Kavach - Kali Saktiyon Se - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

कवच - काली शक्तियों से - भाग 2

बस हमें छोड़कर जा रहा था...

बस को जाता देख कर चैत्रा और मैं उस बस में चढ़ने के लिए दौड़े लेकिन वह तेजी से चल रहा था हम बस में चढ़ नहीं पाए और बस काफी दूर निकल गया।

चैत्रा- अब क्या करें

रोहन- रुको मुझे सोचने दो

तभी मेरे दोस्त घसीटा का फोन आया "कहां पर हो यार तुम लोग ! हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं?

रोहन- अरे यार हम करलाई के जंगल से बहुत दूर आ गए हैं तुम लोग बुलेट पर है तो तुम ही यहा आ जाओ देखते हैं यहां वह दुर्लभ फूल मिलता है या नहीं।

घसीटा- ठीक है, तब तक तुम वहां रहने का व्यवस्था देखो तब तक हम आते हैं।

मैं और चैत्रा आगे बढ़ने लगे आगे डरावनी आवाजें आ रही थी, चैत्रा थोड़ी डर रही थी, मैंने उसे दिलासा दिलाया कि यहां बस जीव जंतु की आवाजो गूंज रही है तभी सामने एक महल दिखाई दिया जो बहुत पुराना था थोड़ी सी लाइट जल रहा था तो हमने सोचा वहां कोई रहता होगा जिससे हमें कुछ मदद भी मिल जाएगी हम महल की ओर बढ़े.........

वहां पहुंचकर हम ने आवाज लगाई- कोई है, तब वहां से एक बुजुर्ग आदमी बाहर आया और बोला- कौन हो तुम, क्या चाहिए, चले जाओ यहां से, यहां जो भी आता है वापस नहीं जा पाता
अभी समय है वह अभी जागा नहीं है शायद तुम बच जाओ

चैत्रा डर कर मेरे हाथों को पकड़ लिया मैंने उसे समझाया ऐसा कुछ नहीं होगा, सब ठीक है यह हमें डराने के लिए ऐसा बोल रहे हैं,,,,

रोहन- देखिए अंकल हम रास्ता भटक गए हैं सिर्फ आज रात के लिए हमें यहां रहने दीजिए सुबह होते ही हम चले जाएंगे...

अंकल- अब तुम लोग खुद मरना चाहते हो तो मैं क्या कर सकता हूं आओ अंदर,
हम बंगले के अंदर प्रवेश हुए महल बाहर से जितना खराब दिखता था वह अंदर से वैसा नहीं था। फिर हम राज दरबार में पहुंच गए वहां पहुंचने के बाद

चैत्रा ने कहा- मुझे थोड़ा काम है और यहां मुझे थोड़ी घुटन महसूस हो रही है मैं ऊपर छत पर थोड़ी देर टहल कर आती हूं,,,,,

मैंने कहा- ठीक है, जल्दी आ जाना

नेहा छत पर चली गई सभी राजाओं की मूर्तियां बनी थी और सामने में एक आलीशान सिंहासन था उसे जैसे ही मैंने देखा मैं उस पर मोहित हो गया,

मैं उसपे बैठने ही वाला था कि उस बुजुर्ग आदमी ने मुझे रोका और बोला- क्या कर रहे थे तुम यह महाराज भल्लालदेव का सिंहासन है यह सिंहासन पिछले १०० वर्षों से श्रापित है अगर तुम इस बार बैठ जाते तो इस सिहासन का श्राप तुम्हें भी लग जाता

श्राप किसने दिया यह श्राप मैंने पूछा???

तब उस बुजुर्ग आदमी ने बोला- सुनना चाहते हो तो सुनो आज से लगभग 100 साल पहले यहां के राजा भल्लालदेव थे वे स्वभाव से एकदम कपटी और दुष्ट थे, अपने राजकोष को भरने के लिए जनता को लूटते और उन्हें दुख देते,,,

इस राज्य की हर जनता उसे राक्षस समझते ,उसके तीन पत्नियां थी उसमें से दो रानियों को पुत्र पैदा हुआ और छोटी वाली रानी को पुत्री राजा इस बात पर बहुत गुस्सा हुआ और उसने सबके सामने उसे मार डाला ,,,,,,,

लेकिन इस बात पर उसके वजीर को राजा पर बहुत गुस्सा आया (वजीर और छोटी महारानी एक दूसरे से बचपन से ही प्यार करते थे लेकिन राजा ने जबरदस्ती उससे शादी कर लिया था) और वजीर ने राजा को मारने की सौगंध खा ली,,,

अमावस की रात थी काली घटा छाई थी, वजीर के सर पर खुन सवार था,वह राजा को मारने के लिए उसके कमरे में गया और उसने आव देखा न ताव तलवार से जोर जोर से वार करता गया लेकिन राजा को शायद उसके इरादों का पहले से ही पता चल गया था वह वहां नहीं थे बल्कि उसके स्थान पर एक मूर्ति को अपने बिस्तर पर लिटा दिया था तभी राजा ने वजीर को जमीन पर धकेल दिया और तलवार से उसको मार डाला

मरते वक्त वजीर ने राजा को श्राप दिया जिस तरह तुमने मेरा और मेरे प्यार को मारा है उसी तरह तू भी जिस चीज को सबसे ज्यादा प्यार करता है वह सिहासन आज से श्रापित हैं जब भी तो उसे देखेगा उस पर मोहित हो जाएगा और जब तु उस सिंहासन पर बैठेगा तो खुद को मारने लगेगा और अगर कोई तुम्हें रोकेगा तो तू उसे भी मार डालेगा

यह कहकर वजीर मर गया, राजा सिंहासन पर बैटे बिना ज्यादा दिन तक नहीं रह पाए और 1 दिन जैसी ही वे सिंहासन पर बैठे उस पर उस श्राप का असर हो गया, वह खुद को मारने लगे और मदद के लिए गुहार करने लगे सब उसके कपटी पन और दुष्प्रभाव को देख कर उसे बचाने नहीं गए

और अन्त में जब वह मरने लगा तो उसने भी एक श्राप दिया तुम लोगों में से एक ने भी मुझे बचाने की कोशिश नहीं किया, तो मैं भी तुम सबको एक श्राप देता हूं कि जो भी इस सिंहासन पर बैठेगा मैं उसके शरीर में प्रवेश करके उसे मार डालूंगा और अगर मुझे किसी ने रोकने की कोशिश करेगा में उसे भी मार दूंगा।

यह कहकर राजा मर गए और तब से इस सिंहासन पर जो भी बैठना चाहा है राजा ने उसके शरीर में प्रवेश करके उसे मार डाला है।।

रोहन- अच्छा हुआ जो आपने बता दिया वरना मेरा तो राम नाम सत्य हो जाता। क्या अंकल मुझे डराने के लिए इतना बड़ा झूठ, यह २१ सदी हैं यहां श्राप व्राप कुछ नहीं होता,,,,

बुजुर्ग आदमी- होता है जब आत्मा रोती है और उस समय वो किसी को श्राप दे तो वह सच में होता है, आज तुम खुद ही देख लेना

तभी चैत्रा दौड़ कर नीचे आई और बोली - रोहन दूर से एक गाड़ी आ रही है शायद तुम्हारे दोस्त हो ?

रोहन- चलो चल कर देखते हैं हम सब बाहर दरवाजे पर खड़े होकर देखने लगे, सच में मेरे दोस्त घसीटा और वसीटा थे

मैंने बोला- कितना देर लगा दिया यार, चलो जल्दी से जंगल जाते हैं

चैत्रा- हां चलो जल्दी अपना अपना बैग ले लो,,,,

रोहन- तुम लोग अपना बैग पकड़ लो मैं अपना बैग यही छोड़ देता हूं क्योंकि इसमें हमारे खाने का सामान भी है,,,,

घसीटा और वसीटा हां करके मुंडी हिलाने लगे मुझे लगा वह शायद थक गए हैं इसलिए ऐसा कर रहे हैं।

मैं बुज़ुर्ग आदमी से कहने लगा- अच्छा चाचा हम सब थोड़ी देर आते हैं।

और हम जंगल में प्रवेश हुए, बहुत तलाश के बाद भी वह फूल हमें नहीं मिला, हम थक कर बैठ गए तभी पीछे से चमकती लाइट सी प्रकाश आने लगी, हम उस रोशनी का पीछा करते उस जगह पर पहुंच गए,,,

वाहा हमने वह फूल देखा जिसका हमें तलाश था,

रोहन- मैं जाकर वह फुल तोड़ कर लाता हूं ,

चैत्रा- हां ठीक है।

घसीटा- रुक जा रोहन उसे कोई हाथ नही लगाएगा,,

रोहन- क्या बात कर रहा है घसीटा? इसके लिए ही तो हमने इतनी मुसीबत झेला हैं और तुम कह रहे हो कि फुल को मत तोडो, क्या हो गया है यार तुम्हें,,

घसीटा- मैंने कहा ना तो उसे कोई नहीं तोड़ेगा जो कोई भी उस फूल को तोडने की कोशिश करेगा वह मारा जाएगा ।

मैंने नोटिस किया कि घसीटा के शरीर में धीरे-धीरे बदलाव होने लगा था उसकी आंखें लाल हो गई थी अचानक वह एक प्रेत बन गया, हम डर गए, हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था, हम भाग कर थोडी दूर आ गए पीछे पीछे घसीटा भी आ रहा था, हमें मारने के लिए,,,,

तभी चैत्रा अपने बैग में से कुछ निकाली वह वही चीज थी जिसे मैंने सपनों में देखा था उसे निकाल कर चैत्रा कुछ मंत्र पढ़ने लगी,,,,तभी सामने घसीटा आकर बैठ गया।

और चैत्रा उससे पूछने लगी- कौन हो तुम???

तब मैंने बीच में रोक कर पूछा यह सब क्या है चैत्रा ?

तब चैत्रा ने बताया- रोहन यह एक तांत्रिक पुस्तक है जिसमें भूत को वश में करके, उससे उसके जीवन के बारे मे पूछा जा सकता है
तब चैत्रा ने घसीटा से बोला- बताओ

घसीटा-जब रोहन ने हमे फोन किया तब हम तुम्हारे पास आने के लिए गाड़ी में बैठे हैं फिर हम महल से थोड़ी दूर पर थे तभी हमने देखा दूर से एक रोशनी दिखाई दे रही थी तब मैंने अपने दोस्त से बोला कि चलो तो चल कर देखते हैं वह क्या चीज है ??

अगर वह वही फूल है जिसकी हमें तलाश है तो सोचो हम यह फूल अपने सर को दे देंगे तो हमारा प्रमोशन पक्का समझो ,

वसीटा- अच्छा चलो देखते हैं।

हम उस जगह पर पहुंच गए, वहां वह फुल चमक रहा था मैं उसे तोड़ने के लिए आगे बढ़ा जैसी ही मैंने उस फुल को तोड़ कर वापस आने लगा मैंने महसूस किया कि जिस जगह से हम फूल तोड़े हैं वह जगह हिल रहा है, हम डर गए, फिर हमने अपने चारों ओर ध्यान से देखा तो पता चला कि हम श्मशान में खडे हैं और उस फूल वाले जगह से एक भयानक प्रेत उठ कर खड़ा हो गया,,,

हम भागने लगे तभी वह हमारे सामने आ गया और कहा- जो भी इस फुल को तोड़ना चाहेगा मैं उसे मार डालूंगा यह मेरा फुल है, यह कहकर उस प्रेत ने हमें मार डाला और हमारा यह हाल हो गया,,

तुम हमें आजाद कर दो हम चले जाएंगे,मैने उन्हे जाने को कहा और चैत्रा से पूछा चैत्रा चलो यहां से नहीं चाहिए हमें वह फुल.....

चैत्रा- तुम जाना चाहते तो जाओ लेकिन मैं उस फूल को लिए बिना यहां से नहीं जाऊंगी ,,,,

तब मैंने गुस्से से पूछा- आखिर क्यों चाहिए तुम्हें वह फूल? आखिर किस मकसद से तुम यहां आई हो? बताओ मुझे,,,,,

तब चैत्रा ने जावाब दिया- अगर आज मुझे यह फुल ना मिला तो मेरी दीदी मर जाएगी,,,,,

रोहन- क्या? कैसे उनका और इस फुल का क्या सम्बन्ध ???????

चैत्रा- सम्बन्ध है, मेरे दीदी के शरीर मे एक प्रेत का गंदा रक्त फैल रहा है और अगर आज उन्हे इस फुल की औषधी ना मिली, तो वो मर जाइगी ............

®®®Ꭰɪɴᴇꜱʜ Ꭰɪᴠᴀᴋᴀʀ"Ᏼᴜɴɴʏ"