Is janm ke us paar - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

इस जन्म के उस पार - 8

( कहानी को समझने के लिए आगे के पाठ अवश्य पढ़े 🙏🙏)







अगले दिन सारी तैयारी हो चुकी थी.. डेकोरेशन सारा खुद यस्वी ने करवाया था..




जीसे देख वीर 😲:- वाओ ये बहुत प्रीटी है.!!नाइस आईडीया.!!




यस्वी :- तो सजाया किसने है.?




वीर मुस्कुराके :- हा भाई.. तुम तो हो ही बेस्ट.!!मन मे :- मेरे लिए भी.!!




दादी :- अच्छा अब तुम दोनों भी जाओ तैयार हो के आओ मेहमान आते ही होंगे.!!




सब मेहमान आ गए थे वही वीर भी सूर्यांश के साथ आ गया था. वीर ने आज तो आज कोई कमी नहीं रखी थी. बड़ा ही हेंडसम बन के आया था. जिसके दो रीजन थे एक उसके सबसे प्यारे दोस्त कम भाई की सगाई थी और दूसरा किसी खास का अटेंशन चाहिए था उसे..!!(समझ गए ना की किसका 😉)उसने ब्लेक कलर की बंद गले की डिजाइनर कुरता और धोती पहन रखी थी.. एक एक हाथ में बहुत दूसरे हाथ में कड़ा महादेव का उस पर बहुत अच्छा लग रहा था सेट किए हुए बाल में वह भी किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था वही सूर्यांश भी जच रहा था अपने लुक मे उसने गोल्डन कलर की शेरवानी पहनी हुई थी... जेल के सेट किए हैं बालों के साथ और अपनी कसरती बदन के साथ उस शेरवानी में वह कहीं का राजकुमार लग रहा था दोनों अपने अपने लुक में से कहर ढा रहे थे,अब दोनों को इंतजार था अपनी अपनी लड़कियों की तभी दोनों की एंट्री होती है। जिन्हे देख लड़को के होश उड़ जाते है.. दोनों एकटक देख रहे थे..!!नंदिनी ने पिंक कलर के गाऊन जिसमे गोल्डन वर्क था.. उसके के साथ हल्का मेकअप कर लिपस्टिक लगा के बाल खुले रख रखे थे।नंदिनी आज बला की सुन्दर लग रही थी... और यस्वी ने भी गोल्ड़न ड्रेस पहन रखी थी.. जिसमे वो भी सुन्दर लग रही थी।

वीर यशवी को देखता है लेकिन यस्वी उसे देख कर मुंह चीडा 😏लेती है जिससे विर के चेहरे पर बहुत ही प्यारी 🙂स्माइल आ जाती है।

यस्वी नंदिनी को सूर्यांश के बराबर खड़ा कर देती है.!!सूर्यांश की धड़कन तो कब की रुक गई थी उसे देख वो मुस्कुरा देता है। दादी दोनों की नज़र उतर देती है.. फिर पंडितजी आके दोनों को अंगूठी पहना नेके लिए कहते है। सूर्यांश अंगूठी ले अपने घुटनो पर बैठ के नंदिनी को, "मेरी अधूरी जिंदगी को पूरा करेंगी आप मिस नंदिनी मलिक..अपने हर ख्वाब को मेरे नाम करेंगी.? क्या आप मिसिज सूर्यांश ओबेरॉय बनेगी.?? Will u marry mee nandini.??




नंदिनी हा मे सर हिला देती है सूर्यांश उसे अंगूठी पहना देता है तो नंदिनी की आँखों से आसू इसके हाथ पर गिर पड़ता है। सूर्यांश उठ के उसे अपने सीने से लगा देता है और प्यार से उसके सर को चुम लेता है।फिर नंदिनी भी उसे अंगूठी पहना देती है.!!फिर दोनों बड़ो के पैर छू के आशीर्वाद ले लेते है।

वीर यशवी से पूछता है.,कि मैं कैसा लग रहा हूं.?

यस्वी उसके लिए अजीब🤨😏 अजीब से चेहरे बना के कहती है कि तू एक तरफ से लंबू, एक तरफ से उल्लू..सारी तरफ मिला के हर तरफ से वाहियात प्राणी दिख रहे हो। 😄

वीर की बात का बुरा नहीं मानता और मुस्कुराते हुए कहता है कि" मैं जैसा भी दिख रहा हूं तुम बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो!!"

यस्वी कुछ कह पाती उससे पहले ही वीर उसका हाथ पकड़ स्टेज पर जा के यस्वी को अपने साथ खिंच के डान्स करने लगता है।आँखें कहती है बैठे तू मेरे रूबरू

तुझको देखूं इबादत करता रहूँ

ओ आँखें कहती है बैठे तू मेरे रूबरू

तुझको देखूं इबादत करता रहूँ

तेरे सजदों में धड़के दिल ये मेरा

मेरी साँसों में चलता है बस एक तू




वीर यस्वी को घुमा के अपनी तरफ खिंच के उसे देख के गाने लगता है।




इश्क दा रंग तेरे मुखड़े ते छाया

जदों दा मैं तक्केया ऐ चैन नि आया

किन्ना सोणाकिन्ना सोणा तैनू रब ने बनाया

किन्ना सोणा तैनू रब ने बनाया

जी करे देखदा रवां

किन्ना सोणा तैनू रब ने बनाया




जदों दा तेरे ते दिल आया

हो जदों दा तेरे ते दिल आया

जी करे वेखदा रवां

किन्ना सोणा तैनू रब ने बनाया




सब तालिया बजा देते है..उनकी नोकझोंक देख सब हस रहे थे..वही सूर्यांश भी नंदिनी के लिए गाता है.. और उसके साथ डान्स करता है।

जनम जनम जनम, साथ चलना यूँ ही

कसम तुम्हें कसम, आ के मिलना यहीं

एक जां है भले, दो बदन हों जुदा

मेरी हो के हमेशा ही रहना

कभी ना कहना अलविदा

मेरी सुबह हो तुम्हीं, और तुम ही शाम हो

तुम दर्द हो, तुम ही आराम हो

मेरी दुआओं से आती है बस ये सदा

मेरी हो के हमेशा ही रहना

कभी ना कहना अलविदा...







नदिनी के हाथ जहाँ सूर्यांश के कंधो पर थे और सूर्यांश के हाथ उसकी कमर पर थे दोनों एकदूसरे की आँखों मे खोई हुए थे... नंदिनी दूर जाती है तो सूर्यांश उसे खिंच के अपनी बाहो मे ऊपर उठा लेता है जहाँ उन दोनों पर फूलो की बारिश होती है..







तेरी बाहों में है मेरे दोनों जहां

तू रहे जिधर, मेरी जन्नत वहीँ

जल रही अगन है जो ये दो तरफ़ा

ना बुझे कहीं मेरी मन्नत यहीं

तू मेरी आरज़ू, मैं तेरी आशिकी

तू मेरी शायरी, मैं तेरी मौसिकी




दोनों की कैमिस्ट्री परफेक्ट लग रही थी. जिसे देख बहुत से लोग दंग थे.. मानो दोनों एकदूसरे के लिए ही बने है.!!







तलब तलब तलब, बस तेरी है मुझे

नसों में तू नशा बन के घुलना यूँ ही

मेरी मुहब्बत का करना हक़ ये अदा

मेरी हो के हमेशा ही रहना

कभी ना कहना अलविदा...

मेरी सुबह हो तुम्हीं...




दोनों निचे आ जाते है. वही दादू ने केक मंगवाया था जिसे कट कर सूर्यांश सबको खिलता है.. वही यस्वी मन मे - सॉरी दी but तुम दोनों को वहा ले जाने के लिए यही सही है.!!वो कुछ लोगो को इशारा करती है जो अचानक हमला कर देते है।




सब डर जाते है.. एक आदमी जिसने मास्क पहना था.. वो यस्वी को पकड़ उसके गले पर चाकू लगा देता है..




वीर :- हें. स्टॉप इट.!!क्या चाहिए तुम्हे.? छोड़ो उसे.??




नंदिनी आगे बढ़ ने को होती है तो सूर्यांश उसे पीछे खिंच लेता है।