नई दिल्ली से लगभग 25 किमी दूर आगरा रोड़ पर स्थित एक बेहद सामान्य सा 'हाइवे स्ट्रीट रेस्टोरेंट' जिसके एक टेबल पर देश का एक असामान्य व्यक्ति हाथ में कॉफी का मग लिए बैठा हुआ है...असामान्य व्यक्ति अर्थात देश की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसी का प्रमुख.....अर्थात डॉक्टर देसाई.......
और उसके ठीक सामने की टेबल पर जो शख़्स बैठा है.....उसको देखने अथवा उसके बारे में किसी खबर के सुनने का इंतजार डॉक्टर देसाई पिछले सात दिनों से कर रहे थे......जी हां......सामने वाली टेबल पर इस कहानी का हीरो सुपर एजेंट ध्रुव विराजमान था.....एकदम सुरक्षित,सकुशल......और साथ में थी उसकी एजेंट वाइफ जेनिफर......
अचानक से डॉक्टर देसाई की नजर रेस्टोरेंट की सामने वाली दीवार पर जाती है......वह हड़बड़ाते हुए ध्रुव को टोकते है...
"ओह माय गॉड......पूरे ढाई घण्टे से अधिक हो गए.....तुम्हारे ऑपरेशन वुहान की दिलचस्प कहानी सुनने में समय का पता ही नही चला....तुम्हारा कॉल आने पर यहाँ आने की हड़बड़ी में मेरा फोन भी घर पर ही छूट गया था..यहां तक की सिक्योरिटी एवं ड्राइवर को बताए बिना,कार भी स्वंय ही ड्राइव करके आया हूँ...अब तक तो ऑफिस में हड़कम्प मच गया होगा.......मुझे एक कॉल करने दो।"
डॉक्टर देसाई की रिक्वेस्ट पर ध्रुव ने अपना फोन आगे बढाया.......डॉक्टर देसाई ने तुरंत ही अपने असिस्टेंट विक्रमजीत मुखर्जी को कॉल किया......और कॉल करके उसे बताया कि वह सुरक्षित है,किसी बेहद खास काम की वजह से बिना किसी को इन्फॉर्म किये ही निकल आये,शीघ्र ही ऑफिस आएंगे।
उधर अपने चीफ का कुशलक्षेम पता चलने पर रॉ से जुड़े हुए ऑफीसर्स की जान में जान आई.....और इधर डॉक्टर देसाई ने एक और कप कॉफी ऑर्डर करते हुए ध्रुव के साथ चल रहा रोचक बातचीत का दौर आगें बढ़ाया
"तुम्हारी कहानी सुन कर एक एक दृश्य को सजीव महसूस कर रहा हूँ,कमाल कर दिया तुमने.......बहुत ही रोचक रहा तुम्हारा 'ऑपरेशन वुहान'....तुम्हारा एक एक प्लान......,तुम्हारे साहस की दास्तां,जेनी के द्वारा की गई अद्भुत हैकिंग...एवरीथिंग इज फैंटास्टिक....सुन कर गर्व महसूस हो रहा है ....ब्रिलियंट......पर......आगे क्या हुआ..... तुम सब 'जीरो हब' से आखिर निकले कैसे.......यह क्लाइमेक्स तो अभी बाकी रह गया....आगे बताओ ध्रुव....."
पिछले ढाई घण्टे से 'ऑपरेशन वुहान' की स्टेप बाय स्टेप कहानी को सुनते हुए प्रोफेसर देसाई अब कहानी के अंतिम दौर तक आ चुके थे, और बेसब्री से अपने दिमाग में चलने वाले सारे कौतूहल एवं प्रश्न चिन्हों का अंत चाहते थे।
ध्रुव ने भी मुस्कुराते हुए आगे बताना आरम्भ किया.....
"'जीरो हब' में हमें आभास हो गया था,उन्नत तकनीक वाले वह चाइनीज हमारी गतिविधियों की जानकारी पाने के लिए हमारे पास मौजूद संचार का एकमात्र साधन अर्थात सैटेलाइट फोन को हैक करेंगे.....और उन्होंने वही किया.........इस दौरान हमने सैटेलाइट फोन द्वारा आपस मे बातचीत कर के उन्हें यह यकीन दिलाया कि हम उसी हेलीकॉप्टर के द्वारा वहाँ से उड़ान भरने वाले है........
इस बीच थॉमस की तकनीकी ज्ञान का उपयोग करते हुए हमने उस हेलीकॉप्टर के ऑटो पायलट मोड़ को एक्टिवेट करते हुए....उसके पैनल में एक कनेक्टिंग डिवाइस लगाकर उसका सारा कंट्रोल 'रिमोट मोड़' पर ले लिया.....अब उस हेलीकॉप्टर का सारा कंट्रोल हमारे हाथ में मौजूद रिमोट में था,जिसे हम एक किमी की दूरी तक अपने इशारे पर उड़ा सकते थे....ठीक वैसे ही जैसे रिमोट के माध्यम से किसी 'ड्रोन' को उड़ाते है........उसके बाद हम 'जीरो हब' के पिछले भाग में बनी बाउंड्री को पार करते हुए बमुश्किल आधा किमी दूर स्थित 'यांगत्सी नदी'
तक पहुंच गए .........जहां पानी में दस फ़ीट नीचे चाइनीज नेवी के डॉकयार्ड से चोरी की गई एक विशाल पनडुब्बी में नेइयांग केल्विन के साथ हमारा इंतजार कर रहा था........चाइनीज्स को भ्रमित करने के लिए हमने योजनानुरूप उस हेलीकॉप्टर को भी रिमोट की सहायता से उड़ाया......अब हम पानी मे कई फ़ीट नीचे रहते हुए भी बिना किसी की नजर में आये उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे....और साथ ही उनके अटैक्स का जबाब भी जबाबी हमले के द्वारा दे रहे थे......फिर हेलीकॉप्टर क्रैश होते ही हम वहां से निकल चुके थे........कुछ घण्टो बाद जब उन्हें शक हुआ तब तक हम वहां से कई किलोमीटर दूर स्थित 'ग्वांग झाऊ' शहर पहुंचे.......यहां से आगे कोस्ट गार्ड्स का कड़ा पहरा रहता है.....इसलिए यहां से आगे तक का सफर हमने पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा तय किया........और तब तक चाइनीज्स गवर्नमेंट ने हमे भगोड़ा घोषित करते हुए,अन्य शहरों एवं बॉर्डस पर सघन चेकिंग आरम्भ कराई.....हम चाइना छोड़ कर उसकी समुद्री सीमा से सटे हुए 'हॉन्गकॉन्ग' में शरण ले चुके थे.....हॉन्गकॉन्ग और चीन के मध्य खराब सम्बन्धो का हमें फायदा मिला......चाइना की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने चोरी की गई पनडुब्बी को ध्यान में रखते हुए हमारे जलीय रास्ते द्वारा चाइना छोड़ कर हॉन्गकॉन्ग पहुंचने का अंदेशा जताया ......पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.…...हॉन्गकॉन्ग में मौजूद अपने कुछ मित्रों के सहयोग से हम सभी वियतनाम,कम्बोडिया और म्यांमार के हवाई मार्ग द्वारा सीधे इंडिया आये.......यहां से फिर इस मिशन के दौरान मिले इन नए मित्रो जॉन,थॉमस और केल्विन को उनके अपने देशो के लिए रवाना करते हुए विदा किया....…..और इस मिशन में हमारा सबसे अधिक सहयोग करने वाला साथी नेइयांग इस वक्त दिल्ली में ही मौजूद है......चूंकि अब उसका चाइना में रहना उसके लिए जानलेवा सिद्ध हो सकता था इसलिए वह अब इंडिया में ही रह कर अपना जीविकोपार्जन करना चाहता है......उसके लिए कानूनी रूप से यहां रह पाने का प्रबंध करना अब आपकी जिम्मेदारी है।"
इसी के साथ ध्रुव ने ऑपरेशन वुहान की लंबी चौड़ी दास्तान पर विराम लगाया।
"ध्रुव....तुमने देश के लिए जो किया वह एक महान काम है.....धन्य है वह मां बाप,जिनकी सन्तान के रूप में तुमने जन्म लिया…..मुझे पता है वो अब इस दुनिया में नही है,फिर भी वो जहां भी होंगे गर्व महसूस कर रहे होंगे......ध्रुव आज मैं हमेशा के लिए तुम्हारा ऋणी हो गया....एक सीनियर के रूप में भी और.....एक इंसान होने के नाते भी।"
और फिर भावुक हो उठे डॉक्टर देसाई ने ध्रुव को गले लगा लिया......जेनी भी यह सब देख कर गर्वान्वित महसूस होते हुए मुस्कुरा रही थी।
"काश जंग फ़तेह करके लौटा यह हीरो मुझे भी गले से लगने का एक मौका दे....."
अचानक से आई इस आवाज ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.......देखा तो टेबल के सामने विराज खड़ा था।
फिर डॉक्टर देसाई को सम्बोधित करते हुए वह बोला
"सॉरी सर....आप जैसे सुपर सीनियर के सामने होते हुए भी कुछ देर के लिए प्रोटोकॉल से बाहर रहने की परमिशन चाहता हूँ।"
जबाब में डॉक्टर देसाई ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिलाया और फिर ध्रुव की ओर देखते हुए बोले
"ध्रुव....मुझे नही पता तुम्हारे बीच आखिर असल मसला क्या था......पर विराज इज आल्सो अ गुड़ गय......काम करने का स्टाइल एकदम तुम्हारे जैसा है.........आई रिक्वेस्टड यू......पुरानी सारी बातों को भूल जाओ"
ध्रुव ने जेनी की ओर देखा.......जो जेनी ने भी अपनी आंखों को नीचे की ओर बन्द करते हुए मुस्कुराहट के साथ अपनी स्वीकृति दे डाली....
बस फिर क्या था.......ध्रुव उठा.......और विराज की ओर बढ़ते हुए बोला ....
"मैं तो पुरानी बातों को कबका भुला चुका था.....यही साला एटीट्यूड लिए बैठा था"
और फिर दोनों गले लग गए.........
दोनों के गले लगने के बाद भावविभोर होने का अंदाज बता रहा था कि कभी दोनों जिगरी रहे होंगे.....खासमखास।
जेनी के लिए भी यह पल बेहद खास था,तभी तो वह सामने खड़ी खड़ी चेहरे पर स्माइल लिए दोनों को निहार रही थी।
गले मिलने के बाद विराज ने ध्रुव के सामने सैल्यूट किया....ठीक वैसे ही जैसे एक सैनिक अपने आफीसर्स को करता है।
"वेल......बॉयज ...सी यू सून''....दोनों की पीठ थपथपाते हुए डॉक्टर देसाई वहां से चले जाते है.....ध्रुव,विराज और जेनी उनको कार तक ड्राप करने जाते है।
उनके जाने के बाद।
"अब ये तो बता यहां तक कैसे आया?"
ध्रुव ने प्रश्न किया.......
जबाब में विराज ने फुसफुसाहट के साथ बताया
"रॉ के चीफ ढाई घण्टे गायब रहे.....और इतनी बड़ी एजेंसी कुछ नहीं करेगी भला.......सारे शहर के सीसीटीवी खंगाल लिए गए इतनी देर में तो........देसाई सर की कार को आगरा रोड़ पर जाते देखा गया उसमें.......पर अगले टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी में वह नदारद थी। ....मतलब साफ था.....देसाई सर इसी 3 किमी की रेंज में कही हो सकते थे...........और इसी बीच पड़ती थी यह जगह,जहां की मटर पनीर तुम्हारी फेवरेट थी😊.....तो दिमाग मे कीड़ा दौड़ा यहां आने का......"
और फिर सभी वहां से चले जाते है.....
After Some days
देश में धीरे धीरे हालात सामान्य हो चुके है....वायरस की एंटीडोट की खोज करने के लिए देश के कुछ डॉक्टर्स को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.....पर असल मे इन डॉक्टर्स से सिर्फ उस एंटीडोट को बनाया था......फॉर्मूला तो कहीं और से आया था.......पर 'ऑपरेशन वुहान' के पूरी तरह से अन ऑफिशियल होने के कारण एवं लाख प्रयासों के बाद भी चांग ली के मुंह न खोलने के कारण चीन की साजिश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्दाफाश न हो सका......और बस इसी डर की वजह से चीन के द्वारा भी भारत पर किसी भी प्रकार की घुसपैठ करने का सार्वजनिक आरोप नही लगाया गया.......पर 'ऑपरेशन वुहान' की सफलता ने चीन के दिल मे पनप रही भारत के एक कमजोर देश होने की गलतफहमी को पूरी तरह निकाल दिया था......
ध्रुव अपनी पत्नी जेनी के साथ इस वक्त लम्बी छुट्टी के दौरान भारतभ्रमण करने में व्यस्त हैं....आखिर उसे अपनी ब्रिटिश पत्नी के साथ साथ अपने जल्द आने वाले नन्हे ध्रुव को भी तो भारत की विविधता में एकता वाली संस्कृति से परिचय कराना है.........।
वैसे एक और चाइनीज एक्टिविटी इन दिनों भारत के हैदराबाद शहर में आजकल काफी चर्चित हो रही थी.. ...एक शानदार चाइनीज रेस्टोरेंट......जहां ढेर सारी चाइनीज डिशो का लाजबाब स्वाद लोगो की भीड़ को अपनी ओर खींच रहा था........और इस चाइनीज रेस्टोरेंट का ऑनर था..... नेईआंग.......जो अब इंडिया में ही सैटल हो चुका था।
समाप्त
प्रिय पाठकों....इस कहानी का यह अध्याय फ़िलहाल यहीं पर समाप्त होता है........यदि आपको यह कहानी पसन्द आई हो तो अपनी राय कमेंट में अवश्य बताये ,आप सभी की पसंद के अनुसार ही इस सीरीज पर अगला अध्याय शुरू करूंगा,
🇮🇳 जय हिंद 🇮🇳