Rajkumari Shivnya - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

राजकुमारी शिवन्या - भाग 4

भाग ४

अब तक आपने देखा की रानी को बेटी का जन्म हो चुका था लेकिन राजा विलम के मुख पर हल्की सी उदासी छा गई थी अब आगे की कहानी देखते है।

राजा ने अपनी बेटी को ठीक से देखा तक नहीं था ओर वह अपने कक्ष में चले गए , राजा को ऐसे जाते देख कर सबको यह आश्चर्यजनक दृश्य लगा , थोड़ी देर के बाद रानी निलंबा को होश आया ओर उसने अपने बच्चे को देखा , दासी ने कहा मुबारक हो महारानी आपको राजकुमारी हुई है , यह सुन कर तो रानी को खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
उसने अपनी बेटी को जी भर कर पहले देखा ओर फिर खुशी से गले लगा लिया । उसे फिर ख्याल आया अरे , स्वामी कहा है उसने दासी से कहा दासी यह पुत्री आने की खबर महाराज को है कि नहीं , दासी ने कहा है कि महारानी उन्हे खबर है महारानी परंतु महाराज को राजकुमारी को बिना ठीक से देखे ही यहां से चले गए थे । रानी को यह बात खूब अजीब लगती है।

वह तुरंत बच्ची को ले के खड़ी होती है , तभी एक दासी कहती महारानी आप क्रीपिया विश्राम करें आप अभी चलने की अवस्था में नहीं है , तब रानी निलंबा कहती है, नहीं दासी मेरा महाराज के पास अभी जाना आवश्यक है आप कृपा कर के अपना कोई दूसरा काम करे ।
फिर रानी बच्ची को ले कर अपने कक्ष मे चली गई वहा राजा बड़ी चिंतीत अवस्था में बैठे हुए थे , रानी उनके पास जा कर बैठी तब राजा विलम ने कहा अरे निलंबे आप यहां क्यू आई आप आराम कीजिए , तब रानी ने पूछा क्या बात है महाराज दासी द्वारा पता चला आप यहां अचानक से चले आए बात क्या है , क्या आपको पुत्री होने की खुशी नहीं हुए यह देखिए ना कितनी प्यारी है ये हमारी बेटी।

तब राजा विलम ने कहा आप खुश है ना यह देख कर मे भी खुश हूं पर आप मेरी चिंता समझ नहीं रही है , आप इस बच्ची को लेकर फिलहाल चली जाए हम बाद में बात करते है। तब रानी ने कहा आप खुश क्यों नहीं है क्या बात है जो आपको सता रही है , तब राजा ने जवाब दिया , इतने सालो से हम संतानहीन थे अब जब शिव ने हमे संतान दी है वह भी पुत्री... आप को पता है ना पुत्री आगे चल कर यह राजपाठ का कारोबार नहीं संभाल सकती अगर पुत्र होता तो वह भावी राजा बन सकता , अब आगे चल कर हमारा राज्य का राजा किसी ओर शख्स को बनाना पड़ेगा अगर पुत्र होता हमारा तो वही राजा बनता ।

असल मे इस राज्य में आज तक किसी कन्या को राजपाठ संभालने की अनुमति नहीं थी अगर राजा का कोई पुत्र ना हो तो एक कड़ी परीक्षा रची जाती जो भी शख्स उसमे विजय होता उस ही अपने राज्य के राजा के रूप में चुना जाता था। राजा की यह बात सुन कर रानी निलंबा ने कहा भगवान शिव ने इतने सालो बाद हमे संतान दी है हमे तो उनका शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होंने हमे संतान दी है फिर वह पुत्र हो या पुत्री दोनों एक समान होते है महाराज । हमे तो गर्व होना चाहिए कि हमारी संतान पुत्री है ।

रानी की यह बात सुन कर राजा के आखों मे अश्रु आ गए उन्होंने कहा माफ़ करना निलंबे मे यह बात भूल गया था पुत्र हो या पुत्री हमे संतान है यही बहुत बड़ी बात है , राजा ने अपनी पुत्री को हाथ में लिया ओर अपने सीने से लगा दिया । रानी को यह देख कर बेहद खुशी हुई
फिर रानी ने कहा पर महाराज हम अपनी कन्या का नाम क्या रखेंगे , तब राजा विलम ने कहा यह भगवान शिव की दी हुई कन्या है तो इसलिए इसका नाम होगा "राजकुमारी शिवन्या" रानी ने कहा शिवन्या अद्भुत बहुत प्यारा नाम रखा है आपने महाराज।

फिर राजा ने सैनिक को बुलाया ओर बेटी के आने की खुशी मे सारी प्रजा को मिठाई खिलाई के ऐसा आदेश दिया , सैनिक ने तुरंत सारी प्रजा मे मिठाई बाट दी , सब बहुत खुश थे।

इस कहानी को यही तक रखते है दोस्तो कहानी का भाग ५ जल्द ही आयेगा।😊