमसे ज्यादा माही पर अच्छी लगेगी।
माही पाखी को बीच में ही रोकते हुए कहती है.... नहीं ये आप पर ज़्यादा अच्छी लगेगी आप इस ड्रेस में बिल्कुल आसमान से आई परी के जैसी लगेंगी। काव्या भी माही की हां में हां मिलाते हुए कहती है.... पाखी यार सच में तुम पर ये बहुत अच्छी लगेंगी।
पाखी दोनों को ही बेबस नजरो से देख रही थी जैसे कह रही हो... इस ड्रेस को हमे ये दोनों खरीदवा कर ही मानेंगे । माही : आप ड्रेस एक बार पहनकर तो देखें फिर यकीन हो जायेगा आप को आप इस ड्रेस में कितनी खुबसूरत लगती है।
काव्या पाखी को चेंजिंग रूम की तरफ ले जाते हुए कहती है.... एक बार ट्राई तो कर यार। माही जो दोनों के साथ ही चल रही थी काव्या को आंखो से इशारा करती है,,,,, वो दोनों ही पाखी को चेंजिंग रूम में धक्का दे देती है और रूम का दरवाजा बंद कर देती है। वो दोनों वही खड़ी एक दुसरे को देख कर हंसने लगती है ।
पाखी : हाथ में पकड़ी ड्रेस को देखते हुए कहती है। अब अंदर आ गए है तो चेंज कर ही लेते है देखते है कैसी लगती है ये हम पर ।
पाखी ड्रेस चेंज तो कर लेती है लेकिन उसकी ज़िप उससे बंद नहीं हो रही थी वो काफ़ी कोशिश करती है पर वो फिर भी बंद नहीं होती। पाखी झुंझलाते हुए कहती है.... लगता है काव्या को बुलाना ही पड़ेगा।
पाखी धीरे से चेंजिंग रूम का डोर खोलती है और बिना देखे वहा खड़े शक्श को अपना एक हाथ बढ़ाकर उसे अंदर खींच लेती है,, वो उस शक्श को अंदर खींचते ही पाखी उसकी तरफ अपनी बैक करके झुंझलाते हुए कहती है.... काव्या देखना यार इसकी तो ज़िप ही बंद नही हो रही है ,,,,,,. पाखी के पिछे खड़ा शक्श जो अभी भी समझने की कोशिश कर रहा था की अभी अभी उसके साथ ये हुआ क्या ?
वो उस आवाज को पहचान लेता है और चौंकते हुए कहता है..... तुम ।
पाखी जो अभी तक ये समझ रही थी पिछे खड़ा शक्श काव्या है वो उस आवाज को सुनते ही घबरा जाती है और अपने मन में ही कहती है..... ये तो कोई आदमी है , ये कैसे हो सकता है रूम के बाहर तो काव्या खड़ी थी।।।। वो पिछे पलट कर उस आदमी को देखती है और अपनी आंखे बड़ी करते हुए कहती है...... आ..आप।
पाखी जो बिना दुपट्टे के खड़ी थी अरूण को अपने सामने देख कर अपने दोनों हाथों से खुद को कवर करते हुए कहती है.... आप यहां कैसे ? बाहर तो हमारी दोस्त काव्या खड़ी थी। फ्लैशबैक_________,,,,,,,,
अरूण माही के साथ मॉल में आता है और उससे कहता है..... जाओ कर लो शॉपिंग एक घंटा है तुम्हारे पास इसके बाद में एक मिनट भी यहां नही रुकूंगा। माही : भाई बस एक घंटा भाई एक घंटे में कोन शॉपिंग करता। एक तो आप मुझे हमारे ही मॉल में ले आए हो उपर से मुझे एक घंटे में शॉपिंग करने के लिए कह रहे हो। इससे अच्छा तो होता मैं खुद शॉपिंग कर लेती माही मुंह दुसरी तरफ करते हुए कहती है।
अरूण : हमारे मॉल में लेट्स डिजाइन की ड्रेस होती है। जो तुम्हे यहां मिलेगा वो दिल्ली के किसी मॉल में नही मिलेगा । माही ओके कहती है तभी अरूण का फोन रिंग होता है और वो कॉल पिक करते हुए माही से कहता है... तुम शॉपिंग करो। मैं अभी आता हुं।
माही हां बोल कर वहा से चली जाती है और अरूण बाहर चला जाता है।
जब अरूण अंदर आता है तो वो माही को इधर उधर देखता है पर उसे माही कहीं नजर नहीं आतीं। तभी उसके पास मैनेजर आता है और कहता है.... सर आप यहां । अरूण : मैनेजर को देखते हुए कहता है.... माही यहां शॉपिंग करने आई है तुमने उसे देखा क्या?
मैनेजर : सर मैम भी आई है।
अरूण : हा। अब बताओ देखा क्या तुमने ? मैनेजर : सर देखा तो नही है,, पर मैम अगर शॉपिंग के लिए आई है तो वो उस तरफ गई होंगी । मैनेजर दुसरी ओर इशारा करते हुए कहता है.... वहा न्यू कलेक्शन की डिजाइनर ड्रेस है इंडियन और वेस्टर्न दोनों ही उस स्टोर में है।
अरूण : ठिक है ।
मैनेजर : सर आप चल कर ऑफिस में बैठे मैं मैम को लेकर आता हुं । मैनेजर : सर देखा तो नही है,, पर मैम अगर शॉपिंग के लिए आई है तो वो उस तरफ गई होंगी । मैनेजर दुसरी ओर इशारा करते हुए कहता है.... वहा न्यू कलेक्शन की डिजाइनर ड्रेस है इंडियन और वेस्टर्न दोनों ही उस स्टोर में है।
अरूण : ठिक है ।
मैनेजर : सर आप चल कर ऑफिस में बैठे मैं मैम को लेकर आता हुं । अरूण : नहीं तुम अपना काम करो, मैं खुद देख लुंगा।
ये कह कर अरूण वहा से उस स्टोर की तरफ चला जाता है वहा जाकर देखता है माही एक लड़की से हंसते हुए बाते कर रही थी।
अरूण माही को वहा देख कर उसकी ओर जानें लगता है। वो अपने हाथ में लिए फोन में कुछ देखते हुए जा रहा था । माही और काव्या जो चेंजिंग रूम के बाहर खड़ी बाते कर रही थी तभी माही काव्या को दुसरी तरफ इशारा करते हुए कहती है...... वहा पर वेस्टर्न ड्रेस का बहुत अच्छा कलेक्शन है तुम देखना चाहोगी।
काव्या : हा चलते है जब तक पाखी भी ड्रेस चेंज करके अजायेगी।
दोनों ही वहा से दुसरी तरफ चली जाती है उनके जाते ही अरूण वहा पहुंचता है वो अपनी नजरे फोन से हटाकर सामने देखता है तो उसे माही नहीं दिखती तभी वो बड़बड़ाते हुए कहता है...... चीकू को अभी तो यही देखा था कहा चली गई। अरूण वही खड़े रहकर माही को इधर उधर देखने लगता है तभी एक हाथ आगे आता है और अरूण के हाथ को पकड़ लेता है अरूण कुछ समझ पाता उससे पहले ही वो हाथ उसे रूम के अंदर खींच लेता है। फ्लैशबैक एण्ड_________,,,,,,,,
अब आगे........
अरूण अपने सामने खड़ी पाखी को देखता है जिसने अपने दोनों हाथो से खुद को कवर कर रखा था वो पाखी की तरफ अपनी पीठ करते हुए कहता है..... मैं जा रहा हुं तुम अपनी ड्रेस सही कर लो। पाखी : नहीं नही.. आप जा नही सकते।
अरूण पिछे मुड़ कर पाखी को देखते हुए कहता है... तो तुम क्या चाहती हो मैं तुम्हे ड्रेस चेंज करते हुए देखू ?
पाखी अरूण की बातें सुनकर गुस्से से कहती है.... आ..आप पागल हो गए है क्या ? हमने ऐसा कब कहा ? अरूण : तो तुम करना क्या चाहती हो मुझे यहां रोक कर।
पाखी अपने दात पिस्ते हुए कहती है.... आपके दिमाग में ऐसे बकवास ख्याल ही आते है क्या ?
अरूण उसे घुर कर देखता है पाखी आगे कहती है.... अगर आप अभी बाहर जायेंगे और किसी ने देख लिया तो सब हमे गलत समझेंगे। अरूण : समझने दो मुझे फर्क नही पड़ता अपने कोट को ठिक करते हुए कहता है।
पाखी : आपको फर्क नहीं पड़ता। लेकिन हमे फर्क पड़ता है।
पाखी द्रवाजे को हल्का सा खोल कर देखती है तो बाहर कुछ लड़कियां इधर उधर घूम रही थी उनके हाथ में कपड़े थे शायद वो चेंजिंग रूम के खाली होने का ही वैट कर रही थी। पाखी वापस से दरवाजा बंद करते हुए अपने सर पर हाथ रख कर वही दीवार के सहारे बैठ जाती है। अरूण उसे ऐसे करते देख पुछता है.... क्या हुआ ?
पाखी : होना क्या है जिसका डर था वही हुआ बाहर कुछ लोग खड़े है शायद उन्हें भी चेंज करना है। अरूण अपनी नजरे दुसरी तरफ करते हुए कहता है.... पहले तुम अपनी ड्रेस ठिक करो। अरूण की बातें सुन पाखी खुद को देखती है तो उसकी ड्रेस उसके कंधे से थोड़ी उतरी हुई थी जिसे देख पाखी जल्दी से अपने हाथ से उसे ठिक करते हुए कहती है..... वो... वो इस ड्रेस की जिप बंद नही हो रही इसलिए ये बार बार ऐसे हो रही है । अरूण : पहले तुम खड़ी जाओ।
पाखी अरूण की बात मन कर खड़ी होती है ।
अरुण : पिछे पलटो ।
पाखी : क्यो ?
अरूण : तुम सबके सामने ऐसे जाओगी बाहर । पाखी ना में सर हिलाती है और अरूण से कहती है....पर आप देखेंगे नहीं ।
अरूण : मुझे कोई शॉक भी नहीं है देखने का ।
पाखी पिछे मुड़ती है और शीशे में देखती है खुदको अरूण पाखी के ठिक पिछे खड़ा था और दुसरी तरफ देख रहा था पाखी शीशे में अरूण को देख रही थी
अरूण अपने हाथ से पाखी की ड्रेस की जिप को पकड़ता है तो उसका हाथ पाखी की कमर से टच हो जाता है अरूण के छुने से पाखी को अपनी बॉडी में सिहरन महसूस होती है और वो अपनी आंखे बंद कर लेती है उसका दिल तेजी से धड़क रहा होता है तो वही अरूण भी दुसरी तरफ देखते हुए अपनी आंखे बंद कर लेता है जैसे उसे भी कुछ महसूस हुआ हो।।।।।