Rajkumari Shivnya - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

राजकुमारी शिवन्या - भाग 7

भाग ७

अब तक आपने देखा कि रानी को गरीबों को खाना खिलाने की मन्नत के बारे में याद आ गया था और उन्हों ने राजा से इस बारे में बात की अब आगे की कहानी देखते है।

राजा और रानी बात करके सो गए अगले दिन का सूर्योदय हो गया, रानी ओर उनकी दासियों ने आज जल्दी उठ कर सारा भोजन बना लिया , खीर पूरी, गुलाब जामुन, सब्जी और दूसरी कई वानगी बनाई। ४ रथ निकले राजा ने, एक में वह ओर रानी जाने वाले थे दूसरे रथ में खाना ले जाना था और बाकी दोनों रथ में सैनिक जाने वाले थे , वह अपनी यात्रा पर निकल चुके ओर यहां राजकुमारी शिवन्या महल में खेल रही थी। बारिश बहुत तेज हो रही थी पर राजा रानी को किस भी हाल में यह मन्नत पूरी करनी थी चाहे कीतनी भी बारिश क्यों ना हो जाए।

राजा और रानी को रास्ते में जो जो भी भूखा लगा उन्हों ने अपने हाथो से उन्हे खाना दिया। सैनिक खाना निकलते गए और राजा और रानी खाना केले के पत्तो में परोसकर गरीबों को खाना देते गए। ऐसे उन्हे हजार गरीबों को खाना खिलाने में करीबन ३ दिन लग गए , अब उनका सारा खाना खत्म हो चुका था और १००० गरीब से भी ऊपर उन्हों ने खाना खिलाया था, जेसे ही उनकी यह मन्नत पूरी हुई शिव जी प्रसन्न हुए और इतनी तेज बारिश धीमी हो कर रुक गई।

राजा रानी महल की तरफ वापस लोट रहे थे , जेसे ही बारिश रुकी प्रजा में खुशियों का माहोल छा गया, वही दूसरी ओर राजकुमारी शिवन्या अपने कक्ष में खेल रही थी दासियो के साथ तभी उनके कक्ष की खिड़की से दो चोर चोरी करने कक्ष में घुसे यह देख कर दासिया दर गई चोर ने दो दासियो को पकड़ लिया , वह डर के मारे चिल्ला रही थी इसलिए चोरों ने उनका मुंह बंध कर उनके गले में चाकू रख दिया ताकि चिल्लाने की आवाज से सैनिक कक्ष में न आ जाए।

तभी छोटी सी राजकुमारी शिवन्या ने निडर बन कर अपना बाण हाथ में लिया और दो तीर साथ में चलाए ओर दोनो चोरों को एक साथ निशाना बनाया , तीर दोनो चोरों की छाती चीरते हुए आर पार चले गए दोनो चोरों की वही मृत्यु हो गई और उन्हों ने दासियो को बचा लिया और चोरी होने से भी कक्ष में मौजूद दोनो दासिया यह भयानक दृश्य देख कर दंग रह गई की जो काम उन्हे करना चाहिए था वह इतनी छोटी सी बच्ची ने कर दिया। वहा प्रजा खुशी से झूम रही थी नाच रही थी, तभी राजा रानी राज्य में दाखिल हुए ओर महल पोहचने वाले थे उनकी मन्नत सफल रही यह देख कर वह बोहत खुश थे।

सब लोग राजा रानी का स्वागत करने महल के बाहर खड़े थे प्रजा को जेसे ही उनका रथ दिखा वह उनकी जय जय कर करने लगे , राजा का रथ महल के बाहर खड़ा रहा, प्रजा में से एक वृद्ध आदमी बोला राजा जी रानी जी आपकी मन्नत पूरे होने की वजह से आज बारिश रुक गई तब रानी निलंबा बोली यह सब तो भगवान शिव की लीला थी बोलिए भगवान शिव की जय । तभी एक सैनिक भाग कर महल के बाहर आता है ओर कहता है महाराज , आज पता नही केसे दो चोर चोरी करने राजकुमारी शिवन्या के कक्ष में घुस गए थे तब राजा डर गए और कहा राजकुमारी ठीक तो है तब सैनिक ने कहा, जी राजकुमारी बिल्कुल ठीक है उन्हों ने अपने बाण से उन दोनो चोरों को मौत के घाट उतार दिया ।

शिवन्या की इस बहादुरी से राजा को विश्वाश नही हुआ वह और रानी भागते हुए राजकुमारी के पास गए तो देख दो चोर लहू लुहान जमीन पर पड़े थे, राजा रानी को देख कर राजकुमारी शिवन्या भागती हुई राजा के गले लग गई । राजा ने कहा अरे मेरी नन्ही पुत्री आपने इतनी बहादुरी से चोरों की मृत्यु की मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा, शिवन्या ने कहा जी पिताजी इन दोनो ने दासियो को पकड़ लिया था और उन्हें वह चाकू से मार देते इस लिए मुझे मजबूरन इनको मारना पड़ा। तब रानी ने कहा किंतु पुत्री उन्हों ने चाकू निकाला आपको डर नहीं लगा तब राजकुमारी शिवन्या ने कहा माता डरते वह है जो गलत होते है कायर होते है , अगर तब में डर गई होती तो यह दोनो चोर दासियो को मारकर मुझे मारकर चोरी करके चले गए होते। अपने छोटी सी पुत्री के मुख से इतनी साहस भारी बाते सुन कर राजा और रानी को खुशी के अश्रु आने लगे।

फिर शिवन्या कहती है अरे आप दोनो तो रोने लगे , शिवन्या मस्ती में कहने लगी में इतनी छोटी यह चोर इतने बड़े बड़े मेने इनको मारा क्या मुझे इसका इनाम नहीं मिलेगा पिताजी तब राजा ने कहा बोलो पुत्री क्या चाहिए तुम्हे शिवन्या ने कहा पिताजी मेने कभी नगर यात्रा नहीं की मुझे नगर यात्रा करनी है हमारी प्रजाजन केसे रहती है वो देखना है उनका जीवन देखना है , राजा विलम ने कहा क्यों नहीं पुत्री आप जरूर नगर यात्रा कीजिए में अभी सैनिक को बुला कर आपके लिए रथ निकलने को कहता हु।

कहानी को यही तक रखते है दोस्तो जल्द लोटूंगी कहानी के नए भाग के साथ तब तक अपना ख्याल रखे सब।😊